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Wednesday 18 August 2021 01:56:27 PM
जम्मू। पीएमओ, पूर्वोत्तर क्षेत्र विकास और कार्मिक राज्यमंत्री डॉ जितेंद्र सिंह ने जम्मू में एक कार्यक्रम में कहा है कि स्टार्टअप में स्वरोज़गार के अवसर सरकारी नौकरियों के मुकाबले कहीं अधिक आकर्षक हैं और जरूरत केवल उस मानसिकता को बदलने की है, जो मामूली वेतन और थोड़े समय की सरकारी नौकरी को तरजीह देती हैं, इसके बजाय स्वरोज़गार केलिए स्टार्टअप संबंधी पहल से शुरुआत से ही अपेक्षाकृत कई गुना अधिक रिटर्न हासिल किया जा सकता है। सीएसआईआर-इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ इंटीग्रेटिव मेडिसिन (आईआईआईएम) में सीएसआईआर-अरोमा मिशन फेज-II के तहत किसानों केलिए एक दिवसीय जागरुकता सहप्रशिक्षण कार्यक्रम में कृषि स्टार्टअप, युवा उद्यमियों और किसानों के साथ बातचीत में डॉ जितेंद्र सिंह को एक युवा उद्यमी ने बताया कि उन्होंने खेती में आधुनिक तकनीक का उपयोग करके महज एक हेक्टेयर भूमि से 3 लाख रुपये प्रतिवर्ष कमाना शुरु कर दिया था। बी-टेक स्नातक इंजीनियरों ने कहा कि इसी तरह की स्टार्टअप पहल से उनकी आय महज पांच महीने की एक छोटी सी अवधि में दोगुनी हो गई थी।
कार्मिक राज्यमंत्री डॉ जितेंद्र सिंह ने कहा कि यह उन भटके हुए युवाओं के लिए एक संदेश है, जो दिहाड़ी मजदूरी वाली नौकरी केलिए संघर्ष करते हैं, जिससे उन्हें 6,000 रुपये प्रतिमाह से अधिक नहीं मिल सकता है, जबकि हमारे पास ऐसे युवा स्टार्टअप हैं, जो न केवल अपने लिए, बल्कि अपने साथियों के लिए भी आकर्षक आजीविका प्रदान कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि युवाओं और उनके माता-पिता केलिए स्पष्ट तौरपर प्राथमिकताएं निर्धारित करने का समय आ गया है। उन्होंने कहा कि दुनिया में कोई भी सरकार हरेक युवा को सरकारी नौकरी नहीं दे सकती है, लेकिन नरेंद्र मोदी सरकार ने युवाओं केलिए स्वरोज़गार के जरिए आजीविका कमाने के अद्भुत अवसर पैदा किए हैं। डॉ जितेंद्र सिंह ने कहा कि कार्मिक एवं प्रशिक्षण विभाग ने सरकारी नौकरियों में साक्षात्कार को समाप्त कर दिया है, जिसके परिणामस्वरूप साक्षात्कार के अंकों में हेरफेर करके भाई-भतीजावाद, पक्षपात या किसी अन्य तरीके से नौकरी हासिल करने की गुंजाइश कम से कम हो गई है। उन्होंने कहा कि ऐसे में प्रत्येक नागरिक की यह जिम्मेदारी है कि वह युवाओं को बिल्कुल स्पष्टता के साथ अपनी प्राथमिकता निर्धारित करने केलिए शिक्षित करे और यह तय करे कि क्या उसके पास सरकारी नौकरी केलिए योग्यता और प्रतिभा है अथवा वह सरकारी क्षेत्र के बाहर किसी व्यवसाय के जरिए आजीविका कमाने केलिए कौशल और उद्यमिता हासिल करे।
डॉ जितेंद्र सिंह ने संस्थान की ऐतिहासिक उपलब्धियों के बारे में विस्तार से बताया, वाणिज्यिक तौरपर व्यापक उपयोग किए जानेवाले पुदीने के पौधे का विशेष तौरपर उल्लेख किया, जो संस्थान की विरासत का एक हिस्सा है। यहां लैवेंडर की खेती के विस्तार का जिक्र करते हुए उन्होंने कहा कि संस्थान ने भारत में बैंगनी क्रांति में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है, जो कृषक समुदाय को उनकी आय बढ़ाने और आजीविका में सुधार करने में मदद कर रहा है। डॉ जितेंद्र सिंह ने वैज्ञानिक समुदाय की भूमिका की सराहना करते हुए कहा कि सीएसआईआर ने भारत में सुगंध उद्योग के विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है