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Friday 28 October 2022 02:45:23 PM
मुरादाबाद। प्रधानमंत्री कार्यालय, कार्मिक, लोक शिकायत एवं पेंशन राज्यमंत्री डॉ जितेंद्र सिंह ने कहाकि नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति का उद्देश्य डिग्री को शिक्षा और आजीविका के अवसरों से अलग करना है। डॉ जितेंद्र सिंह ने कहाकि राष्ट्रीय शिक्षा नीति-2020 वैश्विक मानकों के अनुरूप भारत की शिक्षा को पुन: स्थापित करेगी। उन्होंने कहाकि यह शिक्षा नीति न केवल प्रगतिशील और दूरदर्शी है, बल्कि 21वीं सदीके भारत की उभरती आवश्यकताओं और जरूरतों काभी पूरा ध्यान रखती है। कृष्णा महाविद्यालय ठाकुरद्वारा में छात्रों को संबोधित करते हुए डॉ जितेंद्र सिंह ने कहाकि एनईपी-2020 भारत में छात्रों और युवाओं को नए कैरियर एवं उद्यमिता का अवसर प्रदान करने केसाथ स्टार्टअप पारिस्थितिकी तंत्र का एकपूरक भी है।
केंद्रीय राज्यमंत्री डॉ जितेंद्र सिंह ने कहाकि उत्तर प्रदेश स्टार्टअप की दौड़में तीव्रगति से बढ़ रहा है, उत्तर प्रदेश में 6,500 से अधिक स्टार्टअप पहले सेही पंजीकृत हैं एवं सरकार ने ड्रोन प्रौद्योगिकी को बढ़ावा देने केलिए आईआईटी कानपुर में एक उत्कृष्टता केंद्र और राज्य में दो उत्कृष्टता केंद्र स्थापित करने का भी निर्णय लिया है। डॉ जितेंद्र सिंह ने कहाकि नई शिक्षा नीति केवल डिग्री परही ध्यान केंद्रित नहीं है, बल्कि अंतर्निहित प्रतिभा, ज्ञान, कौशल और योग्यता को प्राथमिकता देती है। डॉ जितेंद्र सिंह ने कहाकि डिग्रियों को शिक्षा से जोड़देने के कारण हमारी शिक्षा प्रणाली और समाज पर बहुत गहरा असर पड़ा है, जिसका एक परिणाम शिक्षित बेरोज़गारों की बढ़ती हुई जनसंख्या है। उन्होंने कहाकि एनईपी-2020 में विविध प्रवेश या निकासी के विकल्प मौजूद हैं, जिससे छात्रों को अकादमिक लचीलापन प्राप्त होगा, इससे छात्रों को विभिन्न समय में विभिन्न करियर का लाभ उठाने का सही अवसर प्राप्त होगा, जोकि उनकी व्यक्तिगत शिक्षा और अंतर्निहित योग्यता पर निर्भर करेगा।
स्किल इंडिया मिशन का उल्लेख करते हुए डॉ जितेंद्र सिंह ने छात्रों से जीवन में सफल होने केलिए कई कौशल आत्मसात करने का आग्रह किया, क्योंकि आज इसबात के पर्याप्त उदाहरण हैंकि नवीनतम कौशल प्राप्त किए हुए लोग आज दुनिया में अपना चमत्कार दिखा रहे हैं। डॉ जितेंद्र सिंह ने छात्रों और युवाओं से देशमें तेजीसे बढ़ते स्टार्टअप क्षेत्रमें आजीविका के अवसरों की तलाश करने का भी आग्रह किया। डॉ जितेंद्र सिंह ने कहाकि इस वर्ष अगस्त में उत्तर प्रदेश सरकार ने रोज़गार सृजन और आर्थिक गतिविधियों केलिए राज्य स्टार्टअप कोष को 4,000 करोड़ रुपये प्रदान किए हैं, अभी 'यूपी इनोवेशन फंड' का गठन करने केलिए पूंजी का ताजा निवेश किया गया है, जिसे बादमें स्टार्टअप को सीड कैपिटल प्रदान करने केलिए अनिवार्य किया जाएगा। डॉ जितेंद्र सिंह ने भविष्य के दृष्टिकोण केलिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को पूरा श्रेय दिया, जिन्होंने 2015 मेही स्टार्टअप इंडिया, स्टैंडअप इंडिया का आह्वान कर दिया था, जिसमें लोगों की अभिरुचि बढ़ी और जिसके परिणामस्वरूप भारतमें स्टार्टअप्स की संख्या जो 2014 में केवल 350 थी, वह 2022 में बढ़कर 105 से अधिक यूनिकॉर्न केसाथ 80,000 के पार होचुकी है।
डॉ जितेंद्र सिंह ने इसबात पर संतोष व्यक्त कियाकि उत्तर प्रदेश सरकार की योजना 2023 तक प्रत्येक जिले में कमसे कम एक इनक्यूबेटर स्थापित करने की है और अबतक 20 जिलोंमे 47 इनक्यूबेटर स्थापित हो भी चुके हैं। डॉ जितेंद्र सिंह ने कहाकि नोएडा स्टार्टअप्स केलिए सबसे अधिक पसंदीदा गंतव्य बन चुका है, इसके बाद पूर्वांचल, गाजियाबाद, आगरा, लखनऊ और गोरखपुर का नंबर आता है और अब समय आ गया हैकि जब पश्चिम उत्तर प्रदेश के अभिनव दिमाग वाले लोग स्टार्टअप अभियान का नेतृत्व करें। उन्होंने कहाकि राज्य के पश्चिमी क्षेत्रका हरित और कृषि समृद्ध क्षेत्र कृषि प्रौद्योगिकी और डेयरी स्टार्टअप केलिए फलदायक साबित हो सकता है। उन्होंने स्टार्टअप पारिस्थितिकी तंत्र का समर्थन करने केलिए विज्ञान और प्रौद्योगिकी मंत्रालय की ओरसे सभी प्रकार की सहायता प्रदान करने का आश्वासन दिया।