स्वतंत्र आवाज़
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'गणतंत्र दिवस भारतीयता के गौरव का उत्सव'

दुनियाभर में विविधतापूर्ण भारतीय लोकतंत्र की सराहना-राष्ट्रपति

राष्ट्रपति का भारत के 73वें गणतंत्र दिवस पर राष्ट्र के नाम संदेश

स्वतंत्र आवाज़ डॉट कॉम

Wednesday 26 January 2022 12:56:09 PM

president's message to the countrymen on the 73th republic day

नई दिल्ली। राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने 73वें गणतंत्र दिवस-2022 की पूर्व संध्या पर राष्ट्र के नाम संदेश में देश और विदेश में रहनेवाले सभी भारत के लोगों को हार्दिक बधाई देते हुए कहाकि गणतंत्र दिवस हम सबको एक सूत्र में बांधने वाली भारतीयता के गौरव का उत्सव है। राष्ट्रपति ने कहाकि इस वर्ष जब हमारे देश की आजादी के 75 साल पूरे होंगे, तब हम अपने राष्ट्रीय इतिहास का एक महत्वपूर्ण पड़ाव पार करेंगे, इस अवसर को हम आजादी के अमृत महोत्सव के रूपमें मना रहे हैं। राष्ट्रपति ने कहाकि हमारा स्वतंत्रता संग्राम हमारी गौरवशाली ऐतिहासिक यात्रा का एक प्रेरक अध्याय था, स्वाधीनता का यह पचहत्तरवां वर्ष उन जीवन मूल्यों को पुनः जागृत करने का समय है, जिनसे हमारे महान राष्ट्रीय आंदोलन को प्रेरणा मिली थी, हमारी स्वाधीनता केलिए अनेक वीरांगनाओं और सपूतों ने अपने प्राण न्योछावर किए हैं, स्वाधीनता दिवस तथा गणतंत्र दिवस के राष्ट्रीय पर्व न जाने कितनी कठोर यातनाओं एवं बलिदानों के पश्चात नसीब हुए हैं। राष्ट्रपति ने कहाकि आइए गणतंत्र दिवस पर हमसब श्रद्धापूर्वक अमर बलिदानियों का स्मरण करें।
राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने कहाकि हमारी सभ्यता प्राचीन है, परंतु हमारा यह गणतंत्र नवीन है, राष्ट्र निर्माण हमारे लिए निरंतर चलने वाला एक अभियान है। राष्ट्रपति ने कहाकि जब हमने आज़ादी हासिल की थी, उस समय तक औपनिवेशिक शासन के शोषण ने हमें घोर गरीबी की स्थिति में डाल दिया था, लेकिन उसके बाद के पचहत्तर वर्ष में हमने प्रभावशाली प्रगति की है, अब युवा पीढ़ी के स्वागत में अवसरों के नए द्वार खुल रहे हैं। राष्ट्रपति ने कहाकि इसी ऊर्जा, आत्मविश्वास और उद्यमशीलता केसाथ हमारा देश प्रगति पथ पर आगे बढ़ता रहेगा तथा अपनी क्षमताओं के अनुरूप, विश्व समुदाय में अपना अग्रणी स्थान अवश्य प्राप्त करेगा। उन्होंने कहाकि सन् 1950 में आजही केदिन हम सबकी इस गौरवशाली पहचान को औपचारिक स्वरूप प्राप्त हुआ था, उस दिन भारत विश्व के सबसे बड़े गणतंत्र के रूपमें स्थापित हुआ और हम, भारत के लोगों ने एक ऐसा संविधान लागू किया, जो हमारी सामूहिक चेतना का जीवंत दस्तावेज है। राष्ट्रपति ने कहाकि हमारे विविधतापूर्ण और सफल लोकतंत्र की सराहना पूरी दुनिया में की जाती है, हर साल गणतंत्र दिवस केदिन हम अपने गतिशील लोकतंत्र तथा राष्ट्रीय एकता की भावना का उत्सव मनाते हैं। उन्होंने कहाकि कोविड महामारी के कारण इस वर्ष के उत्सव में धूम-धाम भले ही कुछ कम हो, परंतु हमारी देशभक्ति की भावना हमेशा की तरह सशक्त है।
