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Friday 11 November 2022 01:49:59 PM
नई दिल्ली। रक्षामंत्री राजनाथ सिंह ने साइबर हमलों और सूचना युद्ध जैसे उभरते हुए गंभीर सुरक्षा खतरों का मुकाबला करने केलिए अंतर्राष्ट्रीय समुदाय के ठोस प्रयासों का आह्वान किया है। रक्षामंत्री नई दिल्ली में 60वें राष्ट्रीय रक्षा कॉलेज पाठ्यक्रम दीक्षांत समारोह में भारतीय सशस्त्र बलों और सिविल सेवाओं केसाथ-साथ मित्र देशोंके अधिकारियों को संबोधित कर रहे थे। उन्होंने कहाकि देशकी पूरी क्षमता का उपयोग तभी किया जा सकता है, जब राष्ट्रीय हित सुरक्षित हों। उन्होंने कहाकि नरेंद्र मोदी सरकार ने मुख्य रूपसे राष्ट्रीय सुरक्षा के मुद्दे पर ध्यान केंद्रित किया है और देशमें नागरिक संस्कृति के उत्थान और विकास केलिए देशकी सुरक्षा जरूरी है। राजनाथ सिंह ने आंतरिक और बाहरी सुरक्षा केबीच कम होते अंतर पर कहाकि बदलते समय केसाथ खतरों के नए आयाम जुड़ रहे हैं, जिन्हें वर्गीकृत करना मुश्किल है।
रक्षामंत्री राजनाथ सिंह ने कहाकि आतंकवाद, जो आमतौरपर आंतरिक सुरक्षा में आता है को अब बाहरी सुरक्षा की श्रेणीमें वर्गीकृत किया गया है, क्योंकि ऐसे आतंकवादी संगठनों का प्रशिक्षण, वित्तपोषण और हथियारों का समर्थन देशके बाहर से किया जा रहा है। साइबर हमलों केलिए महत्वपूर्ण बुनियादी ढांचे की अतिसंवेदनशीलता को बड़ी चिंता बताते हुए रक्षामंत्री ने कहाकि ऊर्जा, परिवहन, सार्वजनिक क्षेत्रकी सेवाएं, दूरसंचार, महत्वपूर्ण विनिर्माण उद्योग एवं आपस में जुड़ी हुई वित्तीय प्रणाली जैसे क्षेत्र ऐसे खतरों से ग्रस्त हैं। उनका विचार थाकि सूचना युद्धमें किसी देशकी राजनीतिक स्थिरता केलिए खतरा पैदा करने की क्षमता होती है। उन्होंने कहाकि सोशल मीडिया और अन्य ऑनलाइन सामग्री के प्लेटफार्मों का संगठित उपयोग जनता की राय और परिप्रेक्ष्य कीदिशा बनाने में होरहा है। राजनाथ सिंह ने कहाकि सूचना युद्ध का इस्तेमाल रूस और यूक्रेन केबीच चल रहे युद्धमें सबसे स्पष्ट है, पूरे संघर्ष केदौरान सोशल मीडिया ने दोनों पक्षों केलिए युद्ध के बारेमें प्रतिस्पर्धी विमर्श को फैलाने और इस युद्ध को अपने-अपने ढंगसे पेश करने का कार्य किया है।
रक्षामंत्री राजनाथ सिंह ने कहाकि किसी युद्ध के दौरान अपना नैरेटिव बनाने की रणनीति के साधन के रूपमें प्रचार अभियान किसीभी तरह से नया नहीं है, लेकिन सोशल मीडिया के विमर्श का प्राथमिक साधन बनने के कारण इसकी पहुंच कई गुना बढ़ गई है। मार्टिन लूथर किंग जूनियर का हवाला देते हुए रक्षामंत्री ने कहाकि कहींभी होरहा अन्याय न्याय केलिए हर जगह खतरा है। रक्षामंत्री ने इस बात पर जोर दियाकि जब किसीभी क्षेत्रकी शांति और सुरक्षा को खतरा होता है तो पूरी दुनिया इसके प्रभाव को कई तरह से महसूस करती है। उन्होंने कहाकि हालमें यूक्रेन के संघर्ष ने दिखायाकि कैसे इससे पड़ने वाले प्रभाव का असर पूरी दुनियापर प्रतिकूल प्रभाव