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Sunday 1 October 2023 01:06:47 PM
नई दिल्ली। भारत की सैन्य कूटनीति में एक महत्वपूर्ण उपलब्धि में आसियान देशों और भारतीय सेना की प्रमुख महिला सैन्य अधिकारी केलिए लैंगिक तटस्थता और महिला सशक्तीकरण केलिए भारतीय सेना के दृष्टिकोण केतहत संयुक्तराष्ट्र की रूपरेखा पर आधारित रक्षा मंत्रालय के नेतृत्व में आयोजित पाठ्यक्रम का समापन हुआ। इस तरह के परिवर्तनकारी पाठ्यक्रम की मेजबानी सशस्त्रबलों में लैंगिक समानता की वकालत करते हुए गहरे अंतर्राष्ट्रीय सहयोग को प्रोत्साहन देने की भारत की प्रतिबद्धता को मजबूत करती है। आसियान देशों के रक्षामंत्रियों केप्रति भारत की दीर्घकालिक प्रतिबद्धता के आलोक में यह 39वीं एडीएमएम और एडीएमएम प्लस बैठक विशेष रूपसे प्रासंगिक है। पाठ्यक्रम को महिला अधिकारियों केबीच नेतृत्व क्षमता, रणनीतिक कौशल और परिचालन क्षमता को बढ़ाने केलिए डिज़ाइन किया गया है।
आसियान की महिला सैन्य अफसरों केलिए पाठयक्रम अंतर-सांस्कृतिक चर्चा और पारस्परिक व्यावसायिक विकास केलिए एक समृद्ध मंच प्रदान करता है। प्रतिभागियों ने इस दौरान गतिशील कार्यशालाओं, सामरिक सिमुलेशन और विशेषज्ञ व्याख्यानों के समृद्ध मिश्रण का अध्ययन किया। पाठ्यक्रम की संरचना का अभिन्न अंग संयुक्तराष्ट्र शांति स्थापना में भारत की ऐतिहासिक विरासत को शामिल करना है। यह पाठ्यक्रम भारत में संयुक्तराष्ट्र शांति स्थापना केंद्र के तत्वावधान में हुआ, जो विश्वस्तर पर प्रसिद्ध है और विभिन्न संयुक्तराष्ट्र मिशनों में शांति सैनिकों को प्रशिक्षण और तैनात करने का एक समृद्ध इतिहास है। प्रतिभागियों को संयुक्तराष्ट्र शांति स्थापना अभ्यास पर एक प्रदर्शन का अवलोकन करने का अनूठा अवसर मिला, जिससे उन्हें अंतर्राष्ट्रीय शांति मिशनों में भारत के अपनाए जाने वाले कठोर मानकों के बारेमें जानकारी प्राप्त हुई।
महिला सैन्य अफसरों केलिए पाठ्यक्रम के तहत शैक्षणिक और सामरिक तत्वों के अलावा भारत की समृद्ध संस्कृति और विरासत से अवगत कराया गया। उन्होंने योग सत्रों में भाग लिया, दिल्ली और आगरा में धरोहर स्थलों की यात्राएं भी कीं। उन्हें मेड इन इंडिया उपकरणों से भी परिचित कराया गया। यह मेड इन इंडिया उपकरण आगामी संयुक्तराष्ट्र मिशनों का हिस्सा बनने केलिए तैयार हैं। पहले कार्यक्रम के समापन केसाथ ही यह पाठ्यक्रम न केवल भारत की विकसित हो रही सैन्य कूटनीति के प्रमाण के रूपमें सामने है, बल्कि मजबूत आसियान-भारत संबंधों और शांति स्थापना एवं भविष्य में वैश्विक स्तरपर रक्षाक्षेत्र में महिलाओं की भूमिका केलिए आशा की किरण के रूपमें भी तैयार है।