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Thursday 22 December 2022 01:38:56 PM
दिल्ली। केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने लोकसभा में नियम-193 के अंतर्गत देशमें ड्रग्स की समस्या और इसके खिलाफ सरकार के कारगर प्रयासों पर लघु चर्चा का जवाब देते हुए कहाकि इस विषय को राजनीतिक रंग देने की जगह एक समस्या के नाते सदन ने बहुत गंभीरता से लिया है और सभी ने इस बातको स्वीकार किया हैकि यह एक बेहद गंभीर समस्या है। उन्होंने कहाकि ड्रग्स की समस्या हमारी नस्लों को बर्बाद करने वाली समस्या है और ड्रग्स के कारोबार से होनेवाला मुनाफा आतंकवाद के वित्तपोषण के उपयोग में आता है। गृहमंत्री ने कहाकि आजादी के अमृत महोत्सव के वर्ष में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने देश के सामने नशामुक्त भारत का संकल्प रखा है और 2014 से इस दिशामें कई प्रयास किएगए हैं। उन्होंने सदन को आश्वस्त करते हुए कहाकि नरेंद्र मोदी सरकार की ड्रग्स के कारोबार और उसके मुनाफे से आतंकवाद के वित्तपोषण के खिलाफ जीरो टॉलरेंस की नीति है और सरकार सख्ती से इसे शून्य तक लेजाने केलिए हरसंभव प्रयास कर रही है। अमित शाह ने कहाकि ड्रग्स का प्रचार-प्रसार न केवल हमारी भावी नस्लों को खोखला करता है, बल्कि लाखों परिवारों को भी बर्बाद करता है, साथही इससे कई प्रकार के कानून और व्यवस्था से जुड़े सामाजिक दूषण भी खड़े होते हैं।
गृहमंत्री अमित शाह ने कहाकि जो देश भारत में आतंकवाद को बढ़ावा देना चाहते हैं, वे इसका उपयोग करते हैं और देशमें इस डर्टी मनी की उपस्थिति देशके अर्थतंत्र कोभी खोखला करती है। उन्होंने कहाकि ड्रग्स के खिलाफ लड़ाई को केंद्र, राज्य सरकारों और केंद्रशासित प्रदेशों को मिलकर लड़ना होगा, क्योंकि इसे परिणाम तक पहुंचाने केलिए बहुआयामी लड़ाई लड़नी ज़रूरी है। अमित शाह ने कहाकि एयरपोर्ट और बंदरगाहों के रास्ते ड्रग्स के प्रवेश को रोकना पड़ेगा, ड्रग्स के खिलाफ नारकोटिक्स कंट्रोल ब्यूरो और राज्यों की एंटी नारकोटिक्स एजेंसियों को समन्वय केसाथ काम करना होगा। गृहमंत्री ने कहाकि पुनर्वास और व्यसन मुक्ति केलिए समाज कल्याण विभाग और स्वास्थ्य विभाग कोभी मिलकर काम करना होगा। उन्होंने कहाकि अगर इस लड़ाई के सभी आयामों को हम एड्रेस करते हैं, तभी हमारा नशामुक्त भारत का स्वप्न साकार हो सकता है। उन्होंने कहाकि जहांतक ड्रग्स के खिलाफ लड़ाई का सवाल है, सभी राज्य सरकारों ने केंद्र सरकार केसाथ कंधे से कंधा मिलाकर इस लड़ाई को गंभीरता केसाथ लड़ा है और जोभी योजनाएं बनीं एवं सूचनाओं का आदान-प्रदान हुआ, उनपर पार्टी पॉलिटिक्स और पार्टी इन पावर से ऊपर उठकर सभी राज्यों ने बहुत अच्छे ढंग से अमल भी किया है।
