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Monday 31 January 2022 03:34:02 PM
नई दिल्ली। राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने बजट सत्र से पूर्व आज संसद के ऐतिहासिक सेंट्रल हॉल में संयुक्त अधिवेशन में अभिभाषण देते हुए कहा हैकि भारत के लोगों ने लोकतांत्रिक मूल्यों, अनुशासन और जिम्मेदारी की भावना में गहरा विश्वास प्रदर्शित किया है। राष्ट्रपति ने कहाकि हमारे संविधान के मुख्य शिल्पकार बाबासाहेब डॉ भीमराव अंबेडकर ने कहा थाकि मेरा आदर्श स्वतंत्रता, समानता और बंधुत्व पर आधारित समाज होगा, लोकतंत्र केवल सरकार का एक रूप नहीं है, यह अनिवार्य रूपसे अपने साथी पुरुषों केप्रति सम्मान और सम्मान का दृष्टिकोण है और मेरी सरकार बाबासाहेब के इन्हीं आदर्शों को अपना आदर्श वाक्य मानती है, मेरी सरकार अंत्योदय के मंत्र में विश्वास करती है, जिसमें सामाजिक न्याय, समानता, सम्मान एवं समान अवसर शामिल हैं, इसलिए सरकार की नीतियों में गांव, गरीब, अनुसूचित जातियों और अनुसूचित जनजातियों और पिछड़े समुदायों को सर्वोच्च प्राथमिकता दी जा रही है।
राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने कहाकि भारत की यह भावना हाल के वर्षों में पद्म पुरस्कारों के चयन में भी स्पष्ट रूपसे परिलक्षित हुई है, भारत जैसे विविध देश में, देशभर में समर्पित लोग राष्ट्र की सेवा में लगे हुए हैं, वे भारत की ताकत को दर्शाते हैं, ऐसे समय में जब भारत अपनी स्वतंत्रता के 75वें वर्ष पर अमृत महोत्सव मना रहा है, प्रत्येक भारतीय की यह इच्छा शक्ति भारत के उज्ज्वल भविष्य केलिए अपार आत्मविश्वास पैदा करती है। राष्ट्रपति ने कहाकि आजादी का अमृत महोत्सव सभी केलिए अगले 25 वर्ष केलिए संकल्पों को ठोस आकार देने का अवसर है और मेरी सरकार 'सबका साथ, सबका विकास, सबका विश्वास और सबका प्रयास' के मंत्र पर चलते हुए अगले 25 वर्ष केलिए एक मजबूत नींव बनाने की दिशा में तेजीसे आगे बढ़ रही है। उन्होंने कहाकि इस नींव से जुड़ा सबसे महत्वपूर्ण संकल्प एक ऐसे भारत का निर्माण है, जिसमें सभी शामिल हों, सभी को लाभ हो, जो मजबूत और आत्मनिर्भर हो। उन्होंने कहाकि कोरोना के चुनौतीपूर्ण दौर ने हमें अपने लक्ष्यों को सबसे तेज़गति से हासिल करने केलिए प्रेरित किया है।
राष्ट्रपति ने कहाकि आज संसद के दोनों सदनों को एकसाथ संबोधित करते हुए मैं उन लाखों स्वतंत्रता सेनानियों को सलाम करता हूं, जिन्होंने अपने कर्तव्यों को सर्वोच्च प्राथमिकता दी और भारत के अधिकारों को सुरक्षित किया, मैं स्वतंत्रता के इन 75 वर्ष में हमारे देश की विकास यात्रा में योगदान केलिए सभी महान हस्तियों को भी नमन करता हूं। राष्ट्रपति ने कहाकि अमृत महोत्सव के इस दौर में देश की महान हस्तियों से जुड़ी खास घटनाएं हमें प्रेरणा दे रही हैं, मेरी सरकार श्रीगुरु तेग बहादुरजी के 400वें प्रकाश पर्व, श्रीअरबिंदो की 150वीं जयंती, वीओ चिदंबरम पिल्लई की 150वीं जयंती और नेताजी सुभाषचंद्र बोस