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Friday 15 October 2021 02:27:39 PM
नई दिल्ली। 'सशस्त्र बलों में महिलाओं की भूमिका' विषय पर शंघाई सहयोग संगठन के वेबिनार में रक्षामंत्री राजनाथ सिंह ने कहा है कि भारत सरकार ने सामान्य रूपसे सुरक्षा व्यवस्था में और विशेष रूपसे सशस्त्र बलों में महिलाओं की भूमिका मजबूत करने केलिए अनेक कदम उठाए हैं। उद्घाटन भाषण देते हुए उन्होंने कहा कि महिलाएं पिछले 100 से अधिक वर्षों से भारतीय सैन्य नर्सिंग सेवा में गर्व के साथ सेवाएं देती आ रही हैं। रक्षामंत्री ने कहा कि भारतीय सेना ने 1992 में महिला अधिकारियों को कमीशन प्रदान करना शुरु कर दिया था और अब सेना की अधिकांश शाखाओं में महिला अधिकारियों को शामिल किया जा रहा है, महिलाओं को अब स्थायी कमीशन केलिए स्वीकार किया जा रहा है और भविष्य में भी वे सेना की इकाइयों और बटालियनों की कमान संभालेंगी। वेबिनार की मेजबानी रक्षा मंत्रालय के एकीकृत रक्षा स्टाफ मुख्यालय ने की थी।
रक्षामंत्री राजनाथ सिंह ने पिछले साल सैन्य पुलिस में महिलाओं की भर्ती की ओर इशारा करते हुए कहा कि अगले साल से महिलाएं प्रमुख ट्राई-सर्विस प्रशिक्षण संस्थान, राष्ट्रीय रक्षा अकादमी में शामिल हो सकेंगी। उन्होंने कहा कि वह अधिकारी प्रशिक्षण अकादमी चेन्नई में एससीओ देशों की महिला अधिकारियों की मौजूदगी देखना चाहते हैं। राजनाथ सिंह ने कहा कि महिलाओं को सपोर्ट वाली और कॉम्बैट दोनों भूमिकाओं में शामिल किया गया है, भारतीय नौसेना में वे समुद्री टोही विमानों का संचालन करती हैं और पिछले साल से उन्हें युद्धपोतों पर नियुक्त किया गया था, इसी तरह भारतीय तटरक्षक महिला अधिकारियों को कॉम्बैट वाली भूमिकाओं में नियुक्त करता रहा है, जिसमें पायलट, पर्यवेक्षक और विमानन सहायता सेवाएं शामिल हैं। रक्षामंत्री ने कहा कि भारतीय वायुसेना में महिलाएं हेलीकॉप्टर, लड़ाकू जेट उड़ाती हैं और अधिकारी संवर्ग का एक महत्वपूर्ण भाग होती हैं, संयुक्तराष्ट्र शांति मिशन में भी भारतीय सशस्त्र बलों की महिला अधिकारी नियमित रूपसे भाग लेती हैं।
राजनाथ सिंह ने कहा कि सशस्त्र बलों में महिलाओं को शामिल करने के लिए सरकार का दृष्टिकोण प्रगतिशील है, हमने सशस्त्र बलों में सपोर्ट भूमिका से कॉम्बैट सपोर्ट तथा उसके बाद कॉम्बैट आर्म्स वाली भूमिका अपनाने में विकासवादी रास्ता अपनाया है। राजनाथ सिंह ने कहा कि युद्ध का बदलता स्वरूप हमारी सीमाओं से हमारे समाज के भीतर खतरे ला रहा है, आतंकवाद इस वास्तविकता की सबसे स्पष्ट और शैतानी अभिव्यक्ति है, इसे अपने राजनीतिक उद्देश्यों को आगे बढ़ाने केलिए नॉन स्टेट एक्टर्स और गैर-जिम्मेदार देशों, दोनों ने पसंदीदा हथियार के रूपमें इस्तेमाल किया है। उन्होंने कहा कि एक संगठन के रूपमें एससीओ ने आतंकवाद को उसकी सभी अभिव्यक्तियों और रूपोंमें स्पष्ट रूपसे खारिज कर दिया है। उन्होंने कहा कि यह लड़ाई आधी आबादी से नहीं जीती जा सकती, महिलाएं भी इस लड़ाई में समान रूपसे योगदान देंगी, सशस्त्र बलों के भीतर भी और उनके बाहर भी। राजनाथ सिंह ने कहा कि महिलाएं हर क्षेत्र में स्वयं को श्रेष्ठ साबित कर रही हैं, उनके सामने कई बाधाओं को तोड़ा गया है और आनेवाले वर्षों में अनेक कल्पित बाधाओं को तोड़ना चाहिए।
