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Wednesday 25 August 2021 01:46:41 PM
नागपुर। रक्षा अनुसंधान और विकास संगठन (डीआरडीओ) के टर्मिनल बैलिस्टिक अनुसंधान प्रयोगशाला से टेक्नोलॉजी हस्तांतरण के बाद इकोनॉमिक एक्सप्लोसिव लिमिटेड का बनाया गया मल्टी-मोड हैंड ग्रेनेड का पहला बैच नागपुर में एक कार्यक्रम में रक्षामंत्री राजनाथ सिंह ने भारतीय थलसेना प्रमुख को सौंपा। इस अवसर पर ईईएल के अध्यक्ष एसएन नुवाल ने निजी क्षेत्र से हथियार की पहली डिलीवरी के मौके पर एमएमएचजी की स्केल प्रतिकृति रक्षामंत्री राजनाथ सिंह को सौंपी। रक्षामंत्री ने सेना को एमएमएचजी सौंपे जाने को सावर्जनिक और निजी क्षेत्र के बीच बढ़ते सहयोग का आदर्श उदाहरण और रक्षा मैन्युफैक्चरिंग में आत्मनिर्भरता की दिशा में बड़ा कदम बताया है।
रक्षामंत्री राजनाथ सिंह ने कहा कि यह दिन भारतीय रक्षा क्षेत्र के इतिहास में यादगार दिन है, रक्षा उत्पादन के मामले में हमारा निजी उद्योग परिपक्व हो रहा है, यह न केवल रक्षा मैन्युफैक्चरिंग के क्षेत्र में मील का पत्थर है, बल्कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के आत्मनिर्भर भारत के विजन को हासिल करने में भी मील का पत्थर है। रक्षामंत्री ने कोविड-19 प्रतिबंधों के बीच ऑर्डर की तेजी से डिलीवरी केलिए डीआरडीओ तथा ईईएल की सराहना की और आशा व्यक्त की कि अगली खेप की डिलीवरी तेजी से होगी। रक्षामंत्री ने रक्षा क्षेत्र को सशस्त्र बलों की वर्तमान और भविष्य की जरूरतों को पूरा करने वाले आत्मनिर्भर उद्योग में बदलने केलिए सरकार के उपायों की जानकारी दी। इन उपायों में उत्तर प्रदेश और तमिलनाडु में डिफेंस इंडस्ट्रीयल कॉरिडोर की स्थापना, रक्षा उत्पादन और निर्यात संवर्धन नीति-2020 का प्रारूप तैयार करना, घरेलू कंपनियों से खरीद के लिए 2021-22 केलिए पूंजी प्राप्ति बजट के अंतर्गत आधुनिकीकरण कोष का 64 प्रतिशत निर्धारित करना, आत्मनिर्भरता और रक्षा निर्यात को बढ़ावा देने केलिए 200 रक्षा सामग्रियों की स्वदेशीकरण की सार्थक सूचियों को अधिसूचित करना, आयुध फैक्ट्री बोर्ड का निगमीकरण, ऑटोमेटिक रूट के अंतर्गत एफडीआई की सीमा 49 से 74 प्रतिशत तथा सरकारी रूट से 74 प्रतिशत से ऊपर करना तथा पूंजी प्राप्ति केलिए बाइ इंडियन-आईडीडीएम यानी स्वदेश में डिजायन, विकसित और निर्मित को शीर्ष प्राथमिकता देना शामिल है।
