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Saturday 6 November 2021 01:14:54 PM
नौशेरा। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने पिछले वर्षों की तरह इस वर्ष भी भारतीय सशस्त्र बलों के बीच जाकर दीपावली का पर्व हर्षोल्लास केसाथ मनाया। उन्होंने जम्मू-कश्मीर के नौशेरा जिले में आयोजित कार्यक्रम में सैनिकों को संबोधित करते हुए कहाकि वे सशस्त्र बलों केसाथ उसी भावना से दीपावली मनाते हैं, जैसे अपने परिवार केसाथ दीपावली मना रहे हों। गौरतलब हैकि संवैधानिक पद संभालने केबाद उन्होंने दीपावली देश की सीमा पर सशस्त्र बलों के साथ मनाई है। उन्होंने कहाकि वे अकेले नहीं आए हैं, बल्कि 130 करोड़ भारतीयों की शुभकामनाएं अपने साथ लाए हैं। प्रधानमंत्री ने सैनिकों से कहाकि वे देश के सुरक्षा कवच हैं, उनके द्वारा राष्ट्र की सेवा एक ऐसा सौभाग्य है, जो हर किसी को नहीं मिलता।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहाकि नौशेरा का इतिहास भारत के पराक्रम का गवाह है और इसका वर्तमान सैनिकों के पराक्रम एवं दृढ़ संकल्प का प्रतीक है, यह क्षेत्र सदैव ही हमलावरों और अतिक्रमण करने वालों के खिलाफ मजबूती से खड़ा रहा है। नरेंद्र मोदी ने मातृभूमि की रक्षा केलिए सर्वोच्च बलिदान देने वाले नौशेरा के वीरों, ब्रिगेडियर उस्मान और नायक जदुनाथ सिंह को भावभीनी श्रद्धांजलि अर्पित की। उन्होंने पराक्रम एवं देशभक्ति की अभूतपूर्व मिसाल पेश करनेवाले लेफ्टिनेंट आरआर राणे और अन्य वीरों को नमन किया। प्रधानमंत्री ने सशस्त्र बलों का डटकर समर्थन करनेवाले बलदेव सिंह और बसंत सिंह का आशीर्वाद लेने केलिए अपनी भावनाओं को भी व्यक्त किया। उन्होंने सर्जिकल स्ट्राइक में अहम भूमिका केलिए वहां तैनात ब्रिगेड की सराहना की। उन्होंने राहत के उस पल को भी स्मरण किया, जब सभी वीर जवान सर्जिकल स्ट्राइक से सकुशल वापस लौट आए थे।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहाकि देश की आजादी की रक्षा करने की जिम्मेदारी सभी की है और आजादी के अमृत काल में आज का भारत अपनी क्षमताओं एवं संसाधनों को लेकर पूरी तरह सतर्क है। उन्होंने विदेश पर निर्भरता के पहले केदौर के ठीक विपरीत आज रक्षा संसाधनों में बढ़ती आत्मनिर्भरता केबारे में भी चर्चा की। उन्होंने कहाकि रक्षा बजट के 65 फीसदी का उपयोग देश के अंदर ही हो रहा है, ऐसे 200 उत्पादों की एक सकारात्मक या स्वीकृत सूची तैयार की गई है, जो केवल देश में ही खरीदे जाएंगे। उन्होंने कहाकि जल्द ही इस सूची का विस्तार किया जाएगा। उन्होंने सात नई रक्षा कंपनियों का भी जिक्र किया, क्योंकि पुराने आयुध कारखाने अब विशेष क्षेत्र के विशिष्ट उपकरण और गोला-बारूद बनाएंगे, इसके साथही डिफेंस कॉरिडोर बनाए जा रहे हैं। उन्होंने कहाकि भारत के युवा मजबूत रक्षा से संबंधित स्टार्टअप्स से भी जुड़ गए हैं, इनकी बदौलत रक्षा निर्यातक के रूपमें भारत की साख और भी बढ़ेगी।
प्रधानमंत्री ने कहाकि बदलती जरूरतों के अनुसार भारतीय सैन्य शक्ति का विस्तार करने और इसमें व्यापक बदलाव लाने की नितांत आवश्यकता है। उन्होंने कहाकि तेजीसे बदलते प्रौद्योगिकी परिदृश्य में नए बदलाव आवश्यक हो गए हैं, इसलिए एकीकृत सैन्य नेतृत्व में समन्वय सुनिश्चित करना अत्यंत जरूरी है, सीडीएस और सैन्य कार्य विभाग इसी दिशा में उचित कदम हैं। उन्होंने कहाकि ठीक इसी तरह आधुनिक सीमा अवसंरचना से देश की सैन्य ताकत और भी अधिक बढ़ जाएगी। उन्होंने कहाकि लद्दाख से अरुणाचल प्रदेश और जैसलमेर से अंडमान निकोबार तकके सीमावर्ती क्षेत्रों में आधुनिक अवसंरचना केसाथ आवश्यक कनेक्टिविटी स्थापित की गई है, जिससे बुनियादी ढांचे और सैनिकों केलिए सुविधा में अभूतपूर्व सुधार हुए हैं, इसके साथ ही सैनिकों की सहूलियतें भी काफी बढ़ाई गई हैं। प्रधानमंत्री ने रक्षा क्षेत्र में महिलाओं की भागीदारी पर प्रसन्नता व्यक्त की और कहाकि नौसेना एवं वायुसेना में अग्रिम मोर्चे पर तैनाती केबाद अब थलसेना में भी महिलाओं की भूमिका का विस्तार हो रहा है। प्रधानमंत्री ने स्थायी समिति, एनडीए, राष्ट्रीय सैन्य स्कूल, राष्ट्रीय भारतीय सैन्य कॉलेज के दरवाजे महिलाओं केलिए खोलने के साथ-साथ स्वतंत्रता दिवस पर लड़कियों केलिए सैनिक स्कूल खोलने की घोषणा का भी उल्लेख किया।
प्रधानमंत्री ने कहाकि उन्हें सशस्त्र बलों में सिर्फ असीम क्षमताएं ही नहीं, बल्कि अटूट सेवा भावना, दृढ़ संकल्प और अतुलनीय संवेदनशीलता भी दिखाई देती है, जो भारतीय सशस्त्र बलों को दुनिया के सभी सशस्त्र बलों में अनूठा बनाता है। प्रधानमंत्री ने कहाकि भारतीय सशस्त्र बल दुनिया के शीर्ष सशस्त्र बलों के समान ही कार्यकुशल हैं, लेकिन इसके मानवीय मूल्य, इसे विशिष्ट और असाधारण बनाते हैं। प्रधानमंत्री ने कहाकि सैनिकों केलिए यह सिर्फ वेतन केलिए नौकरीभर नहीं है, उनके लिए यह एक आह्वान और पूजा है, एक ऐसी पूजा, जिसमें वे 130 करोड़ लोगों की भावनाओं को समाहित करते हैं। उन्होंने कहाकि साम्राज्य आते और जाते रहे, लेकिन भारत हजारों साल पहले शाश्वत था और आज भी है और हजारों साल बाद भी शाश्वत रहेगा। उन्होंने कहाकि हमारे लिए राष्ट्रीय रक्षा का अर्थ इस सजीव राष्ट्रीय जीवंतता, राष्ट्रीय एकता और राष्ट्रीय अखंडता की रक्षा करना है। प्रधानमंत्री ने कहाकि हमारे सशस्त्र बल न सिर्फ सीमाओं की रक्षा करते हैं, बल्कि विपत्ति और प्राकृतिक आपदाओं के दौरान भी मदद केलिए हमेशा तैयार रहते हैं।