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Tuesday 8 February 2022 02:20:56 PM
नई दिल्ली। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद के संसद में दिए गए अभिभाषण पर धन्यवाद प्रस्ताव में कहा हैकि हमारे लिए राष्ट्र कोई सत्ता या सरकार की व्यवस्था नहीं है, बल्कि राष्ट्र एक जीवित आत्मा है। उन्होंने पुराणों और सुब्रमण्यम भारती का हवाला देते हुए भारत की व्यापक अवधारणा के बारेमें विस्तार से बताया, जहां भारत को जीवित आत्मा के रूपमें माना जाता है। उन्होंने तमिलनाडु के लोगों द्वारा सीडीएस जनरल बिपिन रावत को दिए गए सम्मान को अखिल भारतीय राष्ट्रीय भावना का उदाहरण बताया। प्रधानमंत्री ने इससे पहले स्वर साम्राज्ञी लता मंगेशकर को आदरपूर्वक श्रद्धांजलि अर्पित की और कहाकि लताजी ने अपनी आवाज़ से देश की एकता को मजबूत किया, मोहित किया, प्रेरित भी किया है, देश को भावनाओं से भर दिया और एक अहर्निश, सांस्कृतिक धरोहर को मजबूत करते हुए 36 भाषाओं में गीत गाए, ये अपने-आपमें भारत की एकता और अखंडता केलिए एक प्रेरक उदाहरण है। प्रधानमंत्री ने नए संकल्प लेने और राष्ट्र निर्माण के कार्य में फिरसे समर्पित होने केलिए वर्तमान कालखंड के महत्व को रेखांकित किया।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहाकि आजादी का अमृत महोत्सव यह सोचने का प्रेरक अवसर हैकि आनेवाले वर्षों में भारत वैश्विक नेतृत्व की भूमिका कैसे निभा सकता है? भारत ने पिछले कुछ वर्षों में विकास के कई कदम उठाए हैं। उन्होंने कहाकि कोरोनाकाल केबाद एक नई विश्व व्यवस्था तेजी से आकार ले रही है, यह एक ऐसा महत्वपू्र्ण मोड़ है, जहां हमें इस अवसर को गंवाना नहीं चाहिए। प्रधानमंत्री ने सुविधाएं मिलने से खुशहाल होने वाले वंचितों और गरीबों के जीवन में आए बदलाव पर कहाकि पहले गैस कनेक्शन एक स्टेटस सिंबल हुआ करता था, अब गरीब से गरीब व्यक्ति तक इसकी पहुंच है, उनके पास बैंक खाते हैं, डीबीटी सुविधा सेवा वितरण में मदद कर रही है, ये बड़े बदलाव हैं। उन्होंने लोकतंत्र की बात करते हुए कहाकि हमसब संस्कार, स्वभाव, व्यवस्था से लोकतंत्र के प्रतिबद्ध लोग हैं और सदियों से हैं, लेकिन ये भी सही हैकि आलोचना जीवंत लोकतंत्र का एक आभूषण है, लेकिन अंध विरोध लोकतंत्र का अनादर है।
नरेंद्र मोदी ने राजनीतिक स्वार्थ केलिए कोरोना महामारी का इस्तेमाल करने को लेकर अफसोस जताया। उन्होंने यह कहकर आलोचना की कि पहली लहर के दौरान लोग लॉकडाउन का पालन कर रहे थे, जब गाइडलाइंस में कहा जा रहा थाकि लोग जहां हैं, वहीं रहें तो विपक्ष की ओर से मुंबई और दिल्ली छोड़कर उत्तर प्रदेश और बिहार अपने गृहनगर जाने केलिए लोगों को प्रेरित किया गया और डराया गया। नरेंद्र मोदी ने उन प्रयासों पर भी विपक्ष के अंध विरोध पर खेद जताया, जिन्हें सार्वभौमिक रूपसे समर्थन दिया जाना चाहिए था। उन्होंने कहाकि अगर हम लोकल केलिए वोकल होने की बात कर रहे हैं तो क्या हम महात्मा गांधी के सपनों को पूरा नहीं कर रहे हैं? फिर विपक्ष इसका मजाक क्यों उड़ा रहा था? हमने योग और फिट इंडिया की बात की, लेकिन विपक्ष ने इसका भी मजाक उड़ाया। उन्होंने कहाकि जीवन में पहलीबार कोरोना महामारी के कालखंड में भारत की आर्थिक प्रगति को दुनिया ने स्वीकार किया है।