डाल सकता है, रूस और यूक्रेन दुनिया के लगभग एक तिहाई गेहूं और जौ का निर्यात करते हैं, लेकिन इस संघर्ष ने इस अनाज को 'दुनिया की रोटी की टोकरी' से बाहर जाने से रोक दिया और विभिन्न अफ्रीकी और एशियाई देशों में खाद्य संकट पैदा करदिया, इस संघर्ष ने दुनिया में ऊर्जा संकट कोभी जन्म दिया है। उन्होंने कहाकि यूरोप में तेल और गैस की आपूर्ति घट रही है। भारत भी प्रभावित हुआ है, क्योंकि रूस-यूक्रेन युद्ध ने अंतर्राष्ट्रीय ऊर्जा आपूर्ति में व्यवधान पैदा किया है, जिससे ऊर्जा आयात बहुत अधिक महंगा हो गया है।
राजनाथ सिंह ने सुरक्षा को वास्तव में सामूहिक उद्यम के रूपमें देखने की आवश्यकता पर बल दिया, जो सभी केलिए लाभकारी वैश्विक व्यवस्था का निर्माण कर पाए। उन्होंने कहाकि राष्ट्रीय सुरक्षा को जीरो-सम गेम नहीं माना जाना चाहिए, हमें सभी केलिए फायदे की स्थिति बनाने का प्रयास करना चाहिए, हमें ऐसे संकीर्ण स्वार्थ के द्वारा निर्देशित नहीं होना चाहिए, जोकि लंबे समय में फायदेमंद नहीं है। राजनाथ सिंह ने कहाकि हमें प्रबुद्ध स्वहित द्वारा निर्देशित होना चाहिए, जो टिकाऊ और विपरीत परिस्थितियां आने पर मुफ़ीद है। रक्षामंत्री ने कहाकि एकतरफ जहां संयुक्तराष्ट्र सुरक्षा परिषद जैसे अनेक बहुपक्षीय संगठन सुरक्षा के क्षेत्रमें काम कर रहे हैं, वहीं इनको सभीके साझा हितों और सुरक्षा को सुनिश्चित करने जैसी स्थिति तक लेजाने की जरूरत है। कोविड महामारी के दौरान वैश्विक प्रतिक्रिया का उल्लेख करते हुए रक्षामंत्री ने कहाकि इस स्थिति ने सूचना साझा करने, स्थितिजन्य विश्लेषण केसाथ वैक्सीन के अनुसंधान, विकास और उत्पादन में बहुराष्ट्रीय सहयोग की तत्काल आवश्यकता के महत्व पर प्रकाश डाला। उन्होंने कहाकि इसने राष्ट्रीय-अंतर्राष्ट्रीय सुरक्षा के मुद्दों को संभालने केलिए संस्थानों और संगठनों केबीच और राष्ट्रों केबीच अधिक समझ, जुड़ाव और सहकारी पहल की आवश्यकता पर प्रकाश डाला।
रक्षामंत्री राजनाथ सिंह ने बहुपक्षीय नीति में भारत के विश्वास की पुष्टि की, जिसे कई हितधारकों केसाथ विविध जुड़ावों के माध्यम से महसूस किया गया, ताकि समृद्ध भविष्य केलिए सभी की चिंताओं को दूर किया जा सके। उन्होंने इसे साझा जिम्मेदारी और समृद्धि की ओर लेजाने वाला एकमात्र तरीका बताया। रक्षामंत्री ने कहाकि मजबूत और समृद्ध भारत दूसरों (अन्य देशों) की कीमत पर नहीं बनाया जाएगा, बल्कि हम अन्य देशों को उनकी पूरी क्षमता का एहसास करने में मदद करने में विश्वास करते हैं, भारत ऐसी विश्व व्यवस्था में विश्वास नहीं करता, जहां कुछ को दूसरों से श्रेष्ठ माना जाता है। उन्होंने कहाकि हमारे कार्य मानव समानता और गरिमा के सार से निर्देशित होते हैं, जो इस विशेषता के प्राचीन लोकाचार और मजबूत नैतिक नींव का एक हिस्सा है। रक्षामंत्री ने कहाकि राष्ट्रों के प्रबुद्ध स्वहित को रणनीतिक नैतिकता के ढांचे के भीतर बढ़ावा दिया जा सकता है, जो सभी सभ्य राष्ट्रों की वैध रणनीतिक अनिवार्यता की समझ और सम्मान पर आधारित है, यही कारण हैकि जब हम किसी राष्ट्रके साथ साझेदार होते हैं तो वह संप्रभु समानता और परस्पर सम्मान के आधार पर होता है। रक्षामंत्री ने कहाकि भारत को संबंध बनाना स्वाभाविक रूपसे आता है, क्योंकि हम आपसी आर्थिक विकास की दिशामें काम करते हैं।