रामनाथ कोविंद ने कहाकि गणतंत्र दिवस का यह दिन उन महानायकों को याद करने का अवसर भी है, जिन्होंने स्वराज के सपने को साकार करने केलिए अतुलनीय साहस का परिचय दिया तथा उसके लिए देशवासियों में संघर्ष करने का उत्साह जगाया। उन्होंने कहाकि दो दिन पहले 23 जनवरी को हम सभीने ‘जय-हिंद’ का उद्घोष करने वाले नेताजी सुभाषचंद्र बोस की 125वीं जयंती पर उनका पुण्य स्मरण किया है, स्वाधीनता केलिए उनकी ललक और भारत को गौरवशाली बनाने की उनकी महत्वाकांक्षा हम सबके लिए प्रेरणा का स्रोत है। राष्ट्रपति ने कहाकि हम अत्यंत सौभाग्यशाली हैं कि हमारे संविधान का निर्माण करने वाली सभा में उस दौर की सर्वश्रेष्ठ विभूतियों का प्रतिनिधित्व था, वे लोग हमारे महान स्वाधीनता संग्राम के प्रमुख ध्वज वाहक थे। राष्ट्रपति ने कहाकि लंबे अंतराल के बाद भारत की राष्ट्रीय चेतना का पुनर्जागरण हो रहा था, इस प्रकार वे असाधारण महिलाएं और पुरुष एक नई जागृति के अग्रदूत की भूमिका निभा रहे थे, उन्होंने संविधान के प्रारूप के प्रत्येक अनुच्छेद, वाक्य और शब्द पर, सामान्य जन-मानस के हित में, विस्तृत चर्चा की, वह विचार-मंथन लगभग तीन वर्ष तक चला, अंततः भारतरत्न बाबासाहब डॉ भीमराव आम्बेडकर ने प्रारूप समिति के अध्यक्ष की हैसियत से संविधान को आधिकारिक स्वरूप प्रदान किया और वह हमारा आधारभूत ग्रंथ बन गया।
राष्ट्रपति ने कहाकि यद्यपि हमारे संविधान का कलेवर विस्तृत है, क्योंकि उसमें राज्य के काम-काज की व्यवस्था का भी विवरण है, लेकिन संविधान की संक्षिप्त प्रस्तावना में लोकतंत्र, न्याय, स्वतंत्रता, समानता और बंधुत्व के मार्गदर्शक सिद्धांत, सारगर्भित रूपसे उल्लिखित हैं। राष्ट्रपति ने कहाकि इन आदर्शों से उस ठोस आधारशिला का निर्माण हुआ है, जिसपर हमारा भव्य गणतंत्र मजबूती से खड़ा है, इन्हीं जीवन मूल्यों में हमारी सामूहिक विरासत भी परिलक्षित होती है। उन्होंने कहाकि इन जीवन मूल्यों को, मूल अधिकारों तथा नागरिकों के मूल कर्तव्यों के रूपमें हमारे संविधान ने बुनियादी महत्व प्रदान किया है। राष्ट्रपति ने कहाकि अधिकार और कर्तव्य एक ही सिक्के के दो पहलू हैं, संविधान में उल्लिखित मूल कर्तव्यों का नागरिकों द्वारा पालन करने से मूल अधिकारों केलिए समुचित वातावरण बनता है। राष्ट्रपति ने कहाकि आह्वान किए जाने पर राष्ट्र की सेवा करने के मूल कर्तव्य को निभाते हुए हमारे करोड़ों देशवासियों ने स्वच्छता अभियान से लेकर कोविड टीकाकरण अभियान को जनआंदोलन का रूप दिया है, ऐसे अभियानों की सफलता का बहुत बड़ा श्रेय हमारे कर्तव्यपरायण नागरिकों को जाता है। राष्ट्रपति ने कहाकि उन्हें विश्वास हैकि हमारे देशवासी इसी कर्तव्य निष्ठा केसाथ राष्ट्रहित के अभियानों को अपनी सक्रिय भागीदारी से मजबूत बनाते रहेंगे।
