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Thursday 4 August 2022 03:36:03 PM
लखनऊ। उत्तर प्रदेश विधानसभा के अध्यक्ष सतीश महाना की संवाद कार्यक्रम श्रृंखला में विधायकों की विधानसभा के भीतर और उनके कार्यक्षेत्र में उनकी कार्यशैली प्रशासन और जनता से संवाद और विकास के कार्यों के निष्पादन पर महत्वपूर्ण विचार-विमर्श हुआ। विधानभवन हाल में यह दूसरा संवाद था, जिसमें विधानसभा अध्यक्ष सतीश महाना ने विधानसभा सदस्य के सम्मान और उनकी योग्यता पर प्रशंसात्मक तरीके से प्रकाश डाला, उन्हें जनकल्याण के तौर-तरीकों केलिए प्रेरित किया और उनके महत्वपूर्ण विचार सुझाव और क्षेत्र के अनुभव जाने। विधानसभा अध्यक्ष ने कहाकि विधानसभा में एक से एक योग्य सदस्य हैं। उन्होंने कहाकि सबसे कठिन काम भाषण देने से भाषण सुनना है, इसलिए वे इसके लिए विधानसभा के प्लेटफार्म का उपयोग करें। उन्होंने विधायकों से कहाकि वे अपनी प्रतिभा का जनता को कैसे और कितना लाभ दे सकते हैं, विधानसभा में इसपर काम करने की ज्यादा जरूरत है।
विधानसभा अध्यक्ष सतीश महाना का पहला संवाद कार्यक्रम जब हुआ था तो उसका विधायकों में बड़ा सकारात्मक और उपयोगी संदेश गया। दूसरा संवाद कार्यक्रम भी उतना ही लोकप्रिय रहा, जिसके प्रति विधायकों में उत्साह और जिज्ञासा रही। विधायकों ने यह महसूस किया कि दलगत राजनीति अपनी जगह पर है, लेकिन विधानसभा में बैठकर जनता के कल्याण के मुद्दों को सामन्जस्य से हल कराना ज्यादा महत्वपूर्ण है, क्योंकि केवल हंगामा ही सरकार और जनता का ध्यान आकर्षित नहीं करता है, बल्कि विधानसभा में उठाए गए जनता के मुद्दे स्थानीय प्रशासन या सरकार की उदासीनता पर कारगर असर डालते हैं, सरकार की जवाबदेही सुनिश्चित होती है, इससे विधायक की योग्यता और विधानसभा क्षेत्र में लोकप्रियता भी मुखर होती है। विधानसभा अध्यक्ष का कहना थाकि विधानसभा में या उसके बाहर आज यह बात सबसे ज्यादा देखी जा रही हैकि कौन विधायक अपने क्षेत्र की या सरकार की बात को किस प्रकार से उठाता है, यह राजनीतिक व्यक्तित्व और उसकी परिपक्वता का भी एक श्रेष्ठ मार्ग है, जिसके चलते वह लोकप्रियता और सम्मान दोनों पाता है। सतीश महाना ने कहाकि हमें 5 साल में जनहित केलिए अधिक से अधिक विकास कार्य कराने चाहिएं, जिससे जिले और क्षेत्र में उनकी अलग पहचान बने।
सतीश महाना ने कहाकि विधायक इस बात का प्रयास करेंकि देश-दुनिया में विधानसभा और उत्तर प्रदेश की छवि को और कैसे उज्जवल किया जाए। उन्होंने कहाकि सीखने की कोई समय-सीमा नहीं होती है, लेकिन यह गंभीरतापूर्वक ध्यान देने वाली बात हैकि हमारी जो संवैधानिक व्यवस्था है, उसकी जानकारी आम जनमानस को नहीं है, हम सबको मिलकर और खासतौर से नए विधायकों को इसपर भी बेहतर काम करना होगा। उन्होंने कहाकि विधायकों को विधानसभा की संवैधानिक व्यवस्था और परंपराओं की जानकारी होना और उनके माध्यम से अपनी बात एवं मुद्दे का उत्कृष्ट प्रस्तुतिकरण बहुत जरूरी है। विधानसभा अध्यक्ष ने इस बात पर गर्व महसूस किया कि विधानसभा में प्रशासन, इंजीनियरिंग, अर्थ एवं प्रबंधन क्षेत्र से जुड़े विधायकों की कमी नहीं है, जनता योग्य विधायकों को चुनकर भेज रही है, जिसके बीच उनकी छवि भी है और योग्यता भी है, इसपर बहुत कुछ निर्भर करता है। सतीश महाना ने कहाकि मैं विधायकों से यह आग्रह करता हूंकि वे अपनी योग्यता और प्रभाव का देश-दुनिया में उत्तर प्रदेश की और ज्यादा बेहतरीन छवि बनाने में इस्तेमाल करें। सतीश महाना ने उनसे कहाकि वे अधिकारियों केसाथ बैठक में मुद्दों और विश्वास केसाथ जाएं, अच्छे वातावरण में विचार-विमर्श एवं संवाद से उनका समाधान कराएं। विधानसभा अध्यक्ष ने विधायकों से कई बार कहाकि वे अधिकारियों केसाथ मीटिंग में अपने अनुभव रखें, जिससे समस्याओं के समाधान में काम आएं और जनता को उनकी प्रतिभा का लाभ मिले।