की 125वीं जयंती को भव्यता के साथ मना रही है, इस वर्ष से सरकार ने नेताजी की जयंती 23 जनवरी से गणतंत्र दिवस समारोह शुरू किया है। राष्ट्रपति ने कहाकि मेरी सरकार का मानना हैकि देश के सुरक्षित भविष्य केलिए अतीत को याद रखना और उससे सीखना भी उतना ही जरूरी है, साहिबजादों के बलिदान की याद में 26 दिसंबर को वीर बाल दिवस और 14 अगस्त को विभाजन विभिषिका स्मृति दिवस मनाना इसी सोच का प्रतिबिंब है। सरकार ने 15 नवंबर को भगवान बिरसा मुंडा की जयंती को जन-जाति गौरव दिवस के रूपमें उन्हें श्रद्धांजलि के रूपमें मनाने का भी फैसला किया।
रामनाथ कोविंद ने कहाकि कोविड महामारी में केंद्र सरकार, राज्यों, स्थानीय प्रशासन, डॉक्टर, नर्स, स्वास्थ्य कार्यकर्ताओं, वैज्ञानिकों और उद्यमियों ने एक टीम के रूपमें काम किया है। उन्होंने कहाकि सरकार और नागरिकों केबीच यह आपसी विश्वास, समन्वय और सहयोग हमारे लोकतंत्र की ताकत का एक अभूतपूर्व उदाहरण है। राष्ट्रपति कहाकि कोविड टीकाकरण कार्यक्रम में स्पष्ट है कि आज हम दुनिया के उन अग्रणी देशों में शामिल हैं, जहां वैक्सीन की सबसे ज्यादा खुराक दी जाती है, अभियान की सफलता ने देश को एक ढाल प्रदान की है और हमारे नागरिकों को सुरक्षा प्रदान करने के साथ-साथ उनका मनोबल भी बढ़ाया है। उन्होंने कहाकि देश के 90 प्रतिशत से अधिक वयस्क नागरिकों को टीके की पहली खुराक मिल चुकी है, जबकि 70 प्रतिशत से अधिक को दोनों खुराकें दी जा चुकी हैं, सरकार 'हर घर दस्तक' अभियान के जरिए बाकी आबादी तक भी पहुंच रही है, इस माह से टीकाकरण कार्यक्रम में 15 से 18 वर्ष आयु वर्ग के किशोरों को भी शामिल किया गया है, अग्रिम पंक्ति के कार्यकर्ताओं और सह-रुग्णता वाले वरिष्ठ नागरिकों केलिए एहतियाती खुराक भी शुरू कर दी गई हैं।
रामनाथ कोविंद ने कहाकि मेरी सरकार दूरगामी समाधान विकसित कर रही है, जो भविष्य में भी प्रभावी और उपयोगी होगा, 64,000 करोड़ रुपये के परिव्यय केसाथ प्रधानमंत्री आयुष्मान भारत स्वास्थ्य अवसंरचना मिशन का शुभारंभ एक सराहनीय उदाहरण है, यह देश को भविष्य के किसी भी संकट के लिए तैयार करेगा। राष्ट्रपति ने कहाकि सरकार के प्रयासों से योग, आयुर्वेद और पारंपरिक चिकित्सा पद्धतियां भी तेजीसे लोकप्रिय हो रही हैं, देश 2014 में आयुष उत्पादों का निर्यात बढ़कर 11,000 करोड़ रुपये से अधिक हो गया है। भारत दुनिया का पहला डब्ल्यूएचओ ग्लोबल सेंटर ऑफ ट्रेडिशनल मेडिसिन स्थापित करने जा रहा है। उन्होंने कहाकि गरीबों के स्वाभिमान को बढ़ाने और उनकी आजीविका की सुरक्षा केलिए सरकार पीएम स्वनिधि योजना चला रही है, रेहड़ी पटरी वालों केलिए यह योजना काफी उपयोगी साबित हो रही है, इसके तहत 28 लाख रेहड़ी-पटरी वालों को 2900 करोड़ रुपये से अधिक की राशि प्रदान की गई है, सरकार इन स्ट्रीट वेंडर्स को ऑनलाइन फूड डिलीवरी कंपनियों से भी जोड़ रही है, सरकार ने मजदूरों के हितों की रक्षा केलिए ई-श्रम पोर्टल शुरू किया है और अबतक 23 करोड़ से अधिक श्रमिक इससे जुड़ चुके हैं।
