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Monday 24 January 2022 12:03:36 PM
नई दिल्ली। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने नेताजी सुभाषचंद्र बोस की 125वीं जयंती पर इंडिया गेट पर समारोहपूर्वक उनकी होलोग्राम प्रतिमा का अनावरण किया और कहाकि नेताजी की भव्य प्रतिमा डिजिटल स्वरूप में इंडिया गेट पर स्थापित हो गई है, जल्द ही इस होलोग्राम प्रतिमा के स्थान पर ग्रेनाइट की विशाल प्रतिमा लगेगी। उन्होंने कहाकि यह प्रतिमा आज़ादी के महानायक को कृतज्ञ राष्ट्र की श्रद्धांजलि है, ये प्रतिमा हमारी लोकतांत्रिक संस्थाओं, हमारी पीढ़ियों को राष्ट्रीय कर्तव्य का बोध कराएगी और आनेवाली पीढ़ियों एवं वर्तमान पीढ़ी को निरंतर प्रेरणा देती रहेगी। प्रधानमंत्री ने कहाकि नेताजी ने हमें स्वाधीन और संप्रभु भारत का विश्वास दिलाया था, उन्होंने बड़े गर्व, आत्मविश्वास और साहस केसाथ अंग्रेजी सत्ता के सामने कहा थाकि मैं स्वतंत्रता की भीख नहीं लूंगा, मैं इसे हासिल करूंगा। प्रधानमंत्री ने कहाकि नेताजी ने भारत की धरती पर पहली आज़ाद सरकार बनाई थी।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहाकि अगर नेताजी कुछ ठान लेते थे तो फिर उन्हें कोई ताकत रोक नहीं सकती थी, हमें उनकी 'कैन डू, विल डू' की भावना से प्रेरणा लेकर आगे बढ़ना है। उन्होंने कहाकि देशभर में नेताजी सुभाषचंद्र बोस की 125वीं जयंती को लेकर सालभर उत्सव मनाए जाएंगे। प्रधानमंत्री ने पिछले साल पराक्रम दिवस पर कोलकाता में नेताजी के पैतृक आवास की अपनी यात्रा को याद किया। प्रधानमंत्री ने कहाकि वह 21 अक्टूबर 2018 के उस दिन को भी नहीं भूल सकते, जब आजाद हिंद सरकार के 75 वर्ष हुए थे। उन्होंने कहाकि लाल किले में हुए विशेष समारोह में मैंने आजाद हिंद फौज की टोपी पहनकर तिरंगा फहराया था, वह पल अद्भुत, अविस्मरणीय था। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इस अवसर पर अलंकरण समारोह में वर्ष 2019, 2020, 2021 और 2022 केलिए सुभाषचंद्र बोस आपदा प्रबंधन पुरस्कार भी प्रदान किए। यह पुरस्कार केंद्र सरकार की ओर से आपदा प्रबंधन के क्षेत्र में व्यक्तियों और संगठनों के अमूल्य योगदान और नि:स्वार्थ सेवा को मान्यता देते हुए उन्हें सम्मानित करने केलिए शुरू किया गया है। प्रधानमंत्री ने देश में आपदा प्रबंधन के विकास का जिक्र किया। उन्होंने बतायाकि देश में वर्षों तक आपदा प्रबंधन का विषय कृषि विभाग केपास था, इसका मूल कारण यह थाकि बाढ़, अतिवृष्टि, ओले गिरना, ऐसी जो स्थितियां पैदा होती थीं, उससे निपटने की जिम्मेदारी कृषि मंत्रालय की थी।
प्रधानमंत्री ने कहाकि लेकिन 2001 में गुजरात में आए भूकंप ने आपदा प्रबंधन के मायने बदल दिए। उन्होंने कहाकि हमने तमाम विभागों और मंत्रालयों को राहत और बचाव कार्य में झोंक दिया, उस समय के अनुभवों से सीखते हुए 2003 में गुजरात राज्य आपदा प्रबंधन कानून बनाया गया। आपदा से निपटने केलिए गुजरात इस तरह का कानून बनाने वाला देश का पहला राज्य बना। बाद में केंद्र सरकार ने गुजरात के कानून से सबक लेते हुए 2005 में पूरे देश के लिए ऐसा ही एक आपदा प्रबंधन कानून बनाया। प्रधानमंत्री ने कहाकि राहत, बचाव और पुनर्वास पर जोर देने केसाथ ही सुधार पर बल दिया जा रहा है, हमने एनडीआरएफ को मजबूत, आधुनिकीकरण और देशभर में विस्तार किया। उन्होंने कहाकि अंतरिक्ष प्रौद्योगिकी से लेकर योजना और प्रबंधन तक सर्वोत्तम उपाय किए गए। प्रधानमंत्री ने कहाकि एनडीएमए के 'आपदा मित्र' जैसी योजनाओं के माध्यम से युवा आगे आ रहे हैं और जिम्मेदारी उठा रहे हैं। उन्होंने कहाकि जब भी आपदा आती है तो लोग पीड़ित नहीं रहते, वे स्वयंसेवक बनकर आपदा का मुकाबला करते हैं यानी आपदा प्रबंधन अब एक सरकारी काम नहीं है, बल्कि ये 'सबका प्रयास' का एक मॉडल बन गया है। प्रधानमंत्री ने आपदाओं से निपटने की क्षमता में सुधार केलिए संस्थानों को मजबूत करने की आवश्यकता पर बल दिया।
