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Wednesday 8 December 2021 12:51:30 PM
नई दिल्ली। नीति आयोग के उपाध्यक्ष डॉ राजीव कुमार ने नीति आयोग के सदस्य डॉ वीके सारस्वत, नीति आयोग के मुख्य कार्यकारी अधिकारी अमिताभ कांत, भारत में स्विट्जरलैंड के राजदूत डॉ राल्फ हेकनर, विकास और सहयोग केलिए स्विस एजेंसी की प्रमुख कोरिन डेमेंगे तथा अंतर्राष्ट्रीय जल प्रबंधन संस्थान के प्रतिनिधि डॉ आलोक सिक्का की उपस्थिति में भारतीय हिमालयी क्षेत्र में स्प्रिंगशेड प्रबंधन पर संसाधन पुस्तक का विमोचन किया। पुस्तक को नीति आयोग ने एसडीसी और आईडब्ल्यूएमआई के सहयोग से विकसित किया है। नीति आयोग के उपाध्यक्ष डॉ राजीव कुमार ने कहाकि हिमालय के झरने, पहाड़ों और पहाड़ी पारिस्थितिकी तंत्र में रहने वाले हमारे नागरिकों केलिए पानी का एक महत्वपूर्ण स्रोत हैं। उन्हें संरक्षित करने की तत्काल आवश्यकता है, खासकर अब जब जलवायु परिवर्तन के प्रभावों को तेजीसे महसूस किया जा रहा है। यह संसाधन पुस्तक पर्वतीय झरनों के पुनरुद्धार एवं संरक्षण पर व्यावहारिक मार्गदर्शन प्रदान करती है। डॉ राजीव कुमार ने कहाकि हिमालयी राज्यों में जमीनी कार्यकर्ताओं द्वारा इसे अपनाने केलिए इसका हिंदी अनुवाद किया जाना चाहिए।
भारत में स्विट्जरलैंड के राजदूत डॉ राल्फ हेकनर ने कहाकि पर्वतीय समुदायों की जल सुरक्षा में झरनों की महत्वपूर्ण भूमिका को देखते हुए उनका पुनरुद्धार और टिकाऊ प्रबंधन अधिक ध्यान देने योग्य है। उन्होंने कहाकि दस्तावेज़ विशेष रूपसे प्रासंगिक है, क्योंकि यह समुदायों और विशेषज्ञों केसाथ समान रूपसे बातचीत से उभरकर सामने आया है। नीति आयोग के सलाहकार अविनाश मिश्रा ने दस्तावेज़ को एक संसाधन पुस्तक के रूपमें पेश किया, जो पर्वतीय समुदायों की जल सुरक्षा बढ़ाने केलिए भारतीय हिमालयी क्षेत्र में स्प्रिंगशेड प्रबंधन में सर्वोत्तम प्रथाओं पर एक संक्षिप्त मार्गदर्शक दस्तावेज़ है। उन्होंने बतायाकि विभिन्न मॉडलों और स्प्रिंगशेड प्रबंधन के सामाजिक, जल विज्ञान, संस्थागत तथा अन्य पहलुओं पर उनके प्रभाव को समझने केलिए संकलित सर्वोत्तम प्रथाओं को आईएचआर राज्यों में सामुदायिक बातचीत केसाथ स्वीकार किया गया था। यह रिसोर्स बुक हिमालय में जलवायु परिवर्तन अनुकूलन को मजबूत करना परियोजना केतहत आईडब्ल्यूएमआई और एसडीसी के सहयोग से नीति आयोग द्वारा विकसित स्प्रिंगशेड प्रबंधन में सर्वोत्तम कार्यप्रणालियों पर एक संक्षिप्त मार्गदर्शक दस्तावेज है।
भारतीय हिमालयी क्षेत्र में स्प्रिंगशेड प्रबंधन में सर्वोत्तम कार्यप्रणालियों के एक सेट में अपने विविध अनुभवों एवं दृष्टिकोणों को सारांशित करने केलिए विभिन्न विशेषज्ञों और चिकित्सकों का साक्षात्कार लिया गया है, इसके बाद ऑनलाइन सर्वेक्षण, इलाकों का दौरा तथा हितधारकों केसाथ एक राष्ट्रीय परामर्श कार्यशाला का आयोजन किया गया। झरने आईएचआर में 90 प्रतिशत से अधिक ग्रामीण समुदायों केलिए प्राथमिक जल स्रोत हैं, हालांकि झरनों की गिरावट और बड़े हिमालयी भूजल प्रणालियों पर चिंता बढ़ रही है, जिससे पहाड़ी आबादी तथा पूरे भारतीय-गंगा मैदानों की जल सुरक्षा को खतरा है। जलविज्ञान के सिद्धांतों का उपयोग करते हुए स्प्रिंग पुनरुद्धार के प्रयास हिमालय में कई नागरिक समाज संगठनों और सरकारी एजेंसियों द्वारा स्प्रिंगशेड प्रबंधन का व्यापक रूपसे स्वीकृत मॉडल बन गए हैं। यह पुस्तक आईएचआर और पड़ोसी देश नेपाल तथा भूटान में विभिन्न एजेंसियों द्वारा पुनरुद्धार प्रयासों के एक दशक से अधिक समय से प्रक्रियाओं, विधियों एवं सीखने पर उपयोग में आसान दस्तावेज़ का निर्माणकार्य है।
सर्वोत्तम कार्यप्रणालियों से प्रमुख सिफारिशें इस प्रकार हैं-एक राष्ट्रीय स्प्रिंग्स मिशन भारत में बेहतर समन्वय, कुशल निष्पादन और स्प्रिंगशेड प्रबंधन पहलों को बढ़ाने की सुविधा प्रदान करेगा। यह एक ही छत के नीचे राज्य सरकार की एजेंसियों, सीएसओ तथा अन्य हितधारकों के सीखने और अनुभवों को समेकित, अभिसरण एवं तालमेल कर सकता है और मौजूदा तथा आनेवाले पेशेवरों केलिए राष्ट्रीय या क्षेत्रीय स्तर के निर्णय समर्थन प्रणाली विकसित करने में मदद कर सकता है। विभिन्न एजेंसियों के एकत्र स्प्रिंगशेड से संबंधित डेटा पर एक राष्ट्रीय डिजिटल डेटाबेस बनाने से पहुंच और अकादमिक अनुसंधान में आसानी होगी। इसके अलावा डेटा को एक ऑनलाइन पोर्टल में एकीकृत किया जा सकता है तथा स्थानीय समुदायों सहित सभी हितधारकों केलिए खुली पहुंच साझा करने की सुविधा प्रदान की जा सकती है। राज्य और राष्ट्रीय स्तर के विज्ञान-नीति-अभ्यास कंसोर्टियम केलिए नए एवं सहायक उपाय तैयार करना, सभी हितधारकों के अनुभव साझा करने, पूरक ज्ञान सृजन, हस्तांतरण एवं क्षमता निर्माण की सुविधा प्रदान करेगा।