विधानसभा अध्यक्ष सतीश महाना की यह प्रेरणा थीकि जिस जिले में वे रहते हैं, उस जिले की विधानसभा में आप औरों से कैसे अलग दिख सकते हैं, यह ध्यान रखने की जरुरत है, कि स्थानीय प्रशासन यह अनुभव करेकि आपको विषय की उनसे अधिक जानकारी है, इससे अक्सर सुने जाने वाले टकराव से बचा जा सकेगा, क्योंकि प्राथमिकता जनसमस्याओं का समाधान होनी चाहिए न कि नाहक टकराव। विधानसभा अध्यक्ष ने कहाकि विधानसभा सदस्यों को यह सुनिश्चित करना चाहिए कि वह पांच साल में अपने क्षेत्र की जनता को क्या अनुकरणीय देना चाहते हैं और क्या देने का प्रयास कर रहे हैं। उन्होंने कहाकि विधायक समूहों से इस तरह के संवाद के पीछे यही मंशा है और मैं आशा करता हूंकि जल्दही इस संवाद के सार्थक परिणाम देखने को मिलेंगे। वरिष्ठ विधायक आलम बदी ने संवाद में बताया कि उन्होंने 66 साल पहले इंजीनियरिंग की थी और वह भूल गए थेकि मैं इंजीनियर हूं, लेकिन आज विधानसभा अध्यक्ष सतीश महाना ने मेरी प्रतिभा को पहचाना और इस तरह के कार्यक्रम का आयोजन किया, जिसका लाभ विधानसभा और जनता को अवश्य मिलेगा। आलम बदी ने कहाकि हम प्रोटोकाल की तो बात करते हैं पर हमें भी उदार होना चाहिए, इस बात पर विचार करना होगाकि हमारा व्यवहार समाज में कैसा है, हम समाज में जैसा व्यवहार करेंगे, हमें वैसा ही व्यवहार मिलेगा।
समाजवादी पार्टी के विधायक सचिन यादव ने इस अवसर पर कहाकि अधिकारियों केसाथ बैठक से पहले विषय की तैयारी करने का लाभ मिलता है, हमें इसे और बढ़ाने की आवश्यकता है। सचिन यादव का कहना थाकि हम लोगों में अधिकारियों को सलाह के आदान-प्रदान की कमी है, जबकि अधिकारियों को विधायकों से सलाह की जरूरत है, जो समस्याओं के निष्पादन में काम आ सकती है। भाजपा के वरिष्ठ विधायक नीरज वोरा ने सुझाव दियाकि हमें अपने अधिकारों को जानना होगा, हम अपने क्षेत्र में जनता के विकास के कार्य करते-कराते हैं, जिसके लिए हमारी विधानसभा में सरकार से अधिक से अधिक फंड आता है, जिसका लाभ क्षेत्र को मिलता है। संवाद कार्यक्रम में सपा विधायक अमिताभ वाजपेई ने यह बात रखीकि अधिकारी कई बार समस्याओं को हल करने से बचते हैं और उनकी मंशा रहती हैकि जनता विधायक को ही दोषी माने। अमिताभ वाजपेई ने सुझाव दियाकि जनसमस्याओं केलिए सभी विधायक व्हाट्सअप ग्रुप बना लें, जिससे अधिकारियों से समन्वय बना रहे। भाजपा विधायक नंदकिशोर गुर्जर ने कहाकि अधिकारियों की तरफ से प्रोटोकाल नहीं मिलता, जिसके कारण कई तरह की परेशानियों का सामना करना पड़ता है पर इधर बदलाव देखने को मिल रहा है।
भाजपा विधायक हर्षवर्धन वाजपेई ने विधानसभा अध्यक्ष से कहाकि आपने विधानसभा सत्र में बोलने का मौका दिया, जिसके कारण हमारे क्षेत्रमें थाना बनना शुरू हो गया है, जो कई वर्ष से लंबित था। उन्होंने सुझाव दियाकि सत्र के दौरान बिल पास हो जाते हैं पर सदस्यों को इसे पढ़ने को नहीं मिलते, उन्होंने इसी तरह के और भी कई सुझाव दिए। भाजपा विधायक संजय कुमार शर्मा ने कहाकि इसबार नई तरह की विधानसभा देखने को मिल रही है, लेकिन अधिकारियों की जवाबदेही बढ़ाने की जरूरत