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सौ वर्ष के बुजुर्ग गोरखा सिपाही सम्‍मानित

सेना के विभिन्‍न अभियानों का हिस्‍सा रहे हैं देवीलाल

देहरादून में गोरखा राइफल्‍स का वार्षिक बाराखाना

स्वतंत्र आवाज़ डॉट कॉम

Wednesday 16 October 2019 02:43:50 PM

hundred years old gorkha soldier honored

देहरादून। नौवीं गोरखा राइफल्स के सबसे बुजुर्ग हवलदार देवीलाल खत्री संख्‍या 5832088 (1/9 जीआर और 3/9 जीआर) को लेफ्टिनेंट जनरल एके भट्ट यूआईएसएम, एवीएसएम, एसएम, वीएसएम सैन्‍य सचिव एवं कर्नल 9वीं गोरखा राइफल्स तथा मेजर जनरल डीए चतुर्वेदी पीवीएसएम, एवीएसएम, एसएम, एडीजी टीए और कर्नल तीसरी गोरखा राइफल्स ने सम्मानित किया। उन्‍हें यह सम्‍मान 7 अक्‍टूबर 2019 को बीरपुर देहरादून में तीसरी और नौवीं गोरखा राइफल्‍स के बुजुर्ग सैनिकों के लिए आयोजित वार्षिक बाराखाना पर प्रदान किया गया।
देहरादून तीसरी और नौवीं गोरखा रेजिमेंट का परंपरागत घर है, क्‍योंकि इन रेजिमेंटों का 1932 से 1975 तक बीरपुर ही केंद्र रहा है। दोनों रेजिमेंटों के अनेक गोरखा सिपाही देहरादून में ही बस गए है। गौरतलब है कि दशहरे पर तीसरी और नौवीं गोरखा यूनिट बाराखाना के लिए ऐसे बुजुर्ग सैनिकों को आमंत्रित करती है। हवलदार देवीलाल खत्री 30 नवंबर 1940 को बीरपुर में 1/9 जीआर में भर्ती हुए थे, बाद में उन्‍हें 3/9 जीआर में स्थानांतरित कर दिया गया, जहां उन्होंने 1958 में सेवानिवृत्त होने तक सेवा की। उन्होंने द्वितीय विश्व युद्ध में बर्मा के मोर्चे पर सक्रिय कार्रवाई देखी है।
गोरखा सिपाही देवीलाल खत्री स्‍वतंत्रता प्राप्ति के बाद 1958 तक जम्‍मू-कश्‍मीर, नागालैंड और असम में सेना के विभिन्‍न अभियानों का हिस्‍सा रहे हैं। उन्‍हें दो बर्मा स्‍टार्स और जे एंड के 1948 पदकों से नवाजा गया था। देवीलाल खत्री को विशिष्‍ट गोरखा सिपाही के रूपमें जाना जाता है। उन्होंने देहरादून में सर्वे ऑफ इंडिया के साथ अपने करियर की दूसरी पारी भी शुरू की थी। वे अनुशासित दिनचर्या के साथ सक्रिय जीवनशैली का आनंद उठा रहे हैं। वे अपने परिवार के साथ नया गांव हाथीबडकला देहरादून में रहते हैं।

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