अमित शाह ने कहाकि ड्रग्स हमारे देशमें सीमापार से ड्रोन, तस्करी, सुरंगों, बंदरगाहों और एयरपोर्ट से आता है, लेकिन व्यापार बंद करना इस समस्या का समाधान नहीं है। उन्होंने कहाकि हमें इस समस्या के नए तरीकों को समाप्त करना होगा, जो ड्रग्स का व्यापार और तस्करी करते हैं, उन्हें कानून के शिकंजे में लाना चाहिए। अमित शाह ने कहाकि जो युवा इसमें फंस गया है, उसे वापस लाने और समाज उसे फिर स्वीकार करे हम सभी की इस प्रकार का सामाजिक माहौल बनाने की जिम्मेदारी है। अमित शाह ने कहाकि हम किसीभी ड्रग्स इंवेस्टिगेशन और इसकी ज़ब्ती को आइसोलेशन में नहीं देख सकते हैं। उन्होंने कहाकि ड्रग्स कहां से आई और कहां जा रही थी, हमें इसके पूरे नेटवर्क को ध्वस्त करना होगा, अगर हम पूरे नेटवर्क की जांच करते हैं, तभी इस समस्या का समाधान हो सकता है। उन्होंने कहाकि एनसीबी देशभर में जांच कर सकती है और एनआईए विदेश में भी जांचकर सकती है। गृहमंत्री ने सदन को बताया कि उन्होंने मुख्यमंत्रियों से कहा थाकि अगर उनके राज्य में कोई ऐसा केस है, जिसमें टॉप टू बॉटम और बॉटम टू टॉप इंवेस्टीगेशन करते हुए राज्य की सीमाएं लांघनी पड़ती हैं तो वे निसंकोच एनसीबी की मदद ले सकते हैं, क्योंकि एनसीबी हर राज्य को मदद करने केलिए तैयार और कटिबद्ध है।
गृहमंत्री ने कहाकि किसीभी इंवेस्टिगेशन केलिए देशकी सरहद के बाहर जाने की स्थिति में एनआईए कीभी मदद ली जा सकती है। उन्होंने सदन को जानकारी देते हुए कहाकि राज्यों ने लगभग 42 मामले एनसीबी या एनआईए को दिए हैं और सफलतापूर्वक पूरे नेटवर्क को ध्वस्त करने केलिए राज्य की एजेंसियां, एनसीबी और एनआईए आगे बढ़ रही है। उन्होंने कहाकि इसके बहुत अच्छे परिणाम भी हमें मिल रहे हैं और राज्यों के सहयोग से केंद्र की नारकोटिक्स के खिलाफ लड़ने की गति तेज़ हुई है और उत्साह भी दोगुना हुआ है। गृहमंत्री ने कहाकि गोल्डन ट्रायंगल में दक्षिण-पूर्व एशियाई देश हैं और गोल्डन क्रीसेंट में ईरान, अफगानिस्तान और पाकिस्तान हैं। उन्होंने कहाकि ड्रग्स डीलर केलिए वो गोल्डन ट्रायंगल और गोल्डन क्रीसेंट हो सकते हैं, लेकिन हम हमारे युवाओं केलिए वे डेथ ट्रायंगल और डेथ क्रीसेंट हैं, ड्रग्स के खतरे के खिलाफ इस लड़ाई को जीतने केलिए दुनिया को अपना दृष्टिकोण बदलना होगा। अमित शाह ने कहाकि नारकोटिक्स के खिलाफ भारत सरकार की लड़ाई के तीन हिस्से हैं-संस्थागत संरचना की मजबूती, सभी नार्को ऐजेंसियों का सशक्तिकरण और समन्वय और विस्तृत अभियान जागरुकता अभियान। उन्होंने कहाकि यह एक सीमा रहित अपराध है और जबतक कोऑपरेशन, कोऑर्डिनेशन और कोलैबोरेशन नहीं होता, तबतक हम इस लड़ाई को जीत नहीं सकते हैं।
अमित शाह ने सरकार के प्रमुख इनीशिएटिव्स के बारेमें सदन को जानकारी देते हुए कहाकि 2019 में चार स्तरीय NCORD की स्थापना की गई थी, इसके अंतर्गत लिएगए बहुत सारे निर्णयों को राज्यों तक पहुंचाया गया है और उन्हे जिलोंतक परकोलेट कियागया है। उन्होंने कहाकि एनकॉर्ड की जिलास्तरीय बैठक सबसे महत्वपूर्ण होती है, क्योंकि जबतक जिलास्तर पर डीसीपी, कलेक्टर, समाज कल्याण अधिकारी और स्वास्थ्य विभाग अधिकारी बैठकर इसपर चर्चा नहीं करेंगे, तबतक हमारी ये लड़ाई सफल नहीं होगी। उन्होंने बतायाकि आजतक देशके सिर्फ 32 प्रतिशत जिलों में एनकॉर्ड समिति बनी है। गृहमंत्री ने मुख्यमंत्रियों से सदन के माध्यम से निवेदन कियाकि वे स्वयं