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रक्षा क्षेत्र में 'आत्मनिर्भर भारत' को बढ़ावा

ड्रोन खतरों से मुकाबले केलिए स्वदेशी एंटी-ड्रोन सिस्टम तैयार

नौसेना एंटी ड्रोन सिस्टम की आपूर्ति के लिए बीईएल से अनुबंध

स्वतंत्र आवाज़ डॉट कॉम

Wednesday 1 September 2021 04:26:46 PM

indigenous anti-drone system ready to counter drone threats

नई दिल्ली। भारतीय नौसेना ने नई दिल्ली मेंहार्ड किल और सॉफ्ट किल दोनों क्षमताओं के साथ पहले स्वदेशी व्यापक नौसेना एंटी ड्रोन सिस्टम (एनएडीएस) की आपूर्ति केलिए नवरत्न रक्षा पीएसयू भारत लिमिटेड (बीईएल) के साथ अनुबंध पर हस्ताक्षर किए हैं। नौसेना के वरिष्ठ अधिकारियों और डीआरडीओ प्रतिनिधियों की उपस्थिति में इस अनुबंध पर हस्ताक्षर किए गए। नौसेना ने इस बारे में निरंतर समर्थन प्रदान किया है और रक्षा अनुसंधान और विकास संगठन एवं बीईएल के साथ ड्रोन विरोधी प्रणाली के संयुक्त विकास की अगुवाई की है। भारतीय सशस्त्र बलों में शामिल होने वाला नौसेना एंटी ड्रोन सिस्टम डीआरडीओ का विकसित और बीईएल का निर्मित पहला स्वदेश विकसित एंटी-ड्रोन सिस्टम है।
बीईएल की कई इकाइयां-बैंगलोर, हैदराबाद, पुणे, मछलीपट्टनम और डीआरडीओ लैब अर्थात इलेक्ट्रॉनिक्स और रडार विकास प्रतिष्ठान, बैंगलोर, रक्षा इलेक्ट्रॉनिक्स अनुसंधान प्रयोगशाला और उच्च ऊर्जा प्रणाली एवं विज्ञान केंद्र हैदराबाद तथा उपकरण अनुसंधान एवं विकास प्रतिष्ठान (आईआरडीई) देहरादून ने नौसेना के सहयोग से देश विरोधी ड्रोन खतरों का मुकाबला करने केलिए आत्मनिर्भर भारत पहल के अंतर्गत स्वदेशी प्रणाली को बनाया है। एनएडीएस माइक्रो ड्रोन का तुरंत पता लगा सकता है और जाम कर सकता है, लक्ष्यों को समाप्त करने केलिए लेजर आधारित मारण प्रणाली का उपयोग करता है। यह सामरिक नौसैनिक प्रतिष्ठानों केलिए बढ़ते ड्रोन खतरों केलिए एक प्रभावी सर्वव्यापी काउंटर होगा। ड्रोन रोधी प्रणाली को इस वर्ष पहले गणतंत्र दिवस परेड केलिए सुरक्षा कवच प्रदान करने केलिए तैनात किया गया था और बाद में लाल किले की प्राचीर से प्रधानमंत्री के स्वतंत्रता दिवस के संबोधन के दौरान इसकी तैनाती हुई थी। यह सिस्टम जो 360-डिग्री कवरेज प्रदान करता है, इसे मोदी-ट्रम्प रोड शो केलिए अहमदाबाद में भी तैनात किया गया था।
एनएडीएस माइक्रो ड्रोन का पता लगाने और जाम करने केलिए रडार, इलेक्ट्रो-ऑप्टिकल/ इन्फ्रारेड (ईओ/आईआर) सेंसर और रेडियो फ्रीक्वेंसी डिटेक्टरों की मदद का उपयोग करता है। डीआरडीओ का आरएफ/ ग्लोबल नेविगेशन सैटेलाइट सिस्टम उस आवृत्ति का पता लगाता है, जिसका उपयोग नियंत्रक द्वारा किया जा रहा है और फिर सिग्नल जाम हो जाते हैं। डीआरडीओ की एंटी-ड्रोन प्रौद्योगिकी प्रणाली भारतीय सशस्त्र बलों को तेजी से सामने आते हवाई खतरों से निपटने केलिए 'सॉफ्ट किल' और 'हार्ड किल' दोनों का विकल्प प्रदान करती है। एनएडीएस के स्थिर और मोबाइल दोनों संस्करणों की भारतीय नौसेना को आपूर्ति की जाएगी। बीईएल को सेना और वायुसेना के साथ भी इसी तरहके अनुबंध पर हस्ताक्षर करने हैं। इस अवसर पर रक्षा मंत्रालय और बीईएल के वरिष्ठ नागरिक एवं सैन्य अधिकारी उपस्थित थे। 

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