Wednesday 25 May 2022 01:19:29 PM
सुषमा गौतम
लखनऊ। उत्तर प्रदेश विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष और समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष अखिलेश यादव विधानसभा चुनाव में अपनी जबरदस्त पराजय और सपा पर विघटन के साए के अवसाद से जूझ रहे हैं, यह उनपर विधानसभा सत्र में साफ झलक रहा है। कहने वाले तो सवाल खड़ा कर रहे हैंकि विधानसभा के आगे के सत्रों में फिर उनकी क्या हालत रहेगी? विधानसभा में मुख्यमंत्री की कुर्सी के ठीक सामने नेता प्रतिपक्ष की कुर्सी पर बैठे अखिलेश यादव की सरकार में नहीं आने की तिलमिलाहट और योगी सरकार के खिलाफ उनके खीजभरे बयान खुद को ही उलझा रहे हैं। विधानसभा में नियम-56 में कल उन्होंने अपना अवसाद उत्तर प्रदेश की कानून व्यवस्था पर उतारा, मगर वे नेता सदन और मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के करारे और माकूल जवाब में उलझ गए। अखिलेश यादव से कोई उत्तर नहीं बना, जिसके बाद उनका विधानसभा सत्र में सहज रूपसे बैठे रहना मुश्किल हो गया। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ और अपने विधायकों की मौजूदगी में ही वे थोड़ी देर बाद अकेले उठकर विधानसभा से चले गए।
विधानसभा चुनाव में बेमेल राजनीतिक गठबंधन करके दोबारा मुख्यमंत्री बनने की अखिलेश यादव की तीव्र महत्वाकांक्षा के दुष्परिणाम रह-रहकर उन्हें आईना दिखा रहे हैं। विधानसभा सत्र के दूसरे दिन सत्र शुरू होते ही नेता प्रतिपक्ष अखिलेश यादव ने ज़िदपूर्वक कानून व्यवस्था को मुद्दा बनाकर इसे तुरंत नियम-56 के तहत उठाना चाहा तो विधानसभा अध्यक्ष सतीश महाना ने उनसे कहाकि दूसरे कार्यों और प्रश्नोत्तर केबाद इसे उठा सकते हैं तो वह बैठ गए। जैसेही प्रश्नोत्तर खत्म हुआ अखिलेश यादव तुरंत खड़े हो गए। पीठ ने उनको जैसेही नियम-56 में अपनी बात रखने की अनुमति दी तो उन्होंने मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को टारगेट करते हुए उत्तर प्रदेश की कानून व्यवस्था पर हल्ला बोल दिया। अखिलेश यादव ने सरकार पर अपराधों पर जीरो टॉलरेंस का तंज कसते हुए आरोपों की झड़ी लगा दी। उन्होंने कहाकि यूपी में जो अपराधिक घटनाएं हो रही हैं, दुष्कर्म हो रहे हैं, उनके आंकड़े देखें तो उत्तर प्रदेश महिलाओं बेटियों के खिलाफ अपराधों में सबसे आगे है। उन्होंने कहाकि सरकार कहती हैकि यह जीरो टॉलरेंस की सरकार है मगर आज इस बातपर कोई यकीन नहीं कर रहा है।
अखिलेश यादव का मुख्य फोकस ही सरकार को किसी न किसी तरह घेरना पर था। उन्होंने दोनों हाथों से चिर-परिचित अपने सर के बाल संभालते हुए तीखे अंदाज में कहाकि भारतीय जनता पार्टी की सरकार का जबसे गठन हुआ है, प्रदेश में महिलाओं, बच्चों, छात्राओं केसाथ होनेवाली आपराधिक घटनाओं में बेतहाशा वृद्धि हो गई है, स्थिति यह हैकि छात्राएं भयभीत होकर पढ़ाई छोड़ रही हैं, महिलाओं का घर से निकलना दूभर हो गया है, अराजकतत्व निरंकुश हो गए हैं, उन्हें पुलिस प्रशासन और कानून का कोई भय नहीं रहा है, सरकार की निष्क्रियता और कुरीतियों से प्रशासन पंगु हो गया है। अखिलेश यादव ने उदाहरण केलिए कुछ घटनाओं का बढ़ाचढ़ाकर उल्लेख किया। अखिलेश यादव का कहना थाकि सरकार आपराधिक घटनाओं को लेकर संवेदनशील नहीं है और थाने भी अराजकता के केंद्र बन जाएंगे, यह किसी को उम्मीद नहीं थी। उन्होंने सरकार से सवाल कियाकि क्या यही सरकार का जीरो टॉलरेंस है? अखिलेश यादव ने पूछाकि अपराधिक घटनाएं न हों, इसके लिए सरकार क्या कर रही है? क्योंकि जब प्रशासन और सरकार अपराधियों केसाथ खड़ी हो जाएगी तो जनता को न्याय कैसे मिलेगा?