रामनाथ कोविंद ने कहाकि भारत का संविधान 26 नवंबर 1949 को संविधान सभा द्वारा अंगीकृत, अधिनियमित और आत्मार्पित किया गया, उस दिन को हम संविधान दिवस के रूपमें मनाते हैं, उसके दो महीने बाद 26 जनवरी 1950 से हमारा संविधान पूर्णतः प्रभावी हुआ, ऐसा सन 1930 के उस दिन को यादगार बनाने के लिए किया गया था, जिस दिन भारतवासियों ने पूरी आजादी हासिल करने का संकल्प लिया था। उन्होंने बतायाकि सन् 1930 से 1947 तक हर साल 26 जनवरी को 'पूर्ण स्वराज दिवस' के रूपमें मनाया जाता था, अतः यह तय किया गयाकि उसी दिन से संविधान को पूर्णत: प्रभावी बनाया जाए। राष्ट्रपति ने कहाकि सन 1930 में महात्मा गांधी ने देशवासियों को 'पूर्ण स्वराज दिवस' मनाने का तरीका समझाया था, उन्होंने कहा थाकि चूंकि हम अपने ध्येय को अहिंसात्मक और सच्चे उपायों से ही प्राप्त करना चाहते हैं और यह काम हम केवल आत्मशुद्धि से ही कर सकते हैं, इसलिए हमें चाहिएकि उस दिन हम अपना सारा समय यथाशक्ति कोई रचनात्मक कार्य करने में बिताएं। उन्होंने कहाकि यथाशक्ति रचनात्मक कार्य करने का गांधीजी का यह उपदेश सदैव प्रासंगिक रहेगा, उनकी इच्छा के अनुसार गणतंत्र दिवस का उत्सव मनाने के दिन और उसके बाद भी, हम सबकी सोच और कार्यों में रचनात्मकता होनी चाहिए।
राष्ट्रपति ने कहाकि मानव समुदाय को एक-दूसरे की सहायता की इतनी जरूरत कभी नहीं पड़ी थी, जितनीकि आज है, अब दो साल से भी अधिक समय बीत गया है, लेकिन मानवता का कोरोना वायरस के विरुद्ध संघर्ष अभी भी जारी है, इस महामारी में हजारों लोगों को जान से हाथ धोना पड़ा है, विश्व की अर्थव्यवस्था पर आघात हुआ है, विश्व समुदाय को अभूतपूर्व विपदा का सामना करना पड़ा है, नित नए रूपों में यह वायरस नए संकट प्रस्तुत करता रहा है, यह स्थिति मानव जाति केलिए एक असाधारण चुनौती बनी हुई है। राष्ट्रपति ने कहाकि महामारी का सामना करना भारत में अपेक्षाकृत अधिक कठिन होना ही था, हमारे देश में जनसंख्या का घनत्व बहुत ज्यादा है और विकासशील अर्थव्यवस्था होने के नाते हमारे पास इस अदृश्य शत्रु से लड़ने केलिए उपयुक्त स्तर पर बुनियादी ढांचा तथा आवश्यक संसाधन पर्याप्त मात्रा में उपलब्ध नहीं थे, लेकिन ऐसे कठिन समय में ही किसी राष्ट्र की संघर्ष करने की क्षमता निखरती है। राष्ट्रपति ने कहाकि मुझे यह कहते हुए गर्व का अनुभव होता है कि हमने कोरोना वायरस के खिलाफ असाधारण दृढ़ संकल्प और कार्यक्षमता का प्रदर्शन किया है। राष्ट्रपति ने कहाकि हमने अनेक देशों को वैक्सीन तथा चिकित्सा संबंधी अन्य सुविधाएं प्रदान कराई हैं, भारत के इस योगदान की वैश्विक संगठनों ने सराहना की है।
