स्वतंत्र आवाज़ डॉट कॉम
Saturday 23 July 2022 12:32:46 PM
नई दिल्ली। केंद्रीय कृषि एवं किसान कल्याण मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने कहा हैकि आजादी केबाद पहलीबार नरेंद्र मोदी सरकार में किसान को सम्मानजनक शब्द से सम्मानित करने का काम किया गया है। कृषिमंत्री ने कहाकि किसान दुःखी, बेचारा, भूखा या विपन्न नहीं है, बल्कि इस शब्दावली से बाहर निकलने की जरूरत है, किसान गरीब हो सकता है, उसकी खेती का रकबा छोटा हो सकता है, लेकिन इसके बावजूद वह न केवल अपने परिवार का गुजर-बसर करता है, बल्कि देश की कृषि अर्थव्यवस्था में भी योगदान देता है। उन्होंने कहाकि गर्व हैकि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने जब किसानों की आय में सहायता करने केलिए योजना बनाई तो उसे किसान सम्मान निधि कहा, इसके अंतर्गत किसानों को छह हजार रुपये प्रतिवर्ष दिए जाते हैं और अभीतक लगभग साढ़े ग्यारह करोड़ किसानों को दो लाख करोड़ रुपये सीधे उनके बैंक खातों में जमा किए जा चुके हैं।
कृषिमंत्री ने कहाकि नरेंद्र मोदी नेतृत्व में भारत सरकार देश को स्वस्थ एवं अग्रणी राष्ट्र बनाने केलिए विभिन्न मोर्चों पर कार्य कर रही है, वहीं गांव-गरीब-किसान को प्रधानमंत्री प्राथमिकता देते हैं। उन्होंने कहाकि गांवों का विकास, गरीबी का उन्मूलन, गैर-बराबरी समाप्त हो, किसान खुशहाल हो और किसानी उन्नत रूपमें विकसित हो यह मोदी सरकार की प्राथमिकता है, इसपर केंद्र एवं राज्य सरकारें तथा वैज्ञानिक काम कर रहे हैं, वहीं किसान भी घनघोर परिश्रम कर रहे हैं, इसीका परिणाम हम देखते हैंकि भारत दिनों-दिन समृद्धता की ओर अग्रसर हो रहा है। उन्होंने कहाकि यह समृद्धता और बढ़े इसके लिए कृषि के समक्ष विद्यमान चुनौतियों पर विचार-विमर्श कर उनका निराकरण करने की आवश्यकता है, जिसपर सरकार का ध्यान है, लेकिन समाज के सहकार के बिना सभी सुधार किए जाना संभव नहीं है। नरेंद्र तोमर ने कहाकि लोग कृषि की तरफ आकर्षित हो, साथही इस क्षेत्र में मुनाफा बढ़े इसके लिए उत्पादकता एवं आय बढ़ाने पर विचार केंद्रित करना चाहिए। उन्होंने कहाकि इस दिशा में राज्यों केसाथ मिलकर केंद्र सरकार काम कर रही है, जिसके सद्परिणाम परिलक्षित होने लगे हैं।
नरेंद्र सिंह तोमर ने कहाकि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की स्वीकार्यता, लोकप्रियता एवं निष्पक्षता देश और दुनिया में आज इतनी हैकि देश ने उनके इस आह्वान को मंत्र के रूपमें स्वीकार किया है और केंद्र-राज्य सरकारों, अधिकारियों-वैज्ञानिकों, किसानों-संगठनों सबने एक नई गति और ऊर्जा से इस बात को लिया है, इस दिशा में सरकार ने योजनाएं बनाई हैं, कृषि क्षेत्र में निजी निवेश व टेक्नॉलजी के दरवाजे खुले हैं, इससे नई पीढ़ी के पढ़े-लिखे युवा भी कृषि की ओर आकर्षित होना प्रारंभ हो गए हैं, यह बहुत शुभ संकेत हैं। उन्होंने कहाकि अब यह रास्ता खुल गया है पर हमारे विशाल देशमें इसे और मजबूत-व्यापक बनाने केलिए सबको मिलकर काम करना पड़ेगा। उन्होंने कहाकि भारत की साफ नीति एवं नियत के कारण वैश्विक मंचों पर देश की साख बढ़ी है। सम्मेलन में मॉरीशस के कृषि उद्योग व खाद्य सुरक्षा मंत्री मनीष गोबिन, ओहियो स्टेट यूनिवर्सिटी, यूएसए के प्राध्यापक पद्मश्री डॉ प्रोफेसर रतनलाल, आईसीएआर के महानिदेशक डॉ त्रिलोचन महापात्र, उप महानिदेशक डॉ एके सिंह और अनेक प्रबुद्धजन शामिल हुए। मॉरीशस के कृषि उद्योग व खाद्य सुरक्षा मंत्री मनीष गोबिन की कृषि एवं किसान कल्याण मंत्री केसाथ एक बैठक भी हुई, जिसमें इस बात पर सहमति बनी कि खाद्य सुरक्षा के मामले में दोनों देश अन्य देशों केसाथ मिलकर और मजबूती से काम करेंगे।
नरेंद्र सिंह तोमर ने कहाकि मॉरीशस से भारत के संबंध काफी प्रगाढ़ हैं और ये संबंध केवल राजनीतिक एवं व्यापारिक ही नहीं, बल्कि सांस्कृतिक और आध्यात्मिक भी हैं। नरेंद्र सिंह तोमर ने कहाकि कृषि क्षेत्र को लेकर भारत सरकार काफी गंभीर है और भारत ने खाद्यान्न उत्पादन में आत्मनिर्भरता हासिल करते हुए घरेलू केसाथ ही अन्य देशों में भी आपूर्ति की है। मनीष गोबिन ने कहाकि भारत केसाथ मॉरीशस का खून का रिश्ता है और लगभग साठ प्रतिशत लोग मॉरीशस में भारतीय मूल के हैं। उन्होंने खाद्य सुरक्षा पर एक अलायंस बनाने का आग्रह किया जैसाकि-सौर ऊर्जा के संबंध में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने किया है। उन्होंने भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद के कार्यों की तारीफ की और उससे एक समझौते का भी अनुरोध किया। कृषिमंत्री ने भारतीय कृषि के विकास में आईसीएआर की भूमिका का उल्लेख करते हुए उससे सम्बद्ध कृषि विज्ञान केंद्रों, कृषि विश्वविद्यालयों तथा 100 से ज्यादा अन्य संस्थानों की जानकारी प्रदान की, साथही एमओयू केलिए फ्रेमवर्क तैयार करने को कहा, ताकि उसपर विचार किए जा सकें।