स्वतंत्र आवाज़ डॉट कॉम
Tuesday 27 December 2022 01:55:39 PM
नई दिल्ली। केंद्रीय विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी, पृथ्वी विज्ञान, प्रधानमंत्री कार्यालय, कार्मिक, लोक शिकायत, पेंशन, परमाणु ऊर्जा और अंतरिक्ष राज्यमंत्री (स्वतंत्र प्रभार) डॉ जितेंद्र सिंह ने हिंदी माध्यम या अन्य स्थानीय भाषाओं में पढ़ाई करने के इच्छुक छात्रों और विद्वानों के लाभ केलिए विज्ञान जर्नलों और पत्रिकाओं सहित विज्ञान साहित्य के अनुवाद के महत्व पर जोर दिया है। विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी और पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय की हिंदी सलाहकार समिति की संयुक्त बैठक की अध्यक्षता करते हुए डॉ जितेंद्र सिंह ने कहाकि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के निर्देश केबाद नियमित अंतराल पर बैठकें हो रही हैं और परिणाम देखने योग्य हैं।
डॉ जितेंद्र सिंह ने राज्यसभा सांसद संगीता यादव और हिंदी सलाहकार समिति के सदस्यों को बतायाकि सचिव पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय डॉ एम रविचंद्रन, सचिव डीएसटी एस चंद्रशेखर, सचिव डीएसआईआर डॉ एन कलैसेल्वी, सचिव डीबीटी डॉ राजेश गोखले गैर-हिंदी पृष्ठभूमि से हैं, लेकिन वे हमेशा हिंदी में बोलना पसंद करते हैं और हिंदी काम को प्रोत्साहित करते हैं। डॉ जितेंद्र सिंह ने कहाकि उनके सुझाव पर गठित हिंदी सलाहकार समिति की उप समितियों की बैठक हर तीसरे महीने चयनित विषय पर होनी चाहिए और बादमें समीक्षा बैठक में ऐसी बैठकों के परिणामों को ध्यान में रखा जाना चाहिए। उन्होंने समिति के सदस्यों से कुछ विशेषज्ञों के सुझाव देने कोभी कहा, जिन्हें विज्ञान मंत्रालयों के विज्ञान जर्नलों, पत्रिकाओं और अन्य दस्तावेजों के गुणवत्तापूर्ण अनुवाद कार्य में लगाया जा सकता है। उन्होंने कहाकि जब भाषा को नौकरियों या व्यवसायों से जोड़ा जाता है तो यह वृद्धि और विकास का अपना रास्ता खोज लेती है।
डॉ जितेंद्र सिंह ने बतायाकि इस साल अक्टूबर में केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने एमबीबीएस पाठ्यक्रम की किताबें हिंदी में शुरू की थीं, जिससे मध्य प्रदेश भाषा में चिकित्सा शिक्षा देने वाला पहला राज्य बन गया है और यह पहल को भारत में शिक्षा क्षेत्र केलिए पुनर्जागरण और पुनर्निर्माण का क्षण बताया। डॉ जितेंद्र सिंह ने कहाकि भाषाएं लोगों को बांधती हैं, तबतक उन्हें अलग नहीं करती, जबतक उन्हें जबरन लागू नहीं किया जाता है, हम सभीको मातृभाषा और आधिकारिक भाषा हिंदी दोनों केलिए निरंतर काम करना चाहिए और अधिक भाषाओं को सीखने का प्रयास करना चाहिए। डॉ जितेंद्र सिंह ने कहाकि वह पूर्वोत्तर राज्यों में हिंदी शिक्षकों की नियुक्ति जारी नहीं होने का मुद्दा उठाएंगे, जिनकी पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी के कहने पर नियुक्ति की गई थी। उन्होंने कहाकि इस क्षेत्रसे बड़ी संख्या में युवा पर्यटन और विमानन क्षेत्रों में काम कर रहे हैं और हिंदी के ज्ञान ने उनके रोज़गार को सुरक्षित करने में मदद की है।