राष्ट्रपति ने कहाकि नागरिकों के सशक्तिकरण केलिए 44 करोड़ से अधिक गरीब लोगों के बैंकिंग प्रणाली से जुड़ने से, करोड़ों लोगों को महामारी के दौरान सीधे नकद हस्तांतरण से लाभ हुआ है। राष्ट्रपति ने कहाकि सरकार बुनियादी सुविधाओं के प्रावधान को गरीबों को सशक्त बनाने और उनकी गरिमा को बढ़ाने का एक साधन मानती है, पिछले कुछ वर्ष में प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत गरीबों को दो करोड़ से अधिक पक्के घर उपलब्ध कराए गए हैं, प्रधानमंत्री आवास योजना ग्रामीण के तहत पिछले तीन साल में करीब डेढ़ लाख करोड़ रुपये की लागत से 1 करोड़ 17 लाख मकान स्वीकृत किए गए हैं। उन्होंने कहाकि हर घर जल के उद्देश्य से शुरू किए गए जल जीवन मिशन से लोगों के जीवन में बहुत बड़ा बदलाव आया है, ग्रामीण क्षेत्रों में लोगों को संपत्ति के दस्तावेज उपलब्ध कराने केलिए शुरू की गई स्वामित्व योजना भी एक असाधारण पहल है, अबतक 27,000 गांव में 40 लाख से अधिक संपत्ति कार्ड जारी किए जा चुके हैं, ये संपत्ति कार्ड न केवल विवादों को रोक रहे हैं, बल्कि ग्रामीण आबादी को बैंकिंग सहायता प्राप्त करने में भी सहायता कर रहे हैं।
राष्ट्रपति ने कहाकि सरकार के प्रयासों से देश का कृषि निर्यात रिकॉर्ड स्तर पर पहुंच गया है, जो अब लगभग 3 लाख करोड़ रुपये है। उन्होंने कहाकि किसानों को उनकी फसलों का लाभकारी मूल्य सुनिश्चित करने केलिए यह आवश्यक हैकि उनके उत्पाद सही बाजार में पहुंचें, इस दिशा में सरकार ने किसान रेलसेवा शुरू करके किसानों केलिए समृद्धि के नए रास्ते खोलने का प्रयास किया है। उन्होंने कहाकि अगर सोच नवीन है तो मौजूदा संसाधनों से नए रास्ते बनाए जा सकते हैं। राष्ट्रपति ने कहाकि महिला सशक्तिकरण सरकार की सर्वोच्च प्राथमिकताओं में से एक है, उज्ज्वला योजना की सफलता के हम सभी साक्षी हैं, मुद्रा योजना से उद्यमिता और कौशल को बढ़ावा दिया गया है, बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ पहल के सकारात्मक परिणाम मिले हैं और स्कूलों में नामांकित लड़कियों की संख्या में उत्साहजनक सुधार हुआ है। राष्ट्रपति ने कहाकि बेटे और बेटियों को समान मानते हुए मेरी सरकार ने न्यूनतम आयु बढ़ाने केलिए एक विधेयक भी पेश किया है, 18 वर्ष से 21 वर्ष तक की महिलाओं केलिए पुरुषों के बराबर विवाह।
राष्ट्रपति ने कहाकि सरकार ने तीन तलाक को खुलेआम मनमानी करने की प्रथा को आपराधिक अपराध बनाकर समाज को मुक्त कराने की शुरुआत की है, मुस्लिम महिलाओं के केवल मेहरम केसाथ हज करने पर लगे प्रतिबंध को भी हटा दिया गया है, जबकि 2014 से पहले अल्पसंख्यक समुदायों के लगभग तीन करोड़ छात्रों को छात्रवृत्ति प्रदान की गई थी, सरकार ने 2014 से ऐसे 4.5 करोड़ छात्रों को छात्रवृत्ति प्रदान की है, इससे मुस्लिम लड़कियों की स्कूल छोड़ने की दर में उल्लेखनीय कमी आई है और उनके नामांकन में वृद्धि हुई है। उन्होंने कहाकि राष्ट्रीय शिक्षा नीति में जेंडर इनक्लूजन