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Friday 22 September 2023 03:06:51 PM
नई दिल्ली। देश में नदी संस्कृति पर चौथा 'नदी उत्सव' इंदिरा गांधी राष्ट्रीय कला केंद्र के राष्ट्रीय सांस्कृतिक मानचित्रण मिशन और जनपद सम्पदा प्रभाग की ओर से 22 से 24 सितंबर 2023 तक आयोजित किया जा रहा है। इस वर्ष दिल्ली में यमुना नदी के किनारे तीन दिवसीय 'नदी उत्सव' में विभिन्न कार्यक्रम होंगे, इनमें विभिन्न विषयों पर पर्यावरणविदों और विद्वानों केसाथ विद्वत चर्चा, फिल्म स्क्रीनिंग, प्रख्यात कलाकारों की प्रस्तुतियां, कठपुतली शो और विभिन्न पुस्तकों पर चर्चा होंगी। भारतीय संस्कृति में नदियों का अत्यंत महत्वपूर्ण स्थान है, यहां नदियां न केवल पवित्र और पूज्य मानी जाती हैं, बल्कि करोड़ों भारतीयों के जीवन का आधार भी हैं। सभ्यताओं का विकास नदियों के किनारे हुआ है। भारत के बड़ी संख्या में शहर, गांव और कस्बे नदियों के किनारे बसे हैं, जिनकी पहचान नदियों से ही होती है।
भारतीय समाज ने नदियों को हमेशा सर्वोच्च सम्मान दिया है, नदियों को संस्कृति का अभिन्न अंग माना है। संस्कृति मंत्रालय के अधीन कला एवं संस्कृति को समर्पित संस्थान इंदिरा गांधी राष्ट्रीय कला केंद्र कुछ वर्ष से बड़े पैमाने पर नदी उत्सव का आयोजन कर रहा है। इस उत्कृष्ट पहल की कल्पना डॉ सच्चिदानंद जोशी ने लोगों केबीच पारिस्थितिकी और पर्यावरण के बारेमें जागरुकता पैदा करने और संवेदनशील बनाने केलिए की थी। नदी उत्सव 2018 में शुरू हुआ था, जिसका उद्घाटन कार्यक्रम गोदावरी नदी के तटपर महाराष्ट्र के नासिक शहर में किया गया था। दूसरा नदी उत्सव कृष्णा नदी के तट पर आंध्र प्रदेश के विजयवाड़ा शहर में और तीसरा नदी उत्सव गंगा नदी के तट पर बिहार के मुंगेर शहर में मनाया गया था। इस चौथे नदी उत्सव के मुख्य अतिथि राष्ट्रीय हरित अधिकरण के अध्यक्ष न्यायमूर्ति प्रकाश श्रीवास्तव होंगे। विशिष्ट अतिथि प्रसिद्ध दार्शनिक एवं विद्वान आचार्य श्रीवत्स गोस्वामी और परमार्थ निकेतन के प्रमुख एवं आध्यात्मिक गुरु स्वामी चिदानंद सरस्वती होंगे।
नदी उत्सव में विशेष अतिथि प्रसिद्ध पर्यावरणविद् पद्मभूषण डॉ अनिल प्रकाश जोशी होंगे। कार्यक्रम के मुख्य संरक्षक इंदिरा गांधी राष्ट्रीय कला केंद्र के अध्यक्ष पद्मश्री रामबहादुर राय और आईजीएनसीए के सदस्य सचिव डॉ सच्चिदानंद जोशी होंगे। तीन दिवसीय नदी उत्सव कार्यक्रम के दौरान प्राचीन ग्रंथों में नदियों का वर्णन, नदियों के किनारे सांस्कृतिक विरासत और लोक एवं सांस्कृतिक परंपराओं में नदियों का उल्लेख समेत कई विषयों पर चर्चा सत्र आयोजित किए जाएंगे। इन दिनों में 18 फिल्में भी दिखाई जाएंगी, इनमें से छह फिल्में आईजीएनसीए ने निर्मित की हैं। कठपुतली शो के भाग के रूपमें यमुना गाथा का प्रदर्शन पूरन भट्ट द्वारा किया जाएगा। नदी उत्सव नदी संस्कृति, इसकी परंपराओं, अनुष्ठानों और जल ज्ञान का दस्तावेजीकरण करने का एक प्रयास है। इसमें पांच शैक्षणिक सत्र होंगे, जिसमें वरिष्ठ विद्वान गोलमेज सम्मेलन में भाग लेंगे। आधुनिकता की दौड़ में हम अपनी नदियों को धन्यवाद देना भूल गए हैं और अब ऐसा करने का यही अवसर है, यह आयोजन नदियों से जुड़ाव को याद करने की एक पहल है।
नदियों और पर्यावरण से संबंधित पुस्तक मेले का भी आयोजन किया जाएगा। कार्यक्रम में दिखाए जाने वाले 18 वृतचित्रों में से पांच को पुरस्कृत करने की योजना है। वृतचित्र फिल्म फेस्टिवल केलिए भारत के लगभग सभी राज्यों से फिल्म निर्माताओं ने फिल्में भेजी थीं, जिनमें से 12 को स्क्रीनिंग केलिए चुना गया। इनका चयन पांच सदस्यीय जूरी ने किया है। इनमें उत्तर-पूर्व भारत, दक्षिण भारत, कश्मीर, उत्तराखंड, राजस्थान आदि की फिल्में शामिल हैं। हर फिल्म केबाद एक चर्चा सत्र भी आयोजित किया जाएगा, जिसमें फिल्म के निर्देशक भी भाग लेंगे। स्क्रीनिंग की शुरुआत फिल्म महानदी से होगी, 60 मिनट की इस फिल्म का निर्देशन जुबानाश्व मिश्रा ने किया है। नदी उत्सव में तीन तरह की प्रदर्शनियां होंगी, सांझी प्रदर्शनी देश के 16 घाटों पर आधारित होगी। नदी सभ्यता से संबंधित फोटोग्राफी प्रदर्शनी और दिल्ली के स्कूल के बच्चों द्वारा नदियों पर बनाई गई पेंटिंग की प्रदर्शनी भी लगाई जाएगी। ये पेंटिंग यह बताने का प्रयास करेंगीकि स्कूल के बच्चे नदियों के बारेमें क्या सोचते हैं। इसके अलावा सांस्कृतिक कार्यक्रमों में बिहार के प्रसिद्ध लोकगायक चंदन तिवारी का गायन और भोपाल की श्वेता देवेंद्र और उनकी टीम द्वारा नर्मदा स्तुति और दशावतारम केसाथ अन्य प्रस्तुतियां शामिल हैं।