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रक्षामंत्री ने रक्षा सम्पदा कर्मियों को किया पुरस्कृत

'सुरक्षा और विकास के लिए रक्षा जमीनों का स्पष्ट सीमांकन जरूरी'

रक्षा मंत्रालय के स्वामित्व में है लगभग 17.99 लाख एकड़ जमीन

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Thursday 10 February 2022 04:19:31 PM

defense minister rewarded defense estates personnel

नई दिल्ली। रक्षामंत्री राजनाथ सिंह ने आज एक कार्यक्रम में रक्षा सम्पदा कर्मियों को आधुनिक प्रौद्योगिकियों का उपयोग करके रक्षा विभाग की 17.78 लाख एकड़ जमीन का सर्वेक्षण करने केलिए पुरस्कृत किया है। ये पुरस्कार 38 रक्षा सम्पदा कार्यालयों, चार सहायक रक्षा सम्पदा कार्यालयों के 11 अधिकारियों और 24 कर्मियों को प्रदान किए गए। गौरतलब हैकि रक्षा सम्पदा कार्यालय के दस्तावेजों के अनुसार रक्षा मंत्रालय के स्वामित्व में 17.99 लाख एकड़ जमीन है, जिसमें से 1.61 लाख एकड़ जमीन देशभर के 62 अधिसूचित छावनियों में है, लगभग 16.38 लाख एकड़ जमीन छावनियों के कई हिस्सों में है। कुल 16.38 लाख एकड़ जमीन में से लगभग 18,000 एकड़ जमीन को या तो राज्य ने किराये पर ले रखा है या अन्य सरकारी विभागों को स्थानांतरित किए जाने के कारण उन्हें दस्तावेज से निकालना बाकी रह गया है। सर्वेक्षण का काम 17.78 लाख एकड़ में पूरा कर लिया गया है, जो अपने आपमें महत्वपूर्ण उपलब्धि है, क्योंकि आजादी केबाद पहलीबार पूरी रक्षा जमीनों का सर्वेक्षण किया गया है, जिसमें विभिन्न राज्य सरकारों के राजस्व अधिकारियों ने भी हिस्सा लिया। सर्वेक्षण में आधुनिक तकनीकों का इस्तेमाल किया गया।
रक्षा सम्पदा संगठन के पास रक्षा जमीनों के प्रबंधन और लगभग बीस लाख आबादी वाले 62 छावनियों के नगर निकाय प्रशासन की जिम्मेदारी है। रक्षा जमीनों की सुरक्षा, भू-स्वामित्व की सुरक्षा, दस्तावेजों और नक्शों को दुरुस्त करना तथा सीमांकन जरूरी है। इस अवसर पर रक्षा भूमि सर्वेक्षण की चार रिपोर्टों को भी जारी किया गया। रक्षामंत्री ने ई-छावनी वेबिनार का शुभारंभ किया। उन्होंने रक्षा सम्पदा कर्मियों की प्रशंसा कीकि उन्होंने गैर-आबाद और दूर-दराज क्षेत्रों में प्रतिकूल मौसमी हालात तथा कोविड-19 महामारी के खतरे के बावजूद यह सर्वेक्षण कार्य पूरा किया। उन्होंने सर्वेक्षण को ऐतिहासिक बताया और विश्वास व्यक्त कियाकि रक्षा जमीनों का स्पष्ट सीमांकन इन इलाकों की सुरक्षा और विकास केलिए महत्वपूर्ण साबित होगा। उन्होंने कहाकि सर्वेक्षण से जमीन की सटीक नपाई संभव हुई और विश्वसनीय दस्तावेज तैयार हो सकें, इस तरह जमीन के विवादों को हल करने में लगने वाली ऊर्जा, धन और समय की बचत होगी। रक्षामंत्री ने सर्वेक्षण में पहलीबार ड्रोन इमेजरी, उपग्रह इमेजरी और 3-डी मॉडलिंग तकनीकों का इस्तेमाल करने केलिए रक्षा सम्पदा महानिदेशालय की प्रशंसा की।
रक्षामंत्री राजनाथ सिंह ने कहाकि इन तकनीकों से जो परिणाम हासिल हुए हैं, वे ज्यादा सटीक और भरोसेमंद हैं। उन्होंने बतायाकि सर्वेक्षण में इलेक्ट्रॉनिक टोटल स्टेशन और डिफ्रेंशियल ग्लोबल पोजिशनिंग सिस्टम जैसी आधुनिक सर्वेक्षण तकनीकों का उपयोग किया है, ड्रोन एवं उपग्रह इमेजरी आधारित सर्वेक्षण भी किए गए, ताकि सटीक और समय पर नतीजे मिल सकें। रक्षामंत्री ने सर्वेक्षण और जमीन के दस्तावेजों के महत्व को रेखांकित करते हुए कहाकि ये सब किसी इलाके, राज्य या देश के विकास की बुनियाद होते हैं, पिछले 200-300 वर्ष में सर्वेक्षण के ज्ञान ने उन लोगों की यात्राओं में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है, जो लोग दुनियाभर में अपना दबदबा कायम करने निकले थे, इसलिए यह हमारे लिए बहुत संतोष और हर्ष का विषय हैकि हमारा देश आधुनिक पद्धतियों से जमीनी सर्वेक्षण की दिशा में आगे बढ़ रहा है, जो रक्षा जमीनों और छावनी इलाकों की सुरक्षा सुनिश्चित करेगा। रक्षामंत्री ने देश के सामाजिक-आर्थिक और सांस्कृतिक विकास में छावनी इलाकों की महत्वपूर्ण भूमिका को रेखांकित किया।
