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Saturday 27 November 2021 12:22:32 PM
नई दिल्ली। राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने कहा हैकि संसद की गरिमा की रक्षा करना संसद के सभी सदस्यों का धर्म है, चाहे वे सत्ता पक्ष के हों या विपक्ष के हों। वे संसद भवन के केंद्रीय कक्ष में संविधान दिवस समारोह को संबोधित कर रहे थे, जिसका आयोजन भारतीय संसदीय समूह ने किया था। राष्ट्रपति ने कहा कि संसद, भारत की लोकतांत्रिक व्यवस्था का सर्वोच्च शिखर है, यहां सांसद कानून बनाने के साथ-साथ जनहित से जुड़े मुद्दों पर चर्चा और उनके समाधान केलिए एकत्र होते हैं। उन्होंने कहाकि वास्तव में ग्राम सभा, विधानसभा और संसद के निर्वाचित प्रतिनिधियों की केवल एक ही प्राथमिकता होनी चाहिए और वह एकमात्र प्राथमिकता अपने क्षेत्रके सभी लोगों के कल्याण और राष्ट्र केहित में काम करना है। राष्ट्रपति ने कहाकि विचार को लेकर मतभेद हो सकते हैं, लेकिन कोई मतभेद इतना बड़ा नहीं होना चाहिए कि वह जनसेवा के वास्तविक उद्देश्य में बाधा बन जाए।
राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने कहाकि सत्तापक्ष और विपक्ष के सदस्यों के बीच प्रतिस्पर्धा होना स्वाभाविक है, लेकिन यह प्रतिस्पर्धा बेहतर प्रतिनिधि बनने और जनकल्याण केलिए बेहतर काम करने की होनी चाहिए, उस स्थिति में ही इसे स्वस्थ प्रतिस्पर्धा माना जाएगा। उन्होंने कहाकि संसद में प्रतिस्पर्धा को प्रतिद्वंदिता नहीं समझा जाना चाहिए, हमलोग मानते हैं कि हमारी संसद ‘लोकतंत्र का मंदिर’ है, इसे देखते हुए हर सांसद की यह जिम्मेदारी बन जाती है कि वे लोकतंत्र के इस मंदिर में उसी श्रद्धा भावना केसाथ आचरण करें, जोवे अपने पूजा-स्थलों में करते हैं। राष्ट्रपति ने कहाकि वास्तव में विपक्ष लोकतंत्र का सबसे महत्वपूर्ण हिस्सा है, प्रभावी विपक्ष केबिना लोकतंत्र निष्प्रभावी हो जाता है, यह अपेक्षा की जाती हैकि अपने मतभेदों के बावजूद सरकार और विपक्ष एकसाथ मिलकर नागरिकों के सर्वश्रेष्ठ हितों केलिए काम करते रहें। उन्होंने कहाकि हमारे संविधान निर्माताओं ने ऐसी ही कल्पना की थी और राष्ट्र निर्माण केलिए इसकी जरूरत भी है। राष्ट्रपति ने आगे कहा कि अगर संसद सदस्य अपने उत्तरदायित्व को स्वतंत्रता संघर्ष के आदर्शों के विस्तार के रूपमें देखें तो उन्हें संविधान निर्माताओं की विरासत को और अधिक मजबूत बनाने की जिम्मेदारी का अनुभव होगा। अगर वे यह महसूस करें कि उन्होंने उन स्थानों की जगह ली है।
रामनाथ कोविंद ने कहाकि जहां कभी हमारे संविधान निर्माता बैठते थे, स्वाभाविक रूपसे उन्हें एक इतिहास बोध और कर्तव्य बोध का गहरा अनुभव रहा होगा। उन्होंने चर्चाओं के डिजिटल संस्करण, संविधान के सुलेखित संस्करण और संविधान के अद्यतन संस्करण के साथ-साथ संवैधानिक लोकतंत्र पर ऑनलाइन क्विज को शुरू किए जाने पर कहाकि संविधान सभा की चर्चाओं में हमें राष्ट्र निर्माण केलिए मानवीय चिंतन और चेतना की पराकाष्ठा के दर्शन होते हैं। उन्होंने कहाकि उन चर्चाओं के डिजिटल संस्करण से केवल देशवासियों को नहीं, बल्कि पूरे विश्व को और विशेषकर युवा पीढ़ी को देश की महानता व क्षमता की जानकारी प्राप्त होगी और भविष्य के लिए मार्गदर्शन भी प्राप्त होगा, संविधान के सुलेखित संस्करण में लोगों को हमारे इतिहास व परंपरागत कहानियों के निहित हमारी कला, संस्कृति और आदर्शों की उत्कृष्टता के बेहतरीन झलक देखने को मिलेंगी, संविधान के अद्यतन संस्करण के जरिए नागरिकों, विशेषकर विद्यार्थियों को अबतक की हमारी संवैधानिक प्रगति की जानकारी प्राप्त होगी, संवैधानिक लोकतंत्र के विषय पर ऑनलाइन क्विज कराने की पहल हमारे नागरिकों, विशेषकर युवापीढ़ी के बीच संवैधानिक मूल्यों को बढ़ावा देने में बहुत प्रभावी होगी-उन्होंने कहा।
राष्ट्रपति ने कहा कि हम लोगों ने हालही में राष्ट्रपिता महात्मा गांधी की 150वीं जयंती का पूरे वर्ष समारोह मनाया है, अबहम लोग स्वतंत्रता की 75वीं वर्षगांठ मना रहे हैं। उन्होंने कहाकि यह हमसब केलिए प्रसन्नता का विषय है कि आजादी का अमृत महोत्सव के हिस्से के रूपमें आयोजित विभिन्न कार्यक्रमों में पूरे देश के लोग बढ़-चढ़कर हिस्सा ले रहे हैं। उन्होंने कहाकि आम नागरिकों के उत्साह से यह दिखता है कि उनके हृदय में उन ज्ञात और अज्ञात स्वतंत्रता सेनानियों केलिए गहरा सम्मान है, जिनके बलिदान ने हमारे लिए स्वतंत्रता की हवा में सांस लेना संभव बनाया। उन्होंने कहा कि इस तरह की ऐतिहासिक घटनाओं का स्मरण करना हमें उन मूल्यों की याद दिलाने का भी अवसर है, जिनके लिए हमारे स्वतंत्रता सेनानियों ने संघर्ष किया था। उन्होंने कहाकि न्याय, स्वतंत्रता, समानता और बंधुत्व के वे मूल्य हमारे संविधान की प्रस्तावना में निहित हैं। उन्होंने सभी से अपने दैनिक जीवन में उन महान राष्ट्रीय आदर्शों का पालन करने केलिए खुद को फिर से समर्पित करने का अनुरोध किया। उन्होंने कहाकि इन आदर्शों का पालन करने से विश्व मंच पर हमारी उपस्थिति और अधिक मजबूत और किसी भी तरह की चुनौती का सामना प्रभावी ढंग से कर सकेंगे।