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Friday 26 November 2021 05:12:58 PM
नई दिल्ली। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी आज संसद में संविधान दिवस समारोह में शामिल हुए। राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद, उपराष्ट्रपति एम वेंकैया नायडू और लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला ने भी इस कार्यक्रम को संबोधित किया। राष्ट्रपति ने अपने भाषण केबाद संविधान की प्रस्तावना को पढ़ा, जिसका लाइव प्रसारण किया गया। राष्ट्रपति ने संविधान सभा वाद-विवाद का डिजिटल संस्करण, भारत के संविधान की सुलेखित प्रति का डिजिटल संस्करण और भारत के संविधान के अद्यतन संस्करण का विमोचन किया, जिसमें अब तकके सभी संशोधन शामिल हैं। उन्होंने 'संवैधानिक लोकतंत्र पर ऑनलाइन क्विज' का भी उद्घाटन किया। प्रधानमंत्री ने सभा को संबोधित करते हुए कहाकि आज का दिवस बाबासाहेब डॉ भीमराव आंबेडकर, डॉ राजेंद्र प्रसाद, बापू जैसे महानुभावों और उन सभी लोगों का नमन करने का है, आज का दिवस इस सदन को नमन करने का है।
ज्ञातव्य हैकि भारतीय संविधान 26 नवम्बर 1949 को बनकर तैयार हुआ था। नरेंद्र मोदी सरकार के प्रयासों से संविधान सभा के प्रारूप समिति के अध्यक्ष बाबासाहेब डॉ भीमराव आंबेडकर के 125वें जयंती वर्ष के रूपमें 26 नवम्बर 2015 से संविधान दिवस सम्पूर्ण भारत में मनाया जा रहा है। प्रधानमंत्री ने कहाकि ऐसे दिग्गजों के नेतृत्व में बहुत मंथन और चर्चा के बाद हमारे संविधान का अमृत उभरा। प्रधानमंत्री ने इस बात पर भी जोर दियाकि आज लोकतंत्र के इस सदन को भी नमन करने का दिन है। प्रधानमंत्री ने 26/11 के शहीदों को भी श्रद्धांजलि दी। उन्होंने कहाकि 26/11 हमारे लिए एक ऐसा दुखद दिवस है, जब देश के दुश्मनों ने देश के भीतर आकर मुंबई में आतंकवादी घटना को अंजाम दिया, देश के वीर जवानों ने आतंकवादियों से लोहा लेते हुए अपना जीवन बलिदान कर दिया, आज उन बलिदानियों को भी नमन करता हूं। प्रधानमंत्री ने कहाकि हमारा संविधान सिर्फ अनेक धाराओं का संग्रह नहीं है, हमारा संविधान सहस्त्रों वर्ष की महान परंपरा, अखंड धारा उस धारा की आधुनिक अभिव्यक्ति है। उन्होंने कहाकि संविधान दिवस को इसलिए भी मनाना चाहिए, क्योंकि यह हमें इस बात का मूल्यांकन करने का अवसर देता हैकि हमारा जो रास्ता है, वह सही है या नहीं है।
प्रधानमंत्री ने संविधान दिवस मनाने केपीछे छिपी भावना के बारे में कहाकि बाबासाहेब की 125वीं जयंती थी, हम सबको लगा इससे बड़ा पवित्र अवसर क्या हो सकता हैकि बाबासाहेब ने जो इस देश को जो नजराना दिया है, उसको हम हमेशा एक स्मृति ग्रंथ के रूपमें याद करते रहें। प्रधानमंत्री ने कहाकि बेहतर होताकि 26 जनवरी को गणतंत्र दिवस की परंपरा की स्थापना के साथ-साथ उसी समय 26 नवंबर को भी संविधान दिवस के रूपमें स्थापित कर दिया जाता। उन्होंने कहाकि परिवार आधारित पार्टियों के रूपमें भारत एक तरह के संकट की तरफ बढ़ रहा है, जो संविधान को समर्पित लोगों केलिए चिंता का विषय है, लोकतंत्र केप्रति आस्था रखने वालों केलिए चिंता का विषय है और वह है पारिवारिक पार्टियां। प्रधानमंत्री ने कहाकि योग्यता के आधार पर एक परिवार से एक से अधिक लोग जाएं, इससे पार्टी परिवारवादी नहीं बन जाती है, समस्या तब आती है, जब एक पार्टी पीढ़ी दर पीढ़ी एक ही परिवार द्वारा चलायी जाती है।
नरेंद्र मोदी ने कहाकि संविधान की भावना को भी चोट पहुंची है, संविधान की एक-एक धारा को भी चोट पहुंची है, जब राजनीतिक दल अपने आपमें अपना लोकतांत्रिक कैरेक्टर खो देते हैं। नरेंद्र मोदी ने सवाल कियाकि जो दल स्वयं लोकतांत्रिक कैरेक्टर खो चुके हों, वो लोकतंत्र की रक्षा कैसे कर सकते हैं? प्रधानमंत्री ने दोषी भ्रष्ट लोगों को भूलने और उनका महिमामंडन करने की प्रवृत्ति को लेकर भी आगाह किया। उन्होंने कहाकि हमें सुधार का अवसर देते हुए ऐसे लोगों को सार्वजनिक जीवन में महिमामंडित करने से बचना चाहिए। प्रधानमंत्री ने कहाकि महात्मा गांधी ने आजादी के आंदोलन में आधिकारों कोलिए लड़ते हुए भी कर्तव्यों केलिए तैयार करने की कोशिश की थी। उन्होंने कहाकि अच्छा होता अगर देश के आजाद होने के बाद कर्तव्य पर बल दिया गया होता, आजादी के अमृत महोत्सव में हमारे लिए आवश्यक है कि कर्तव्य के पथ पर आगे बढ़ें, ताकि अधिकारों की रक्षा हो।