और किसानों की कृषि आय में वृद्धि करके उनकी मदद की है। डॉ जितेंद्र सिंह ने कहा कि जम्मू-कश्मीर सहायक क्षेत्रों और आईआईआईएम जम्मू जैसे संस्थानों की मदद से किसानों की आय में उत्तरोत्तर सुधार कर रहा है। उन्होंने कहा कि कृषि एवं सहायक क्षेत्रों और शोधकर्ताओं का ध्यान उत्पादन के बजाय उत्पादकता पर होना चाहिए। उन्होंने युवाओं से कहा कि वे सरकार द्वारा सृजित आजीविका के अवसरों की सक्रियता से तलाश करें। उन्होंने युवाओं को अधिक आय अर्जित करने वाले कृषि-उद्यमी बनने केलिए प्रोत्साहित किया। राज्यमंत्री ने कहा कि कृषि जैसे क्षेत्रों में विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी के विकास को सार्वजनिक चर्चा के केंद्र में रखने की जरूरत है, इससे विभिन्न क्षेत्रों में विज्ञान की भूमिका की बेहतर पहचान करने और जागरुकता फैलाने में मदद मिलेगी एवं इससे लोगों के बीच वैज्ञानिक सोच का विकास होगा।
पूर्वोत्तर विकास राज्यमंत्री ने संतुलित विकास केलिए सरकार की प्रतिबद्धता को दोहराते हुए कहा कि एम्स जम्मू, जम्मू क्षेत्र में रिंग रोड परियोजना जैसी विभिन्न परियोजनाएं तेजी से आगे बढ़ रही हैं। उन्होंने कहा कि इस प्रकार की सामाजिक और भौतिक बुनियादी ढांचा परियोजनाओं से इस क्षेत्र के लोग लाभांवित होंगे। नवीन चौधरी ने कहा कि उत्पादकता, मूल्यवर्धन, प्रौद्योगिकी और खराब होने वाली कृषि उपज की बर्बादी को कम करने पर ध्यान देने के साथ-साथ रणनीति में बदलाव किसानों की आय बढ़ाने केलिए गेम चेंजर साबित हुआ है। सीएसआईआर-आईआईआईएम के निदेशक डॉ डीएस रेड्डी ने कहा कि हाल के वर्षों में निरंतर बातचीत एवं समन्वय के जरिए वैज्ञानिक समुदाय और कृषि विभाग के सहयोगात्मक प्रयास के परिणामस्वरूप एरोमा परियोजना काफी सकारात्मक परिणाम दे रही है। एसयूकेएएसटी जम्मू के कुलपति प्रोफेसर जेपी शर्मा ने इस तथ्य पर जोर दिया कि सुगंधित और औषधीय पौधों पर ध्यान देने से किसानों की आय में काफी वृद्धि हो सकती है। डॉ जितेंद्र सिंह ने इस मिशन की जागरुकता केलिए दो मोबाइल वैन को हरी झंडी दिखाकर रवाना किया। उन्होंने सुगंधित पौधों से बने प्रसंस्कृत उत्पादों को प्रदर्शित करने वाले स्टालों का निरीक्षण किया। उन्होंने लैवेंडर की खेती के प्रति कृषक समुदाय को आकर्षित करने और जन जागरुकता केलिए कलाकार मलूप सिंह की रचित बदरवाही भाषा में एक गीत का भी अनावरण किया।
सीएसआईआर-आईआईआईएम की अरोमा परियोजना अधिक मूल्य वाले मेपल की खेती एवं प्रसंस्करण को बढ़ावा देने और उसके विपणन केलिए सहकारी समितियों की स्थापना को प्रोत्साहित करने, बेहतरीन किस्मों एवं उनकी कृषि प्रौद्योगिकियों के विकास, आसवन इकाइयों एवं प्रसंस्करण संयंत्रों की स्थापना, कौशल एवं उद्यमिता विकास, मूल्यवर्द्धन और उत्पाद विकास पर केंद्रित है। संस्थान का लक्ष्य अगले तीन वर्ष के दौरान जम्मू में 9,000 हेक्टेयर क्षेत्र को कवर करना है। अरोमा मिशन के दूसरे चरण के तहत सुगंधित पौधों की किस्मों में हिमरोसा सीके 10, पुदीना, लैवेंडर, लेमन ग्रास, रोजा ग्रास, ओसिमम, मेंहदी, जंगली गेंदा, साल्विया आदि शामिल हैं। यह परियोजना चौदह उच्च मूल्य वाली सुगंधित फसलों को कवर करती है 17 राज्यों में 3,247 हेक्टेयर क्षेत्र में विस्तारित है और इससे 3,100 से अधिक किसान लाभांवित हो रहे हैं। सीएसआईआर अरोमा मिशन के तहत 13 राज्यों में लगभग 190 प्रशिक्षण व जागरुकता कार्यक्रम आयोजित किए गए हैं।