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बीआरओ के पुल-सड़क राष्ट्र को समर्पित

'सड़क परियोजनाएं बीआरओ की प्रतिबद्धता का प्रतिबिंब हैं'

रक्षामंत्री राजनाथ सिंह ने किया दिल्ली से वर्चुअल उद्घाटन

स्वतंत्र आवाज़ डॉट कॉम

Wednesday 29 December 2021 01:14:15 PM

rajnath singh, bro's bridge-roads dedicated to the nation

नई दिल्ली। रक्षामंत्री राजनाथ सिंह ने चार राज्यों तथा दो केंद्रशासित प्रदेशों में 24 पुलों और तीन सड़कों को दिल्ली से वर्चुअल माध्यम से राष्ट्र को समर्पित किया। सीमा सड़क संगठन के बनाए इन 24 पुलों में से नौ जम्मू और कश्मीर में हैं, लद्दाख एवं हिमाचल प्रदेश में पांच-पांच, उत्तराखंड में तीन तथा सिक्किम व अरुणाचल प्रदेश में एक-एक पुल हैं, जबकि तीन सड़कों में से दो लद्दाख में और एक पश्चिम बंगाल में तैयार की गई है। बीआरओ के कार्यक्रम का मुख्य आकर्षण भारत के पहले स्वदेशी श्रेणी 70 140-फीट डबल लेन वाले मॉड्यूलर ब्रिज का उद्घाटन था, जिसे सिक्किम के फ्लैग हिल डोकला और चिसुमले-डेमचोक रोड पर 11,000 फीट की ऊंचाई पर और लद्दाख में 19,000 फीट से अधिक की ऊंचाई पर उमलिंग ला दर्रे पर बनाया गया है, यह दुनिया की सबसे ऊंची मोटर चलाने योग्य सड़क होने का गिनीज़ वर्ल्ड रिकॉर्ड भी रखता है।
रक्षामंत्री राजनाथ सिंह ने इस अवसर पर इन परियोजनाओं को सीमावर्ती इलाकों की प्रगति केलिए बीआरओ की प्रतिबद्धता का प्रतिबिंब बताया और विश्वास व्यक्त कियाकि ये निर्माण कार्य नए भारत के विकास में एक लंबा रास्ता तय करेंगे। उन्होंने कहाकि उमलिंग-ला दर्रे पर बनी हुई सड़क सशस्त्र बलों की तेज आवाजाही, पर्यटन को बढ़ावा देने और क्षेत्र के सामाजिक एवं आर्थिक विकास को सुनिश्चित करेगी। रक्षामंत्री ने कहाकि सीमावर्ती क्षेत्रों में सड़कें सामरिक जरूरतों को पूरा करती हैं और देश के विकास में दूरदराज के क्षेत्रों की समान भागीदारी सुनिश्चित करती हैं। उन्होंने शून्य से नीचे के तापमान और ऊंचाई की चुनौतियों के बावजूद इस उपलब्धि को हासिल करने में अपनी दृढ़ता केलिए बीआरओ की सराहना की। रक्षामंत्री ने स्वदेशी डबल लेन मॉड्यूलर ब्रिज को आत्मनिर्भरता का एक शानदार उदाहरण बताया और इस तथ्य की सराहना कीकि इसे बेहद कम लागत पर तैयार किया गया है तथा जरूरत पड़ने पर इसे आसानी से तोड़ा जा सकता है। उन्होंने कहाकि मेक इन इंडिया का उद्देश्य प्राप्त करने के मार्ग में ये मील का पत्थर हैं, ये सीमावर्ती क्षेत्रों में तेजी से संपर्क प्रदान करने के सरकार के संकल्प का प्रतीक भी हैं।
ई-उद्घाटन ने बीआरओ की निष्पादित बुनियादी ढांचा परियोजनाओं की संख्या को एक ही कामकाजी सत्र में रिकॉर्ड 102 तक पहुंचा दिया है, यह उपलब्धि भारत की स्वतंत्रता के 75वें वर्ष में हासिल की गई है। बीआरओ ने रिकॉर्ड समय-सीमा में निर्माण कार्य पूरा कर लिया है, जिनमें से अधिकांश परियोजनाओं में अत्याधुनिक तकनीक का इस्तेमाल किया गया है। इससे पहले इसी वर्ष जून महीने में राजनाथ सिंह ने आजादी के अमृत महोत्सव केतहत स्वतंत्रता के 75वें वर्ष में 12 सड़कों और 63 पुल कुल मिलाकर 75 परियोजनाओं को राष्ट्र को समर्पित किया था। राजनाथ सिंह ने सीमावर्ती क्षेत्रों में सड़कों, राजमार्गों, सुरंगों एवं पुलों के निर्माण को एक मजबूत तथा समृद्ध राष्ट्र के निर्माण केलिए महत्वपूर्ण बताते हुए कहाकि जो देश अपने मार्ग स्वयं विकसित करता है, वह दुनिया को रास्ता दिखाता है। उन्होंने दूर-दराज के क्षेत्रों के लोगों की सामाजिक एवं आर्थिक स्थिति में लगातार सुधार करके और देश को अपनी सुरक्षा, संचार तथा व्यापार उद्देश्यों को प्राप्त करने में मदद करके राष्ट्र निर्माण में बीआरओ के योगदान की सराहना की।
