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Friday 8 April 2022 01:45:49 PM
नई दिल्ली। रक्षामंत्री राजनाथ सिंह ने प्रमुख रक्षा उपकरण एवं प्लेटफॉर्म वाली 101 वस्तुओं की तीसरी सकारात्मक स्वदेशीकरण सूची जारी कर दी है। रक्षामंत्री ने कहा हैकि रक्षा मंत्रालय के सैन्य मामलों के विभाग की ओर से अधिसूचित यह सूची उन उपकरणों एवं प्रणालियों पर विशेष ध्यान केंद्रित करती है, जिन्हें विकसित किया जा रहा है और अगले पांच वर्ष में इन्हें फर्म ऑर्डरों में रूपांतरित करने की संभावना है। उन्होंने बतायाकि इन हथियारों और प्लेटफार्मों को दिसंबर 2022 से दिसंबर 2027 तक क्रमिक रूपसे स्वदेशी बनाने की योजना है, अब इन 101 वस्तुओं की खरीदारी रक्षा अधिग्रहण प्रक्रिया-2020 के प्रावधानों के अनुरूप स्थानीय स्रोतों से की जाएगी। यह पहली सूची 101 और दूसरी सूची 108 को जारी करने का अनुसरण करती है, पहली और दूसरी सूची को क्रमशः 21 अगस्त 2020 और 31 मई 2021 को जारी किया जा चुका है।
रक्षामंत्री राजनाथ सिंह ने कहाकि युद्ध उपकरण, जो एक लगातार बनी रहने वाली जरूरत है के आयात प्रतिस्थापन पर विशेष जोर दिया गया है। उन्होंने कहाकि स्थानीय स्तर पर निर्मित होनेवाले 310 रक्षा उपकरणों वाली इन तीन सूचियों को जारी करने के पीछे की भावना घरेलू उद्योग की क्षमताओं में सरकार के बढ़ते विश्वास को दिखाती हैकि वे सशस्त्रबलों की मांग को पूरा करने केलिए अंतर्राष्ट्रीय मानकों के उपकरणों की आपूर्ति कर सकते हैं, इससे प्रौद्योगिकी और विनिर्माण क्षमताओं में नए निवेश को आकर्षित करके स्वदेशी अनुसंधान एवं विकास की क्षमता को प्रोत्साहित करने की संभावना है। रक्षामंत्री ने कहाकि यह घरेलू उद्योग को सशस्त्र बलों के झुकाव और भविष्य की जरूरतों को समझने केलिए भी पर्याप्त अवसर प्रदान करेगा। उन्होंने बतायाकि तीसरी सूची में अत्यधिक जटिल प्रणाली, सेंसर, हथियार और गोला-बारूद शामिल हैं ये हैं-हल्के टैंक, माउंटेड आर्टी गन सिस्टम (155एमएमX 52सीएएल), पिनाका एमएलआरएस केलिए गाइडेड एक्सटेंडेड रेंज रॉकेट, नौसेना के उपयोग के लिए हेलीकॉप्टर, नई पीढ़ी की अपतटीय पेट्रोल पोत, जहाजों केलिए रडार, मध्यम रेंज की पोतरोधी मिसाइल, अत्याधुनिक हल्के टॉरपीडो शिप लॉंच, उच्च सहनशील स्वायत्त अंडरवाटर वाहन, मध्यम ऊंचाई की अधिक सहनशक्ति मानवरहित हवाई वाहन, विकिरणरोधी मिसाइल और लॉटरिंग युद्ध सामग्री शामिल हैं, इन सबका विवरण रक्षा मंत्रालय की वेबसाइट पर उपलब्ध है।
रक्षामंत्री ने तीसरी सूची को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के 'आत्मनिर्भर भारत' की सोच को प्राप्त करने केलिए सरकार की ओरसे किए जा रहे व्यापक प्रयासों का प्रतीक बताया। राजनाथ सिंह ने विश्वास व्यक्त कियाकि यह नई सूची घरेलू उद्योग के विकास में महत्वपूर्ण साबित होगी और देश की अनुसंधान एवं विकास और विनिर्माण क्षमता को उच्च स्तरपर ले जाएगी। उन्होंने कहाकि यह सूची सभी हितधारकों केसाथ गहन विचार-विमर्श केबाद तैयार की गई है, इनमें डीआरडीओ, रक्षा उत्पादन विभाग, सेवा मुख्यालय और निजी उद्योग शामिल हैं। राजनाथ सिंह ने आश्वासन दियाकि पिछली दो सूचियों की तरह ही इस तीसरी सूची में दी