व्यक्तिगत स्तरपर रूचि लेकर अपने-अपने राज्य में जिलास्तरीय एनकॉर्ड समिति की रचना करें। उन्होंने कहाकि जिस दिन देश के सभी जिलों में जिलास्तर पर ये समिति बन जाएगी, हमारी ये लड़ाई बहुत मजबूत हो जाएगी। उन्होंने कहाकि इस समिति में नोडल एजेंसी के तौरपर एनसीबी को रखा गया है और इसके तहत भारतीय नौसेना, भारतीय तटरक्षक दल, ड्रग कंट्रोलर, रेवेन्यू डिपार्टमेंट, नेशनल मैरीटाइम सिक्योरिटी, एनटीआरओ, पोर्ट ट्रस्ट, एयरपोर्ट अथॉरिटी ऑफ इंडिया, कोस्टल पुलिस और राज्य की नार्को एजेंसी मिलकर कोऑर्डिनेशन का काम करते हैं। अमित शाह ने कहाकि इसके लिए एक एनकॉर्ड पोर्टल भी बनाया गया है, जिसे एनसीबी संचालित करती है और इसका काम डाटा इंटीग्रेशन का है, इस पोर्टल पर एक प्रकार से संपूर्ण सूचनाएं एकही जगह उपलब्ध हैं।
केंद्रीय गृहमंत्री ने कहाकि हालही में भारत में इंटरपोल की जनरल असेंबली का आयोजन हुआ था, उसमें उन्होंने नारकोटिक्स और टेरर लिंक्स का विषय उठाया था और वहां भारत की ओर से आग्रह किया गया थाकि नारकोटिक्स, टेररिज्म और नार्को व्यापार से टेररिज्म का वित्तपोषण, इन तीन विषयों पर रियलटाइम इनफॉरमेशन शेयरिंग केलिए इंटरपोल सभी देशों का एक प्लेटफार्म बनाए, जिससे बेस्ट प्रैक्टिसेज का एक्सचेंज भी हो सकता है। उन्होंने कहाकि अभी हालही में नो मनी फॉर टेरर सम्मेलन भी हुआ, वहां भी हमने अंतर्राष्ट्रीय सहयोग केलिए नारकोटिक्स के खिलाफ लड़ाई पर बहुत थ्रस्ट दिया। अमित शाह ने कहाकि सरकार ने एक संयुक्त समन्वय समिति भी बनाई है और केंद्रीय स्तरपर इसकी बहुत सारी बैठकें हो चुकी हैं, एनसीबी के कैडर कोभी पुनर्गठित करके 619 पदों का सृजन किया गया है। उन्होंने सदन को बतायाकि नार्को अपराधियों पर राष्ट्रीय एकीकृत डेटाबेस निदान तैयार किया गया है, हर केस के चालान और फैसले इसपर अपलोड किएगए हैं, इसके साथही इंटर ऑपरेशनल क्रिमिनल जस्टिस सिस्टम केलिए जब्ती सूचना प्रबंधन प्रणाली और जेल का डाटा भी हम साझा कर रहे हैं। अमित शाह ने कहाकि ड्रग नेटवर्क के चार्ट कीभी मैपिंग की गई है और राज्यों में ड्रग्स आने के रास्ते और उसके नेटवर्क की 472 जिलों में मैपिंग करके राज्यों को भेज दी गई है। उन्होंने कहाकि ये मैपिंग सर्वे, सूचनाओं, जब्ती केबाद किएगए मामलों और पूछताछ रिपोर्ट्स के संकलन केबाद की गई है।
अमित शाह ने कहाकि एनडीपीएस केतहत सीमा सुरक्षा बल, एसएसबी और असम राइफल्स तीनों को केस दर्ज करने के अधिकार दे दिएगए हैं। उन्होंने कहाकि इसी प्रकार भारतीय तटरक्षक बल और राज्यों के कोस्टल पुलिस स्टेशंस को अधिकार दिया है, रेलवे प्रोटेक्शन फोर्स को भी अधिकार दिएगए हैं, लेकिन सुरक्षाबलों को दिए इन अधिकारों पर कुछ राज्यों ने कहाकि उनके अधिकार छीन लिएगए हैं। गृहमंत्री ने कहाकि अगर हम अपनी एजेंसियों को शक्तियां नहीं देंगे तो वे कैसे काम करेंगी? हमें अपने सुरक्षा बलों पर विश्वास होना चाहिए, इस मुद्दे का राजनीतिकरण करने वाले ड्रग्स तस्करी का समर्थन कर रहे हैं। उन्होंने कहाकि अगर किसी राज्य में सबसे ज्यादा ड्रग्स पकड़ा जाता