स्वतंत्र आवाज़ डॉट कॉम
Tuesday 20 August 2019 06:42:54 PM
नई दिल्ली। रक्षामंत्री राजनाथ सिंह ने विदेशी विनिर्माताओं पर निर्भरता में उत्तरोत्तर कमी लाने और रक्षा क्षेत्र में स्वदेशी रूपसे विकसित समग्र क्षमताओं का विकास करने पर बल दिया है। नई दिल्ली में ‘वायुसेना की आधुनिकीकरण एवं स्वदेशीकरण योजनाएं’ विषय पर संगोष्ठी में उद्घाटन भाषण देते हुए राजनाथ सिंह ने स्वेदशीकरण संबंधी मांगों को पूरा करने के लिए निजी उद्योग से सरकार की नीतिगत पहलों का लाभ उठाने और रक्षा सेवाओं, रक्षा सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रमों एवं आयुध फैक्ट्री बोर्ड के साथ संबंध बनाने का अनुरोध किया। उन्होंने रक्षा क्षेत्र में स्वदेशी उद्योगों की प्रगति और विकास की दिशा में लंबित मसलों का समाधान करने की सरकार की प्रतिबद्धता दोहराई। उन्होंने उद्योग जगत से कहा कि अल्पकालिक लाभ की अपेक्षा न करते हुए दीर्घकालिक लाभ के लिए निवेश करें।
रक्षामंत्री ने भारतीय वायुसेना को तकनीकी रूपसे उन्नत और अत्यंत सामर्थ्यवान बल करार देते हुए कहा कि हाल ही में पाकिस्तान में आतंकवादी ठिकानों पर की गई कार्रवाई सशस्त्र बलों की इस विकट इकाई की पहुंच और घातकता को बयान करती है। उन्होंने कहा कि सेना और नौसेना के अलावा भारतीय वायुसेना को अपनी परिचालन संबंधी क्षमताओं को व्यापक बनाने के लिए तकनीक के क्षेत्र में हो रही प्रगति के साथ कदम से कदम मिलाने की जरूरत है। सशस्त्र बलों का आधुनिकीकरण करने से संबंधित प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के आह्वान को दोहराते हुए राजनाथ सिंह ने कहा कि रक्षा क्षेत्र में मेक इन इंडिया के तहत निजी क्षेत्र की साझेदारी बढ़ाने के प्रयास किए जा रहे हैं। मेक इन इंडिया को बढ़ावा देने की दिशा में सरकार की ओर से की जा रही पहल का उल्लेख करते हुए रक्षामंत्री ने कहा कि स्वतः अनुमोदित मार्ग के माध्यम से 49 प्रतिशत और प्रत्येक मामले के आधार पर सरकारी मार्ग के माध्यम से 100 प्रतिशत तक के विदेशी निवेश की अनुमति दी गई है। उन्होंनेयह कहकर विदेशी मौलिक उपकरण विनिर्माताओं से भारत में निर्माण कारखाने स्थापित करने का अनुरोध किया कि एफडीआई, संयुक्त उद्यमों अथवा रक्षा ऑफसेट मार्ग के माध्यम से विदेशी कंपनियों के लिए अनेक अवसर मौजूद हैं।
रक्षामंत्री राजनाथ सिंह ने कहा कि रक्षा ऑफसेट कार्यांवयन की प्रक्रिया को सुचारू बनाया गया है और सेनाओं के लिए ऑफसेट्स से मुक्ति के प्रावधान को बहाल करने संबंधी इस उद्योग की एक प्रमुख मांग को पूरा किया गया है। राजनाथ सिंह ने रक्षा संबंधी निर्माण हेतु आवश्यक सर्वोत्तम गुणवत्ता मानकों को पूरा करने के लिए निजी उद्योग को सरकारी संस्थाओं की परीक्षण सुविधाओं के उपयोग की मंजूरी देने की घोषणा की। उन्होंने कहा कि इस आशय का फैसला हितधारकों विशेष