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देश में रक्षा भूमि अभिलेखों का डिजिटलीकरण

सर्वेक्षण तकनीकों एवं सीमाओं के मानचित्रण पर प्रशिक्षण कार्यक्रम

रक्षा सचिव ने एनआरएससी हैदराबाद में की पहले बैच की शुरुआत

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Tuesday 19 October 2021 02:36:10 PM

defense secretary launches first batch at nrsc hyderabad

हैदराबाद/ नई दिल्ली। रक्षा सचिव डॉ अजय कुमार ने कहा है कि भारतभर में रक्षा भूमि का डिजिटलीकरण सफलतापूर्वक किया जा रहा है और रक्षा सम्पदा महानिदेशक यानी डीजीडीई सरकारी भूमि के सबसे बड़े भूमि प्रबंधकों में से एक है। उन्होंने भारतीय रक्षा सम्पदा सेवाओं के अधिकारियों और रक्षा सम्पदा महानिदेशालय के तकनीकी कर्मचारियों केलिए सुदूर संवेदन एवं भौगोलिक सूचना प्रणाली का उपयोग करके नवीनतम सर्वेक्षण तकनीकों और रक्षा भूमि सीमाओं के मानचित्रण पर प्रशिक्षण कार्यक्रम की शुरुआत करते हुए यह जानकारी दी। नई दिल्ली से वीडियो कॉंफ्रेंस के जरिए रक्षा सचिव ने हैदराबाद के राष्ट्रीय सुदूर संवेदन केंद्र में पहला प्रशिक्षण बैच का शुभारंभ किया, जिसका उद्देश्य देश के प्रमुख संस्थानों के माध्यम से रक्षा सम्पदा संगठन के तकनीकी संसाधनों को नवीनतम तकनीकों में प्रशिक्षित करना और भूमि के सर्वेक्षण व संरक्षण को बढ़ावा देना है।
रक्षा सचिव डॉ अजय कुमार ने कहा कि प्रशिक्षण कार्यक्रम से प्रशिक्षुओं को सैटेलाइट इमेजरी प्रोसेसिंग, ड्रोन इमेजरी प्रोसेसिंग जैसी आधुनिक तकनीकों में नए कौशल का अनुभव होगा, इसके अलावा छावनी बोर्डों के कंप्यूटर प्रोग्रामरों सहित डीजीडीई संगठन के सभी तकनीकी संवर्ग (कैडर) को बैचों में प्रशिक्षण देने का प्रस्ताव है और उपमंडल के अधिकारियों के पहले बैच को 18 अक्टूबर 2021 से हैदराबाद एनआरएससी में दो हफ्ते केलिए प्रशिक्षित किया जा रहा है। रक्षा सचिव ने अधिकारियों से रक्षा भूमि के सर्वेक्षण में नवीन तकनीकों के साथ खुद को अपडेट रखने का आग्रह किया। उन्होंने रक्षा भूमि के सर्वेक्षण में प्रौद्योगिकी के उपयोग की जरूरत पर भी जोर दिया। उन्होंने दोहराया कि 18 लाख एकड़ से अधिक सम्पदा के साथ डीजीडीई देश में सरकारी भूमि के सबसे बड़े भूमि प्रबंधन संगठनों में से एक है और डीजीडीई आधुनिक तकनीकों को अपना रहा है, जो निश्चित रूपसे भूमि प्रबंधन प्रणाली की गुणवत्ता में सुधार करेगा।
रक्षा सचिव ने डीजीडीई के रक्षा भूमि अभिलेखों के डिजिटलीकरण को सफलतापूर्वक पूरा करने का भी उल्लेख किया। उन्होंने कहा कि इसके जरिए रक्षा भूमि में सार्वजनिक बुनियादी ढांचा परियोजनाओं जैसे सड़क, रेललाइन और विद्युत परियोजनाओं केलिए अन्य संगठनों की जरूरत पर आसानी से बातचीत की जा सकेगी। उन्होंने कहा कि इससे पट्टों के नवीनीकरण की प्रक्रिया में आसानी होगी। उन्होंने डीजीडीई के प्रयासों को रेखांकित किया, जिससे किसी भी उल्लंघन या अतिक्रमण के मामले में कोई सुधारात्मक कार्रवाई की जा सके, इन प्रयासों में जमीन में