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Sunday 26 September 2021 05:39:13 PM
नई दिल्ली। केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने आज नई दिल्ली में वामपंथी उग्रवाद पर एक समीक्षा बैठक करते हुए कहा है कि केंद्र सरकार नक्सल प्रभावित क्षेत्रों के विकास के लिए प्रतिबद्ध है। उन्होंने कहा कि यह आनंद का विषय है कि वामपंथी उग्रवाद पर नकेल कसने में केंद्र और राज्यों के साझा प्रयासों से बहुत सफलता मिली है। अमित शाह ने कहा कि वामपंथी उग्रवाद की घटनाओं में 23 प्रतिशत और उसमें मौतों की संख्या में 21 प्रतिशत की कमी आई है। उन्होंने कहा कि वामपंथी उग्रवाद के खिलाफ दशकों की लड़ाई में हम एक ऐसे मुकाम पर पहुंचे हैं, जिसमें पहली बार मृत्यु की संख्या 200 से कम है और यह हमारे साझा सुरक्षा प्रबंधों की बहुत बड़ी उपलब्धि है। अमित शाह ने कहा कि हम सब जानते हैं कि जबतक हम वामपंथी उग्रवाद की समस्या से पूरी तरह निजात नहीं पा लेते तबतक वामपंथी उग्रवाद से प्रभावित राज्यों का पूर्ण विकास संभव नहीं है।
केंद्रीय गृहमंत्री ने कहा कि उग्रवाद और वामपंथी उग्रवाद को खत्म किए बिना न तो लोकतंत्र नीचे तक प्रसारित कर पाएंगे और न ही अविकसित क्षेत्रों का विकास कर पाएंगे, इसलिए हमने अबतक जो हासिल किया है, उसपर संतोष करने की बजाय जो बाकी है, उसे प्राप्त करने केलिए उग्रवाद पर नियंत्रण पाने की गति बढ़ाने की जरूरत है। केंद्रीय गृहमंत्री ने कहा कि भारत सरकार कई साल से राजनीतिक दलों के एजेंडों पर ध्यान दिए बिना दो मोर्चों पर लड़ाई लड़ती रही है। अमित शाह ने कहा कि जो हथियार छोड़कर लोकतंत्र का हिस्सा बनना चाहते हैं, उनका दिल से स्वागत है, लेकिन जो हथियार उठाकर निर्दोष लोगों और पुलिस को निशाना बनाएंगे, उनको कड़ाई से जवाब दिया जाएगा। उन्होंने कहा कि असंतोष का मूल कारण है आज़ादी के बाद पिछले 6 दशक में विकास का उनतक ना पहुंच पाना, इससे निपटने केलिए वहां तेज़ गति से विकास पहुंचाना और आम जनता और निर्दोष लोग उनके साथ ना जुड़ें, ऐसी व्यवस्था करना अति आवश्यक है। अमित शाह ने कहा कि देश में विकास हो रहा है और अब नक्सली भी ये बात समझ चुके हैं कि विकास होने पर निर्दोष लोग उनके बहकावे में नहीं आएंगे, इसीलिए विकास की गति निर्बाध रूपसे जारी रखना बहुत ज़रूरी है, इन दोनों मोर्चों पर सफल होने के लिए ये बैठक बहुत महत्वपूर्ण है।
केंद्रीय गृहमंत्री ने राज्यों से आग्रह किया कि वामपंथी उग्रवाद से निपटने के लिए प्रभावित राज्यों के मुख्य सचिव कम से कम हर तीन महीने में पुलिस महानिदेशक और केंद्रीय एजेंसियों के अधिकारियों के साथ समीक्षा बैठक करें, तभी हम इस लड़ाई को अंजाम तक बढ़ा सकते हैं। उन्होंने कहा कि पिछले दो साल में जिन क्षेत्रों में सुरक्षा पहुंच नहीं थी, वहां सुरक्षा कैंप बढ़ाने का काफी बड़ा और सफल काम किया गया है, विशेषकर छत्तीसगढ़ में और साथ ही महाराष्ट्र और ओडिशा में भी सुरक्षा कैंप बढ़ाए गए हैं। अमित शाह ने कहा कि अगर मुख्यमंत्री, मुख्य सचिव और पुलिस महानिदेशक के स्तर पर नियमित समीक्षा की जाती है, तो निचले स्तर पर समन्वय की समस्याएं अपने आप हल हो जाएंगी। अमित शाह ने कहा कि जिस समस्या के कारण पिछले 40 वर्ष में 16 हज़ार से अधिक नागरिकों की जान गई है, उसके ख़िलाफ़ लड़ाई अब अंत तक पहुंची है, इसकी गति बढ़ाने और इसे निर्णायक बनाने की और ज़रूरत है। अमित शाह ने कहा कि हाल ही में भारत सरकार ने अनेक उग्रवादी गुटों, विशेषकर उत्तरपूर्व में उग्रवादी गुटों के साथ समझौता कर उनसे हथियार डलवाने में सफलता हासिल की है।