राजनाथ सिंह ने कहाकि आज जब सरकार रक्षा जमीनों की चहारदीवारी बनाने केलिए बजट में 173 करोड़ रुपये का प्रावधान कर रही है तो इसका अर्थ सिर्फ वित्तीय अनुदान नहीं है, बल्कि यह छावनी इलाकों को बचाने और उन्हें विकसित करने की हमारी प्रतिबद्धता का परिचायक भी है, इस संदर्भ में यह सर्वेक्षण बहुत महत्वपूर्ण हो जाता है। उन्होंने इस बात की प्रशंसा की कि रक्षा मंत्रालय इस दिशा में सबको राह दिखा रहा है, इस सम्बंध में ई-छावनी पोर्टल ऐसी ही एक पहल है, जिसका उद्घाटन उन्होंने फरवरी 2021 में किया था। ई-छावनी पोर्टल का उद्देश्य छावनी बोर्ड में रहने वालों केलिए जीवन सुगमता को प्रोत्साहन देना है, इसके जरिए देशभर के 62 छावनी बोर्डों के 20 लाख से अधिक निवासियों को ऑनलाइन नागरिक सेवाएं प्रदान की जाती हैं। रक्षामंत्री ने कहाकि सेवा प्रदान करने की प्रक्रिया और कागजों के इस्तेमाल में पोर्टल जारी हो जाने केबाद 50-80 प्रतिशत की कमी आई है। रक्षामंत्री ने एक और ऐसी ही पहल ‘सृजन पोर्टल’ पर प्रकाश डाला, जिसका उद्घाटन उन्होंने अगस्त 2020 में आत्मनिर्भर सप्ताह केदौरान किया था।
रक्षामंत्री ने बतायाकि यह पोर्टल एक वन स्टॉप शॉप है, जो विक्रेताओं को सुविधा देता है, जहां से वे स्वदेशीकरण केलिए सामग्रियां प्राप्त कर सकते हैं। उन्होंने कहाकि ऑनलाइन कैंटीन स्टोर डिपार्टमेंट, ई-सहमत पोर्टल, रक्षा मंत्रालय पेंशन पोर्टल, एनसीसी प्रशिक्षण और शौर्य पुरस्कार पोर्टल ऐसी ही अन्य पहलें हैं, जिनके जरिए हमारे सशस्त्रबल कर्मियों और पूर्व सैनिकों की जीवन सुगमता को प्रोत्साहित और उनका कल्याण सुनिश्चित किया जा रहा है। राजनाथ सिंह ने सरकार की प्रतिबद्धता दोहराई कि सरकार डिजिटल इंडिया अभियान केतहत डिजिटलीकरण करने केलिए तथा लोगों का जीवन आसान बनाने केलिए दृढ़ है। उन्होंने कहाकि मौसम विभाग मौसम केबारे में पूर्वानुमान लगाने केलिए अंतरिक्ष प्रौद्योगिकी का इस्तेमाल कर रहा है, जो पहले से ज्यादा सटीक है, यह पहल अभूतपूर्व है। उन्होंने कहाकि इसकी मदद से सशस्त्रबल और आपदा राहत दल समय पर राहत और बचाव का काम कर पाते हैं। उन्होंने कहाकि कृषि, शिक्षा और स्वास्थ्य के क्षेत्रों में प्रौद्योगिकी का इस्तेमाल हमारे देश की प्रगति दर्शाता है, हाल में केंद्रीय बजट 2022-23 में घोषित डिजिटल मुद्रा और डिजिटल विश्वविद्यालय प्रौद्योगिकी के जरिये अपनी प्रणाली को विश्वस्तरीय बनाने के हमारे संकल्प को प्रकट करते हैं।
रक्षामंत्री ने अन्य मंत्रालयों और विभागों से भी आग्रह कियाकि वे रक्षा सम्पदा महानिदेशालय से प्रेरणा लें और प्रौद्योगिकी के इस्तेमाल को प्रोत्साहित करें, क्योंकि यही राष्ट्रनिर्माण में दूरगामी भूमिका निभाएंगी। रक्षामंत्री ने सरकार का संकल्प दोहराया कि हर खतरे से देश की रक्षा करने वाले सशस्त्रबल कर्मियों की सुविधाओं और उनके कल्याण को सुनिश्चित किया जाएगा। उन्होंने रक्षा सम्पदा महानिदेशालय से आग्रह कियाकि वह और क्षेत्रों में सुधारों की शुरूआत करे, इसके परिणामस्वरूप कार्य-प्रणाली और असरदार बनेगी। उन्होंने इस लक्ष्य को हासिल करने केलिए रक्षा मंत्रालय के समर्थन का आश्वासन दिया। दिनभर चलने वाले वेबिनार में 13 राज्यों के 27 नगर निगम और 62 छावनी बोर्ड इसमें शिरकत कर रहे हैं। पुरस्कार समारोह के दौरान रक्षा सचिव डॉ अजय कुमार, सेना उप-प्रमुख लेफ्टिनेंट जनरल मनोज पांडे, वित्तीय सलाहकार (रक्षा सेवा) संजीव मित्तल, रक्षा सम्पदा महानिदेशालय महानिदेशक अजय कुमार शर्मा, रक्षा मंत्रालय और रक्षा सम्पदा महानिदेशालय के वरिष्ठ अधिकारी उपस्थित थे।

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