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Wednesday 27 October 2021 04:33:17 PM
नई दिल्ली। रक्षामंत्री राजनाथ सिंह ने कहा हैकि भारत अपने समुद्री हितों की रक्षा केलिए पूरी तरह प्रतिबद्ध है और वह समुद्री प्रणालियों पर आधारित नियमों के रखरखाव का समर्थन करता है, जो समुद्र के कानून पर संयुक्तराष्ट्र सम्मेलन-1982 के तहत आवश्यक हैं। रक्षामंत्री ने वर्चुअल रूपसे आयोजित इंडो-पैसिफिक रीजनल डायलॉग-2021 में मुख्य भाषण देते हुए यह बात कही। रक्षामंत्री ने कहाकि भविष्य केलिए समुद्री रणनीतियां जरूरी हैं और भारत अपने क्षेत्रीय जल एवं विशेष आर्थिक क्षेत्र के संबंध में अपने अधिकारों और हितों की रक्षा केलिए पूरी तरह प्रतिबद्ध है। रक्षामंत्री राजनाथ सिंह ने इंडो-पैसिफिक क्षेत्र के बारे में प्राकृतिक क्षेत्र के रूपमें प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के किए गए वर्णन का उल्लेख किया, जहां संस्थाओं की नीति आपस में जुड़ी हुई है और जो समुद्र माल की ढुलाई, विचारों के आदान-प्रदान, नवाचारों को उत्प्रेरित करने और दुनिया को नजदीक लाने में अपना योगदान दे रहे हैं।
रक्षामंत्री राजनाथ सिंह ने कहाकि इंडो-पैसिफिक की विविधता इसकी विशेषता है, जिनमें संस्कृतियों, जातियों, आर्थिक मॉडलों, शासन प्रणालियों और विभिन्न आकांक्षाओं की बहुलता है। उन्होंने कहा कि महासागर सामान्य बंधन की कड़ी बने हुए हैं और समृद्धि के मार्ग पर बढ़ने केलिए इंडो-पैसिफिक की समुद्री क्षमता का कुशल और सहयोगी उपयोग करने की आवश्यकता पर जोर दिया। रक्षामंत्री ने कहा कि जहां समुद्र मानवजाति के पालन-पोषण और विकास केलिए अनेक अवसर प्रदान करते हैं, वहीं वे आतंकवाद, समुद्री डकैती, मादक पदार्थों की तस्करी और जलवायु परिवर्तन जैसी चुनौतियां भी पेश करते हैं। राजनाथ सिंह ने इनसे निपटने केलिए सहयोगी प्रतिक्रिया का आह्वान किया और कहाकि इसके काफी अंतर्राष्ट्रीय निहितार्थ भी हैं। उन्होंने कहा कि समुद्री मुद्दों पर हितों और समानता के समावेश का पता लगाने की जरूरत है। इंडो-पैसिफिक रीजनल डायलॉग-2021 के ‘21वीं सदी के दौरान समुद्री रणनीति का विकास अनिवार्यताएं, चुनौतियां और आगे का मार्ग’ विषय पर राजनाथ सिंह ने कहाकि यह इस क्षेत्र के अतीत पर आधारित है, जो वर्तमान का आकलन करते हुए इन सिद्धांतों पर आ जाता हैकि यह भविष्य केलिए समुद्री रणनीतियों की नींव स्थापित करेगा।
राजनाथ सिंह ने आशा व्यक्त कीकि यह वार्ता इंडो-पैसिफिक सुरक्षा और समृद्धि के साझा एवं सामूहिक विजन को आगे बढ़ाएगी। उन्होंने कहाकि वह उन सिफारिशों की प्रतीक्षा कर रहे हैं, जो इस आयोजन में हुए विचार-विमर्श के परिणामस्वरूप प्राप्त होंगी। गौरतलब है कि इंडो-पैसिफिक रीजनल डायलॉग पहलीबार 2018 में हुआ था, यह भारतीय नौसेना का शीर्ष अंतर्राष्ट्रीय वार्षिक सम्मेलन है, जो रणनीतिक स्तरपर नौसेना की भागीदारी की प्रमुख अभिव्यक्ति है। राष्ट्रीय समुद्री फाउंडेशन नौसेना के इस आयोजन के प्रत्येक संस्करण के ज्ञान भागीदार और मुख्य आयोजनकर्ता है। इसके प्रत्येक संस्करण का उद्देश्य इंडो-पैसिफिक में अवसरों और चुनौतियों दोनों की ही समीक्षा करना है। इंडो-पैसिफिक रीजनल डायलॉग-2021 में आज से 29 अक्टूबर तक आठ विशिष्ट उप-विषयों पर ध्यान केंद्रित किया जाएगा, जो इस प्रकार हैं-इंडो-पैसिफिक समुद्री रणनीतियां : समग्रता, विचलन, अपेक्षाएं और आशंकाएं, समुद्री सुरक्षा पर जलवायु परिवर्तन के प्रभाव से निपटने केलिए अनुकूल रणनीतियां। बंदरगाह के नेतृत्व वाली क्षेत्रीय समुद्री कनेक्टिविटी और विकास रणनीतियां।
इंडो-पैसिफिक रीजनल डायलॉग के उप-विषयों में सहकारी समुद्री क्षेत्र जागरुकता रणनीतियां, कानून आधारित इंडो-पैसिफिक समुद्री आदेश के बारे में कानून के बढ़ते हुए दायरे का प्रभाव, क्षेत्रीय सार्वजनिक-निजी समुद्री भागीदारी को बढ़ावा देने की रणनीतियां, ऊर्जा-असुरक्षा और शमन रणनीतियां और समुद्र में मानवरहित समस्या से निपटने की रणनीतियों पर आठ सत्रों में पैनल-चर्चा की जाएगी, इसका उद्देश्य विचारों और दृष्टिकोणों के मुक्त प्रवाह को प्रोत्साहित करना है। इंडो-पैसिफिक रीजनल डायलॉग के उद्घाटन सत्र में नौसेना प्रमुख एडमिरल करमबीर सिंह, पूर्व नौसेना प्रमुख एवं राष्ट्रीय समुद्री फाउंडेशन के अध्यक्ष एडमिरल सुनील लांबा (सेवानिवृत्त), विभिन्न देशों के क्षेत्र विशेषज्ञ और नीति निर्माता वर्चुअल रूपसे उपस्थित थे।