गई समयसीमा का अनुपालन किया जाएगा। उन्होंने कहाकि रक्षा मंत्रालय और सेवा मुख्यालय उद्योग की हैंडहोल्डिंग करने सहित सभी जरूरी कदम उठाएंगे। रक्षामंत्री ने एक ऐसे इकोसिस्टम के निर्माण को लेकर सरकार के प्रयास को दोहराया, जो रक्षानिर्माण में आत्मनिर्भरता सुनिश्चित करता है एवं निर्यात को प्रोत्साहित करता है। इससे पहले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने एक वेबिनार 'रक्षा में आत्मनिर्भरता: कार्रवाई का आह्वान' में रक्षा मंत्रालय के स्वदेशीकरण प्रयासों की सराहना की थी और घोषणा की थीकि तीसरी सकारात्मक स्वदेशीकरण सूची जल्द ही जारी की जाएगी।
रक्षामंत्री ने कहाकि डीआरडीओ ने भी 25 उद्योगों केसाथ 30 प्रौद्योगिकी हस्तांतरण समझौतों पर हस्ताक्षर करके स्थानीय विनिर्माण को मजबूत करने पर जोर दिया है। रक्षामंत्री ने देशभर में 16 डीआरडीओ प्रयोगशालाओं की विकसित 21 प्रौद्योगिकियों से संबंधित समझौतों को सौंपा है, इन प्रौद्योगिकियों में डीआरडीओ युवा वैज्ञानिक प्रयोगशाला पुणे की विकसित क्वांटम रैंडम नंबर जेनरेटर, काउंटर ड्रोन प्रणाली, लेजर निर्देशित ऊर्जा हथियार प्रणाली, मिसाइल वारहेड, उच्च विस्फोटक सामाग्रियां, उच्चस्तरीय इस्पात, विशिष्ट सामाग्रियां, प्रणोदक, निगरानी एवं परीक्षण, रडार वार्निंग रिसीवर, सीबीआरएम यूजीवाई, माइन (सुरंग बम) बैरियर, फायर फाइटिंग शूट्स और सुरंग बमरोधी जूते शामिल हैं। अब तक डीआरडीओ ने भारतीय उद्योगों केसाथ 1,430 से अधिक प्रौद्योगिकी हस्तांतरण समझौते किए हैं, इनमें से पिछले दो वर्ष में रिकॉर्ड संख्या में लगभग 450 समझौतों पर हस्ताक्षर किए गए हैं। राजनाथ सिंह ने डीआरडीओ और उद्योग जगत को बधाई दी। उन्होंने कहाकि उद्योग क्षेत्र को 30 प्रौद्योगिकी हस्तांतरण समझौते सौंपना, भारतीय उद्योगों की ओर से डीआरडीओ की विकसित स्वदेशी तकनीकों में बढ़ते विश्वास को दिखाता है।
रक्षामंत्री ने कहाकि यह रक्षा प्रणालियों और प्लेटफार्मों में विनिर्माण इकोसिस्टम को और अधिक मजबूत करेगा। उन्होंने आशा व्यक्त कीकि भारत को वैश्विक रक्षा विनिर्माण केंद्र बनाने केलिए निजी क्षेत्र, सरकार की ओरसे प्राप्त अवसरों का पूरा उपयोग करेगा। रक्षामंत्री ने घरेलू उद्योग की भागीदारी को अधिकतम करने केलिए सरकार की ओरसे किए गए उपायों की जानकारी दी। उन्होंने कहाकि आत्मनिर्भरता को बढ़ावा देने और आयात निर्भरता को कम करने को लेकर पूंजीगत खरीद बजट का 68 फीसदी हिस्सा घरेलू खरीद केलिए निर्धारित किया गया है, इसके अलावा अन्य उपायों में उद्योग, स्टार्ट-अप और शिक्षा केलिए रक्षा अनुसंधान एवं विकास बजट का 25 फीसदी व आयुध निर्माणी बोर्ड का निगमीकरण शामिल है। राजनाथ सिंह ने कहाकि बाधाओं के बावजूद भारत ने अपने वैज्ञानिकों और शोधकर्ताओं के धैर्य तथा दृढ़ संकल्प के कारण परमाणु प्रौद्योगिकी और अंतरिक्ष प्रौद्योगिकी में हमेशा से अपनी ताकत पर असाधारण रूपसे अच्छा प्रदर्शन किया है।
