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Sunday 4 August 2019 05:58:21 PM
लखनऊ। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कहा है कि वास्तव में साहित्य समाज का आइना है, जैसा साहित्य होगा समाज उसी के अनुरूप प्रेरणा और प्रकाश प्राप्त करता है। उन्होंने कहा कि अगर साहित्य मौलिक, उत्कृष्ट और शाश्वत मूल्यों पर आधारित है तो समाज को रचनात्मक गति और दिशा देता है। उन्होंने कहा कि क्षेत्रीय और लोक भाषाएं हिंदी भाषा की ताकत हैं, इसलिए क्षेत्रीय और लोक भाषाओं को भी विकसित करने का सतत प्रयास होना चाहिए। मुख्यमंत्री आज अपने सरकारी आवास पर हिंदुस्तानी एकेडेमी प्रयागराज के सम्मान समारोह में बोल रहे थे। उन्होंने कहा कि 22 वर्ष बाद हिंदुस्तानी एकेडेमी ने हिंदी और उसकी लोक भाषाओं से जुड़े साहित्य और उनके साहित्यकारों को सम्मानित करने की प्रक्रिया फिर से प्रारम्भ की गई है, इसके लिए हिंदुस्तानी एकेडेमी के अध्यक्ष और उनकी टीम बधाई की पात्र है।
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कहा कि हिंदी भाषा को समृद्ध करने की लोकपरम्परा का आधार हिंदुस्तानी एकेडेमी बनी है। उन्होंने कहा कि आज यहां लोक भाषाओं के साथ-साथ हिंदी से जुड़े उत्कृष्ट साहित्यकारों को सम्मानित करने का प्रयास अभिनंदनीय है। मुख्यमंत्री ने 10 साहित्यकारों का सम्मान किया। उन्होंने 5 लाख रुपए की धनराशि का गुरु गोरक्षनाथ शिखर सम्मान डॉ अनुज प्रताप सिंह को प्रदान किया। इसी के साथ गोस्वामी तुलसीदास सम्मान डॉ सभापति मिश्र, भारतेंदु हरिश्चंद्र सम्मान डॉ रामबोध पांडेय, महावीर प्रसाद द्विवेदी सम्मान डॉ योगेंद्र प्रताप सिंह, महादेवी वर्मा सम्मान डॉ सरोज सिंह, फ़िराक़ गोरखपुरी सम्मान शैलेंद्र मधुर, भिखारी ठाकुर भोजपुरी सम्मान ब्रजमोहन प्रसाद ‘अनाड़ी’, बनादास अवधी सम्मान डॉ आद्या प्रसाद सिंह ‘प्रदीप’, कुम्भन दास ब्रजभाषा सम्मान डॉ ओंकार नाथ द्विवेदी और हिंदुस्तानी एकेडेमी युवा लेखन सम्मान विश्वभूषण को प्रदान किया गया। कार्यक्रम का शुभारम्भ मुख्यमंत्री ने दीप प्रज्ज्वलित कर सरस्वती प्रतिमा पर माल्यार्पण करके किया।
योगी आदित्यनाथ ने कहा कि मध्यकाल में घोर गुलामी के कालखंड में गोस्वामी तुलसीदास रामचरित मानस के माध्यम से लोगों के मन में एक नया भाव जाग्रत कर रहे थे, मध्यकालीन संतों ने साहित्य के इस मर्म को समझा और स्थानीय भाषा में उसे नई ऊंचाईयां देकर आमजन को प्रेरित किया। मुख्यमंत्री ने हिंदुस्तानी एकेडेमी की छह पुस्तक नाथपंथः विविध आयाम, हमारी संस्कृति और हम, समकालीन भोजपुरी साहित्य का समीक्षात्मक अध्ययन, रामविलास शर्मा का प्रेम-परिसर, भोजपुरी लोककथा मंजूषा तथा हिंदुस्तानी एकेडेमी का इतिहास का विमोचन भी किया। हिंदुस्तानी एकेडेमी प्रयागराज के अध्यक्ष डॉ उदयप्रताप सिंह ने इस अवसर पर कहा कि हिंदुस्तानी एकेडेमी के लिए आज का दिन ऐतिहासिक है। हिंदी संस्थान के कार्यकारी अध्यक्ष डॉ सदानंद प्रसाद गुप्त ने कहा कि साहित्य मनुष्य की चेतना को दर्शाता है। कार्यक्रम में अपर मुख्य सचिव सूचना एवं गृह अवनीश कुमार अवस्थी, सूचना एवं संस्कृति निदेशक शिशिर, उत्तर प्रदेश संस्कृत संस्थानम के अध्यक्ष डॉ वाचस्पति मिश्र और गणमान्य नागरिक उपस्थित थे।