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प्रधानमंत्री का कृषि कानून वापस लेने का ऐलान

श्रीगुरु नानक देवजी के प्रकाश पर्व पर देशवासियों को बधाई!

प्रधानमंत्री ने वीडियो कॉंफ्रेंसिंग से देश को संबोधित किया

स्वतंत्र आवाज़ डॉट कॉम

Friday 19 November 2021 03:50:22 PM

pm narendra modi

नई दिल्ली। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आज श्रीगुरु नानक देवजी के प्रकाश पर्व पर देशवासियों को बधाई देते हुए और उनके पवित्र विचारों तथा महान आदर्शों को श्रद्धापूर्वक नमन करते हुए आखिर उन तीनों कृषि कानूनों को भी वापस लेने की घोषणा करदी, जिनको रद्द करने केलिए गाजीपुर और सिंधु बार्डर पर कई महीने से धरना आंदोलन किया जा रहा था और जिस कारण दिल्लीवासियों और देश को आवागमन की बड़ी मुसीबतों का सामना करना पड़ रहा था। प्रधानमंत्री के इस कदम से उन राजनीतिक दलों और नेताओं के नरेंद्र मोदी विरोधी अभियान की हवा निकल गई है। यद्यपि कृषि कानून पूरी तरह से किसानों के पक्ष में थे और उन्हें मुख्य रूपसे मठाधीश किसानों के शोषण से बचाने वाले थे। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहाकि हम देश के किसानों को इन कानूनों के लाभ समझा नहीं पाए हैं, इसलिए इन्हें वापस लेने का निर्णय ले लिया गया है।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहाकि श्रीगुरु नानक देवजी की एक सच्चे संवेदनशील और समावेशी समाज की दृष्टि से हमें प्रेरणा मिलती है, उनसे सदैव कमजोर की रक्षा और मानवसेवा की बहुत प्रेरणा मिलती है। प्रधानमंत्री ने इस बात पर प्रसन्नता व्यक्त कीकि डेढ़ साल के अंतराल केबाद करतारपुर साहिब कॉरिडोर अब फिरसे खुल गया है। प्रधानमंत्री ने कहाकि अपने पांच दशक के सार्वजनिक जीवन में उन्होंने किसानों की चुनौतियों को बहुत करीब से देखा है, इसीलिए जब देश ने मुझे 2014 में प्रधानमंत्री के रूपमें सेवा का अवसर दिया तो हमने कृषि विकास, किसान कल्याण को सर्वोच्च प्राथमिकता दी। प्रधानमंत्री ने कहाकि देश के किसानों की हालत सुधारने केलिए हमने बीज, बीमा, बाजार और बचत इन सभी पर चौतरफा काम किया है। उन्होंने कहाकि सरकार ने बेहतर किस्म के बीज के साथही नीम कोटेड यूरिया, मृदा स्वास्थ्य कार्ड, सूक्ष्म सिंचाई जैसी सुविधाओं से भी किसानों को जोड़ा।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहाकि किसानों को उनकी मेहनत के बदले उपज की सही कीमत मिले, इसके लिए भी अनेक कदम उठाए गए हैं, देश ने अपने ग्रामीण बाजार अवसंरचना को मजबूत किया है। उन्होंने कहाकि हमने न्यूनतम समर्थन मूल्य तो बढ़ाया ही, अपितु रिकॉर्ड सरकारी खरीद केंद्र भी बनाए, सरकार द्वारा की गई उपज की खरीद ने पिछले कई दशक के रिकॉर्ड तोड़ दिए हैं। प्रधानमंत्री ने कहाकि किसानों की स्थिति को सुधारने के इसी महाअभियान में देश में तीन कृषि कानून लाए गए थे, इसका मकसद यह थाकि किसानों को खासकर छोटे किसानों को और ताकत मिले, उन्हें अपनी उपज की सही कीमत तथा उपज बेचने केलिए ज्यादा से ज्यादा विकल्प मिलें। प्रधानमंत्री ने कहाकि वर्षों से यह मांग देशके किसान, कृषि विशेषज्ञ और किसान संगठन लगातार करते रहे हैं, पहले भी कई सरकारों ने इस पर मंथन किया है, इस बार भी संसद में चर्चा हुई, मंथन हुआ और ये कानून लाए गए।
प्रधानमंत्री ने कहाकि देश के कोने-कोने में अनेक किसान संगठनों ने इसका स्वागत किया और समर्थन दिया। प्रधानमंत्री ने इस कदम का समर्थन करने के लिए उन संगठनों, किसानों और लोगों का आभार व्यक्त किया। प्रधानमंत्री ने कहाकि सरकार किसानों के कल्याण केलिए खासकर छोटे किसानों के कल्याण केलिए देश के कृषि जगत, देशहित, गांव गरीब के उज्जवल भविष्य केलिए पूरी सत्य निष्ठा से किसानों के प्रति समर्पणभाव और नेक नीयत से ये कानून लेकर आई थी। उन्होंने कहाकि हम अपने प्रयासों के बावजूद कुछ किसानों को उनके हित की बात समझा नहीं पाए, कृषि अर्थशास्त्रियों, वैज्ञानिकों, प्रगतिशील किसानों ने भी उन्हें कृषि कानूनों के महत्व को समझाने का भरपूर प्रयास किया। प्रधानमंत्री ने कहाकि हमने तीनों कृषि कानूनों को वापस लेने का निर्णय लिया है, इस महीने के अंत में शुरू होने जा रहे संसद सत्र में हम इन तीनों कृषि कानूनों को निरस्त करने की संवैधानिक प्रक्रिया को पूरा कर देंगे।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहाकि आज का दिन किसी को दोष देने का नहीं है, किसानों के कल्याण केलिए काम करने केलिए स्वयं को समर्पित करने का दिन है। उन्होंने कृषि क्षेत्र केलिए एक महत्वपूर्ण पहल की घोषणा की। उन्होंने शून्य बजट आधारित कृषि को बढ़ावा देने, देश की बदलती जरूरतों के अनुसार फसल पैटर्न बदलने, एमएसपी को अधिक प्रभावी और पारदर्शी बनाने केलिए एक समिति के गठन की भी घोषणा की। समिति में केंद्र सरकार, राज्य सरकारों, किसानों, कृषि वैज्ञानिकों और कृषि अर्थशास्त्रियों के प्रतिनिधि शामिल होंगे। गौरतलब हैकि कृषि कानूनों को मीडिया सहित राजनीतिक क्षेत्रों में किसान विरोधी कहकर उछाला गया। इसमें मीडिया का सबसे शर्मनाक पक्ष यह रहा हैकि उसने तथाकथित किसानों को हीरो बनाकर पेश किया और अपनी तरफ से ऐसी कोई पहल नहीं की कि जिससे किसानों का भ्रम दूर हो। अपवाद को छोड़कर मीडिया चैनलों ने इस आंदोलन में आग में घी का ही काम किया।

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