है तो इसका मतलब हैकि उस राज्य ने ड्रग्स के विरुद्ध अच्छा काम किया है, मिट्टी में मुंह डालने से आंधी नहीं चली जाती, आंधी का सामना करना पड़ता है, शुतुरमुर्ग नीति से हम देश को नहीं बचा सकते हैं। गृहमंत्री ने कहाकि एनआईए को दुनियाभर में किसी मामले की जांच के अधिकार दिएगए हैं। अमित शाह ने कहाकि फाइनेंसियल इंवेस्टिगेशन केलिए भी बहुत सारे एक्सपर्ट हायर किएगए हैं, वित्तीय दस्तावेजों के विश्लेषण केलिए बहुत सारे एक्सपर्ट्स भारत सरकार के गृह मंत्रालय ने हायर किए हैं। अमित शाह ने कहाकि मनी लॉन्ड्रिंग चैनल्स, हवाला लेनदेन और डार्क नेट इन तीनों केलिए एक हैकेथॉन कर प्रतिभावान बच्चों को इसमें शामिल करके एक सटीक रणनीति भी बनाई गई है और इसके ज़रिए बहुत सारे लोग भी पकड़े गए हैं। उन्होंने बतायाकि हमने स्वदेशी डॉग की नस्ल तैयार कर कई डॉग स्क्वाड बना लिए हैं और राज्यों को भी ऐसे डॉग स्क्वाड दे रहे हैं। उन्होंने कहाकि एक डेडीकेटेड एंटी नारकोटिक टास्क फ़ोर्स भी बनाई गईहै और राज्यों और संघशासित प्रदेशों को समर्पित एक एंटी नारकोटिक्स टास्क फोर्स भी राज्यों की सहायता केलिए उपलब्ध है।
गृहमंत्री ने कहाकि भारत सरकार के फार्मास्यूटिकल्स विभाग ने दोहरे उपयोग की दवाइयों का कितना कम से कम उपयोग हो सकता है, इस पर अधिकारियों की एक समिति बनाई है जो ये देखती हैकि कितनी ऐसी दवाओं को बैन कर सकते हैं, जिनके विकल्प उपलब्ध है। उन्होंने उम्मीद जताईकि बहुत सारी दवाइयों को प्रतिबंधित श्रेणी में लाया जाएगा और उनके उपयोग पर रोक लग सकेगी। अमित शाह ने बतायाकि समुद्री रास्ते से तस्करी रोकने केलिए हाई लेवल टास्क फोर्स बना ली गई है और भारतीय नौसेना, भारतीय तटरक्षक बल, एयरपोर्ट अथॉरिटी ऑफ इंडिया और एनसीबी की संयुक्त साप्ताहिक बैठक होती है, जिसमें सूचनाओं का आदान प्रदान किया जाता है। उन्होंने कहाकि मणिपुर में लगभग 1000 हेक्टेयर अवैध नशे की खेती को नष्ट करके वहां पर हॉर्टिकल्चर प्लांटेशन की गई है और रिहैबिलिटेशन का प्रयास भी किया है। इसके साथ मैक, जो सभी एजेंसियों के समन्वय का सेंटर है और सबमैक के रूपमें हमने नार्को केलिए एक अलग मैक की व्यवस्था गठित की है और इसके अंदर नार्को ट्रैफिकिंग प्लेटफार्म की निगरानी, ड्रग नेटवर्क के इंटरसेप्शन, ट्रेंड्स के निरंतर एनालिसिस और डेटाबेस के अपडेट का एनालिसिस करके नई रणनीति बनाना शामिल है। उन्होंने बतायाकि नारकोटिक्स के प्रशिक्षण मॉड्यूल में पांच अलग-अलग प्रशिक्षण मॉड्यूल बनाए गए हैं और इन पांचों मॉड्यूल में जिले तक का प्रशिक्षण प्रोग्राम डिजाइन किया गया है। उन्होंने जानकारी दीकि राज्यस्तरीय सभी ट्रेनिंग प्रोग्राम 3 दिसंबर को सारे राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों में पूरे कर लिएगए हैं। अमित शाह ने कहाकि 40 प्रतिशत जिलों में भी यह काम हो चुका है।
