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Thursday 2 June 2022 12:51:45 PM
नई दिल्ली। भारतीय विशिष्ट पहचान प्राधिकरण यानी यूआईडीएआई ने 'आधार उपयोग को सरल बनाने केलिए हालिया पहल' पर एक कार्यशाला आयोजित की, जिसमें राज्य एवं केंद्रशासित प्रदेश की सरकारों के विभिन्न विभागों की ओरसे अपनाए गए आधार उपयोग में प्रमुख विकास और सर्वश्रेष्ठ अभ्यासों को साझा किया गया। आधार आधारित प्रमाणीकरण और सत्यापन अवसंरचना का निर्माण करके आधार ने देश के डिजिटल परिदृश्य को हमेशा केलिए बदल दिया है। आधार मंच का उपयोग करते हुए राज्य एवं केंद्रशासित प्रदेश सरकार की योजनाओं केतहत संचालित कई आधार नवाचार हैं, जिन्होंने जमीनी स्तरपर वित्तीय और सामाजिक समावेशन प्राप्त करने में एक गेम चेंजर होने की क्षमता दिखाई है। वर्तमान में डिजिटल पहचान आधारित प्रणालियां किसीभी समाज के सामाजिक और आर्थिक विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती हैं और आधार भारत के सबसे महत्वपूर्ण नवाचारों मेंसे एक साबित हुआ है।
आधार ने बड़ी संख्या में ऐसे लोगों को पहचान दी है, जिनके पास पहले कोई पहचान नहीं थी, इसने ई-केवाईसी सेवाओं को सक्षम करके दरवाजे पर और मोबाइल फोन के जरिए बैंकिंग सेवा प्रदान करके डिजिटल खाई को समाप्त कर दिया है। सरकार की कई कल्याणकारी पहलों के जरूरतमंद और योग्य प्राप्तकर्ताओं के बैंक खातों में प्रत्यक्ष नकद हस्तांतरण की सुविधा प्रदान की गई है। कार्यशाला में नीति आयोग के सीईओ अमिताभ कांत, इलेक्ट्रॉनिकी और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय के सचिव अल्केश कुमार शर्मा, वित्त सचिव टीवी सोमनाथन, विज्ञान और प्रौद्योगिकी विभाग में वरिष्ठ सलाहकार डॉ अखिलेश गुप्ता, यूआईडीएआई के सीईओ डॉ सौरभ गर्ग और राज्य एवं केंद्रशासित प्रदेश की सरकारों के गणमान्य व्यक्ति शामिल हुए। नीति आयोग के सीईओ अमिताभ कांत ने इस अवसर पर कहाकि आधार ने लाभार्थियों को सशक्त बनाने वाले डिजिटल खाई को समाप्त करने, पारदर्शिता लाने और राज्य एवं केंद्रशासित प्रदेशों की सरकारों के समर्थन से बड़ी मात्रा में सार्वजनिक धनराशि की बचत करने में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है।
नीति आयोग के सीईओ ने कहाकि आधार न केवल विभिन्न सरकारी योजनाओं एवं 350 से अधिक केंद्रीय और 500 राज्य एवं केंद्रशासित प्रदेशों की योजनाओं केलिए सेवा प्रदान करने का आधार है, बल्कि इसने सार्वजनिक बुनियादी ढांचे के डिजिटलीकरण पर महत्वपूर्ण अनुकरणीय प्रभाव डाला है, जिसके कारण अधिक समावेशी विकास हुआ है। उन्होंने कहाकि इस विशाल डिजिटल अवसंरचना केसाथ यूपीआई पारदर्शिता बढ़ाने और शासन में सुधार केलिए भविष्य की तकनीक का लाभ उठाने केलिए एक अद्वितीय अवसर उत्पन्न करता है। वित्त सचिव टीवी सोमनाथन ने कहाकि विज्ञान, प्रौद्योगिकी और नवाचार में भारत की समृद्ध विरासत है, हमारा मानना हैकि भारत विश्वस्तरीय वैज्ञानिक समाधानों को प्राप्त करके ही आगे बढ़ेगा। उन्होंने कहाकि पीडीएस योजनाओं में आधार की भूमिका विख्यात उदाहरणों में से एक है। उन्होंने इस बात की सराहना कीकि हमें एक भारतीय के रूपमें इस तथ्य पर गर्व होना चाहिए कि आधार का निर्माण हमने किया था, नकि पश्चिमी विश्व से नकल किया गया और यह विश्व में सबसे सफल बायोमेट्रिक कार्यक्रमों में से एक होने का प्रमाण है।