नेता प्रतिपक्ष अखिलेश यादव के योगी सरकार पर जो आरोप थे, उनमें कितना दम है, यहतो सारा प्रदेश और देश जानता-समझता है, लेकिन उन्होंने जिस प्रकार से कानून व्यवस्था का मुद्दा उठाया और योगी सरकार को टारगेट किया, उससे साफ लग रहा थाकि अखिलेश यादव के पास खिसियाहट के अलावा कोई मुद्दा नहीं है। गौरतलब हैकि अपवाद को छोड़कर हर तीज-त्योहार और संवेदनशील अवसर पर उत्तर प्रदेश की कानून व्यवस्था चाकचौबंद पाई गई है। देश के दूसरे राज्यों तक में इसकी प्रशंसा होती है, मगर अखिलेश यादव और कांग्रेस को यह नज़र नहीं आती है। अखिलेश यादव के आरोपों को मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने गौर से सुना और जब उनके जवाब देने की बारी आई तो उन्होंने नेता प्रतिपक्ष अखिलेश यादव को एक-एककर आईने दिखाए। अखिलेश यादव इसमें अकेले पड़ गए, उसके बाद वे अकेले ही सदन से चले गए। दरअसल अखिलेश यादव इस बातसे भी परेशान हैंकि उनके ही दल के कुछ नेता और विधायक उनसे दूर हैं। जैसे उनके चाचा शिवपाल सिंह यादव और जैसे आजम खां नाराज हैं और समाजवादी पार्टी में विघटन की स्थिति बनी हुई है। उनका गुस्सा लॉ एंड ऑर्डर पर कम था, उनका निशाना योगी आदित्यनाथ और गाहेबगाहे समाजवादी पार्टी के वे नेता भी हैं, जिन्होंने उनके खिलाफ अभियान छेड़ा हुआ है।
अखिलेश यादव अच्छी तरह से जानते हैंकि योगी आदित्यनाथ की सरकार में कानून व्यवस्था चाक-चौबंद है, अपराधियों पर भू-माफियाओं पर कड़ी कार्रवाई हुई है और इनमें अधिकांश अपराधी वो भी हैं, जिनको कि अखिलेश यादव और उनकी सरकार का संरक्षण मिला करता था। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने भी कल विधानसभा में यही बात कही। अखिलेश यादव को यह बात अच्छी तरह से मालूम हैकि वह जो आरोप लगा रहे हैं, वह केवल आरोप ही हैं, उनमें बहुत सी कानून व्यवस्था की घटनाएं एवं समस्याएं ऐसी मानी जाती हैं, जिनके पीछे समाजवादी पार्टी रही है और जिनपर योगी सरकार ने कड़ी से कड़ी कार्रवाई की है। अखिलेश यादव ने जिस अंदाज में कानून व्यवस्था का मुद्दा उठाया और उसका मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने जब जवाब दिया तो उनके पास खामोश रह जाने के अलावा कुछ नहीं था। जैसे-मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कहाकि ये भारतीय जनता पार्टी की सरकार है, जहां अपराधियों के बारे यह नहीं कहा जाता हैकि लड़के हैं उनसे गलती हो जाती है। मुख्यमंत्री ने कहाकि अपराधी कोई भी हो उसपर जीरो टॉलरेंस के तहत ही कार्रवाई होती है, अपराध कोई भी और किसी भी प्रकार का हो, वह अक्षम्य है और खासतौर से महिला संबंधी अपराध के मुद्दे पर उनकी सरकार पूरी गंभीरता के साथ कठोरतापूर्वक कार्रवाई करती है और कर रही है।