फंड का भी प्रावधान किया गया है, सभी मौजूदा 33 सैनिक स्कूलों में छात्राओं का प्रवेश शुरू हो गया है, सरकार ने राष्ट्रीय रक्षा अकादमी में महिला कैडेटों के प्रवेश को भी मंजूरी दे दी है, महिला कैडेटों का पहला जत्था जून 2022 में एनडीए में प्रवेश करेगा। राष्ट्रपति ने कहाकि नीतिगत फैसलों और प्रोत्साहन से विभिन्न पुलिस बलों में महिला कर्मियों की संख्या 2014 की तुलना में दोगुनी से अधिक हो गई है। राष्ट्रपति ने कहाकि नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति से स्थानीय भाषाओं को भी बढ़ावा दिया जा रहा है, भारतीय भाषाओं में भी स्नातक पाठ्यक्रमों केलिए महत्वपूर्ण प्रवेश परीक्षा आयोजित करने पर जोर दिया जा रहा है, इस साल 10 राज्यों के 19 इंजीनियरिंग कॉलेज छह भारतीय भाषाओं में पढ़ाना शुरू करेंगे।
राष्ट्रपति ने कहाकि स्किल इंडिया मिशन के तहत देशभर में 2 करोड़ 25 लाख से अधिक युवाओं को आईटीआई, जन शिक्षण संस्थानों और प्रधानमंत्री कौशल केंद्रों के माध्यम से कुशल बनाया गया है, कौशल को उच्च शिक्षा से जोड़ने केलिए यूजीसी के नियमों में भी कई बदलाव किए गए हैं। राष्ट्रपति ने कहाकि आदिवासी युवाओं की शिक्षा केलिए प्रत्येक आदिवासी बहुल ब्लॉक में एकलव्य आवासीय मॉडल स्कूलों का विस्तार किया जा रहा है, ये स्कूल लगभग साढ़े तीन लाख आदिवासी युवाओं को सशक्त बनाएंगे। उन्होंने कहाकि टोक्यो ओलंपिक में भारत की युवा शक्ति ने अपने अबतक के सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन में सात पदक जीते, टोक्यो पैरालंपिक में भी भारतीय पैरा-एथलीटों ने 19 पदक जीतकर कीर्तिमान स्थापित किया, ओलंपिक और खेलों में भारत के प्रदर्शन को बेहतर बनाने केलिए केंद्र सरकार राज्य सरकारों केसाथ मिलकर देश में सैकड़ों खेलो इंडिया सेंटर स्थापित कर रही है। उन्होंने कहाकि सरकार ने दिव्यांग युवाओं को पैरा खेलों में प्रशिक्षण प्रदान करने केलिए आधुनिक सुविधाओं से युक्त ग्वालियर में दिव्यांग खेल केंद्र भी स्थापित किए हैं। राष्ट्रपति ने कहाकि दिव्यांगों केलिए सुलभता, समानता और सम्मानजनक जीवन एक समाज के रूपमें हमारी सामूहिक जिम्मेदारी है, इस दिशा में सुगम्य भारत अभियान हमारी राष्ट्रीय संवेदनशीलता का प्रतीक है।
राष्ट्रपति ने कहाकि हमारा स्टार्ट-अप उद्योग भी अनंत नई संभावनाओं का एक उदाहरण है, जो हमारे युवाओं के नेतृत्व में तेजीसे आकार ले रहा है। उन्होंने कहाकि वर्ष 2016 से हमारे देश में 56 विभिन्न क्षेत्रों में साठ हजार नए स्टार्ट-अप स्थापित किए गए हैं, इन स्टार्टअप्स ने छह लाख से ज्यादा नौकरियां पैदा की हैं, 2021 में कोरोना काल के दौरान भारत में 40 से अधिक यूनिकॉर्न स्टार्ट-अप उभरे हैं, जिनमें से प्रत्येक का न्यूनतम बाजार मूल्यांकन 7,400 करोड़ रुपये है। राष्ट्रपति ने कहाकि मेरी सरकार की नीतियों के कारण इंटरनेट कनेक्टिविटी की लागत और आज भारत में स्मार्टफोन की कीमत दुनिया में सबसे सस्ती है, इससे हमारी युवा पीढ़ी को बहुत