नरेंद्र मोदी ने ओडिशा, पश्चिम बंगाल, गोवा, महाराष्ट्र, गुजरात में आए चक्रवातों का उदाहरण दिया और कहाकि पहले एक चक्रवात में सैकड़ों लोगों की मृत्यु हो जाती थी, लेकिन इस बार ऐसा नहीं हुआ। उन्होंने कहाकि देश केपास एंड टु एंड चक्रवात प्रतिक्रिया प्रणाली है, जिसमें आपदाओं केलिए प्रारंभिक चेतावनी प्रणाली में सुधार किया गया है, आपदा जोखिम विश्लेषण और आपदा जोखिम प्रबंधन केलिए आधुनिक उपकरण उपलब्ध हैं। नरेंद्र मोदी ने आपदा प्रबंधन में भी समग्र दृष्टिकोण की बात की, जो आज हर क्षेत्र में सरकार की सोच को दिखाता है, आज आपदा प्रबंधन सिविल इंजीनियरिंग और आर्किटेक्चर पाठ्यक्रमों का हिस्सा है और डैम सेफ्टी कानून भी बनाया गया है, इसी तरह बुनियादी ढांचे की विशाल परियोजनाएं ऐसी बन रही हैं जो आपदा का सामना कर सकें। आपदा तैयारियों को लेकर नए भारत की सोच और दृष्टिकोण का उदाहरण पेश करते हुए उन्होंने बतायाकि जिन क्षेत्रों में भूकंप, बाढ़ या चक्रवात का खतरा ज्यादा रहता है, वहां पीएम आवास योजना के तहत बन रहे घरों, चार धाम महापरियोजना, उत्तर प्रदेश में बन रहे नए एक्सप्रेसवे में भी आपदा प्रबंधन का ध्यान रखा जाता है। प्रधानमंत्री ने वैश्विक स्तरपर आपदा प्रबंधन के क्षेत्र में भारत के नेतृत्व की चर्चा की। उन्होंने कहाकि भारत ने वैश्विक समुदाय को सीडीआरआई (आपदा प्रबंधन अवसंरचना पर गठबंधन) संस्था के रूपमें एक बहुत बड़ा विचार, एक बहुत बड़ा उपहार दिया है। उन्होंने कहाकि भारत की इस पहल में ब्रिटेन हमारा प्रमुख साथी बना है और आज दुनिया के 35 देश इस गठबंधन का हिस्सा हैं।
प्रधानमंत्री ने कहाकि दुनिया के विभिन्न देशों में सेनाओं केबीच संयुक्त सैन्य अभ्यास आम बात है, लेकिन भारत ने पहलीबार आपदा प्रबंधन केलिए संयुक्त अभ्यास की परंपरा शुरू की है। प्रधानमंत्री ने कहाकि आज हमारे सामने आजाद भारत के सपनों को पूरा करने का लक्ष्य है, हमारे सामने आजादी के 100वें साल से पहले नए भारत के निर्माण का लक्ष्य है। उन्होंने कहाकि आजादी के अमृत महोत्सव का संकल्प हैकि भारत अपनी पहचान और प्रेरणाओं को पुनर्जीवित करेगा। प्रधानमंत्री ने कहाकि ये दुर्भाग्य रहाकि आजादी के बाद देश की संस्कृति और संस्कारों के साथही अनेक महान व्यक्तियों के योगदान को मिटाने का काम किया गया। प्रधानमंत्री ने कहाकि स्वाधीनता संग्राम में लाखों देशवासियों की 'तपस्या' शामिल थी, लेकिन उनके इतिहास को भी सीमित करने की कोशिश की गई, लेकिन आज आजादी के दशकों बाद देश उन गलतियों को डंके की चोट पर सुधार रहा है। उन्होंने कहा कि बाबासाहेब डॉ भीमराव आंबेडकर से जुड़े पंचतीर्थों को देश उनकी गरिमा के अनुरूप विकसित कर रहा है, स्टैच्यू ऑफ यूनिटी सरदार वल्लभभाई पटेल के यशगान की तीर्थ बन गई है, भगवान बिरसा मुंडा की जयंती को जनजातीय गौरव दिवस के रूपमें मनाने की शुरूआत की गई, आदिवासी समाज के योगदान और इतिहास को सामने लाने के लिए जनजातीय संग्रहालय बनाए जा रहे हैं, नेताजी सुभाषचंद्र बोस द्वारा अंडमान में तिरंगा लहराने की 75वीं वर्षगांठ पर अंडमान के एक द्वीप का नामकरण उनके नाम पर किया गया और अंडमान में एक विशेष संकल्प स्मारक नेताजी और आईएनए के सम्मान में समर्पित किया गया।