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Saturday 6 November 2021 03:32:21 PM
रुद्रप्रयाग (केदारनाथ)। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा हैकि केदारनाथ धाम के अनुभव अलौकिक और अनंत हैं। उन्होंने केदारनाथ में भारत की महान आध्यात्मिक ऋषि परंपरा को आत्मसात करने का आह्वान किया और कहाकि केदारनाथ धाम आने की अपनी अनुभूति को वे शब्दों में व्यक्त नहीं कर सकते। प्रधानमंत्री ने रामचरितमानस का एक सोरठा उद्धृत किया, जिसका भावार्थ यह है कि वेद निरंतर 'नेति-नेति' का वर्णन करते हैं कि कुछ अनुभव इतने अलौकिक, इतने अनंत होते हैंकि उन्हें शब्दों में व्यक्त नहीं किया जा सकता। उन्होंने कहाकि बाबा केदारनाथ की शरण में उन्हें ऐसी ही अनुभूति होती है। प्रधानमंत्री केदारनाथ में श्रीआदि शंकराचार्य के समाधि स्थल गए और उनकी प्रतिमा का अनावरण किया। उन्होंने विभिन्न विकास परियोजनाओं की आधारशिला रखी, पूरे हो चुके और अभी भी जारी विकास कार्यों की समीक्षा की और निरीक्षण भी किया।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने केदारनाथ मंदिर में विधिवत पूजा-अर्चना की, इसीके साथ देशभर में 12 ज्योतिर्लिंगों तथा चारों धाम पर पूजा-अर्चना की गई, आध्यात्मिक समारोह आयोजित किए गए, ये सभी कार्यक्रम केदारनाथ धाम के मुख्य कार्यक्रम से जुड़े थे। नरेंद्र मोदी ने इस अवसर पर कहाकि केदारनाथ धाम में ठहरने, स्वागत केंद्रों जैसी नई सुविधाओं से पुरोहितों तथा श्रद्धालुओं का आगमन आसान होगा और उन्हें तीर्थाटन के अलौकिक अनुभव में पूर्ण रूपसे डूब जाने का अवसर मिलेगा। वर्ष 2013 की केदारनाथ जल प्रलय को याद करते हुए प्रधानमंत्री ने कहाकि वर्षों पहले यहां बाढ़ से जो नुकसान हुआ था, वह अकल्पनीय था और जो लोग यहां आते थे, वे सोचते थेकि क्या हमारा केदारधाम फिरसे उठ खड़ा होगा? लेकिन मेरे भीतर की आवाज़ कह रही थी कि यह पहले से अधिक आन-बान-शान के साथ खड़ा होगा और ऐसा हुआ। प्रधानमंत्री ने कहाकि उन्हें यहां की सेवा करने का आशीर्वाद प्राप्त है और इसी आशीर्वाद ने पहले भी उनके जीवन को सर्वालौकिक दिशा दी है। उन्होंने यहां के विकास कार्यों में अथक परिश्रम करने पर कामगारों, पुजारियों, रावल परिवार के पुरोहितों, अधिकारियों और मुख्यमंत्री को धन्यवाद दिया, जो ड्रोन और अन्य प्रौद्योगिकियों के जरिये कार्य की लगातार निगरानी करते रहे।
नरेंद्र मोदी ने कहाकि इस आदि भूमि पर शाश्वत के साथ आधुनिकता का यह मेल विकास के ये काम भगवान शिवशंकर की सहज कृपा का ही परिणाम हैं। प्रधानमंत्री ने आदि शंकराचार्य के नाम और उनकी महिमा का उल्लेख करते हुए कहाकि उनका पूरा जीवन जितना असाधारण था, उतना ही वे जन-साधारण के कल्याण केलिए समर्पित थे। प्रधानमंत्री ने स्मरण कियाकि एक ऐसा भी समय था, जब अध्यात्म और धर्म को केवल रूढ़ियों और पुरातन कर्म-कांड से जोड़कर देखा जाने लगा था, लेकिन भारतीय दर्शन तो मानव कल्याण की बात करता है और जीवन को पूर्णता के साथ देखता है, आदि शंकराचार्य ने समाज को इसी सत्य से परिचित कराने का अनुकरणीय कार्य किया है। प्रधानमंत्री ने कहाकि अब हमारी सांस्कृतिक विरासत, आस्था