है, अधिकारी अपने पुराने रवैये से बाहर नहीं आना चाहते हैं। उन्होंने सुझाव दियाकि अधिकारी सप्ताह अथवा एक महीने में सदस्यों से मीटिंग अवश्य करें। भाजपा विधायक अजय सिंह ने अपवाद को छोड़कर अफसरशाही के उपेक्षापूर्ण व्यवहार पर चिंता व्यक्त की और कहाकि हमें लकीर की फकीर परंपरा को बदलना होगा, क्योंकि स्थितियां बदली हैं। भाजपा विधायक शशांक त्रिवेदी ने कहाकि मेरे भाई अमेरिका से आए थे, उन्होंने यहां की विधानसभा और अध्यक्ष से भेंट केबाद बहुत अच्छा अनुभव किया, उन्होंने उनके व्यवहार की सराहना की और कहाकि राजनीति में अब धीरे-धीरे जागरुकता और जवाबदेही जैसे बदलाव हो रहे हैं।
संवाद कार्यक्रम में कई विधायकों ने विधानसभा अध्यक्ष सतीश महाना को अपने आपमें एक विश्वविद्यालय कहा और अपने को डिग्री होल्डर। गौरतलब हैकि सतीश महाना विधानसभा के ऐसे विधायक ऐसे मंत्री के रूपमें जाने जाते हैं, जो दलगत राजनीति से ऊपर उठकर दूसरों को अपने क्षेत्र केलिए, अपने व्यक्तित्व विकास केलिए अनुकरणीय प्रेरणाएं देते आए हैं। जनसामान्य में उनका जीवन अत्यंत व्यवहारिक दिखता है, जिसमें विधानसभा अध्यक्ष होते हुए भी उनमें कोई ऐसा भाव नहीं दिखता है, जो उन्हें जनसामान्य से अलग करता हो। एक महत्वपूर्ण पद पर आसीन होते हुए भी वे स्वयं अपनी कार चलाते हुए दिखाई दे जाते हैं या सामान्यजन की तरह घूमते हुए दिख जाते हैं। टी राम कह रहे थेकि विधानसभा अध्यक्ष सतीश महाना का विधायकों से संवाद कार्यक्रम एक अच्छी शुरूआत है, हम सबको इस बात का ध्यान रखना होगाकि एक विधायक के रूपमें अपनी इमेज को और कैसे बेहतर से बेहतर बनाएं। अपना दल (एस) की विधायक डॉ सुरभि ने कहाकि उन्होंने अपने क्षेत्र में गूगल ऐप के उपयोग से पाठशालाओं में अध्यापकों की उपस्थिति का अवलोकन किया, जो काफी समय से अनुपस्थित थे और उन्हें सचेत किया। संवाद कार्यक्रम में विशेष रूपसे बुलाए गए एचबीटीयू के कुलपति प्रोफेसर विनय कुमार पाठक ने कहाकि इंजीनियरिगं एवं मैनेजमेंट से जुड़े विधायक विकास और नई नीतियों को बनाने में महत्वपूर्ण बदलाव ला सकते हैं। उन्होंने कहाकि अगले बदलाव के क्षेत्र में 20 साल अच्छे संकेत हैं, जिसके पास डेटा होगा, वो राज करेगा और उतना ही पावरफुल और डिसीजन मेकिंग होगा।
एचबीटीयू के कुलपति प्रोफेसर विनय कुमार पाठक ने विषय पर विस्तार से प्रकाश डाला। उन्होंने अपने अनुभव साझा करते हुए कहाकि यह ऐसा क्षेत्र है जिसमें हम गैर सरकारी संगठनों और सोशल इंपावरमेंट पर काम करने वालों से भी मदद ले सकते हैं। उन्होंने कहाकि विकास के क्षेत्र में योजनाएं बनाते हुए एवं काम करते हुए अन्य राज्यों में क्या हो रहा है, हमें उनपर भी निगाह रखने की जरूरत है। उन्होंने कहाकि अपने प्रदेश में मैनेजमेंट इंस्टिट्यूट है, विधायकों को जहांपर जाकर और भी अधिक सीखने को मिल सकता है। विधानसभा के प्रमुख सचिव प्रदीप दुबे ने कहाकि कम समय में ही विधानसभा अध्यक्ष सतीश महाना ने यूपी विधानसभा को एक नई पहचान देने का काम किया है और जब देश की विधानसभाओं में बदलाव की चर्चा होगी तो उसमें उत्तर प्रदेश विधानसभा के अध्यक्ष के रूपमें उनकी मुख्य भूमिका की चर्चा जरूर होगी। विधानसभा अध्यक्ष का संवाद कार्यक्रम विधायकों में काफी लोकप्रियता की ओर बढ़ रहा है। संवाद कार्यक्रम में अनिल कुमार त्रिपाठी, उमर अली, सुहेब उर्फ मन्नू अंसारी, मुकेश चौधरी, अनुराग सिंह, इंजीनियर बृजेश कठेरिया, वीरेंद्र चौधरी ने भी अपने सुझाव और विचार साझा किए।