प्रधानमंत्री ने 100 साल पहले आई महामारी का भी जिक्र किया और कहाकि तब ज्यादातर मौतें भूख के कारण हुई थीं। उन्होंने कहा कि इस महामारी में भूख से एक भी भारतीय की जान नहीं गई और इसके लिए जो उपाय किया गया, वह सबसे बड़े सामाजिक सुरक्षा उपायों में से एक है। उन्होंने कहाकि भारत सरकार ने सुनिश्चित कियाकि महामारी के बीच 80 करोड़ से अधिक भारतीयों को मुफ्त राशन मिले, यह हमारी प्रतिबद्धता है कि कोई भी भारतीय भूखा न रहे। प्रधानमंत्री ने कहाकि गरीबी से निपटने का एकमात्र प्रभावी तरीका छोटे किसानों की चिंताओं को दूर करना है, लंबे समय से छोटे किसानों की उपेक्षा की जा रही थी, इतने वर्षों तक देश पर राज करने वाले और जो महलनुमा घरों में रहने के आदी हैं, वे छोटे किसानों के कल्याण की बात करना भूल गए हैं, भारत की प्रगति के लिए छोटे किसान को सशक्त बनाना जरूरी है, छोटा किसान भारत की तरक्की को मजबूत करेगा। प्रधानमंत्री ने शासन और प्रोजेक्ट डिलिवरी के नए दृष्टिकोण की भी चर्चा की।
नरेंद्र मोदी ने उत्तर प्रदेश में सरयू नहर राष्ट्रीय परियोजना जैसी लंबित परियोजनाओं का हवाला दिया, जिसे वर्तमान सरकार ने पूरा किया है। उन्होंने पीएम गति शक्ति का उदाहरण भी दिया, जो बुनियादी ढांचे की चुनौतियों को दूर करने केलिए एक समग्र दृष्टिकोण सामने रखती है और उद्योग केलिए लॉजिस्टिक्स खर्च को कम करेगी। प्रधानमंत्री ने दोहरायाकि सरकार बेहतर कनेक्टिविटी पर जोर दे रही है, सरकार ने एमएसएमई की परिभाषा बदली और इससे इस क्षेत्र को मदद मिली है। प्रधानमंत्री ने आत्मनिर्भर भारत की नई मानसिकता केबारे में भी बात की, जिसे आधुनिक नीतियों के जरिए आगे बढ़ाया गया है। उन्होंने नए क्षेत्रों को खोलकर देश की प्रतिभाओं और युवाओं के सामर्थ्य का उपयोग करने पर प्रकाश डाला। हाल के समय में क्वालिटी यूनिकॉर्न में वृद्धि की चर्चा करते हुए उन्होंने कहाकि हम यह नहीं मानते कि केवल सरकारें सभी समस्याओं का समाधान कर सकती हैं, हम देश के लोगों और देश के युवाओं में विश्वास करते हैं, उदाहरण केलिए स्टार्ट-अप सेक्टर को ले लीजिए, स्टार्ट-अप की संख्या बढ़ी है और यह हमारे लोगों के सामर्थ्य को दिखाता है। प्रधानमंत्री ने कहाकि हम अपने युवाओं, वेल्थ क्रिएटर्स और उद्यमियों को डराने के दृष्टिकोण से सहमत नहीं हैं।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहाकि 2014 से पहले सिर्फ 500 स्टार्टअप थे, पिछले 7 वर्ष में 60 हजार स्टार्टअप सामने आए और भारत के यूनिकॉर्न सेंचुरी बनाने की दिशा में आगे बढ़ रहे हैं, स्टार्टअप्स के मामले में भारत तीसरे स्थान पर पहुंच गया है। उन्होंने कहाकि मेक इन इंडिया का मजाक बनाना भारत की उद्यमिता, भारत के युवाओं और मीडिया उद्योग का अपमान है। उन्होंने कहाकि रक्षा क्षेत्र में आत्मनिर्भर होना राष्ट्र सेवा का काम है। प्रधानमंत्री ने कहाकि अतीत में वैश्विक समस्याओं का बहाना बनाकर महंगाई से पल्ला झाड़ लिया जाता था, जबकि भारत आज कठिन वैश्विक परिदृश्य के बावजूद बिना कोई बहाना बनाए महंगाई से निपट रहा है। प्रधानमंत्री ने अमृतकाल की अवधि में राजनीतिक दलों, नागरिकों और युवाओं का सकारात्मक भावना केसाथ योगदान करने का आह्वान करते हुए अपनी बात पूरी की।