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Tuesday 24 May 2022 01:48:49 PM
टोक्यो। भारत और अमेरिकी सरकार ने टोक्यो में एक निवेश प्रोत्साहन समझौता किया है, जिसपर भारत के विदेश सचिव विनय क्वात्रा और यूएस इंटरनेशनल डेवलपमेंट फाइनेंस कॉर्पोरेशन के मुख्य कार्यकारी अधिकारी स्कॉट नैथन ने हस्ताक्षर किए। यह निवेश प्रोत्साहन समझौता वर्ष 1997 में भारत सरकार और संयुक्तराज्य अमेरिका सरकार केबीच हस्ताक्षरित निवेश प्रोत्साहन समझौते का स्थान लेगा। पूर्व में 1997 में निवेश प्रोत्साहन समझौता पर हस्ताक्षर किए जाने केबाद से महत्वपूर्ण प्रगति हुई हैं, जिसमें डीएफसी नाम की एक नई एजेंसी का गठन भी शामिल है।
संयुक्तराज्य अमेरिकी सरकार की एक विकास वित्त एजेंसी है-डीएफसी और इसका गठन अमेरिका के हालिया कानून बिल्ड एक्ट-2018 के अधिनियमन केबाद पूर्ववर्ती विदेशी निजी निवेश निगम की उत्तराधिकारी एजेंसी के रूपमें हुआ है। निवेश प्रोत्साहन समझौते से उम्मीद जताई गई हैकि इससे भारत में डीएफसी की दी जानेवाली निवेश सहायता में वृद्धि होगी, जिससे भारत के विकास में और अधिक मदद मिलेगी। निवेश प्रोत्साहन समझौते का उद्देश्य ऋण, इक्विटी निवेश, निवेश गारंटी, निवेश बीमा या पुनर्बीमा, संभावित परियोजनाओं एवं अनुदानों केलिए व्यवहार्यता अध्ययन जैसे डीएफसी के प्रस्तावित अतिरिक्त निवेश सहायता कार्यक्रमों केसाथ तालमेल बनाए रखना है।
भारत में निवेश सहायता प्रदान करना जारी रखने केलिए डीएफसी केलिए समझौता कानूनी आवश्यकता है। डीएफसी या उनकी पूर्ववर्ती एजेंसियां भारत में 1974 से सक्रिय हैं और अबतक 5.8 बिलियन डॉलर की निवेश सहायता प्रदान कर चुकी हैं, जिसमें से 2.9 बिलियन डॉलर अभी भी बकाया है। डीएफसी केपास भारत में निवेश सहायता प्रदान करने केलिए 4 बिलियन डॉलर का प्रस्ताव विचाराधीन है। डीएफसी ने उन क्षेत्रों में निवेश सहायता प्रदान की है, जो विकास केलिए महत्वपूर्ण हैं जैसे-कोविड वैक्सीन का निर्माण, सम्पूर्ण स्वास्थ्य संबंधी वित्तपोषण, नवीकरणीय ऊर्जा, एसएमई वित्तपोषण, वित्तीय समावेशन, बुनियादी ढांचा आदि।