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Thursday 14 April 2022 05:34:17 PM
नई दिल्ली। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आज जहां नई दिल्ली में प्रधानमंत्री संग्रहालय का उद्घाटन किया और कहाकि यह संग्रहालय आज़ादी के बादसे देश के प्रधानमंत्रियों को समर्पित है, वहीं उन्होंने बाबासाहेब डॉ भीमराव रामजी आंबेडकर को यह कहते हुए श्रद्धांजलि अर्पित कीकि जिस संविधान के मुख्य वास्तुकार बाबासाहेब थे, उस संविधान ने हमें संसदीय प्रणाली का आधार दिया और इस संसदीय प्रणाली की मुख्य जिम्मेदारी देश के प्रधानमंत्री पद पर है। उन्होंने कहाकि दलितों, पीड़ितों, वंचितों और शोषितों के कल्याण केलिए बाबासाहेब के विचार हमारी सरकार केलिए प्रेरणापुंज हैं, यही वजह हैकि हमारी सभी योजनाएं गरीब से गरीब को ध्यान में रखकर लागू की गई हैं। उन्होंने कहाकि सामाजिक न्याय की दिशा में हमने कई मानदंड तय किए हैं। उन्होंने कहाकि जब देश अपनी आजादी के 75 वर्ष का अमृत महोत्सव मना रहा है, तब प्रधानमंत्री संग्रहालय एक भव्य प्रेरणा बनकर आया है। प्रधानमंत्री ने कहाकि इन 75 वर्ष में देश ने अनेक गौरवमय पल देखे हैं, इतिहास के झरोखे में इन पलों का जो महत्व है, वो अतुलनीय है।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहाकि ये उनका सौभाग्य हैकि आज उन्हें प्रधानमंत्री संग्रहालय देशको समर्पित करने का अवसर मिला है। उन्होंने इस अवसर पर उपस्थित पूर्व प्रधानमंत्रियों के परिवारों को भी बधाई दी। प्रधानमंत्री ने आजादी केबाद से सभी सरकारों के योगदान की सराहना की। उन्होंने कहाकि स्वतंत्र भारत में बनी हर सरकारों का देश को ऊंचाई पर लेजाने में योगदान है और यह बात मै लालकिले से भी कईबार दोहरा चुका हूं। प्रधानमंत्री ने कहाकि संग्रहालय भी हर सरकार की साझी विरासत का जीवंत प्रतिबिंब बन गया है। उन्होंने कहाकि देश के हर प्रधानमंत्री ने संवैधानिक लोकतंत्र के लक्ष्यों को हासिल करने में अमूल्य योगदान दिया है, उन्हें याद करना स्वतंत्र भारत की यात्रा को जानना है। प्रधानमंत्री ने कहाकि यहां आनेवाले लोग देश के पूर्व प्रधानमंत्रियों के योगदान, उनकी पृष्ठभूमि, उनके संघर्ष और रचनाओं से परिचित होंगे। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इस बात पर गर्व व्यक्त कियाकि कई प्रधानमंत्री सामान्य परिवारों से आए हैं, ऐसे बेहद गरीब, किसान परिवारों के प्रधानमंत्री पद तक पहुंचने से भारतीय लोकतंत्र और इसकी परंपराओं में विश्वास मजबूत होता है।
नरेंद्र मोदी ने कहाकि यह देश युवाओं को भी विश्वास दिलाता हैकि एक सामान्य परिवार में पैदा हुआ व्यक्ति भी भारत की लोकतांत्रिक व्यवस्था में सर्वोच्च पदों पर पहुंच सकता है। प्रधानमंत्री ने आशा व्यक्त कीकि प्रधानमंत्री संग्रहालय युवा पीढ़ी के अनुभव का विस्तार करेगा। उन्होंने कहाकि हमारे युवा स्वतंत्र भारत के प्रमुख अवसरों केबारे में जितना अधिक जानेंगे, उनके निर्णय उतने ही प्रासंगिक होंगे। लोकतंत्र की जननी के रूपमें भारत की स्थिति का उल्लेख करते हुए प्रधानमंत्री ने कहाकि भारत के लोकतंत्र की सबसे बड़ी विशेषता यह हैकि यह समय के साथ लगातार बदलता रहा है, हर युग, हर पीढ़ी में लोकतंत्र को और अधिक आधुनिक एवं सशक्त बनाने केलिए निरंतर प्रयास किया गया है। प्रधानमंत्री ने कहाकि कुछ अपवादों को छोड़कर भारत में लोकतांत्रिक तरीकेसे लोकतंत्र को मजबूत करने की गौरवपूर्ण परंपरा रही है। उन्होंने कहाकि इसलिए हमारा भी दायित्व बनता हैकि हम अपने प्रयासों से लोकतंत्र को मजबूत करते रहें, भारतीय संस्कृति के समावेशी तत्वों केसाथ हमारा लोकतंत्र हमें आधुनिकता और नए विचारों को स्वीकार करने केलिए प्रेरित करता है।
भारत के समृद्ध इतिहास और समृद्ध युग को याद करते हुए प्रधानमंत्री ने भारत की विरासत और वर्तमान की सही तस्वीर के बारेमें जागरुकता फैलाने पर जोर दिया। उन्होंने कहाकि विदेशों से चुराई गई विरासत को वापस लाने के सरकार के प्रयास, गौरवशाली विरासत के स्थानों का जश्न मनाना, जलियांवाला स्मारक, बाबासाहेब की याद में पंच तीर्थ, स्वतंत्रता सेनानी संग्रहालय, आदिवासी इतिहास संग्रहालय जैसी जगहों पर स्वतंत्रता सेनानियों की यादों को संजोना इस दिशा में बड़ा कदम है। संग्रहालय के लोगो पर टिप्पणी करते हुए प्रधानमंत्री ने कहाकि चक्र 24 घंटे निरंतरता, समृद्धि और कड़ी मेहनत के संकल्प का प्रतीक है, यह संकल्प, चेतना और शक्ति आने वाले 25 वर्ष में भारत के विकास को परिभाषित करने वाली है। प्रधानमंत्री ने कहाकि हम तो उस सभ्यता से हैं जिसमें कहा जाता है-आ नो भद्राः क्रतवो यन्तु विश्वतः यानि हर तरफ से नेक विचार हमारे पास आएं! हमारा लोकतंत्र हमें प्रेरणा देता है, नवीनता को स्वीकारने की, नए विचारों को स्वीकारने की। प्रधानमंत्री ने यहां बदलती विश्व व्यवस्था और भारत की बढ़ती स्थिति को रेखांकित किया।