के केंद्रों को उसी गौरवमय भाव से देखा जा रहा है, जैसा उसे देखा जाना चाहिए। नरेंद्र मोदी ने कहाकि अयोध्या में भगवान श्रीराम का भव्य मंदिर पूरे गौरव के साथ बन रहा है, दो दिन पहले ही अयोध्या में दीपोत्सव का भव्य आयोजन पूरी दुनिया ने देखा। उन्होंने कहाकि आज हम यह कल्पना कर सकते हैं कि भारत का प्राचीन सांस्कृतिक स्वरूप कैसा रहा होगा, आज भारत अपनी विरासत के प्रति आत्मविश्वास से परिपूर्ण है, अब देश अपने लिए बड़े लक्ष्य तय करता है, कठिन समय-सीमाएं निर्धारित करता है।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहाकि समय के दायरे में बंधकर भयभीत होना अब भारत को मंजूर नहीं है, स्वतंत्रता संग्राम के महानायकों के योगदान का उल्लेख करते हुए उन्होंने देशवासियों का आह्वान किया कि वे भारत के गौरवशाली स्वतंत्रता संग्राम से सम्बंधित स्थानों तथा पवित्र तीर्थस्थलों को जाकर देखें तथा भारत की प्राण-चेतना से परिचित हों। प्रधानमंत्री ने कहा कि 21वीं सदी का तीसरा दशक उत्तराखंड का है। उन्होंने बताया कि चारधाम राजमार्ग को जोड़ने वाली चारधाम सड़क परियोजना पर तेजी से काम चल रहा है, उस परियोजना पर भी काम शुरू हो गया है, जिसके माध्यम से श्रद्धालु यहां भविष्य में केबल कार के जरिए केदारनाथजी के दर्शन कर सकेंगे। उन्होंने कहाकि पास में ही पवित्र हेमकुंड साहिब जी भी हैं, जिनके दर्शन को सुगम बनाने के लिए रोपवे बनाने का काम चल रहा है। उन्होंने कहाकि उत्तराखंड के लोगों की अपार क्षमता को ध्यान में रखते हुए और उनकी योग्यताओं में पूर्ण विश्वास करते हुए राज्य सरकार उत्तराखंड के विकास के ‘महायज्ञ’ में शामिल है। प्रधानमंत्री ने कोरोना के खिलाफ लड़ाई में उत्तराखंड के अनुशासन की सराहना की। उन्होंने कहा कि भौगोलिक कठिनाइयों को पार करते हुए आज उत्तराखंड और उसके लोगों ने शत-प्रतिशत टीके की एक खुराक का लक्ष्य हासिल कर लिया है।
नरेंद्र मोदी ने कहाकि उत्तराखंड काफी ऊंचाई पर स्थित है, मेरा उत्तराखंड अपनी ऊंचाई से भी ऊपर जाकर नई ऊंचाइयों को छुएगा। गौरतलब हैकि वर्ष 2013 की बाढ़ में ध्वस्त हुई आदि शंकराचार्य की समाधि का पुनर्निर्माण प्रधानमंत्री के मार्गदर्शन में किया गया है। उन्होंने इस परियोजना की प्रगति की लगातार समीक्षा और निगरानी की है। आज भी प्रधानमंत्री ने सरस्वती आस्थापथ के इर्दगिर्द चल रहे एवं पूरे हो चुके कार्यों की समीक्षा की एवं उनका निरीक्षण किया। बुनियादी ढांचे से जुड़ी जो परियोजनाएं पूरी हो चुकी हैं, उनमें सरस्वती आस्थापथ एवं घाट के इर्दगिर्द सुरक्षा की दीवार, मंदाकिनी आस्थापथ के इर्दगिर्द सुरक्षा की दीवार, तीर्थ पुरोहित गृह और मंदाकिनी नदी पर गरुड़ चट्टी पुल शामिल हैं। इन परियोजनाओं को 130 करोड़ रुपये से अधिक की लागत से पूरा किया गया है। प्रधानमंत्री ने संगम घाट के पुनर्विकास, प्राथमिक चिकित्सा एवं पर्यटक सुविधा केंद्र, प्रशासनिक कार्यालय एवं अस्पताल, दो अतिथि गृह, पुलिस स्टेशन, कमांड एंड कंट्रोल सेंटर, मंदाकिनी आस्थापथ कतार प्रबंधन और रेनशेल्टर एवं सरस्वती नागरिक सुविधा भवन सहित 180 करोड़ रुपये से अधिक की विभिन्न परियोजनाओं की आधारशिला भी रखी।