रक्षामंत्री ने कहाकि इसी संकल्प केसाथ भारत जल्द ही एक ऐसे वैश्विक विनिर्माण केंद्र के रूपमें रूपांतरित हो जाएगा, जो अंतर्राष्ट्रीय बाजार में एक प्रमुख शक्ति होने के अलावा घरेलू जरूरतों को भी पूरा करता है। उन्होंने इन तीनों सूचियों को एक आत्मअधिरोपित संकल्प के रूपमें वर्णित किया, जो एक मजबूत और आत्मनिर्भर 'नए भारत' का मार्ग प्रशस्त कर सकता है। उन्होंने रक्षा उत्पादन में आत्मनिर्भरता और निर्यात में प्रोत्साहन के महत्व को रेखांकित किया और इसे एक महत्वपूर्ण पहलू बताया, जो देश की सामाजिक और आर्थिक स्थिति में सुधार सहित अर्थव्यवस्था एवं राष्ट्रीय सुरक्षा को भी मजबूत करता है। रक्षामंत्री ने कहाकि विदेशी सॉफ्टवेयर कोड केसाथ प्रणाली का आयात सुरक्षा तंत्र केलिए खतरनाक साबित हो सकता है, क्योंकि इससे सूचनाओं तक पहुंचने की आशंका होती है, उन्होंने रक्षा उपकरणों और प्लेटफॉर्म प्रौद्योगिकियों के स्वदेशी विकास का आह्वान किया। स्वदेशीकरण पर अधिक ध्यान देने की जरूरत पर जोर देते हुए उन्होंने कहाकि आज रक्षा का दायरा केवल सीमाओं तक ही सीमित नहीं है।
रक्षामंत्री ने कहाकि अब कोई भी व्यक्ति विभिन्न संचार विधियों की सहायता से किसी देश की सुरक्षा व्यवस्था में सेंध लगा सकता है, यह कोई मायने नहीं रखता हैकि प्रणाली कितनी मजबूत है, अगर इसे किसी दूसरे देश से जोड़ा जाता है तो सुरक्षा के भंग होने की आशंका रहती है। उन्होंने कहाकि इससे पहले टैंक और हेलीकॉप्टर जैसे रक्षा उपकरण मुख्य रूपसे यांत्रिक प्रकृति के थे, उनपर नियंत्रण पाना संभव नहीं था, लेकिन नई रक्षा प्रणालियां एवं प्लेटफॉर्म इलेक्ट्रॉनिक और सॉफ्टवेयर से युक्त हैं, उन्हें कहीं से भी नियंत्रित या नष्ट किया जा सकता है। राजनाथ सिंह ने युद्ध उपकरणों के घरेलू उत्पादन पर जोर दिया, क्योंकि यह युद्धों के दौरान निर्बाध आपूर्ति सुनिश्चित करता है। उन्होंने इस बात की सराहना कीकि पहली दो सकारात्मक स्वदेशीकरण सूचियों में युद्ध उपकरण के आयात प्रतिस्थापन पर पूरा ध्यान दिया गया है। रक्षामंत्री ने कहाकि जब रक्षा वस्तुओं के ऑर्डर घरेलू रक्षा उद्योग को दिए जाते हैं तो इससे देश में फैले इस क्षेत्र से जुड़े सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्योग में काम करने वाले लाखों लोगों को रोज़गार भी मिलता है।
राजनाथ सिंह ने कहाकि आत्मनिर्भरता का मतलब विश्व के बाकी अन्य हिस्सों से अलग रहकर काम करना नहीं है, बल्कि देश के भीतर उनकी सक्रिय भागीदारी केसाथ काम करना है। उन्होंने कहाकि यहां तककि 'आत्मनिर्भर भारत अभियान' केतहत हमारे पास ऐसे प्रावधान हैं, जो विदेशी कंपनियों को निवेश, सहयोग, संयुक्त उद्यम स्थापित करने और लाभ कमाने केलिए उपयुक्त अवसर और वातावरण प्रदान करते हैं। रक्षामंत्री ने एक ऐसा वातावरण बनाने केलिए सरकार के निरंतर प्रयास की पुष्टि की, जहां सार्वजनिक, निजी क्षेत्र एवं विदेशी संस्थाएं मिलकर काम कर सकें और भारत को रक्षा निर्माण में विश्व के अग्रणी देशों मेसे एक बनने में सहायता कर सकें। इस दौरान रक्षा राज्यमंत्री अजय भट्ट, रक्षा सचिव डॉ अजय कुमार, वायुसेना प्रमुख एयर चीफ मार्शल वीआर चौधरी, नौसेना प्रमुख एडमिरल आर हरिकुमार, थलसेना के उप-प्रमुख लेफ्टिनेंट जनरल मनोज पांडे, रक्षा अनुसंधान और विकास विभाग के सचिव व डीआरडीओ के अध्यक्ष डॉ जी सतीश रेड्डी, रक्षा मंत्रालय के वरिष्ठ नागरिक, सैन्य अधिकारी और उद्योग जगत के प्रतिनिधि भी उपस्थित थे।