अमित शाह ने कहा कि बोडोलैंड समझौता, ब्रू समझौता, कार्बी आंगलोंग समझौता और त्रिपुरा के उग्रवादियों द्वारा आत्मसमर्पण समेत अबतक लगभग 16 हज़ार कैडर समाज की मुख्यधारा में शामिल हो चुके हैं। गृहमंत्री ने दोहराया कि जितने भी लोग हिंसा छोड़कर मुख्यधारा में आना चाहते हैं, उनका हम स्वागत करते हैं। उन्होंने कहा कि राज्य प्रशासन को सक्रिय होकर केंद्रीय बलों के साथ तालमेल के साथ आगे बढ़ना चाहिए। अमित शाह ने कहा कि केंद्रीय बलों केलिए जिन राज्यों ने मांग भेजी हैं, उन्हें पूरा करने का प्रयास किया गया है। गृहमंत्री ने कहा कि केंद्रीय सशस्त्र पुलिस बलों की तैनाती पर होने वाले राज्यों के स्थायी ख़र्च में कमी लाने के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने एक महत्वपूर्ण निर्णय लिया है, जिसके परिणामस्वरूप वर्ष 2018-19 के मुक़ाबले 2019-20 में बलों की तैनाती पर होने वाले राज्यों के ख़र्च में लगभग 2900 करोड़ रुपए की कमी आई है। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री ने निरंतर इसकी समीक्षा की है और वे लगातार हम सबका मार्गदर्शन कर रहे हैं। अमित शाह ने कहा कि वामपंथी उग्रवादियों के आय के स्रोतों को निष्प्रभावी करना बेहद ज़रूरी है, केंद्र और राज्य सरकारों की एजेंसियों को मिलकर एक व्यवस्था बनाकर इसे रोकने का प्रयास करना चाहिए।
केंद्रीय गृहमंत्री ने सभी मुख्यमंत्रियों से आग्रह किया है कि वे वामपंथी उग्रवाद की समस्या को अगले एक साल तक प्राथमिकता दें, जिससे इस समस्या का स्थायी समाधान हो सके। उन्होंने कहा कि इसके लिए दबाव बनाने, गति बढ़ाने और बेहतर समन्वय की ज़रूरत है। उन्होंने कहा कि वामपंथी उग्रवाद पिछले कई दशक से एक अहम सुरक्षा चुनौती रहा है, हालांकि यह मुख्य रूपसे राज्य का विषय है, लेकिन केंद्रीय गृह मंत्रालय ने वामपंथी उग्रवाद के ख़तरे से समग्र रूपसे निपटने के लिए 2015 से ही एक राष्ट्रीय नीति और कार्य योजना बनाई हुई है, जिसकी प्रगति और स्थिति की लगातार सघन निगरानी की जा रही है और यह एक बहुआयामी दृष्टिकोण वाली नीति है। उन्होंने कहा कि प्रभावित क्षेत्रों में ग़रीब और कमज़ोर वर्ग तक विकास पहुंचाने केलिए विकासशील गतिविधियों पर अधिक ज़ोर देने के साथ ही हिंसा के प्रति शून्य सहिष्णुता, वामपंथी उग्रवाद के ख़तरे से निपटने की राष्ट्रीय नीति और कार्य योजना के महत्वपूर्ण पहलू हैं। उन्होंने कहा कि इस नीति के अंतर्गत केंद्रीय गृह मंत्रालय, सीएपीएफ बटालियनों की तैनाती, हेलीकॉप्टरों और यूएवी के प्रावधान और भारतीय रिज़र्व बटालियनों विशेष रूपसे भारत रिज़र्व बटालियनों की मंजूरी के जरिए क्षमता निर्माण और सुरक्षातंत्र की मज़बूती के लिए राज्य सरकारों को समर्थन दे रहा है।
अमित शाह ने कहा कि राज्य पुलिस के आधुनिकीकरण और प्रशिक्षण के लिए पुलिसबल के आधुनिकीकरण, सुरक्षा संबंधी व्यय योजना और विशेष बुनियादी ढांचा योजना के तहत भी धनराशि उपलब्ध कराई जाती है। उन्होंने बताया कि वामपंथी उग्रवाद से प्रभावित राज्यों के विकास के लिए भारत सरकार ने कई विकासात्मक पहलें की हैं, जिनमें 17,600 किलोमीटर सड़कों की मंज़ूरी शामिल है, जिसमें से 9,343 किलोमीटर सड़क का निर्माण आरआरपी-I, आरसीपीएलडब्ल्यूई के तहत पूरा हो चुका है। उन्होंने बताया कि वामपंथी उग्रवाद प्रभावित ज़िलों में दूरसंचार सुविधाओं में सुधार के लिए 2,343 नए मोबाइल टावर लगाए गए हैं और अगले 18 महीने में 2,542 अतिरिक्त टावर लगाए जाएंगे, वामपंथी उग्रवाद प्रभावित ज़िलों में लोगों के वित्तीय समावेशन केलिए 1,789 डाकघर, 1,236 बैंक