अमित शाह ने जानकारी दीकि नारकोटिक्स की फॉरेंसिक जांच केलिए एनसीबी और नेशनल फॉरेंसिक साइंस यूनिवर्सिटी केबीच एक समझौता हुआ है और देशभर में भारत सरकार नारकोटिक्स की 6 रीजनल लैब बना रही है, जिससे सैंपल टेस्टिंग में देरी नहीं होगी। उन्होंने कहाकि ऐसे प्रयास किए जा रहे हैंकि इसमें तारीख के हिसाब से नहीं, बल्कि मात्रा के हिसाब से प्रायोरिटी होगी, ताकि जो बड़ी मात्रा वाले केस हैं उसके अपराधियों को बेल न मिले। उन्होंने कहाकि सामाजिक न्याय और अधिकारिता मंत्रालय ने 15 अगस्त 2020 को नशा मुक्त भारत अभियान लांच कर दिया गया था और इसे मैपिंग किए हुए 372 जिलों में नीचे तहसीलों तक पहुंचाने की शुरुआत की गई है, इसके तहत लगभग 2.7 लाख से ज्यादा शैक्षिक संस्थाओं में 14 करोड़ से ज्यादा बच्चों ने नशामुक्ति की शपथ ली है, इसके अलावा 8000 से ज्यादा मास्टर स्वयंसेवकों की पहचान की गई है, जो न्यूतम मानदेय लेकर यह काम करते हैं और सोशल मीडिया अकाउंट से भी इसका प्रचार करते हैं। उन्होंने कहाकि हम नशामुक्ति की राष्ट्रीय ऑनलाइन पद्धति से लगभग एक लाख शैक्षिक संस्थाओं और युवाओं को इसके माध्यम से जोड़ने का भी प्रयास कर रहे हैं। गृहमंत्री ने कहाकि भारत सरकार ने लगभग 341 इंटीग्रेटेड रिहैबिलिटेशन सेंटर बनाए हैं और 300 अन्य पर काम चल रहा है, इसके अलावा 41 एडिक्शन ट्रीटमेंट फैसिलिटी भी सरकारी अस्पतालों में शुरू की गई है और 75 और बनाने की योजना है, 72 आउटरीच सेंटर भी बनाए है और हमने लगभग दो लाख परामर्शदाता भी तैयार किए हैं, जो ऐसे केस में परामर्श देने का काम करते हैं।
गृहमंत्री ने कहाकि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में हमने 75 साल के मौके पर एक लक्ष्य रखा थाकि हम 60 दिन के अंदर 75000 किलो ड्रग्स को नष्ट करेंगे, लेकिन हमने 60 दिन में ही 1,60,000 किलो ड्रग्स को जलाने का काम किया है। उन्होंने कहाकि हमने तय किया थाकि नशे से इस देश की नस्ल और युवाओं को बर्बाद नहीं होने देंगे और हम इसमें सफल हो रहे हैं। उन्होंने 2006 से 2013 और 2014 से 2022 तक के कुछ आंकड़े भी दिए। अमित शाह ने कहाकि हमने ड्रग स्मगलिंग के केस को गंभीर प्रकार के मामले में डाला है और ड्रग स्मगलिंग डीलर्स के खिलाफ दर्ज़ किए गए 13000 केस यही बताते हैंकि हमारी दिशा सही है और परिणाम भी मिल रहे हैं। पिछले 5 वर्ष में 61 नए साइटोंट्रॉपिक पदार्थों को सरकार ने अधिसूचित किया है, जो पहले इस कैटेगरी में नहीं आते थे। भारतीय एजेंसियों ने लगभग 14000 किलो ट्रामाडोल को भी जब्त किया है। अमित शाह ने कहाकि ड्रग्स के खिलाफ यह अभियान किसी एक सरकार, किसी एक दल और किसी एक एजेंसी का नहीं हो सकता। उन्होंने कहाकि केंद्र और राज्यों की सभी एजेंसियों को एकही प्लेटफार्म पर आकर समान तीव्रता और गंभीरता केसाथ इस अभियान को चलाना होगा, तभी हम अपनी आने वाली नस्लों को बचा पाएंगे। उन्होंने कहाकि आज यह लड़ाई ऐसे नाजुक मोड़ पर हैकि अगर हम जीतते हैं तो अपनी नस्लों को बचा सकेंगे। अमित शाह ने सदन से अनुरोध कियाकि इस एक मुद्दे पर राजनीति नहीं होनी चाहिए। उन्होंने कहाकि सभी राज्य सरकारें एकसाथ आएं, जिलास्तरीय एनकॉर्ड की रचना करें और भारत सरकार के गृह मंत्रालय ने जो अभियान चलाया है, उसे सभी लोग मजबूत बनाएं।