रामनाथ कोविंद ने कहाकि हमने अबतक जो सावधानियां बरती हैं, उन्हें जारी रखना है, मास्क पहनना और सोशल डिस्टेंसिंग कोविड-अनुरूप व्यवहार के अनिवार्य अंग रहे हैं, यह हमें तबतक निभाना ही है, जबतक यह संकट दूर नहीं हो जाता। राष्ट्रपति ने कहाकि प्रतिकूल परिस्थितियों में भारत की दृढ़ता का यह प्रमाण है कि पिछले साल आर्थिक विकास में आई कमी के बाद इस वित्तीय वर्ष में अर्थव्यवस्था के प्रभावशाली दर से बढ़ने का अनुमान है, यह पिछले वर्ष शुरू किए गए आत्मनिर्भर भारत अभियान की सफलता को भी दर्शाता है, सभी आर्थिक क्षेत्रों में सुधार लाने और आवश्यकता अनुसार सहायता प्रदान करने हेतु सरकार निरंतर सक्रिय रही है। राष्ट्रपति ने कहाकि लोगों को रोज़गार देने तथा अर्थव्यवस्था को गति प्रदान करने में छोटे और मझोले उद्यमों ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है, हमारे इनोवेटिव युवा उद्यमियों ने स्टार्ट-अप ईको-सिस्टम का प्रभावी उपयोग करते हुए सफलता के नए कीर्तिमान स्थापित किए हैं। राष्ट्रपति ने कहाकि हमारे देश में विकसित, विशाल और सुरक्षित डिजिटल पेमेंट प्लेटफॉर्म की सफलता का एक उदाहरण यह हैकि हर महीने करोड़ों की संख्या में डिजिटल ट्रांज़ेक्शन किए जा रहे हैं। राष्ट्रपति ने कहाकि नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति के जरिए सरकार ने समुचित वातावरण उपलब्ध कराया है, विश्व में सबसे ऊपर की 50 ‘इनोवेटिव इकॉनोमीज़’ में भारत अपना स्थान बना चुका है, यह उपलब्धि और भी संतोषजनक हैकि हम व्यापक समावेश पर जोर देने के साथ-साथ योग्यता को बढ़ावा देने में सक्षम हैं।
राष्ट्रपति ने कहाकि पिछले वर्ष ओलंपिक खेलों में हमारे खिलाड़ियों के शानदार प्रदर्शन से सभीमें खुशी की लहर दौड़ गई थी, उन युवा विजेताओं का आत्मविश्वास आज लाखों देशवासियों को प्रेरित कर रहा है। राष्ट्रपति ने कहाकि हाल के महीनों में विभिन्न क्षेत्रों में प्रतिबद्धता और कर्मठता से राष्ट्र और समाज को मजबूती प्रदान करने वाले अनेक उल्लेखनीय उदाहरण देखने को मिले हैं, इनमें है भारतीय नौसेना और कोचीन शिपयार्ड लिमिटेड की समर्पित टीमों ने स्वदेशी व अतिआधुनिक विमानवाहक पोत आईएसी-विक्रांत का निर्माण किया है, जिसे नौसेना में शामिल किया जाना है, ऐसी आधुनिक सैन्य क्षमताओं के बलपर अब भारत की गणना विश्व के प्रमुख नौसेना शक्ति सम्पन्न देशों में की जाती है, यह रक्षा के क्षेत्र में आत्मनिर्भरता की ओर अग्रसर होने का एक प्रभावशाली उदाहरण है। राष्ट्रपति ने कहाकि हरियाणा के भिवानी जिले के सुई गांव से निकले कुछ प्रबुद्ध नागरिकों ने संवेदनशीलता और कर्मठता का परिचय देते हुए ‘स्व-प्रेरित आदर्श ग्राम योजना’ केतहत अपने गांव का कायाकल्प कर दिया है, अपने गांव यानि अपनी मातृभूमि के प्रति लगाव और कृतज्ञता का यह एक अनुकरणीय उदाहरण है, ऐसे उदाहरण से विश्वास दृढ़ होता हैकि एक नया भारत उभर रहा है-सशक्त भारत और संवेदनशील भारत।
