Tuesday 8 March 2022 06:02:42 PM
दिनेश शर्मा
नई दिल्ली/ लखनऊ। उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड में भाजपा केलिए महिला शक्ति का चमत्कार होने जा रहा है और मणिपुर एवं गोवा में भी भाजपा वापस आ रही है। कोई माने या ना माने यूपी और उत्तराखंड में तो भाजपा की प्रचंड वापसी हो रही है। एग्जिट पोल में जो रुझान दिख रहे हैं, उनमें भाजपा के विरोध को ध्वस्त करता हुआ महिला शक्ति का चमत्कार और भाजपा को करीब पंद्रह करोड़ लाभार्थियों को सरकारी योजनाओं का शानदार तोहफा अपना पूरा असर दिखा रहा है। समाजवादी पार्टी गठबंधन के नेता अखिलेश यादव का बड़ा दावा एवं भरोसा हैकि उत्तर प्रदेश में उसके पक्ष में यादव और मुसलमानों के पूरी तरह एकजुट होने से उनकी ही सरकार आ रही है, मगर वो यह भूल रहे हैं कि उनकी चिर प्रतिद्वंद्वी बहुजन समाज पार्टी भी पूरी ताकत से चुनाव मैदान में है, जिससे यादव और मुसलमानों के एकजुट होजाने के बावजूद सपा गठबंधन सवा सौ सीटों तक ही जा सकता है, जबकि भाजपा गठबंधन कम से कम ढाई-पौने तीन सौ सीटें जीतकर फिर योगी आदित्यनाथ के नेतृत्व में सरकार बनाने जा रहा है। कांग्रेस और बसपा का जहांतक सवाल है तो इनका फिर से भारी नुकसान होने जा रहा है।
उत्तर प्रदेश सहित देश के पांच राज्यों के विधानसभा चुनाव में भारतीय जनता पार्टी की जीत में इसबार महिला शक्ति खुलकर अपना चमत्कार दिखाने जा रही है। चुनावों के सातों चरणों में कहीं खुलकर तो कहीं साइलेंट पोल भाजपा को ही सरकार बनाने को आश्वस्त करता रहा है। उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड में सरकारी योजनाओं के लाभार्थियों ने फिरसे कमल ही खिलाया है, जिसमें अपवाद को छोड़कर महिला शक्ति की भाजपा पर विशेष अनुकंपा से कोई भी इनकार नहीं कर रहा है। अनेक स्वतंत्र विश्लेषणकर्ताओं, चैनल्स और यूट्बर्स का तो यहां तक अनुमान हैकि भाजपा उत्तर प्रदेश में करीब तीनसौ सीटें और उत्तराखंड में भी करीब चालीस-पैंतालीस सीटें जीतने जा रही है। रहा गोवा और मणिपुर का हाल तो यहां भी भाजपा सत्ता में वापसी करती दिख रही है, कांग्रेस और आम आदमी पार्टी के चाहे जो भी दावे हों, हां! पंजाब का परिणाम जरूर भाजपा के पक्ष में नहीं है, क्योंकि यहां आम आदमी पार्टी, कांग्रेस, अकाली दल-बसपा गठबंधन और भाजपा गठबंधन की लड़ाई का सबसे ज्यादा और निर्णायक लाभ आम आदमी पार्टी को ही होता नज़र आता है। इसका एक कारण यह भी हैकि पंजाब में खालिस्तान जैसे अलगाववादी गुटों का अपरोक्ष रूपसे आआपा को ही समर्थन हांसिल है, यही कारण हैकि वह अपनी सरकार बनाने के प्रति आश्वस्त है।
विधानसभा चुनाव में पहले की तरह विभिन्न चुनाव सर्वे एजेंसियों और मीडिया ने सभी चरणों के मतदान पर अपने विश्लेषण प्रस्तुत किए हैं, जिनमें सभी ने पाया हैकि उत्तर प्रदेश उत्तराखंड में फिर से मोदी-योगी और महिला शक्ति की त्रिमूर्ति सपा गठबंधन बसपा और कांग्रेस सफाया कर सकती है। इसके आसार इसलिए भी ज्यादा उज्जवल हैं, क्योंकि भारतीय जनता पार्टी सरकार के करीब पंद्रह करोड़ लाभार्थियों ने सुनी तो सबकी है, लेकिन बूथ पर जाकर उन्होंने फाइनली कमल का बटन दबाया है। चुनाव प्रचार में महिलाओं और युवाओं से बातचीत में उनके रुख से शुरू से ही लगा हैकि उनके मनमें पहले से ही तय हैकि उनकी पसंद केवल मोदी-योगी हैं। बड़ी संख्या में ऐसे मतदाता मिले हैं, जिन्होंने खुलकर मोदी-योगी और गरीबों केलिए उनकी योजनाओं एवं सुरक्षा को अपने लिए वरदान माना है और यही वर्ग इस चुनाव का निर्णायक लग रहा है। समाजवादी पार्टी गठबंधन में खासतौर से यादव-मुसलमान गठजोड़ पर मतदाताओं की तीखी प्रतिक्रिया हुई है, जिसका लाभ भाजपा को होता दिखा है। भारतीय जनता पार्टी के मुख्य स्टार प्रचारकों प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ, गृहमंत्री अमित शाह, भाजपा अध्यक्ष जेपी नड्डा, चुनाव प्रभारी धर्मेंद्र प्रधान एवं सूचना प्रसारण मंत्री अनुराग ठाकुर, क्षेत्रीय प्रचारकों ने अपने-अपने क्षेत्रों में सरकारी योजनाओं से सपा के चुनावी गठबंधन के ऐजेंडों पर करारे प्रहार किए, जिससे सपा को धराशायी होना ही था।
