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न्‍यायपालिका स्‍व-अनुशासन बरते-राष्ट्रपति

कलकत्‍ता उच्‍च न्‍यायालय का 150वां जयंती समारोह

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Monday 06 May 2013 08:24:06 AM

pranab mukherjee lighting the lamp at the Valedictory Function of the sesquicentennial celebrations of calcutta high court

कोलकाता। राष्‍ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने न्‍यायपालिका से स्‍व-अनुशासन बरतने को कहा है। कलकत्‍ता उच्‍च न्‍यायालय के 150 वें जयंती समारोह के समापन समारोह के अवसर पर मुख्‍य अतिथि के रूप में उन्‍होंने कहा कि न्‍यायपालिका की स्वतंत्रता पवित्र और अलंघनीय है, लेकिन न्यायपालिका को स्‍व-अनुशासन बरतना चाहिए और इस प्रकार कार्यपालिका तथा विधायिका के बीच संतुलन बनाये रखना चाहिए। उन्‍होंने कहा कि सरकार की संसदीय प्रणाली की सफलता इस संतुलन को बनाये रखने पर निर्भर करती है।
प्रणब मुखर्जी ने न्‍यायाधीशों से कहा कि लोगों की न्यायपालिका से बहुत ऊंची अपेक्षाएं हैं, न्‍यायाधीशों को इस बात पर विचार करना चाहिए कि वे इन अपेक्षाओं को कैसे पूरा कर सकते हैं। राष्‍ट्रपति ने जनहितवाद (पीआईएल) विकसित करने पर भारतीय न्यायपालिका को बधाई दी और कहा कि न्यायपालिका ने अतीत में बेहतर इंसाफ के नये तरीकों का आविष्कार किया है, इसी प्रकार, न्यायपालिका को बकाया मामलों के निपटान और न्‍यायालयों में खाली स्‍थानों को भरने आदि जैसी चुनौतियों का समाधान भी ढूंढना चाहिए।
राष्‍ट्रपति ने इस बात पर उदासीनता जताई कि अब तक केवल 10 महिलाएं ही कलकत्‍ता उच्‍च न्‍यायालय की न्‍यायाधीश बन सकी हैं। उन्‍होंने न्यायपालिका से इस बात पर विचार करने को कहा कि किस प्रकार महिलाओं को आगे आने के लिए प्रोत्‍साहित किया जा सकता है। इस अवसर पर उपस्थित गणमान्‍य व्‍यक्तियों में भारत के मुख्‍य न्‍यायाधीश, पश्चिम बंगाल की मुख्‍यमंत्री, केंद्रीय कानून और न्याय मंत्री तथा कलकत्‍ता उच्‍च न्‍यायालय के मुख्‍य न्‍यायाधीश शामिल थे।

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