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Wednesday 12 March 2025 03:16:08 PM
नई दिल्ली। भारतीय डाक विभाग ने ‘डिजिटल एड्रेस कोड’ नाम से एक पहल शुरू की है, जिसका उद्देश्य भारतभर में एक मानकीकृत जियो-कोडेड एड्रेसिंग सिस्टम केलिए एक डिजिटल सार्वजनिक बुनियादी ढांचे की स्थापना करना है, इससे भारतभर में ‘एड्रेस एज ए सर्विस’ स्थापित करने केलिए सार्वजनिक और निजी सेवाओं की नागरिक केंद्रित डिलीवरी केलिए सरलीकृत एड्रेसिंग समाधान सुनिश्चित किया जा सकेगा। इस पहल के एक भाग के रूपमें केंद्रीय संचार मंत्रालय के तहत डाक विभाग ने डिजिटल एड्रेस डिजिटल पब्लिक इंफ्रास्ट्रक्चर केलिए टेक्नोलॉजी आर्किटेक्चर की डिजाइनिंग और दस्तावेजीकरण केलिए फाउंडेशन फॉर साइंस इनोवेशन एंड डेवलपमेंट (एफएसआईडी), भारतीय विज्ञान संस्थान (आईआईएससी) बेंगलुरु केसाथ महत्वपूर्ण समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किए हैं।
डाक विभाग के सदस्य (परिचालन) हरप्रीत सिंह ने इस अवसर पर कहाकि डिजिटल एड्रेस डीपीआई एक परिवर्तनकारी पहल है, जो देश के सामाजिक और आर्थिक विकास में सहायक होगी। हरप्रीत सिंह ने कहाकि आईआईएससी केसाथ साझेदारी से तकनीकी रूपसे सुदृढ़, सुरक्षित, मापनीय, नागरिक केंद्रित, गोपनीयता का सम्मान करने वाला और भविष्य केलिए तैयार ढांचा सुनिश्चित होगा, जो भारत की बढ़ती डिजिटल अर्थव्यवस्था और शासन की जरूरतों का समर्थन करेगा। आईआईएससी के रिसर्च प्रोफेसर एवं एफएसआईडी के सेंटर ऑफ डेटा फॉर पब्लिक गुड (सीडीपीजी) के अध्यक्ष प्रोफेसर इंदर गोपाल ने कहाकि हम भारत केलिए डिजिटल एड्रेसिंग सिस्टम केलिए एक अग्रणी डिजिटल सार्वजनिक बुनियादी ढांचे को आकार देने में डाक विभाग केसाथ सहयोग करने केलिए उत्साहित हैं। उन्होंने कहाकि इस गेमचेंजिंग पहल के जरिए हमारा लक्ष्य एक लचीला और स्केलेबल आर्किटेक्चर बनाना है, जो शहरी और ग्रामीण दोनों समुदायों को लाभांवित करते हुए लोकेशन इंटेलिजेंस को बढ़ाता है।
प्रोफेसर इंदर गोपाल ने कहाकि डाक विभाग और एफएसआईडी, आईआईएससी केबीच सहयोग निर्बाध, कुशल और प्रौद्योगिकी संचालित एड्रेसिंग प्रणाली की दिशामें एक महत्वपूर्ण कदम है, जो डिजिटल नवाचार में भारत के नेतृत्व को मजबूत करता है। उन्होंने कहाकि डाक विभाग, एफएसआईडी और आईआईएससी केबीच रणनीतिक सहयोग का उद्देश्य डिजिटल एड्रेस डीपीआई की स्थापना केलिए आधारभूत तकनीकी सिद्धांतों और डिजाइन को तैयार करना है, जिसे एक मानकीकृत, भू-संदर्भित और अंतर संचालन योग्य एड्रेसिंग सिस्टम के रूपमें देखा जाता है, जो देश में एड्रेस डेटा के निर्माण, साझाकरण और उपभोग के तरीकों में क्रांतिकारी बदलाव लाएगा। प्रोफेसर इंदर गोपाल ने कहाकि यह एक आधारभूत सार्वजनिक अवसंरचना के रूपमें काम करेगा, जो सेवा वितरण, आपातकालीन प्रतिक्रिया, वित्तीय समावेशन और शहरी नियोजन को सुव्यवस्थित करने केलिए सरकार, व्यवसाय और नागरिक सेवाओं केसाथ एकीकृत होगा।