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कहाकि नेता प्रतिपक्ष हर उस अपराधी का समर्थन करते हैं, जो अराजकता के पर्याय थे और हैं। उन्होंने कहाकि इन वर्ष के अंदर प्रदेश में बेहतर कानून व्यवस्था के माहौल से ही भाजपा सरकार को फिरसे जनता का व्यापक समर्थन मिला है। उन्होंने कहाकि आधी आबादी ने जिस भावसे समर्थन दिया है, वह अभिनंदनीय है, सरकार पूरी प्रतिबद्धता और बिना किसी भेदभाव के अपराधियों पर कार्रवाई कर रही है, सबको सुरक्षा देना सरकार की जिम्मेदारी है। योगी आदित्यनाथ ने कहाकि 2017 के बाद से अपराधों में बहुत गिरावट आई है, कुछ लोगों ने विधानसभा चुनाव के समय में कुछ हरकत की थी, कुछही घंटे में उन्हें नियंत्रित कर उपकी गर्मी निकाल दी गई। उन्होंने कहाकि सपा की सरकार में प्रदेशभर में 500 से ज्यादा दंगे हुए थे, जबकि इस सरकार में रामनवमी हो या लाउडस्पीकर हों, किसी प्रकार का कोई दंगा झगड़ा नहीं हुआ और यह बहुत अच्छी बात हैकि हमारी अपील पर लाउडस्पीकर हो या अलविदा की नमाज, त्योहारों पर शांति बनी रही, जिसमें हम धर्मगुरुओं के पूरे सहयोग का धन्यवाद देंगे। उन्होंने कहाकि सरकार ने 2000 करोड़ से अधिक की संपत्ति अपराधियों और भू-माफियाओं से मुक्त कराई है, कुछ लोग हैं, जो कुछ न कुछ तो करेंगे, सरकार ने प्रशासन को अपराधियों के विरुद्ध कड़ी से कड़ी कार्रवाई की छूट दी है।
विधानसभा में सपा के सहयोगी दल सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी के नेता ओमप्रकाश राजभर ने अपने साथ हुई कथित घटना को उठाया, जिसमें सरकार ने निष्पक्ष कार्रवाई का भरोसा दिया। ओमप्रकाश राजभर इसे बढ़ाचढ़ाकर बताने की कोशिश कर रहे थे। कुल मिलाकर अखिलेश यादव उत्तर प्रदेश में कानून व्यवस्था के मुद्दे पर ठहर नहीं पाए। विधानसभा में अखिलेश यादव केलिए नेता प्रतिपक्ष की भूमिका कोई आसान नहीं है, इसका कारण उनका एकल होना और सरकार में रहने की प्रवृति मानी जाती है, जिसके बिना वह नहीं रह सकते। इस संदर्भ में ओमप्रकाश राजभर का यह कहना बहुत मायना रखता हैकि अखिलेश यादव बाहर निकला करें। आखिर कुछ तो है कि शिवपाल सिंह यादव सरकार में न रहने पर परेशान या तनाव में नहीं दिखते हैं, जबकि अखिलेश यादव एक ऐसी आक्रामकता से प्रभावित नज़र आते हैं, जोकि मुख्यमंत्री की कुर्सी पर रहे राजनेता के लिए अच्छी नहीं मानी जाती है। कहा जाता हैकि इसी कारण उनके राजनीतिक फैसले और बयान उन्हें कहीं न कहीं विवाद और परेशानी में डाले रहते हैं। विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष के रूपमें उनकी शुरूआत तैश में हुई है और यदि उनके व्यवहार में ऐसी ही स्थिति जारी रही तो इसका खामियाजा सपा को भी उठाना पड़ सकता है, क्योंकि सपा में भी उनकी आलोचना के स्वर साफ सुनाई देने लगे हैं।