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Tuesday 7 December 2021 03:32:23 PM
नई दिल्ली। ऐसा महसूस किया जा रहा थाकि उन युवा वकीलों को भी यह अवसर दिया जाना चाहिए, जो नोटरी पब्लिक बनना चाहते हैं, ताकि उन्हें अपनी पेशेवराना कुशलता बढ़ाने में मदद मिले और वे ज्यादा कारगर तरीके से कानूनी सहायता दे सकें। इसे ध्यान में रखते हुए यह प्रस्ताव किया गया हैकि नोटरियों का कुल कार्यकाल पंद्रह वर्ष तक सीमित कर दिया जाए। पहली नियुक्ति पांच वर्ष केलिए और नवीनीकरण पांच-पांच वर्ष केलिए दो बार किया जाए। इस तरह असीमित नवीनीकरण को खत्म करने का प्रस्ताव किया गया है, ताकि युवा वकीलों को नोटरी के रूपमें काम करने का मौका मिल सके। सरकार के इस प्रस्ताव के जरिए नोटरी पब्लिक का काम करने वाले वकीलों का बेहतर विकास होगा और काम नियमबद्ध तरीके से होगा। इसके जरिये वकालत के पेशे की जरूरतें भी पूरी हो सकेंगी।
गौरतलब हैकि नोटरियों का पेशा नियमबद्ध करने केलिए संसद में नोटरी अधिनियम-1952 को कानून का दर्जा दिया गया था। इस अधिनियम के तहत केंद्र सरकार केसाथ राज्य सरकारों को यह अधिकार हैकि वे निर्धारित योग्यता रखने वाले व्यक्तियों को नोटरी के रूपमें नियुक्त कर सकती हैं। नोटरी अधिनियम-1952 और नियमों के मौजूदा प्रावधानों के तहत नोटरियों के काम करने के प्रमाणपत्र के नवीनीकरण की कोई बाध्यता नहीं थी। एकबार नोटरी नियुक्त हो जाने केबाद उनका नवीनीकरण असीमित बार किया जा सकता था। केंद्र सरकार और राज्य सरकारों द्वारा नियुक्त नोटरियों की संख्या तय होती है, जैसाकि नोटरी नियमावली-1956 की अनुसूची में दिया गया है। इसके अलावा इन नोटरियों को एक खास क्षेत्र में नियुक्त किया जाता है, जिसके तहत यह ध्यान रखा जाता हैकि उस विशेष स्थान पर नोटरियों की क्या व्यापारिक आवश्यकता और जरूरत है। ऐसा इसलिए किया जाता है, ताकि नोटरियों की भरमार न हो जाए।
नोटरी संशोधन विधेयक का मसौदा हितधारकों की सलाह केलिए जारी किया गया है। नोटरियों के हितों की रक्षा करने और नोटरियों की किसी भी प्रकार की कमी से बचने के लिए प्रस्ताव किया गया हैकि तीसरे या उससे अधिक कार्यकाल के प्रमाणपत्र के नवीनीकारण के जो आवेदन मिले हों तथा जिनकी वैधानिकता नोटरी अधिनियम-2021 के लागू होने के पहले समाप्त हो रही हो, उन आवेदनों पर विचार किया जाएगा। नोटरी अधिनियम-2021 के लागू होने के पहले जिन नोटरियों के प्रमाणपत्रों का नवीनीकरण होकर उन्हें जारी किया जा चुका है, वे भी उस नवीनीकरण के समाप्त होने की तारीख तक वैध माने जाएंगे। नोटरी अधिनियम-1952 की धारा 10 केतहत सक्षम सरकार को यह अधिकार हैकि वह नोटरी रजिस्टर से नोटरी पब्लिक का नाम हटा सकती है। यह कदम उस समय उठाया जा सकता है, जब नोटरी पर निर्धारित मानकों के तहत जांच चल रही हो, उसे अपने पेशे के साथ कदाचार का दोषी पाया गया हो या सरकार की दृष्टि में वह गलत आचरण का दोषी हो। इन मामलों में सरकार अगर उसे नोटरी के रूपमें काम करने के अयोग्य मान लेगी तो उसे हटाया जा सकता है।
बहरहाल नोटरी अधिनियम में ऐसा कोई प्रावधान नहीं है, जिसके तहत उस नोटरी का प्रमाणपत्र निलंबित किया जा सके, जिसके खिलाफ शिकायत मिली हो या जांच अधूरी हो। परिणामस्वरूप कुछ मामलों में प्रथम दृष्टया कदाचार का मामला बनने पर भी नोटरी जांच चलने के दौरान अपने काम पर बना रहता है। नोटरी अधिनियम-1952 में यह प्रावधान करने का प्रस्ताव है कि सक्षम सरकार उस नोटरी पब्लिक का प्रमाणपत्र निलंबित कर सकती है, जिसके खिलाफ कदाचार की शिकायत मिली हो। सरकार जांच चलने की अवधि तक कार्रवाई कर सकती है। यह जरूरत भी महसूस की गई कि डिजिटलीकरण की शुरुआत हो जाने पर नोटरी पब्लिक के दस्तावेजों का भी डिजिटलीकरण किया जाए और उन्हें डिजिटल स्वरूप में सुरक्षित किया जाए, जैसाकि नियमों में दिया गया हो। इसका मकसद यही हैकि नोटरी कार्रवाई के दौरान कदाचार को रोका जा सके और आम जनता के हितों की रक्षा हो सके। इस उद्देश्य केलिए नोटरियों के कार्यों के डिजिटलीकरण का प्रस्ताव किया गया है।
नोटरी विधेयक की मुख्य विशेषताएं हैं-विधेयक के मसौदे में नोटरी के कामकाज सम्बंधी प्रमाणपत्रों के नवीनीकरण को सीमित करने का प्रस्ताव है यानी पांच वर्ष की मूल नियुक्ति केबाद पांच-पांच वर्ष के दो नवीनीकरण होंगे। काम करने का प्रमाणपत्र निलंबित करने का प्रस्ताव है, बशर्तेकि कदाचार का मामला बनता हो। यह जांच सक्षम सरकार करेगी। नोटरियों के कामकाज का डिजिटलीकरण होगा। विधायीपूर्व परामर्श प्रक्रिया के सिलसिले में विधेयक के मसौदे की प्रति को विधिकार्य विभाग की वेबसाइट https://legalaffairs.gov.in पर अपलोड किया गया है। इसपर टिप्पणियां या विचार 15 दिसंबर 2021 तक दिए जा सकते हैं।