रूपसे स्वदेशी रक्षा विनिर्माताओं की टिप्पणियों को शामिल करने के बाद किया गया है। उन्होंने आशा व्यक्त की कि सरकार के प्रयासों और उद्योग की साझेदारी के बीच तालमेल से भारत को रक्षा उत्पादन के क्षेत्र में अग्रणी बनाने के लंबे अरसे से संजोये गए सपने को साकार करने में मदद मिलेगी। रक्षा उत्पादन में निजी क्षेत्र विशेषकर एमएसएमई की भागीदारी को बढ़ावा देने के लिए रक्षामंत्री ने डीपीएसयू और ओएफबी के लिए व्यापक आउटसोर्सिंग और विक्रेता विकास दिशा-निर्देश का जिक्र किया। उन्होंने कहा कि हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड, ओएफबी, डीपीएसयू, सेना, वायुसेना और नौसेना की स्वदेशीकरण आवश्यकताओं को निजी उद्योग के लाभ के लिए रक्षा मंत्रालय की वेबसाइट पर भी होस्ट किया गया है।
रक्षामंत्री ने कहा कि उद्योग विकास और विनियमन अधिनियम के तहत औद्योगिक लाइसेंस जारी करने के लिए रक्षा उत्पादों की सूची को संशोधित किया गया है, जिसने विशेष रूपसे छोटे और मध्यम खंड सहित उद्योगों के लिए प्रवेश बाधाओं को कम किया है। उन्होंने कहा कि औद्योगिक लाइसेंस की आरंभिक वैधता तीन साल से बढ़ाकर पंद्रह साल कर दी गई है, साथ ही इसमें प्रत्येक मामले के आधार पर तीन साल और बढ़ाने का प्रावधान है। राजनाथ सिंह ने मेक इन इंडिया के तहत के रक्षा प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में आत्मनिर्भरता को बढ़ावा देने के लिए रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन के तत्वावधान में स्थापित प्रौद्योगिकी विकास कोष योजना का भी उल्लेख किया। उन्होंने कहा कि यह योजना सार्वजनिक और निजी उद्योगों खासकर एमएमएमई की भागीदारी को प्रोत्साहित करेगी, ताकि रक्षा अनुप्रयोग के लिए अत्याधुनिक प्रौद्योगिकी क्षमता बढ़ाने के लिए व्यवस्था तैयार की जा सके। वायुसेना प्रमुख एयर चीफ मार्शल बीरेंद्र सिंह धनोआ ने रक्षा उपकरणों के इनहाउसनिर्माण का समर्थन किया और आवश्यकताओं की पूर्ति के लिए क्षमताओं को परिष्कृत करने का आह्वान किया।
वायुसेना प्रमुख एयर चीफ मार्शल बीरेंद्र सिंह धनोआ ने कहा कि रक्षा क्षेत्र में अप्रचलित युद्ध उपकरणों के स्थान पर स्वदेशी प्रौद्योगिकी से निर्मित उपकरणों को लाने तथा प्रौद्योगिकीय खामियों को दूर करने की जरूरत है। उन्होंने कहा कि कोई हलचल हो या नहीं, सीमा पर वायुसेना सदैव मुस्तैद रहती है। इस अवसर पर रक्षा उपकरणों के स्वदेशीकरण के प्रयासों पर आधारित दो पुस्तकों का विमोचन किया गया। संगोष्ठी में एयर ऑफिसर इंचार्ज अनुरक्षण, एयर मार्शल एस चौधरी प्रधान सलाहकार रक्षा भारतीय उद्योग परिसंघ, लेफ्टिनेंट जनरल जेपी नेहरा (सेवानिवृत्त) सदस्य सोसाइटी ऑफ इंडियन डिफेंस मैन्युफैक्चरर्स और अध्यक्ष सीआईआई (उत्तरी क्षेत्र) सतीश कुमार कौरा, उद्योग के प्रतिनिधि और सशस्त्रबलों के जवान भी उपस्थित थे।