स्वतंत्र आवाज़ डॉट कॉम
Tuesday 30 November 2021 02:10:36 PM
देहरादून। सीएसआईआर आईआईपी देहरादून के जैव जेट ईंधन के उत्पादन की घरेलू तकनीक को भारतीय वायुसेना के सैन्य विमानों में उपयोग केलिए औपचारिक रूपसे मंजूरी दे दी गई है। आर कमलकन्नन समूह निदेशक एटी एंड एफओएल, सेना उड़ान योग्यता और प्रमाणीकरण केंद्र यानी सीईएमआईएलएसी केद्वारा भारतीय वायुसेना के ग्रुप कैप्टन आशीष श्रीवास्तव एवं विंग कमांडर ए सचान और सीईएमआईएलएसी के आर शनमुगावेल की उपस्थिति में सीएसआईआर-आईआईपी के प्रधान वैज्ञानिक सलीम अख्तर फारूकी को प्रोविजनल क्लीयरेंस प्रमाणपत्र सौंपा गया। यह प्रमाणन विमानन जैव ईंधन क्षेत्र में भारत के बढ़ते विश्वास और आत्मनिर्भर भारत की दिशा में एक और कदम का प्रतिनिधित्व करता है।
वैज्ञानिक तथा औद्योगिक अनुसंधान परिषद की एक घटक प्रयोगशाला, भारतीय पेट्रोलियम संस्थान की विकसित प्रौद्योगिकी का पिछले तीन वर्ष मूल्यांकन, जांच और परीक्षण किया गया है। हवाई जहाजों का परीक्षण एक जटिल और बेहद सावधानीपूर्वक की जानेवाली प्रक्रिया है, इसमें उड़ान सुरक्षा के उच्चतम स्तर को सुनिश्चित करते हुए गहन जांच शामिल है। अंतर्राष्ट्रीय विमानन मानक इन कठोर आकलनों के दायरे को परिभाषित करते हैं। विमान की जीवनरेखा होने के कारण ईंधन को मानवयुक्त उड़ान मशीनों में इस्तेमाल से पहले गहन विश्लेषण की आवश्यकता होती है। सीईएमआईएलएसी प्रयोगशाला से प्राप्त प्रमाणीकरण भारतीय वायुसेना द्वारा समर्थित विभिन्न परीक्षण एजेंसियों के स्वदेशी जैव जेट ईंधन पर किए गए विभिन्न जमीनी और उड़ान परीक्षणों से प्राप्त संतोषजनक परिणामों की स्वीकृति है।
गणतंत्र दिवस समारोह के दौरान 26 जनवरी 2019 को मिश्रित जैव जेट ईंधन केसाथ एक एएन-32 विमान नई दिल्ली में राजपथ के ऊपर से उड़ा था, इसके बाद 30 जनवरी 2020 को भारतीय प्रौद्योगिकी के प्रदर्शन और विश्वसनीयता का तबभी परीक्षण हुआ, जब बेहद ऊंचे क्षेत्र में सर्दियों की कड़ी परिस्थितियों केबीच रूसी सैन्य विमान लेह हवाई अड्डे पर सुरक्षित उतरा और वहांसे सफलतापूर्वक उड़ान भरी। देहरादून से दिल्ली केलिए 27 अगस्त 2018 को स्पाइसजेट से संचालित एक नागरिक व्यवसायिक प्रदर्शन उड़ान में भी इस ईंधन का उपयोग किया गया था। हरित ईंधन केसाथ ये परीक्षण उड़ानें एक राष्ट्रीय उद्देश्य को पूरा करने केलिए भारतीय वैज्ञानिकों की क्षमताओं एवं प्रतिबद्धता और वायुसेना की सैन्य भावना को रेखांकित करती हैं। सीईएमआईएलएसी की स्वीकृति इंडियन ऑयल कॉरपोरेशन पानीपत रिफाइनरी और हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड की परीक्षण सुविधाओं सहित कई एजेंसियों के कई वर्षों के गहन शोध और सक्रिय समर्थन की पराकाष्ठा है।
भारतीय सशस्त्रबलों को यह मंजूरी अपने सभी इस्तेमाल हो रहे विमानों में स्वदेशी तकनीक का उपयोग करके उत्पादित जैव जेट ईंधन का उपयोग करने में सक्षम बनाएगी। यह प्रौद्योगिकी के जल्द व्यावसायीकरण और इसके बड़े पैमाने पर उत्पादन को भी सक्षम करेगा। भारतीय जैव जेट ईंधन का उत्पादन इस्तेमाल किए गए खाना पकाने के तेल, पेड़ से उत्पन्न तेल, किसानों द्वारा गैर मौसमी और कम समय में तैयार होनेवाली तिलहन फसलों और खाद्य तेल प्रसंस्करण इकाइयों से निकले अपशिष्ट से किया जा सकता है। यह पारंपरिक जेट ईंधन की तुलना में अपने बेहद निचले स्तर के सल्फर तत्व के कारण वायु प्रदूषण को कम करेगा और भारत के शुद्ध शून्य ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन लक्ष्यों में योगदान देगा। यह अखाद्य तेलों के उत्पादन, संग्रह और तेल निकालने में लगे किसानों और आदिवासियों की आजीविका को भी बढ़ाएगा।