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प्रधानमंत्री यूएस से लाए अपने पुरावशेष

पुरावशेषों को भारत वापस लाने की देशभर में पुरजोर सराहना

दुनियाभर से अपने पुरावशेष व कलाकृतियां वापस लाने का प्रयास

स्वतंत्र आवाज़ डॉट कॉम

Sunday 26 September 2021 02:43:29 PM

pm brings home 157 artefacts & antiquities from us

नई दिल्ली। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी अमेरिका यात्रा में भारत की 157 कलाकृतियां एवं पुरावशेष भी साथ लाए हैं। प्रधानमंत्री को अमेरिका ने ये पुरावशेष लौटाए हैं, जोकि सदियों पुराने और ऐतिहासिक महत्व के हैं, जिन्हें चोरीछिपे या बेचकर अमेरिका पहुंचा दिया गया था। जानकारी मिली है कि भारत के ज्यादातर पुरावशेष देश में कांग्रेस और जनता दल की सरकारों के दौरान अमेरिका या दूसरे देशों को भेजे गए थे। अमेरिका दौरा इनके भारत को वापस किए जाने के कदम की पुरजोर और सर्वत्र सराहना हो रही है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडन ने सांस्कृतिक वस्तुओं की चोरी, अवैध व्यापार और तस्करी से निपटने के प्रयासों के तहत अपनी वचनबद्धता दोहराई है। इन कलाकृतियों की सूची में 10वीं सदी की बलुआ पत्थर से बनी रेवंत की डेढ़ मीटर लम्बी नक्काशीदार पट्टिका से लेकर 12वीं सदी की कांसे की 8.5 सेंटीमीटर ऊंची नटराज की उत्कृष्ट मूर्ति एवं अन्य वस्तुओं का एक विविध सेट शामिल है।
अधिकांश कलाकृतियां 11वीं सदी से लेकर 14वीं सदी कालखंड की हैं। भारतीय पुरावशेषों और कलाकृतियों में 2000 ईसा पूर्व की तांबा निर्मित मानववंशीय वस्तु या दूसरी सदी के टेराकोटा निर्मित फूलदान जैसे ऐतिहासिक पुरावशेष शामिल हैं तो कोई 45 पुरावशेष ईसा पूर्व काल के हैं। यह नरेंद्र मोदी सरकार का दुनियाभर से पुरावशेषों और कलाकृतियों को वापस लाने के प्रयासों का प्रतिफल है। इनमें से 71 कलाकृतियां सांस्कृतिक हैं, वहीं 60 कलाकृतियों में हिंदू धर्म, 16 बौद्ध धर्म और 9 जैन धर्म से जुड़ी मूर्तियां हैं। इन कलाकृतियों की निर्माण सामग्री में धातु, पत्थर और टेराकोटा शामिल हैं। कांस्य संग्रह में मुख्य रूपसे लक्ष्मी नारायण, बुद्ध, विष्णु, शिव पार्वती और 24 जैन तीर्थंकरों की प्रसिद्ध मुद्राओं की अलंकृत मूर्तियां हैं।
अनाम देवताओं और दिव्य आकृतियों के अलावा कंकलमूर्ति, ब्राह्मी और नंदीकेश हैं, जिनके बारे में कम ही लोग जानते हैं। रूपांकनों में हिंदू धर्म से संबंधित धार्मिक मूर्तियां, तीन सिर वाले ब्रह्मा, रथ चलाते हुए सूर्य, विष्णु और उनकी पत्नी, दक्षिणामूर्ति के रूपमें शिव, नृत्य करते हुए गणेश आदि बौद्ध धर्म की खड़ी मुद्रा में बुद्ध, बोधिसत्व मंजूश्री, तारा और जैन धर्म की जैन तीर्थंकर, पद्मासन तीर्थंकर, जैन चौबीसी के साथ-साथ धर्मनिरपेक्ष रूपांकन समभंग में आकृतिहीन युगल, चौरी वाहक, ढोल बजाती महिला आदि शामिल हैं। कुल 56 टेराकोटा टुकड़ों में फूलदान दूसरी सदी, हिरण की जोड़ी 12वीं सदी, महिला की आवक्ष मूर्ति 14वीं सदी और 18वीं सदी की तलवार है, जिसके फ़ारसी में लिखे आलेख में गुरु हरगोविंद सिंह का उल्लेख है।

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