लाभ हुआ है। भारत 5जी मोबाइल कनेक्टिविटी पर भी काफी तेजी से काम कर रहा है, जिससे नए अवसरों के द्वार खुलेंगे। उन्होंने कहाकि सेमीकंडक्टर्स पर भारत के प्रयासों से हमारे स्टार्ट-अप इकोसिस्टम को काफी फायदा होगा। राष्ट्रपति ने कहाकि सरकार ने कई नीतिगत फैसले लिए हैं और कई नए क्षेत्र खोले हैं, ताकि हमारे युवा तेजी से बदलती प्रौद्योगिकी से लाभांवित हो सकें। राष्ट्रपति ने कहाकि मेरी सरकार एक सुरक्षित और सुरक्षित भारत सुनिश्चित करने केलिए अत्यंत दृढ़ संकल्प केसाथ काम कर रही है, रक्षा क्षेत्र में विशेषकर रक्षा उत्पादन में सरकार की नीतियों के कारण देश उत्तरोत्तर आत्मनिर्भर होता जा रहा है।
राष्ट्रपति ने कहाकि वर्ष 2020-21 में सशस्त्र बलों के आधुनिकीकरण केलिए दी गई सभी स्वीकृतियों में से 87 प्रतिशत मेक इन इंडिया श्रेणी से थीं, इसी तरह 2020-21 में 98 प्रतिशत उपकरण संबंधी अनुबंधों में 'मेक इन इंडिया' श्रेणी को वरीयता दी गई, हमारे सशस्त्र बलों ने 209 सैन्य-उपकरणों की सूची भी जारी की है, जिन्हें विदेश से नहीं खरीदा जाएगा। रक्षा उपक्रमों द्वारा 2,800 से अधिक रक्षा उपकरणों की सूची भी जारी की गई है जिनका निर्माण घरेलू स्तर पर किया जाएगा। राष्ट्रपति ने कहाकि 83 एलसीए तेजस लड़ाकू विमानों के निर्माण केलिए हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड केसाथ अनुबंध पर हस्ताक्षर किए गए हैं, सरकार ने आयुध कारखानों को 7 रक्षा सार्वजनिक उपक्रमों में पुनर्गठित करने के लिए भी महत्वपूर्ण कदम उठाए हैं, इसके अलावा रक्षा क्षेत्र में निजी क्षेत्र और स्टार्ट-अप को तेजी से बढ़ावा देने केलिए भी प्रतिबद्ध है। राष्ट्रपति ने कहाकि हमारा उद्देश्य हैकि हमारे बलों द्वारा आवश्यक उत्पादों को भारत में विकसित किया जाए और भारत में भी निर्मित किया जाए। राष्ट्रपति ने कहाकि भारत ने तेजी से विकसित हो रहे वैश्विक वातावरण में अपनी स्थिति मजबूत की है, भारत ने अगस्त 2021 में संयुक्तराष्ट्र सुरक्षा परिषद की अध्यक्षता की और कई महत्वपूर्ण निर्णय लिए हैं, भारत की अध्यक्षता में पहली बार सुरक्षा परिषद ने समुद्री सुरक्षा के मुद्दे पर व्यापक बहस की, सुरक्षा परिषद ने पहलीबार इस विषय पर राष्ट्रपति के वक्तव्य को अपनाया और सर्वसम्मति से ऐसा किया।
राष्ट्रपति ने कहाकि हमने अपने पड़ोसी देश अफगानिस्तान में अस्थिरता और अस्थिरता देखी है, मौजूदा स्थिति के बावजूद मानवता की भावना के अनुरूप भारत ने ऑपरेशन देवी शक्ति शुरू की, हमने काबुल से अपने कई नागरिकों, कई अफगान हिंदू और सिख अल्पसंख्यकों को सफलतापूर्वक एयरलिफ्ट किया, हम पवित्र गुरुग्रंथ साहिब के दो स्वरूपों को सुरक्षित वापस ले आए, भारत चिकित्सा आपूर्ति और खाद्यान्न पहुंचाकर अफगानिस्तान की मदद कर रहा है। राष्ट्रपति ने कहाकि जलवायु परिवर्तन इस समय पूरी दुनिया के सामने एक बड़ी चुनौती है, भारत इस विषय पर एक जिम्मेदार वैश्विक आवाज के रूपमें उभरा है। उन्होंने कहाकि सीओपी-26 शिखर सम्मेलन