राजनाथ सिंह ने सरकार की पहल यानी डीआरडीओ के तकनीक हस्तांतरण का विशेष उल्लेख किया। इन उपायों को रक्षा उद्योग की रीढ़ बताते हुए उन्होंने इनक्यूबेटर होने केलिए डीआरडीओ की सराहना की, जो नि:शुल्क टेक्नोलॉजी हस्तांतरण कर रहा है और 450 से अधिक पेटेंटों को परीक्षण सुविधाओं की पहुंच प्रदान कर रहा है, इससे उद्योग न केवल उपयोग केलिए तैयार टेक्नोलॉजी में सक्षम बना है, बल्कि समय, ऊर्जा और धन की बचत की है। रक्षामंत्री ने रक्षा उत्कृष्टता के लिए नवाचार के महत्व को रेखांकित करते हुए कहा कि इसका लक्ष्य आत्मनिर्भरता की प्राप्ति और एमएसएमई, स्टार्ट-अप, व्यक्तिगत अन्वेषकों, अनुसंधान और विकास संस्थानों तथा एकेडेमी को शामिल करके रक्षा और एयरोस्पेस क्षेत्रों में नवाचार तथा टेक्नोलॉजी विकास को बढ़ावा देना है। इस पहल के अंतर्गत सशस्त्र बलों, सार्वजनिक क्षेत्र के रक्षा प्रतिष्ठानों तथा ओएफबी की कठिनाइयों को चिन्हित किया गया है और समाधान के लिए डिफेंस इंडिया स्टार्ट-अप चैलेंज के माध्यम से उद्यमियों, एमएसएमई, स्टार्ट-अप तथा अन्वेषकों के समक्ष लाया गया है।
रक्षामंत्री राजनाथ सिंह ने मल्टी-मोड ग्रेनेड, अर्जुन-मार्क-1 टैंक, अनमैन्ड सरफेस व्हेकिल और सी थ्रू आर्मर जैसे स्वदेश में विकसित उत्पादों केलिए उद्योग की सराहना की। उन्होंने कहा कि देश में ऐसे उत्पाद न केवल तैयार किए जा रहे हैं, बल्कि बड़े पैमान पर इनका निर्यात भी किया जा रहा है। उन्होंने कहा कि वर्ष 2016-17 से 2018-19 के दौरान निर्यात प्राधिकृत संख्या 1,210 थी, जो पिछले दो वर्ष में बढ़कर 1,774 हो गई। परिणामस्वरूप पिछले दो वर्ष में 17,000 करोड़ रुपये से अधिक का रक्षा निर्यात हुआ है। राजनाथ सिंह ने विश्वास व्यक्त किया कि भारत जल्द ही न केवल घरेलू उपयोग केलिए रक्षा उत्पाद बनाएगा, बल्कि विश्वभर केलिए भी बनाएगा। उन्होंने बताया कि ग्रेनेड न केवल अधिक घातक है, बल्कि उपयोग में सुरक्षित है, इसकी डिजायन विशिष्ट है, जो रक्षात्मक तथा आक्रामक मोड में भी काम करता है, इसमें सटीक विलंब समय है, उपयोग में उच्च विश्वसनीयता है तथा ले जाने में सुरक्षित है। नया ग्रेनेड प्रथम विश्वयुद्ध के विशिष्ट जायन के ग्रेनेड नंबर 36 का स्थान लेगा, जो अभी तक सेवा में है।
ईईएल ने भारतीय सेना और वायुसेना केलिए 10 लाख आधुनिक हैंड ग्रेनेड की आपूर्ति केलिए 1 अक्टूबर 2020 को रक्षा मंत्रालय के साथ एक करार पर हस्ताक्षर किया था, जिसके तहत डिलीवरी थोक उत्पादन मंजूरी से दो वर्ष में की जाएगी, ईईएल को थोक उत्पादन मंजूरी मार्च 2021 में दी गई थी और पहले आदेश की डिलीवरी पांच महीने के भीतर कर दी गई है। ईईएल ने 2016 में डीआरडीओ से तकनीक प्राप्त की थी, इसे डेटोनिक्स में उच्च गुणवत्ता बनाए रखते हुए सफलतापूर्वक समाविष्ट किया गया। भारतीय सेना और गुणवत्ता आश्वासन महानिदेशालय ने 2017-18 की गर्मियों और सर्दियों में मैदानों, रेगिस्तान और ऊंचाई पर इसका व्यापक परीक्षण किया। कार्यक्रम में सेनाध्यक्ष जनरल मनोज मुकुंद नरवणे, रक्षा अनुसंधान और विकास विभाग के सचिव एवं डीआरडीओ के अध्यक्ष डॉ जी सतीश रेड्डी, इंफैंट्री महानिदेशक लेफ्टिनेंट जनरल एके सामंत्रा भी उपस्थित थे।