टीवी चैनलों सोशल मीडिया उत्तराखंड में बीजेपी से कांग्रेस की निर्णायक टक्कर दिखाई जा रही है और आम आदमी पार्टी भी चुनाव जीतने का बड़ा दावा कर रही है, लेकिन जमीन पर सच्चाई भाजपा के विपरीत नहीं दिखती है, जिसका कारण यह लगता है कि यहां पर भी महिला मतदाताओं का बीजेपी की ओर भारी झुकाव है। पुष्कर सिंह धामी के रूपमें मुख्यमंत्री का लाभ भाजपा को मिल रहा है, क्योंकि पुष्कर सिंह धामी ने कॉमन सिविल कोड बिल लाने की बात कह कर उत्तराखंड के मतदाताओं के दिल की बात कह दी है। हालांकि कई विश्लेषकों के ऐसे भी तर्क हैं कि चूंकि पुष्कर सिंह धामी को मुख्यमंत्री की कुर्सी संभाले हुए कुछ ही समय हुआ है, लिहाजा वे बीजेपी को सरकार में वापस नहीं ला पाएंगे, लेकिन उत्तराखंड में उनके कैंपेन का संदेश साफ दिखाई दिया है जिसमें भाजपा के पक्ष में महिला फैक्टर मजबूत है, जिससे कोई माने या न माने उत्तराखंड में भाजपा की फिरसे वापसी के पूरे आसार हैं, भले ही कांग्रेस अपनी बड़ी जीत के दावे कर रही है और टीवी चैनल भी उसके सुर में सुर मिलाए हैं। कहने का मतलब हैकि यहां राजनीतिक घमासान के बावजूद मतदाता भाजपा की ओर ही जाते दिखे हैं और कांग्रेस ज्यादातर जगहों पर संघर्ष करती दिखी है, जबकि बसपा और आम आदमी पार्टी का शायद ही खाता खुले।
विधानसभा चुनाव में राजनीतिक दलों के एजेंडे देखें तो एक तरफ भारतीय जनता पार्टी के एजेंडे ग़रीब लोगों को बुनियादी सुविधाएं, महिलाओं बालिकाओं युवक-युवतियों युवाओं केलिए शिक्षा, स्वास्थ्य, रोज़गार के अवसर और कानून व्यवस्था पर लोगों ने विश्वास किया है, वहीं सपा गठबंधन और कांग्रेस के हवा-हवाई वादों पर किसी को भी यक़ीन नहीं हुआ है। इनके चुनाव एजेंडों ने चुनाव को साम्प्रदायिक ध्रुवीकरण की ओर ही धकेलने का काम किया है। चुनाव के सातों चरणों में सभी जगह यह प्रमुखता से पाया गया है कि सपा और कांग्रेस और ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लिमीन के नेता असदुद्दीन ओवैसी ने मुस्लिम तुष्टिकरण की इंतेहा कर डाली, जिससे यह चुनाव हिंदू-मुस्लिम भी होने से नहीं बच पाया। इसके बावजूद समाजवादी गठबंधन को करारी शिकस्त मिलती दिख रही है, अखिलेश यादव की सरकार किसी भी समीकरण से बनती नहीं दिख रही है, जबकि सपा के चुनाव एजेंडों का लाभ उठाते हुए यूपी में भाजपा की फिरसे शानदार वापसी हो रही है। इसपर विश्वास करने का सबसे महत्वपूर्ण पक्ष यही है कि महिला शक्ति से समृद्धशाली उत्तर प्रदेश के करीब पंद्रह करोड़ लाभार्थी मोदी-योगी के साथ खड़े दिखाई दिए हैं। भारतीय जनता पार्टी का यह प्रयोग ही उसे प्रचंड बहुमत तक पहुंचाता दिख रहा है। अगर यह प्रयोग सफल हो जाता है तो भाजपा की दबे-कुचलों को गले लगाने की रणनीति ने पूरे देश में भाजपा का कमल खिलाने का मार्ग प्रशस्त कर दिया है।
भाजपा के हाथ दबे-कुचलो की कस्तूरी लग गई है, जिससे आगामी लोकसभा चुनाव में भाजपा की तीसरी बड़ी देशव्यापी सफलता को अब कोई नहीं रोक पाएगा। भाजपा और उसका नेतृत्व अपने इस प्रयोग से बहुत आशावादी नज़र आता है, इसीलिए वह बार-बार दावे से कह रहा है कि समाजवादी पार्टी गठबंधन एकबार फिर विफल हो रहा है, उसके शिविर में भारी निराशा का वातावरण भी साफ दिखाई दे रहा है। समाजवादी पार्टी गठबंधन के प्रयोग और प्रयास एक-एककर निष्फल होते जा रहे हैं। इसबार सपा को जिन मुसलमानों के एकमुश्त समर्थन का भरोसा है, वे उनके एकजुट होकर भी काम नहीं आ रहे हैं, बल्कि उनकी यह बंद मुट्ठी भी खुल जा रही हैकि वे सपा की सरकार बनवाने की क्षमता रखते हैं। उत्तर प्रदेश के लाभार्थी समूह ने भाजपा को जिस उत्साह से मतदान किया है, उससे कांग्रेस सहित सारा विपक्ष केवल छटपटा ही रहा है। बहरहाल दस मार्च को सारे नतीजे सामने आ ही जाएंगे।