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Friday 10 December 2021 02:50:48 PM
नई दिल्ली। मुख्य चुनाव आयुक्त सुशील चंद्रा ने नई दिल्ली में इंडिया इंटरनेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ डेमोक्रेसी एंड इलेक्शन मैनेजमेंट में भारतीय राजस्व सेवा के प्रशिक्षु अधिकारियों के 74वें बैच को संबोधित किया और कहाकि दृढ़ संकल्प प्रतिबद्धता और निष्पक्षता सिविल सेवाओं के आदर्श हैं। उन्होंने कहाकि सिविल सेवाएं हमें देश की सेवा करने की आकांक्षाओं को पूरा करने और अपनी प्रतिभा का उपयोग करने का अवसर प्रदान करती हैं। सुशील चंद्रा ने युवाओं को उत्कृष्टता को अपनी एक आदत बनाने और ईमानदारी एवं समर्पण केसाथ देश की सेवा करने की सलाह दी। उन्होंने प्रशिक्षु अधिकारियों से ईमानदार करदाताओं केसाथ और अधिक मित्रतापूर्ण व्यवहार करने एवं कर की चोरी करने वालों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई करने का आग्रह किया।
केंद्रीय प्रत्यक्ष कर बोर्ड के अध्यक्ष के रूपमें अपने कार्यकाल में शुरू की गईं विभिन्न पहलों को याद करते हुए मुख्य चुनाव आयुक्त सुशील चंद्रा ने ने सुशासन केलिए प्रणालीगत बदलाव लाने की जरूरत पर जोर दिया। उन्होंने चुनाव लड़ने वाले उम्मीदवारों के नामांकनपत्र केसाथ जमा की जानेवाली सभी परिसंपत्तियों और देनदारियों के विवरण की घोषणा के प्रारूप के तौरपर फॉर्म 26 में 2018 में किए गए व्यापक संशोधन की महत्वपूर्ण भूमिका का उल्लेख किया। उन्होंने कहाकि राष्ट्रीय प्रत्यक्ष कर अकादमी के सहयोग से आईआईआईडीईएम के भारतीय राजस्व सेवा के 74वें बैच के 61 प्रशिक्षु अधिकारियों केलिए यह विशिष्ट कार्यक्रम अपनी तरह का पहला प्रशिक्षण मॉड्यूल है। सुशील चंद्रा ने कहाकि प्रशिक्षु आईआरएस अधिकारियों का यह बैच किसीभी ग्रुप-ए सेवा का दूसरा बैच है, जिसे इसके परिवीक्षाधीन प्रशिक्षण कार्यक्रम के एक अभिन्न अंग के रूपमें चुनावी प्रक्रिया केबारे में प्रशिक्षित किया जा रहा है।
मुख्य चुनाव आयुक्त सुशील चंद्रा ने इस बात पर प्रकाश डालाकि खर्च की निगरानी, वित्त एवं लेखा से संबंधित अपने गहन ज्ञान की वजह से आईआरएस अधिकारी निर्वाचन आयोग की चुनाव निगरानी प्रक्रिया की एक अहम कड़ी साबित हुए हैं। चुनाव के दौरान खर्च की निगरानी के महत्व को स्वीकार करते हुए सुशील चंद्रा ने कहाकि निर्वाचन आयोग देश में स्वतंत्र, निष्पक्ष और प्रलोभन मुक्त चुनाव सुनिश्चित करने केलिए प्रतिबद्ध है। उन्होंने कहाकि व्यय प्रेक्षक के रूपमें कई आईआरएस अधिकारी यह सुनिश्चित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैंकि धनबल चुनाव लड़ने वाले उम्मीदवारों केबीच समान अवसर की व्यवस्था को प्रभावित न कर पाए। विशेष व्यय पर्यवेक्षकों की तैनाती से जुड़े अपने अनुभवों को साझा करते हुए उन्होंने बतायाकि हाल के कुछ चुनाव को वास्तव में वरिष्ठ आईआरएस अधिकारियों की निभाई गई सतर्क भूमिका के कारण रद्द कर दिया गया।
सुशील चंद्रा ने युवा अधिकारियों से कहाकि वे अपने कर्तव्यों का ईमानदारी से निर्वहन करें, ताकि वे भी एक अनुकरणीय भूमिका निभा सकें और अपनी विशेषज्ञता से स्वतंत्र, निष्पक्ष एवं पारदर्शी चुनाव सुनिश्चित करने में योगदान दे सकें। मुख्य चुनाव आयुक्त ने कहाकि प्रभावी निगरानी की वजह से हालही में असम, पश्चिम बंगाल, तमिलनाडु, केरल और पुडुचेरी में हुए विधानसभा चुनाव में रिकॉर्ड स्तर पर बरामदगी हुई है। उन्होंने कहाकि अधिकारियों के ठोस प्रयासों और कड़ी निगरानी के परिणामस्वरूप 2021 में बरामदगी में भारी वृद्धि हुई, जोकि 2016 में इन राज्यों में हुए पिछले चुनाव में बरामदगी के आंकड़ों से 4.5 गुना से अधिक थी। सुशील चंद्रा ने कहाकि चुनाव आयोग केसाथ आईआरएस अधिकारियों की भागीदारी में हुई वृद्धि का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता हैकि केंद्रीय प्रत्यक्ष कर बोर्ड ने इस साल सितंबर में चुनाव लड़ने वाले उम्मीदवारों के दायर हलफनामों में गलत जानकारी की जांच के लंबित मामलों के निपटारे में तेजी लाने और राजनीतिक दलों के योगदान एवं वार्षिक रिपोर्ट का विश्लेषण करने केलिए एक अलग चुनाव प्रकोष्ठ बनाया है।
यह प्रशिक्षण पाठ्यक्रम भविष्य में चुनाव प्रक्रिया में आईआरएस अधिकारियों की भूमिका केबारे में जानकारी के साथ-साथ निर्वाचन आयोग की भूमिका और उसके कार्यों का एक संक्षिप्त विवरण प्रस्तुत करता है। चुनाव प्रणाली को ठीक से समझाने केलिए इस प्रशिक्षण कार्यक्रम केतहत प्रशिक्षु अधिकारियों केलिए कक्षा या ऑनलाइन सत्र और क्षेत्र का दौरा आयोजित किया जाता है। इस अवसर पर केंद्रीय प्रत्यक्ष कर बोर्ड में प्रधान महानिदेशक (मानव संसाधन विकास) स्मिता झिंगरान और आईआईआईडीईएम, ईसीआई एवं एनएडीटी के वरिष्ठ अधिकारी भी उपस्थित थे।