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Tuesday 19 October 2021 02:15:39 PM
नई दिल्ली। रक्षामंत्री राजनाथ सिंह ने नौसेना कमांडरों के सम्मेलन के दूसरा संस्करण में राष्ट्रीय सुरक्षा से संबंधित मामलों पर बातचीत की। गौरतलब है कि सम्मेलन में प्रमुख अभियानगत, सामग्री, रसद, मानव संसाधन विकास, प्रशिक्षण और प्रशासनिक गतिविधियों की समीक्षा करने केलिए भारतीय नौसेना के सभी ऑपरेशनल और एरिया कमांडर शामिल होते हैं। रक्षामंत्री ने इस अवसर पर कहा कि यह सम्मेलन हमारे देश और हमारी नौसेना के सामने आनेवाले प्रमुख मुद्दों पर अपने विचार साझा करने का एक बहुत ही महत्वपूर्ण अवसर है। उन्होंने हिंद महासागर क्षेत्र में भारतीय नौसेना की भूमिका पर कहा कि हमारे देश की भौगोलिक स्थिति कुछ ऐसी है, जो इसे अनेक मायनों में अद्वितीय बनाती है, तीन तरफ से समुद्र के विशाल विस्तार से घिरा भारत सामरिक, व्यापारिक और संसाधनों की दृष्टि से बहुत महत्वपूर्ण है।
रक्षामंत्री राजनाथ सिंह ने कहा कि एक जिम्मेदार समुद्री हितधारक के रूपमें भारत सर्वसम्मति आधारित सिद्धांतों और शांतिपूर्ण, खुली, नियम आधारित एवं स्थिर विश्वव्यवस्था का समर्थन करता है और हिंद महासागर क्षेत्र की कल्पना करता है, जिसमें नियम आधारित सामुद्रिक आवाजाही और मुक्त व्यापार के सार्वभौमिक मूल्य हैं, जिसमें सभी भाग लेने वाले देशों के हितों की रक्षा की जाती है। उन्होंने कहा कि समुद्री मार्ग में एक महत्वपूर्ण देश होने के कारण इस क्षेत्र की सुरक्षा सुनिश्चित करने में भारतीय नौसेना की भूमिका अधिक महत्वपूर्ण हो जाती है। रक्षामंत्री ने नौसेना द्वारा इन जिम्मेदारियों को प्रभावी ढंग से निभाने पर प्रसन्नता व्यक्त की। रक्षामंत्री ने कहा कि आर्थिक हित संबंधों में कुछ तनाव पैदा करते हैं, इसलिए व्यापार और आर्थिक गतिविधियों को बढ़ावा देने हेतु भारतीय समुद्री क्षेत्र के भीतर शांति और स्थिरता बनाए रखने की अधिक आवश्यकता है। उन्होंने कहा कि इस क्षेत्र में शांति और स्थिरता बनाए रखने में भारतीय नौसेना की भूमिका आनेवाले समय में कई गुना बढ़ने वाली है।
राजनाथ सिंह ने कहा कि दुनियाभर में प्रभुत्व हासिल करने में केवल वही देश सफल हुए हैं, जिनकी नौसेनाएं मजबूत रही हैं और मुझे खुशी है कि भारतीय नौसेना हमारी समुद्री और राष्ट्रीय सुरक्षा में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रही है। उन्होंने कहा कि आत्मनिर्भर भारत के दृष्टिकोण के अनुरूप हमारी नौसेना पहले से ही जहाज निर्माण में स्वदेशीकरण और पनडुब्बियों के निर्माण आदि के क्षेत्र में आगे है और यह उल्लेखनीय है कि पिछले पांच वित्तीय वर्ष में नौसेना के आधुनिकीकरण बजट का दो-तिहाई से अधिक स्वदेशी खरीद पर खर्च किया गया है। उन्होंने कहा कि नौसेना द्वारा ऑर्डर किए गए 41 जहाजों और पनडुब्बियों में से 39 भारतीय शिपयार्ड से हैं, यह आत्मनिर्भर भारत केलिए नौसेना की प्रतिबद्धता का प्रमाण है। सम्मेलन की सफलता और भारतीय नौसेना के भविष्य के प्रयासों की कामना करते हुए रक्षामंत्री ने कहा कि अगले तीन दिन नौसेना के अबतक के प्रयासों और प्रगति के बारे में मंथन करने, नए विचारों पर बहस करने का अवसर मिलेगा। रक्षामंत्री ने भारतीय नौसेना केलिए एकीकृत मानवरहित रोडमैप का शुभारंभ किया और कहा कि इसका उद्देश्य नौसेना के संचालन की अवधारणा के अनुरूप एक व्यापक मानवरहित प्रणाली का रोडमैप प्रदान करना एवं भारतीय नौसेना के लिए क्षमता विकास योजना तैयार करना है।
रक्षामंत्री ने कहा कि इस रोडमैप का एक संदर्भ संस्करण भी उद्योग के लाभ केलिए प्रख्यापित किया जाएगा, जो भारत के 'आत्मनिर्भर भारत' मिशन को बढ़ावा देगा। सम्मेलन समकालीन सुरक्षा प्रतिमानों से जुड़े मुद्दों के समाधान पर ध्यान केंद्रित करेगा, जबकि नौसेना की युद्ध क्षमता को बढ़ाने और नौसैनिक अभियानों को अधिक प्रभावी और कुशल बनाने के तरीकों की तलाश करेगा। कमांडर हथियारों/ सेंसरों के प्रदर्शन की विस्तृत समीक्षा, भारतीय नौसेना के प्लेटफार्मों की तैयारी, नौसेना की परियोजनाओं-'मेक इन इंडिया' के माध्यम से स्वदेशीकरण को बढ़ाने के तरीकों पर ध्यान देने पर चर्चा करेंगे। सम्मेलन हाल की घटनाओं की पृष्ठभूमि में क्षेत्र की भू-रणनीतिक स्थिति की गतिशीलता पर भी ध्यान केंद्रित करेगा। चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ, भारतीय सेना और वायुसेना प्रमुख भी नौसेना कमांडरों के साथ बातचीत करेंगे, ताकि तीनों सेनाओं के अभियानगत वातावरण संबंधी मिले-जुले विषयों से भारत के राष्ट्रीय हितों की रक्षा केलिए सेना के तीनों अंगों के बीच तालमेल और तैयारी पुख़्ता हो सके।