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आईजीएनसीए की फिल्म को राष्ट्रीय पुरस्कार

एक मार्मिक और सर्वश्रेष्ठ खोजी फिल्म है 'लुकिंग फॉर चल्लन'

राष्ट्रपति से आईजीएनसीए सदस्यों ने पाया प्रतिष्ठित पुरस्कार

स्वतंत्र आवाज़ डॉट कॉम

Wednesday 18 October 2023 01:36:00 PM

national award for ignca's film

नई दिल्ली। इंदिरा गांधी राष्ट्रीय कला केंद्र की निर्मित और बप्पा रे की निर्देशित एक मार्मिक फिल्म 'लुकिंग फॉर चल्लन' को सर्वश्रेष्ठ खोजी फिल्म श्रेणी के अंतर्गत प्रतिष्ठित राष्ट्रीय पुरस्कार प्रदान किया गया है। आईजीएनसीए के सदस्य सचिव डॉ सच्चिदानंद जोशी और बप्पा रे ने राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मु से विज्ञान भवन नई दिल्ली में शानदार समारोह में प्रतिष्ठित राष्ट्रीय पुरस्कार प्राप्त किया। बप्पा रे ने इस अवसर पर हार्दिक आभार व्यक्त करते हुए कहाकि फिल्म लुकिंग फॉर चल्लन की यात्रा किसी सम्मान से कम नहीं है और उनका दृढ़ विश्वास हैकि यह सम्मानपूर्ण मान्यता और अधिक अनदेखी कहानियों को सामने लाने के उनके जुनून को और बल प्रदान करेगी।
आईजीएनसीए के सदस्य सचिव बप्पा रे ने कहाकि फिल्म लुकिंग फॉर चल्लन ने सही मायनों में एक पहचान हासिल की है और इसकी उपलब्धि का श्रेय पूरी टीम के अटूट समर्पण एवं धैर्य को दिया। उन्होंने कहाकि एक सिनेमाई उत्कृष्ट कृति होने के अलावा लुकिंग फॉर चल्लन की कहानी वर्णन करने की कमियों को मिटाने, संस्कृति का उत्सव मनाने और परिवर्तन लाने की क्षमता का एक शक्तिशाली प्रमाण है। उन्होंने कहाकि यह न केवल फिल्म निर्माता केलिए, बल्कि उन सभी केलिए एक परिवर्तनकारी यात्रा है, जो प्रकृति के मनमोहन स्वरूप और चोलानैक्कन समुदाय के मिलनसार व्यवहार को जानने की जिज्ञासा रखते हैं। उन्होंने कहाकि लुकिंग फॉर चालान को सर्वश्रेष्ठ खोजी फिल्म के रूपमें यह उत्कृष्ट मान्यता फिल्म की टीम के अटूट समर्पण और सहयोगात्मक भावना का प्रमाण है।
बप्पा रे ने कहाकि इंदिरा गांधी राष्ट्रीय कला केंद्र साझा करने की इच्छा रखने वाली अनकही कहानियों को समाज के सम्मुख लाने केलिए प्रतिबद्ध है। उन्होंने कहाकि आईजीएनसीए के अथक प्रयासों के माध्यम से लुकिंग फॉर चल्लन जैसी फिल्म से सिनेमाई उत्कृष्टता का मार्ग प्रशस्त होता है और यह दुनियाभर के दर्शकों के दिलों को गहराई से छूती है। फिल्म को प्रतिष्ठित रजत कमल (उत्कृष्टता प्रमाणपत्र) और 50000 रुपए के नकद पुरस्कार से सम्मानित किया गया है। लुकिंग फॉर चल्लन केरल की नीलांबुर वन संस्कृति और विरासत की मनमोहक दुनिया को उत्कृष्ट रूपमें उजागर करती है। यह केरल के वन क्षेत्रों की गहन सांस्कृतिक समृद्धि का सार और इच्छित संदेश भी देती है, साथही चोलानैक्कन समुदाय की अनकही कहानियों पर भी प्रकाश डालती है।

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