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Tuesday 21 September 2021 02:55:39 PM
नई दिल्ली। उपराष्ट्रपति एम वेंकैया नायडू ने कहा है कि दुनिया के सबसे बड़े लोकतंत्र के रूपमें भारत की संसद और विधायिकाओं को दूसरों के लिए श्रेष्ठ कार्य संचालन सहयोग के उदाहरण स्थापित करने चाहिएं। उपराष्ट्रपति निवास में द महाराजा सयाजीराव यूनिवर्सिटी ऑफ बड़ौदा के राजनीतिक नेतृत्व और शासन में एक वर्षीय डिप्लोमा पाठ्यक्रम के छात्रों से बातचीत करते हुए उपराष्ट्रपति ने संसदीय लोकतंत्र को मजबूत बनाने और सुशासन केलिए प्रक्रियाओं को सशक्त बनाने की आवश्यकता पर जोर दिया। उन्होंने कहा कि देश अपनी स्वतंत्रता के 75वें वर्ष का समारोह मना रहा है। उन्होंने संसद और राज्य विधानसभाओं में बार-बार व्यवधानों पर चिंता व्यक्त करते हुए कहा कि निष्क्रिय विधायिकाएं संसदीय लोकतंत्र के सिद्धांत की जड़ पर प्रहार करती हैं। गौरतलब है कि उपराष्ट्रपति संसद के सदन राज्यसभा के सभापति भी होते हैं।
उपराष्ट्रपति वेंकैया नायडू ने कहा कि सांसदों और विधायकों को सरकार की आलोचना करने का पूरा अधिकार है, लेकिन उन्हें कभी भी कोई बिंदु बनाते समय शिष्टता, मर्यादा और गरिमा की लक्ष्मण रेखा को पार नहीं करना चाहिए। उपराष्ट्रपति ने दोहराया कि लोगों को चार बहुत महत्वपूर्ण गुणों यानी 4-सी-चरित्र, आचरण, योग्यता और क्षमता के आधार पर ही अपने प्रतिनिधियों का चयन और चुनाव करना चाहिए। उन्होंने कहा कि दुर्भाग्य से हमारी चुनावी प्रणाली इन 4-सी गुणों के स्थान पर अवांछनीय 4-सी यानी जाति, समुदाय, नकदी और अपराधिता के अन्य सेट से विकृत हो रही है। वेंकैया नायडू ने कहा कि वह हमेशा यही चाहते हैं कि युवा न केवल राजनीति में सक्रिय रुचि लें, बल्कि उत्साह के साथ राजनीति में शामिल हों और ईमानदारी, अनुशासन और समर्पण के भाव के साथ लोगों की सेवा करें। उन्होंने कहा कि आदर्श व्यवहार विचारधारा से कहीं अधिक महत्वपूर्ण है, दुर्भाग्य से राजनीति सहित सभी क्षेत्रों में पिछले कुछ वर्षों में मूल्यों और मानकों में तेजी से गिरावट आई है।
वेंकैया नायडू ने कहा कि अब समय आ गया है कि विभिन्न बीमारियों से ग्रस्त ऐसी व्यवस्था को साफ किया जाए, जो संसदीय राजनीति और उसके उज्जवल चरित्र को परेशान कर रही है। उन्होंने कहा कि हमें जीवन के सभी क्षेत्रों में उच्च नैतिक और चारित्रिक मानकों को बढ़ावा देना चाहिए। वेंकैया नायडू ने कहा कि सीमांत और जरूरतमंद वर्गों को शिक्षा, कौशल और आजीविका के अवसरों के माध्यम से सशक्त बनाया जाना चाहिए। उपराष्ट्रपति ने जनसांख्यिकीय लाभ का उल्लेख करते हुए विकास को तेज करने और पुनरुत्थानशील नए भारत के निर्माण केलिए जनसांख्यिकीय क्षमता का पूरा लाभ उठाने का आह्वान किया। उन्होंने छात्रों से कहा कि आनेवाले वर्षों में भारत केलिए हर क्षेत्र में प्रभावी नेतृत्व एक अनिवार्य आवश्यकता है। वेंकैया नायडू ने उन्हें अपने लक्ष्यों और उद्देश्यों को प्राप्त करने के लिए एकनिष्ठ भाव से लगातार परिश्रम करने के लिए कहा।
उपराष्ट्रपति वेंकैया नायडू ने स्वामी विवेकानंद के प्रसिद्ध उद्धरण ‘उठो! चौकन्ना रहो! और तबतक मत रुको जबतक लक्ष्य प्राप्त न हो जाए’ का उल्लेख किया। उन्होंने छात्रों को व्यापक सामाजिक परिवर्तन के अग्रदूत के रूपमें कार्य करने के लिए कहा। उन्होंने कहा कि उनको लैंगिक भेदभाव, जातिवाद, भ्रष्टाचार, महिलाओं पर अत्याचार और निरक्षरता जैसी सामाजिक बुराइयों को मिटाने की दिशा में समर्पण के साथ काम करना चाहिए। उपराष्ट्रपति ने छात्रों को स्वस्थ जीवनशैली विकसित करने की भी सलाह दी। उन्होंने छात्रों से कहा कि वे शारीरिक फिटनेस बनाए रखें और भारतीय जलवायु परिस्थितियों के अनुकूल स्वस्थ भोजन की आदतों का पालन करें। उपराष्ट्रपति ने छात्रों से अपनी मातृभाषा में दक्ष होने, अपने गुरुओं और माता-पिता का सम्मान करने एवं हमेशा दूसरों के प्रति सहानुभूति बरतने और विशेष रूपसे जरूरतमंद तथा कमजोर लोगों की देखभाल करने का आग्रह किया। उन्होंने छात्रों से कहा कि हमारी सभ्यता और दर्शन भारतीय संस्कृति के मूल में है।