आईटी मंत्रालय के सचिव अल्केश कुमार शर्मा ने यूआईडीएआई के प्रयासों की सराहना की और आगे का रोडमैप प्रस्तुत किया। उन्होंने कहाकि आज एक देश के रूपमें हम एक और बदलाव के मुहाने पर खड़े हैं। उन्होंने कहाकि अप्रैल 2022 तक 133 करोड़ से अधिक आधार जारी किए जा चुके हैं, जिसमें देश में 99.9 फीसदी से अधिक वयस्क जनसंख्या आधार में नामांकित हैं, किसानों से लेकर छात्रों तक, भारत का लगभग हर नागरिक सरकारी और गैर-सरकारी, दोनों तरह की सेवाएं प्राप्त करने वाले आधार से लाभांवित हो रहे हैं। यूआईडीएआई के सीईओ डॉ सौरभ गर्ग ने एक दशक में आधार की सफलता और डीबीटी, शिक्षा, छात्रवृत्ति, फिनटेक व स्वास्थ्य सेवा आदि जैसे क्षेत्रों में आधार को एक आधारभूत पहचान के रूपमें उपयोग करने के कई अवसरों के बारे में बताया। उन्होंने डिजिटल पहचान का उपयोग करके विभिन्न अप्रयुक्त क्षेत्रों का उपयोग करने और खाइयों को दूर करने पर भी चर्चा की, जिससे सुदूर क्षेत्र के उपयोगकर्ताओं तक पहुंचकर सामाजिक एवं वित्तीय सार्वभौमिक समावेशन को प्राप्त किया जा सकता है। उन्होंने बतायाकि आनेवाले दिनों में यूआईडीएआई का ध्यान पांच प्रमुख क्षेत्रों पर होगा-निवासी केंद्रितता और पहुंच में सुगमता आधार का उपयोग बढ़ाना, आधार की विश्वसनीयता को मजबूत करना, आधार प्रौद्योगिकी स्टैक का उन्नयन और आधार संरचना की अंतर्राष्ट्रीय पहुंच।
कार्यशाला में आधार इकोसिस्टम के कामकाज और अच्छे अभ्यासों का प्रदर्शन किया गया। इसके बाद विभिन्न योजनाओं जैसेकि ईपीओसीआरए, एआरपीएएनए, केएएलआईए, एफडीएस व डीबीटी योजनाओं आदि केलिए आधार मंच का उपयोग करने वाले राज्य एवं केंद्रशासित सरकार के विभागों ने प्रस्तुतियां दीं। विज्ञान और प्रौद्योगिकी विभाग के वरिष्ठ सलाहकार डॉ अखिलेश गुप्ता ने डिजिटल इंडिया की विशिष्ट उपलब्धियों को रेखांकित किया। उन्होंने कहाकि प्रौद्योगिकी शिक्षा, स्वास्थ्य देखभाल, वित्त एवं कृषि क्षेत्रों केलिए बेहतर सेवाओं तक पहुंच को सक्षम बनाती है। उन्होंने कहाकि यह पारदर्शिता और जवाबदेही सुनिश्चित करने में भी सहायता करती है और आधार यहां एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। उन्होंने दोहरायाकि एआई/ एमएल प्रौद्योगिकियों में प्रगति विशेष रूपसे छवि विश्लेषण और पैटर्न मिलान केलिए गहन शिक्षा ने बायोमेट्रिक मिलान के विभिन्न तरीकों में सफलता को सक्षम किया है और इसके चलते विशेष रूपसे सटीकता और गति में काफी बढ़ोतरी हुई है। इन प्रमुख क्षेत्रों का उपयोग यूआईडीएआई द्वारा राज्य एवं केंद्रशासित सरकारों केसाथ समन्वय करके अधिक प्रभावशाली कवरेज और बड़े पैमाने पर बेहतर पहुंच केलिए किया जाना चाहिए।
यूआईडीएआई के सीईओ डॉ सौरभ गर्ग ने हार्डवेयर, सॉफ्टवेयर और एप्लिकेशन स्टैक के मामले में उपलब्ध विशिष्ट तकनीक को अपग्रेड एवं अपनाकर आधार सेवाओं को प्रदान करने में सुधार केलिए शोधकर्ताओं, शैक्षणिक संस्थानों, उद्योग व स्टार्ट-अप्स केसाथ मिलकर काम करने केलिए यूआईडीएआई की प्रतिबद्धता को दोहराया। उन्होंने आधार आधारित मंच के भविष्य पर वक्ताओं व आमंत्रितों की ओर से प्रस्तावित विभिन्न सुझावों और पहलों का स्वागत किया, जो आने वाले समय में राज्यों केलिए मूल्यवान होंगे। कार्यशाला का समापन अध्यक्ष, वक्ताओं और उपस्थित लोगों के साथ-साथ आधार के उपयोग के जरिए आसान पहुंच प्रदान करने और निवासियों के जीवन को सरल बनाने के समग्र उद्देश्य के साथ राज्य एवं केंद्रशासित प्रदेश आधारित योजनाओं में विकास के कई रास्ते प्रदान करने केलिए राज्य एवं केंद्रशासित प्रदेश के सरकारी विभागों केसाथ सहयोग करने की प्रतिबद्धता की सराहना की।