में सरकार ने घोषणा की है कि 2030 तक भारत अपने कार्बन उत्सर्जन में 1 अरब टन की कमी करेगा, भारत ने 2070 तक शुद्ध शून्य उत्सर्जन अर्थव्यवस्था बनने का लक्ष्य भी रखा है, भारत ने वैश्विक समुदाय के साथ ग्रीन ग्रिड पहल: वन सन, वन वर्ल्ड, वन ग्रिड की पहल भी की है, यह विश्व स्तरपर पहला अंतरराष्ट्रीय नेटवर्क है। उन्होंने कहाकि सरकार की भारत की प्राचीन विरासत को संरक्षित, समृद्ध और सशक्त बनाने की जिम्मेदारी है, धोलावीरा के हड़प्पा स्थल और तेलंगाना में 13 वीं शताब्दी के काकतीय रुद्रेश्वर रामप्पा मंदिर को यूनेस्को की विश्वधरोहर स्थल घोषित कराया गया है, प्रयागराज के कुंभ मेले के बाद कोलकाता की प्रतिष्ठित दुर्गा पूजा को भी यूनेस्को की अमूर्त सांस्कृतिक विरासत सूची में शामिल कराया गया है।
राष्ट्रपति ने कहाकि सरकार की यह भी प्राथमिकता रही हैकि भारत की अमूल्य धरोहरों को देश वापस लाया जाए, सौ साल पहले भारत से चोरी हुई मां अन्नपूर्णा देवी की मूर्ति को वापस लाकर काशी विश्वनाथ मंदिर में स्थापित कर दिया गया है और ऐसी कई ऐतिहासिक कलाकृतियां विभिन्न देशों से भारत वापस लाई जा रही हैं। राष्ट्रपति ने कहाकि भारत की आध्यात्मिक विरासत का कायाकल्प किया जा रहा है, तीर्थयात्रियों और पर्यटकों केलिए आधुनिक सुविधाओं एवं बुनियादी ढांचे का विकास किया जा रहा है, स्वदेश दर्शन और प्रसाद योजनाएं इसमें महत्वपूर्ण भूमिका निभा रही हैं। उन्होंने कहाकि गोवा के 60वें मुक्ति दिवस पर फोर्ट अगुआड़ा जेल परिसर का जीर्णोद्धार और उद्घाटन किया गया है, यह गोवा को आजाद कराने के अविस्मरणीय संघर्ष के योद्धाओं का स्मारक है। उन्होंने कहाकि आजादी के अमृत काल में 'एक भारत, श्रेष्ठ भारत' का हमारा संकल्प हमें लोकतांत्रिक मूल्यों के आधार पर विकास का एक नया अध्याय लिखने में सक्षम बना रहा है, उपेक्षित रह गए राज्यों और क्षेत्रों केलिए विशेष प्रयास कर रहा है, जम्मू-कश्मीर और लद्दाख क्षेत्र में विकास के एक नए युग की शुरुआत इसका बेहतरीन उदाहरण है। उन्होंने कहाकि सरकार ने लगभग 28,000 करोड़ रुपये की लागत से जम्मू-कश्मीर के औद्योगिक विकास के लिए एक नई केंद्रीय क्षेत्र की योजना शुरू की है, पिछले साल काजीगुंड-बनिहाल सुरंग को यातायात केलिए खोल दिया गया था, श्रीनगर और शारजाह केबीच अंतर्राष्ट्रीय उड़ानें भी शुरू हो गई हैं।
राष्ट्रपति ने कहाकि जम्मू-कश्मीर के लोगों को शिक्षा, स्वास्थ्य और रोज़गार के बेहतर अवसर प्रदान करने के लिए भी कई महत्वपूर्ण कदम उठाए गए हैं। उन्होंने कहाकि केंद्रशासित प्रदेश लद्दाख में बुनियादी ढांचे और आर्थिक विकास में तेजी लाने केलिए सिंधु इंफ्रास्ट्रक्चर डेवलपमेंट कॉरपोरेशन की स्थापना की गई है, इसमें एक और अध्याय सिंधु केंद्रीय विश्वविद्यालय जुड़ रहा है। राष्ट्रपति ने कहाकि सरकार पूर्वोत्तर के सभी राज्य अरुणाचल प्रदेश, असम, मणिपुर, मेघालय, मिजोरम, नागालैंड, सिक्किम और त्रिपुरा के सतत विकास केलिए प्रतिबद्ध है। उन्होंने