शाखाएं, 1,077 एटीएम और 14,230 बैंकिंग प्रतिनिधि बनाए गए हैं और अगले एक वर्ष में 3,114 डाकघर और खोले जाएंगे। उन्होंने बताया कि वामपंथी उग्रवाद से प्रभावित क्षेत्रों में युवाओं को गुणवत्तापूर्ण शिक्षा प्रदान करने के लिए एकलव्य आदर्श आवासीय विद्यालय खोलने पर विशेष ध्यान दिया जा रहा है, वामपंथी उग्रवाद प्रभावित ज़िलों के लिए कुल 234 ईएमआरएस स्वीकृत किए गए हैं, इनमें से 119 कार्यरत हैं। उन्होंने उल्लेख किया कि सबसे अधिक प्रभावित ज़िलों में विकास को और गति देने केलिए विशेष केंद्रीय सहायता योजना के तहत 10,000 से अधिक परियोजनाएं शुरू की गई हैं, जिनमें से 80% से अधिक पूरी हो चुकी हैं।
केंद्रीय गृहमंत्री ने बताया कि वामपंथी उग्रवाद प्रभावित राज्यों को 2,698.24 करोड़ रुपये जारी किए गए हैं, एसआईएस के तहत 992 करोड़ रुपये की परियोजनाओं को मंज़ूरी दी गई है और 152 करोड़ रुपये की अग्रिम राशि जारी कर दी गई है। उन्होंने बताया कि एसआरई के तहत अप्रैल 2014 से पिछले 7 वर्ष में 1,992 करोड़ रुपये की राशि जारी की गई है, जोकि सात वर्ष से पहले की अवधि की तुलना में 85% अधिक है। उन्होंने बताया कि केंद्रीय गृह मंत्रालय ने कुछ ज़िलों को वामपंथी उग्रवाद से प्रभावित ज़िलों के रूपमें वर्गीकृत किया था और वामपंथी उग्रवाद से निपटने के लिए प्रभावित राज्यों को विशिष्ट संसाधन जुटाने के लिए सुरक्षा संबंधी व्यय योजना के तहत कवर किया था, इन एसआरई जिलों में से देशभर में वामपंथी उग्रवाद संबंधी हिंसा वाले ज़िलों मेंसे 85% से अधिक जिलों को सुरक्षा और विकास से संबंधित संसाधनों की केंद्रित उपलब्धता के लिए सबसे अधिक प्रभावित ज़िलों के रूपमें वर्गीकृत किया गया है। उन्होंने बताया कि पिछले एक दशक में हिंसा के आंकड़ों और इसके भौगोलिक फैलाव, दोनों में लगातार गिरावट दर्ज की गई है। उन्होंने बताया कि वामपंथी उग्रवाद संबंधित हिंसा की घटनाएं 2009 में 2,258 के उच्चतम स्तर से 70% कम होकर वर्ष 2020 में 665 रह गई हैं, मौतों की संख्या में भी 82% की कमी आई है, जो वर्ष 2010 में दर्ज 1,005 के उच्चतम आंकड़े से घटकर वर्ष 2020 में 183 रह गई हैं।
केंद्रीय गृहमंत्री ने बताया कि माओवादियों के प्रभाव वाले ज़िलों की संख्या भी वर्ष 2010 में 96 से वर्ष 2020 में घटकर सिर्फ 53 ज़िलों तक सीमित रह गई है। उन्होंने कहा कि माओवादियों को अब सिर्फ़ कुछ ही इलाक़ों में 25 ज़िलों तक सीमित कर दिया गया है जो कि देश के कुल वामपंथी उग्रवाद की 85% हिंसा के लिए ज़िम्मेदार हैं। उन्होंने कहा कि बेहतर स्थिति के कारण एसआरई जिलों की संख्या की पिछले तीन वर्ष में दो बार समीक्षा की गई जो अप्रैल 2018 में 126 ज़िलों से घटकर 90 और फिर जुलाई 2021 में 70 हो गए। उन्होंने बताया कि सबसे अधिक वामपंथी उग्रवाद प्रभावित ज़िलों की संख्या भी अप्रैल 2018 में 35 से घटकर 30 और फिर जुलाई 2021 में इससे और कम करके 25 कर दिया गया। बैठक में केंद्रीय ग्रामीण विकास और पंचायती राजमंत्री गिरिराज सिंह, जनजातीय मामलों के मंत्री अर्जुन मुंडा, दूरसंचार, सूचना-प्रौद्योगिकी और रेलमंत्री अश्विनी वैष्णव, सड़क परिवहन और राजमार्ग राज्यमंत्री जनरल वीके सिंह, केंद्रीय गृह राज्यमंत्री नित्यानंद राय भी उपस्थित थे। बैठक में बिहार, ओडिशा, महाराष्ट्र, तेलंगाना, मध्य प्रदेश और झारखंड के मुख्यमंत्री और आंध्र प्रदेश की गृहमंत्री, छत्तीसगढ़, पश्चिम बंगाल और केरल के वरिष्ठ अधिकारी, केंद्रीय गृहसचिव, केंद्रीय सशस्त्र पुलिस बलों के शीर्ष अधिकारी और केंद्र तथा राज्य सरकार के अनेक वरिष्ठ अधिकारी भी शामिल हुए।