राजनाथ सिंह ने अटल सुरंग, कैलाश मानसरोवर सड़क हाल ही में 54 पुलों का उद्घाटन और सड़क सुरक्षा तथा सड़क, पुल, सुरंग, हवाई क्षेत्र' पर उत्कृष्टता केंद्रों की स्थापना सहित बीआरओ की उपलब्धियों का विशेष तौरपर उल्लेख किया। रक्षामंत्री ने कहा कि देश की सुरक्षा जरूरतों को ध्यान में रखते हुए सरकार ने सीमावर्ती क्षेत्रों में बुनियादी ढांचे के विकास को सर्वोच्च प्राथमिकता दी है, इस तरह से देश के आंतरिक भागों को मजबूत करने पर ध्यान केंद्रित किया गया है। उन्होंने बताया कि हमने हाल ही में उत्तरी क्षेत्र में अपने प्रतिद्वंदी का सामना धैर्य और दृढ़ संकल्प केसाथ किया है, जो समुचित ढांचागत विकास के बिना संभव नहीं हो सकता था। उन्होंने कहाकि बीआरओ पूरी निष्ठा केसाथ अपने कर्तव्यों का निर्वहन कर रहा है, आज के अनिश्चित समय में सीमावर्ती क्षेत्रों में मजबूत बुनियादी ढांचे की आवश्यकता है, क्योंकि यह रणनीतिक क्षमताओं को मजबूत तथा बेहतर बनाता है। रक्षामंत्री ने कहा कि जैसे-जैसे हम अपनी सीमा के बुनियादी ढांचे को सशक्त करने की दिशा में आगे बढ़ते हैं, वैसेही हमें अपनी निगरानी प्रणाली को भी विकसित करना होगा।
रक्षामंत्री ने कहाकि सीमावर्ती क्षेत्रों में घुसपैठ, झड़प, अवैध व्यापार तथा तस्करी आदि की समस्या अक्सर बनी रहती है और इसे देखते हुए सरकार ने कुछ समय पहले व्यापक एकीकृत सीमा प्रबंधन प्रणाली शुरू की थी। राजनाथ सिंह ने सीमावर्ती क्षेत्रों को विकसित करने और बीआरओ को आवश्यक बुनियादी ढांचे से लैस करने के दृष्टिकोण केलिए पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी और पूर्व रक्षामंत्री अरुण जेटली को भी याद किया। उन्होंने कहाकि सरकार ने पिछले छह-सात वर्ष में बीआरओ को मजबूत करने केलिए अनेक कदम उठाए हैं, जिसमें उसका बजट तीन से चार गुना बढ़ाना प्रमुख रूपसे शामिल है। रक्षामंत्री ने बीआरओ कर्मियों के कल्याण के उद्देश्य से की गई पहल केलिए सीमा सड़क संगठन की सराहना की। इनमें उच्च ऊंचाई वाले क्षेत्रों में अच्छी गुणवत्ता वाले आवास, जैकेट और राशन प्रदान करने केलिए का एक विशेष अभियान शामिल है, इसके अलावा निर्माण श्रमिकों के वेतन में वृद्धि, बेहतर स्वास्थ्य सुविधाएं तथा कर्मियों के लिए टीकाकरण भी सुनिश्चित किया गया है। उन्होंने कहाकि यह देश के प्रति बीआरओ की जिम्मेदारी और बीआरओ के प्रति सरकार के सहयोग को दर्शाता है।
रक्षामंत्री ने सीमावर्ती क्षेत्रों में पर्यटन को बढ़ावा देने और सशस्त्र बलों के कर्मियों की सुविधा केलिए आजादी के अमृत महोत्सव समारोह के हिस्से के रूपमें 75 स्थानों पर 'बीआरओ कैफे' स्थापित करने की घोषणा की। ये कैफे स्थानीय परंपराओं एवं भोजन, पार्किंग, बैठने की जगह, स्मारिका दुकानों, चिकित्सा निरीक्षण कक्ष तथा फोटो गैलरी प्रदर्शन जैसी सुविधाओं को उपलब्ध कराएंगे। राजनाथ सिंह ने कहाकि यह पर्यटन और क्षेत्रीय संस्कृति को बढ़ावा देगा तथा स्थानीय लोगों को रोज़गार अवसर प्रदान करके उनकी सामाजिक एवं आर्थिक स्थिति में सुधार करेगा। इस अवसर पर विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी मंत्रालय में राज्यमंत्री (स्वतंत्र प्रभार) डॉ जितेंद्र सिंह, थल सेनाध्यक्ष जनरल एमएम नरवणे, सीमा सड़क संगठन के महानिदेशक लेफ्टिनेंट जनरल राजीव चौधरी, रक्षा मंत्रालय के वरिष्ठ अधिकारी उपस्थित थे। कार्यक्रम में हिमाचल प्रदेश के मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर, उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी, अल्पसंख्यक मामलों के राज्यमंत्री जॉन बारला, जम्मू और कश्मीर के उपराज्यपाल मनोज सिन्हा, लद्दाख के उपराज्यपाल आरके माथुर, सिक्किम सरकार में सड़क एवं सेतु मंत्री समदुप लेपचा, सांसद तीरथ सिंह रावत, चिनार कोर के जनरल-ऑफिसर-कमांडिंग लेफ्टिनेंट जनरल डीपी पांडे और बीआरओ के जवानों ने वर्चुअल रूपसे भाग लिया।

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