स्वतंत्र आवाज़ डॉट कॉम
Saturday 6 November 2021 02:30:22 PM
जम्मू। प्रधानमंत्री कार्यालय, कार्मिक, लोक शिकायत और पेंशन विभाग में राज्यमंत्री डॉ जितेंद्र सिंह ने कहा हैकि पहलीबार नरेंद्र मोदी सरकार जम्मू-कश्मीर में युवाओं केलिए कृषि स्टार्ट-अप को बढ़ावा दे रही है। राज्यमंत्री ने पहले की सरकारों पर कश्मीर घाटी सहित जम्मू-कश्मीर में स्टार्ट-अप को जानबूझकर हतोत्साहित करने का आरोप लगाया, ताकि राज्य के युवा हमेशा केवल शतप्रतिशत वेतनभोगी सरकारी नौकरियों पर निर्भर रह सकें और इसके लिए बस तबके राजनीतिक आकाओं के इर्द-गिर्द ही चक्कर लगाते रहें। उन्होंने कहाकि इसका परिणाम यह हुआकि उद्यमशीलता और स्व-आजीविका केलिए इस क्षेत्र की अपार संभावनाएं बेरोज़गार बनी रहीं। वैज्ञानिक एवं औद्योगिक अनुसंधान परिषद और शेर-ए-कश्मीर कृषि विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय के संयुक्त कृषि स्टार्ट-अप और किसानों की परस्पर संवाद गोष्ठी में उन्होंने कहाकि यह पहलीबार है जब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में इस क्षेत्र में युवा स्टार्ट-अप हेतु कृषि क्षेत्र को बढ़ावा देने केलिए ठोस और प्रौद्योगिकी पर आधारित प्रयास किए गए हैं।
राज्यमंत्री डॉ जितेंद्र सिंह ने कहाकि अतीत में किसान और कृषक काफी हदतक खेती केलिए जलवायु में परिवर्तन और प्रकृति की अनिश्चितताओं पर निर्भर करते रहे हैं। उन्होंने कहाकि पिछले कुछ वर्ष में उदाहरण के रूपमें नए क्षेत्रों जैसे-कश्मीर घाटी में गुलमर्ग आदि के आसपास के क्षेत्रों के साथ-साथ जम्मू क्षेत्र में डोडा और रियासी जिलों में बड़े पैमाने पर लैवेंडर की खेती की क्षमता का पता लगाया गया है। डॉ जितेंद्र सिंह ने कहाकि दुनिया के किसी भी देश में कोई भी सरकार हर युवा केलिए शत-प्रतिशत वेतनभोगी सरकारी नौकरी सुनिश्चित नहीं कर सकती है, लेकिन मोदी सरकार एक जिम्मेदार सरकार है और वह हमेशा आजीविका के साधनों को बढ़ावा देने की योजना बनाती रहती है। उन्होंने कहाकि युवाओं और उनके माता-पिता केबीच एक सतत जागरुकता अभियान की आवश्यकता है, ताकि उन्हें यह बताया जा सकेकि स्व-आजीविका और स्टार्ट-अप के विकल्पों से भी बहुत अधिक आकर्षक उपलब्धियां प्राप्त की जा सकती हैं, इसलिए केवल सरकारी वेतनभोगी नौकरियों के पीछे भागने में अपना समय और ऊर्जा नष्ट नहीं की जानी चाहिए।
डॉ जितेंद्र सिंह ने कहाकि आज की खेती अब पुराने समय वाली खेती नहीं रह गई है, आज का किसान वास्तव में अपने आप एक ऐसा कृषि प्रौद्योगिकीविद या एक कृषि स्टार्ट-अप है, जिसके पास नई तकनीक और प्रावधानों का उपयोग करके अच्छा मुनाफा कमाने का विकल्प है। उन्होंने कहाकि भारत सरकार वैज्ञानिक और औद्योगिक अनुसंधान परिषद के माध्यम से खेती के नए तरीकों कई प्रकार की एकीकृत खेती और मिश्रित खेती केलिए सभी प्रासंगिक वित्तीय और तकनीकी सहायता प्रदान कर रही है, जिसमें प्रधानमंत्री की परिकल्पना के अनुसार वर्ष 2022 तक किसानों की आय को दोगुना करने की क्षमता है। डॉ जितेंद्र सिंह ने कश्मीर के सभी दस जिलों के किसानों को खेती की किट भी वितरित की। सीएसआईआर और एसकेयूएएसटी केबीच एक सहयोग समझौता भी हुआ। सीएसआईआर के महानिदेशक डॉ शेखर मांडे, एसकेयूएएसटी के कुलपति प्रोफेसर जेपी शर्मा और आईआईआईएम के निदेशक डॉ रेड्डी भी किसानों के साथ संवाद सत्र में शामिल हुए।