रक्षामंत्री ने एससीओ देशों की बहादुर महिलाओं को सलाम किया, जो नि:स्वार्थ भाव से अपने-अपने देशों की सेवा कर रही हैं, संघर्ष शमन, विकास परियोजनाओं पर काम कर रही हैं और शांति एवं समृद्धि को बढ़ावा दे रही हैं। क्षेत्रीय स्थिरता सुनिश्चित करने, शांति को बढ़ावा देने लिंग-समानता सुनिश्चित करने और पूरे क्षेत्र की बेहतरी की दिशा में काम करने के लिए एससीओ देशों का आह्वान करते हुए रक्षामंत्री ने कहा कि हम सशस्त्र बलों के विभिन्न कार्यों में महिलाओं की अधिक भागीदारी और बड़ी भूमिका की आशा करते हैं। रक्षामंत्री ने कहा कि यदि सरस्वती हमारी ज्ञान और विद्या की देवी है तो माँ दुर्गा सुरक्षा, शक्ति, विनाश और युद्ध से जुड़ी रहती है। उन्होंने कहा कि हम विजयदशमी मना रहे हैं, जिस दिन देवी दुर्गा ने उपमहाद्वीप में राक्षस महिषासुर को हराया और मार डाला था। उन्होंने याद किया कि इतिहास में महिलाओं ने देश की रक्षा केलिए हथियार उठाए, रानी लक्ष्मीबाई उनमें से सबसे सम्मानित हैं, उन्होंने अपनी अंतिम सांस तक अन्यायपूर्ण विदेशी शासन लागू करने के विरुद्ध लड़ाई लड़ी, आगे रहकर अपने सैनिकों का प्रतिनिधित्व किया।
चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ जनरल बिपिन रावत ने स्वागत भाषण दिया। एससीओ के उप महासचिव मूरतबेक अज़ीम्बकिव ने भी वीडियो लिंक से वेबिनार को संबोधित किया। एससीओ देशों के प्रतिनिधियों ने नीति निर्माताओं और चिकित्सकों को समान रूपसे जानकारी से समृद्ध व सूचित करने के उद्देश्य से अपने अनुभव साझा किए। वेबिनार दो सत्र हुए। एकीकृत रक्षा स्टाफ (चिकित्सा) के उप प्रमुख लेफ्टिनेंट जनरल माधुरी कानिटकर की अध्यक्षता में 'लड़ाकू अभियानों में महिलाओं की भूमिकाओं के ऐतिहासिक परिप्रेक्ष्य' पर पहले सत्र की अध्यक्षता की गई। भारत के अलावा चीन, कजाकिस्तान और किर्गिस्तान के वक्ताओं ने सत्र में अपने दृष्टिकोण साझा किए। पूर्व विदेश सचिव निरुपमा राव मेनन की अध्यक्षता में 'युद्धों में उभरते रुझान और महिला योद्धाओं की संभावित भूमिका' विषय पर दूसरे सत्र की अध्यक्षता की गई। पाकिस्तान, रूसी संघ, ताजिकिस्तान और उजबेकिस्तान के सदस्यों ने इस विषय पर अपने विचार साझा किए। चीफ ऑफ इंटीग्रेटेड डिफेंस स्टाफ के अध्यक्ष, चीफ ऑफ स्टाफ कमेटी एयर मार्शल बीआर कृष्णा ने समापन भाषण दिया। रक्षा मंत्रालय के वरिष्ठ नागरिक और सैन्य अधिकारी वेबिनार में शामिल हुए।