होने वाले बदलावों पर नज़र रखने केलिए उपग्रहों के माध्यम से निगरानी प्रणाली विकसित करना शामिल है। रक्षा सचिव ने उम्मीद जताई की कि प्रशिक्षण पूरा होने केबाद अधिकारी न केवल डीजीडीई के चालू भूमि सर्वेक्षण को शीघ्र पूरा करने केलिए इन नई तकनीकों को अपनाएंगे, बल्कि डीजीडीई के प्रयासों को सर्वोत्तम अभ्यासों में से एक के रूपमें स्थापित भी करेंगे, जिससे कि इसका अनुपालन अन्य मंत्रालय और विभाग भी कर सकें।
प्रशिक्षण का उद्देश्य प्रशिक्षुओं को मुख्य रूपसे सुदूर संवेदन, फोटो की विवेचना, डिजिटल फोटो बुनियादी तत्व और रेडियोमेट्रिक संवर्द्धन, फोटो का भौगोलिक-संदर्भीकरण, चित्र प्रदर्शन व समायोजन प्रणाली, भौगोलिक सूचना प्रणाली का परिचय, डेटा रूपांतरण तकनीक, त्रुटि का पता लगाना, स्थानिक डेटाबेस का संपादन व सत्यापन, मानचित्र संरचना और उपरोक्त विषयों से संबंधित प्रायोगिक सत्र में प्रशिक्षित करना है। अगले चरण में आईडीईएस अधिकारियों को नवीनतम तकनीकों से परिचित कराने केलिए एक हफ्ते का प्रशिक्षण नवंबर 2021 में आयोजित करने की योजना है। यह आईडीईएस अधिकारियों और कर्मचारियों केलिए एक सतत अभ्यास होगा, जबतक कि दिल्ली में डीजीडीई का अपना प्रशिक्षण संस्थान इस तरह के प्रशिक्षण को प्रदान करने केलिए अपनी क्षमता विकसित नहीं कर लेता। रक्षा सम्पदा संगठन ने 2011-2015 (चरण I) के दौरान रक्षा भूमि का व्यापक सर्वेक्षण किया था। अब पहले चरण के सर्वेक्षण के परिणामों को सत्यापित करने, प्रमाणित करने और मिलान करने केलिए चरण-II सर्वेक्षण किया गया है और यह पूरा होने के अंतिम चरण में है। कुछ समय पहले तक ईटीएस और डीजीपीएस के जरिए सर्वेक्षण किया जा रहा था, इस पद्धति में समय लगता है और सर्वेक्षण समाप्त होने तक ऐसे सर्वेक्षणों के परिणाम पुराने भी हो सकते हैं।
सर्वेक्षण के अधिक सटीक, प्रमाणित, विश्वसनीय, मजबूत और समयबद्ध परिणामों केलिए भूमि सर्वेक्षण की नवीनतम तकनीकों के साथ-साथ डेटा प्रसंस्करण जैसे उपग्रह इमेजरी, ड्रोन आधारित सर्वेक्षण और डेटा प्रोसेसिंग उपकरण को अपनाया जाना चाहिए। ये तकनीकें जमीन पर होने वाले बदलावों जैसेकि अतिक्रमण या भूमि को जोतना व बेहतर योजना की निगरानी में भी सक्षम होंगी। इस उद्देश्य केलिए महाजन फील्ड फायरिंग रेंज बीकानेर राजस्थान का ड्रोन आधारित सर्वेक्षण करने के लिए कदम उठाए गए हैं, जो प्रगति पर हैं। इसी तरह पोखरण फील्ड फायरिंग रेंज का सैटेलाइट इमेजरी आधारित सर्वेक्षण का भी काम जारी है, वहीं अतिक्रमण का पता लगाने केलिए टोम सीरीज सैटेलाइट इमेजरी पर आधारित रीयल टाइम चेंज डिटेक्शन सिस्टम केलिए तीसरी परियोजना भी प्रगति पर है। उद्घाटन कार्यक्रम में रक्षा संपदा के निदेशक अजय कुमार शर्मा, रक्षा मंत्रालय में अतिरिक्त सचिव निवेदिता शुक्ला वर्मा, रक्षा मंत्रालय में संयुक्त सचिव राकेश मित्तल, एनआरएससी के निदेशक डॉ राज कुमार और रक्षा मंत्रालय में निदेशक शर्मिष्ठा मैत्रा भी उपस्थित थीं।

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