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Friday 10 December 2021 02:43:21 PM
नई दिल्ली। राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने आज मानवाधिकार दिवस कार्यक्रम को संबोधित करते हुए कहा हैकि मानवाधिकार दिवस का अवसर हमें इस बात पर चिंतन करने का अवसर प्रदान करता हैकि मानव होने का क्या अर्थ है और मानवजाति की बुनियादी गरिमा को बढ़ाने में हमारी भूमिका क्या है? राष्ट्रपति ने कहाकि हमारे अधिकार हमारी साझा जिम्मेदारी है। राष्ट्रपति ने कहाकि मानवाधिकारों की सार्वभौम घोषणा उन अधिकारों और स्वतंत्रताओं की एक श्रृंखला का वर्णन करती है, जिनका प्रत्येक मनुष्य हकदार है, ये अहस्तांतरणीय अधिकार हैं, जो पूरी तरह से इस तथ्यपर निर्भर करते हैंकि प्रत्येक व्यक्ति मानवता का है, चाहे वह जातीयता, लिंग, राष्ट्रीयता, धर्म, भाषा और अन्य विभाजनों से परे हो। उन्होंने कहाकि घोषणा केसाथ वैश्विक समुदाय ने बुनियादी मानवीय गरिमा को औपचारिक मान्यता दी, हालांकि यह सदियों से हमारी आध्यात्मिक परंपराओं का हिस्सा रहा है।
राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने कहाकि इसवर्ष के मानवाधिकार दिवस कार्यक्रम की थीम 'समानता' है। उन्होंने कहाकि सार्वभौम घोषणा के अनुच्छेद 1 में कहा गया हैकि सभी मनुष्य स्वतंत्र, गरिमा और अधिकारों में समान पैदा हुए हैं, समानता मानव अधिकारों की आत्मा है, जबकि गैर-भेदभाव मानव गरिमा के पूर्ण सम्मान केलिए पहली शर्त है। उन्होंने कहाकि दुर्भाग्य से वे व्यक्तियों की क्षमता की पूर्ण प्राप्ति में बाधा डालते हैं और इस प्रकार समग्र रूपसे समाज के हित में नहीं हैं। रामनाथ कोविंद ने कहाकि मानवाधिकार दिवस हमारे लिए सामूहिक रूपसे विचार करने और ऐसे पूर्वाग्रहों को दूर करने के तरीके खोजने का आदर्श अवसर है, जो केवल मानवता की प्रगति में बाधा डालते हैं। राष्ट्रपति ने कहाकि इस दिन दुनिया को 'स्वस्थ पर्यावरण और जलवायु न्याय के अधिकार' पर भी बहस और चर्चा करनी चाहिए। उन्होंने कहाकि प्रकृति के क्षरण से जलवायु में अपरिवर्तनीय परिवर्तन हो रहे हैं और हम पहले सेही इसके हानिकारक प्रभाव को देख रहे हैं।
रामनाथ कोविंद ने कहाकि दुनिया इसकी वास्तविकता केप्रति जाग रही है, लेकिन निर्णायक परिवर्तन का संकल्प अभी तक नहीं बनाया है। राष्ट्रपति को यह जानकर खुशी हुईकि भारत ने घरेलू और वैश्विक जलवायु सम्मेलन में पहल की है, जो ग्रह के स्वास्थ्य को बहाल करने में एक लंबा रास्ता तय करेगा तथा अंतर्राष्ट्रीय सौर गठबंधन में भारत का नेतृत्व और हरित ऊर्जा को बढ़ावा देने के उपायों की एक श्रृंखला विशेष रूपसे प्रशंसनीय है। राष्ट्रपति ने कहाकि मानवता इतिहास की सबसे भीषण महामारी से जूझ रही है, जबकि महामारी अभी खत्म नहीं हुई है और यह मानवजाति से एक कदम आगे है, दुनिया ने अबतक विज्ञान और वैश्विक साझेदारी में अपना विश्वास रखकर इसका जवाब दिया है। उन्होंने कहाकि महामारी मानवता को सार्वभौमिक रूपसे प्रभावित करती है, यह भी देखा जाता है कि समाज के कमजोर वर्गों पर इसका प्रतिकूल प्रभाव पड़ता है, इस संदर्भ में भारत चुनौतियों केबावजूद टीके की मुफ्त और सार्वभौमिक उपलब्धता की नीति अपनाकर लाखों लोगों की जान बचाने में सक्षम रहा है।
रामनाथ कोविंद ने कहाकि सबसे बड़े टीकाकरण अभ्यास केसाथ सरकार इसके खिलाफ सुरक्षा प्रदान करने में भी सक्षम रही है। उन्होंने कोरोना महामारी से जंग में डॉक्टरों, मेडिकल स्टाफ और अग्रिम पंक्ति के योद्धाओं की तारीफ की। राष्ट्रपति ने कहाकि इस अदृश्य दुश्मन के खिलाफ लड़ाई में कई झटके लगे हैं, कुछ अधिक कठिन समय के दौरान सरकार के संस्थानों ने ऐसी स्थिति का जवाब देने की पूरी कोशिश की, जिसके लिए कोई भी तैयारी पर्याप्त नहीं हो सकती थी। उन्होंने कहाकि राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग ने महामारी से प्रभावित समाज के कमजोर और हाशिए वर्गों के अधिकारों केलिए अपनी गहरी चिंता केसाथ कई सुझाव दिए, जिससे हमारी प्रतिक्रिया में सुधार करने में मदद मिली। उन्होंने कहाकि राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग ने मानवाधिकारों को मजबूत करने केलिए नागरिक समाज, मीडिया और व्यक्तिगत कार्यकर्ताओं सहित अन्य हितधारकों केसाथ उल्लेखनीय कार्य किए हैं।