कहाकि पूर्वोत्तर के लोगों के लिए रेल और हवाई संपर्क अब सपना नहीं रह गया है, सरकार के प्रयासों से पूर्वोत्तर राज्यों की सभी राजधानियों को अब रेल मानचित्र पर लाया जा रहा है। उन्होंने कहा कि होलोंगी, ईटानगर में एक नया हवाई अड्डा स्थापित किया जा रहा है, त्रिपुरा के महाराजा बीरबिक्रम हवाई अड्डे पर एक आधुनिक नया टर्मिनल खोला गया है, उत्तर-पूर्व का यह विकास भारत की विकास गाथा का स्वर्णिम अध्याय साबित होगा, कुछ ही दिन पहले 21 जनवरी को मेघालय, मणिपुर और त्रिपुरा के निर्माण की 50वीं वर्षगांठ थी, आजादी के 75 साल के संयोग से इन राज्यों की यात्रा हमें उनके विकास के नए संकल्पों के लिए प्रेरित कर रही है।
राष्ट्रपति ने कहाकि पूर्वोत्तर में शांति स्थापित करने के सरकार के प्रयासों को ऐतिहासिक सफलता मिली है, कुछ महीने पहले ही केंद्र सरकार, असम की राज्य सरकार और कार्बी समूहों केबीच कार्बी आंगलोंग में दशकों पुराने संघर्ष को समाप्त करने के लिए समझौता हुआ था, इसने क्षेत्र में शांति और समृद्धि के एक नए अध्याय की शुरुआत की है। राष्ट्रपति ने कहाकि मेरी सरकार के अथक प्रयासों से देश में नक्सल प्रभावित जिलों की संख्या भी आज 126 से घटकर 70 हो गई है। राष्ट्रपति ने कहाकि भारत सरकार के सभी मंत्रालय स्वच्छता और लंबित संदर्भों के निपटान के लिए विशेष अभियान चला रहे हैं, मिशन कर्मयोगी के तहत सरकार ने सिविल सेवकों केलिए क्षमता निर्माण आयोग की स्थापना की है, मिशन कर्मयोगी सिविल सेवकों के करियर के लिए सहायक होगा और उन्हें राष्ट्र निर्माण की नई जिम्मेदारियों के लिए भी तैयार करेगा। राष्ट्रपति ने कहाकि न्याय को आसान और अधिक सुलभ बनाने केलिए देश में कई महत्वपूर्ण कदम भी उठाए जा रहे हैं। उन्होंने कहाकि टेली-लॉ कार्यक्रम से पूर्व-मुकद्मेबाजी सलाह केलिए एक मंच स्थापित किया गया है, विवादों के निपटारे में तेजी लाने केलिए सरकार ने राज्यसभा में मध्यस्थता विधेयक 2021 पेश किया है।
राष्ट्रपति ने कहाकि आज देश की उपलब्धियां और सफलताएं उतनी ही असीम हैं, जितनी देश की क्षमता और संभावनाएं, ये उपलब्धियां किसी एक संस्था या प्रतिष्ठान की नहीं हैं, ये हमारे देश के एक अरब से अधिक नागरिकों की सामूहिक उपलब्धियां हैं, ये अरबों से अधिक लोगों के श्रम और पसीने का फल हैं, ये उपलब्धियां हमारे महत्वाकांक्षी लक्ष्यों को प्राप्त करने की लंबी यात्रा में मील के पत्थर हैं और आगे बढ़ने केलिए हमारी प्रेरणा हैं। राष्ट्रपति ने कहाकि वर्ष 2047 में देश अपनी स्वतंत्रता की शताब्दी मनाएगा, उस समय के एक भव्य, आधुनिक और विकसित भारत के निर्माण केलिए हमें यह सुनिश्चित करना होगाकि हमारी कड़ी मेहनत फलदायी हो, इस यात्रा में हम सबकी हिस्सेदारी है, और बराबर की हिस्सेदारी है। राष्ट्रपति ने कोरोनाकाल में सांसदों के दायित्वों के निर्वहन की सराहना की और कहाकि वे करोड़ों लोगों की आशाओं और आकांक्षाओं के संवाहक हैं, इसी भावना केसाथ हमें भविष्य में भी काम करते रहना है।