विदेश के अधिकारियों को कोर्स पूरा करने पर बधाई देते हुए राजनाथ सिंह ने उन्हें भारत और दुनिया केबीच एक सेतु बताया। उन्होंने विश्वास व्यक्त कियाकि यह पाठ्यक्रम वैश्विक सुरक्षा और समृद्धि को बढ़ाने का मार्ग प्रशस्त करेगा। उन्होंने कहाकि पाठ्यक्रम पूरा करनेवाले अधिकारी न केवल भविष्य की सभी चुनौतियों से निपटने केलिए तैयार होंगे, बल्कि राष्ट्रीय सुरक्षा के हितधारकों केसाथ सहयोगात्मक तरीके से राष्ट्रीय शक्ति केसभी तत्वों का तालमेल बिठाने मेभी सक्षम होंगे। रक्षामंत्री ने इस बातकी सराहना कीकि एनडीसी ने न केवल भारत, बल्कि विदेशों सेभी स्वदेशी रणनीतिक सोच को बढ़ावा देने और रणनीतिक नेताओं, विचारकों और इस तरह के दर्शन के अभ्यासियों की पीढ़ियों को तैयार करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। उन्होंने वैश्विक सुरक्षा परिदृश्य केप्रति लगातार जागरुक रहने केलिए एनडीसी के निरंतर प्रयासों की सराहना की। दीक्षांत समारोह में 60वें एनडीसी कोर्स 2020 बैच के अस्सी अधिकारियों को मद्रास विश्वविद्यालय से प्रतिष्ठित एमफिल की डिग्री से सम्मानित किया गया। राजनाथ सिंह ने स्नातक करनेवाले अधिकारियों को प्रमाणपत्र प्रदान किए। एनडीसी का प्रमुख राष्ट्रीय सुरक्षा और रणनीति पाठ्यक्रम एक व्यापक शैक्षणिक मॉडल का उपयोग करते हुए 47 सप्ताह की अवधि में आयोजित किया जाता है।
मद्रास विश्वविद्यालय का एमफिल की उपाधि प्रदान करना पाठ्यक्रम के दौरान स्वयंसेवी अधिकारियों केलिए एकसाथ चलता रहनेवाला कार्यक्रम है। एनडीसी कमांडेंट लेफ्टिनेंट जनरल एमके मागो ने कहाकि 60वें एनडीसी पाठ्यक्रम के अधिकारी नीति निर्माण और निष्पादन दोनों में रणनीतिक स्तरपर राष्ट्रीय मुद्दों पर एक ट्रांसडिसिप्लिनरी और आउट-ऑफ-द-बॉक्स दृष्टिकोण लागू करने में सक्षम होंगे। उन्होंने एनडीसी के जीवंत शैक्षणिक वातावरण पर प्रकाश डाला, जिसने अपने उद्देश्य को पूरा करने के अलावा कई पाठ्यक्रम प्रतिभागियों को रक्षा अध्ययन में पीएचडी/ मूल शोध करने केलिए प्रेरित किया है। समारोह में रक्षासचिव गिरिधर अरमाने, मद्रास विश्वविद्यालय के कुलपति प्रोफसर एस गौरी और विशिष्ट अतिथि उपस्थित थे। एनडीसी की स्थापना 1960 में हुई थी। देशमें सामरिक शिक्षा का सर्वोच्च विद्यालय माना जानेवाला यह रक्षा मंत्रालय केतहत एक प्रमुख इंटर-सर्विसेज शैक्षणिक संस्थान है, जो भारतीय सशस्त्र सेना के वरिष्ठ अधिकारियों (ब्रिगेडियर समकक्ष रैंक के) के अलावा सिविलसेवा केसाथ मित्रवत विदेश के अधिकारियों के प्रशिक्षण और कौशल निखारने केलिए उत्तरदायी है।