रामनाथ कोविंद ने देशवासियों से एक निजी अनुभव साझा करते हुए कहाकि उन्हें पिछले वर्ष जून के महीने में कानपुर देहात जिले में अपनी जन्मभूमि अर्थात अपने गांव परौंख जाने का सौभाग्य मिला था, वहां पहुंचकर, अपने आपही मुझमें अपने गांव की माटी को माथे पर लगाने की भावना जाग उठी, क्योंकि मेरी मान्यता हैकि अपने गांव की धरती के आशीर्वाद के बल पर ही मैं राष्ट्रपति भवन तक पहुंच सका हूं, मैं विश्व में जहां भी जाता हूं, मेरा गांव और मेरा भारत मेरे हृदय में विद्यमान रहते हैं। राष्ट्रपति ने कहाकि भारत के जो लोग अपने परिश्रम और प्रतिभा से जीवन की दौड़ में आगे निकल सके हैं, उनसे मेरा अनुरोध हैकि अपनी जड़ों को, अपने गांव-कस्बे-शहर को और अपनी माटी को हमेशा याद रखिए, साथ ही आप सब अपने जन्मस्थान और देश की जो भी सेवा कर सकते हैं, अवश्य कीजिए, भारत के सभी सफल व्यक्ति यदि अपने-अपने जन्म-स्थान के विकास केलिए निष्ठापूर्वक कार्य करें तो स्थानीय विकास के आधार पर पूरा देश विकसित हो जाएगा। राष्ट्रपति ने कहाकि हमारे सैनिक और सुरक्षाकर्मी देशाभिमान की विरासत को आगे बढ़ा रहे हैं, हिमालय की असहनीय ठंड में और रेगिस्तान की भीषण गर्मी में अपने परिवार से दूर वे मातृभूमि की रक्षा में तत्पर रहते हैं। उन्होंने कहाकि हमारे सशस्त्र बल तथा पुलिसकर्मी देश की सीमाओं की रक्षा तथा आंतरिक व्यवस्था बनाए रखने केलिए रात-दिन चौकसी रखते हैं, ताकि देशवासी चैन की नींद सो सकें।
राष्ट्रपति ने कहाकि जब कभी किसी वीर सैनिक का निधन होता है तो सारा देश शोक संतप्त हो जाता है, पिछले महीने एक दुर्घटना में देश के सबसे बहादुर कमांडरों में से एक जनरल बिपिन रावत, उनकी धर्मपत्नी तथा अनेक वीर योद्धाओं को हमने खो दिया, इस हादसे से सभी देशवासियों को गहरा दुख पहुंचा। राष्ट्रपति ने कहाकि देशप्रेम की भावना देशवासियों की कर्तव्य निष्ठा को और मजबूत बनाती है। चाहे आप डॉक्टर हों या वकील, दुकानदार हों या ऑफिस-वर्कर, सफाई कर्मचारी हों या मजदूर, अपने कर्तव्य का निर्वहन निष्ठा व कुशलता से करना देश केलिए आपका प्राथमिक और सबसे महत्वपूर्ण योगदान है। उन्होंने कहाकि सशस्त्र बलों के सर्वोच्च कमांडर के रूपमें मुझे यह उल्लेख करते हुए प्रसन्नता हो रही हैकि यह वर्ष सशस्त्र बलों में महिला सशक्तीकरण की दृष्टि से विशेष महत्वपूर्ण रहा है, हमारी बेटियों ने परंपरागत सीमाओं को पार किया है और अब नए क्षेत्रों में महिला अधिकारियों केलिए स्थायी कमीशन की सुविधा आरंभ हो गई है, साथही सैनिक स्कूलों तथा सुप्रतिष्ठित नेशनल डिफेंस एकेडमी से महिलाओं के आने का मार्ग प्रशस्त होने से सेनाओं की टैलेंट पाइपलाइन तो समृद्ध होगी ही, हमारे सशस्त्र बलों को बेहतर जेन्डर बैलेंस का लाभ भी मिलेगा। राष्ट्रपति ने कहाकि भविष्य की चुनौतियों का सामना करने केलिए भारत आज बेहतर स्थिति में है, इक्कीसवीं सदी को जलवायु परिवर्तन के युग के रूपमें देखा जा रहा है और भारत ने अक्षय ऊर्जा केलिए अपने साहसिक और महत्वाकांक्षी लक्ष्यों केसाथ विश्वमंच पर नेतृत्व की स्थिति बनाई है।

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