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Wednesday 8 November 2023 11:31:41 AM
नई दिल्ली। केंद्रीय विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी मंत्री डॉ जितेंद्र सिंह ने शिक्षित बेरोज़गारों केलिए आई-पीएचडी डिग्री की शुरुआत करते हुए कहा हैकि हम शिक्षित रोज़गार योग्य विज्ञान उद्यमियों को बढ़ावा देने की कोशिश कर रहे हैं और यह पीएचडी डिग्री उद्योग से संबद्ध होगी। डॉ जितेंद्र सिंह ने नई दिल्ली में वैज्ञानिक और नवोन्मेषी अनुसंधान अकादमी के 7वें दीक्षांत समारोह को संबोधित करते हुए कहाकि यह अकादमी एक अद्वितीय शैक्षणिक मंच है, जो विज्ञान में डिग्री प्रदान करती है और रोज़गारोन्मुख है एवं उद्यमिता से जुड़ी बारीकियां पाठ्यक्रम में शामिल हैं। डॉ जितेंद्र सिंह ने कहाकि एसीएसआईआर की स्थापना 2011 में हुई थी, मात्र 12 वर्ष की अवधि में यह अकादमी देश में डॉक्टरेट शिक्षा प्रदान करने वाले सबसे बड़े संस्थान के रूपमें उभरी है।
विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी मंत्री डॉ जितेंद्र सिंह ने कहाकि यह अकादमी न केवल संख्या की दृष्टि से बड़ी है, बल्कि उत्कृष्टता की दृष्टि से भी समृद्ध है, गुणवत्ता साथ-साथ नवाचार मानकों को बनाए रखती है और विज्ञान के विभिन्न वर्गों की विस्तृत श्रृंखला को समाहित करती है, यह उत्कृष्ट, अभिनव और बहुमुखी है। इस संस्थान ने वर्ष 2022 में 577 पीएचडी डिग्री प्रदान की हैं और वर्तमान में 7000 से अधिक विद्यार्थी पीएचडी केलिए पंजीकृत हैं। भारत में शैक्षणिक संस्थानों केबीच अनुसंधान श्रेणी में एसीएसआईआर को स्किमागो इंस्टीट्यूशंस रैंकिंग-2022 में तीसरा, नेचर इंडेक्स-2021-22 में 11वां और नेशनल इंस्टीट्यूशनल रैंकिंग फ्रेमवर्क-2023 में 12वां स्थान प्रदान किया गया है। वैज्ञानिक प्रयासों केसाथ उद्योग के जुड़ाव को संस्थागत बनाने का आह्वान करते हुए डॉ जितेंद्र सिंह ने कहाकि इससे सतत स्टार्टअप बनाने में मदद मिलेगी।
डॉ जितेंद्र सिंह ने कहाकि हमें देश में स्टार्टअप प्रक्रिया को बनाए रखना होगा और देश में 1 लाख से अधिक स्टार्टअप को बनाए रखने केलिए हमारे पास एक बहुत सुदृढ़ उद्योग का आधार होना चाहिए। डॉ जितेंद्र सिंह ने कहाकि नरेंद्र मोदी सरकार ने अरोमा मिशन, लैवेंडर खेती और अंतरिक्ष क्षेत्र को खोलने जैसी विभिन्न पहलों केसाथ एक अनुकूल वातावरण प्रदान किया है। उन्होंने कहाकि शुरू से ही हमें उद्योग को एक हितधारक के रूपमें रखने की आवश्यकता है और जहांभी स्टार्टअप के परिणाम आकर्षक पाए गए एवं देखा गयाकि कॉर्पोरेट क्षेत्र के कई युवा अपनी नौकरियां छोड़कर उनके साथ जुड़ गए। उन्होंने प्रसन्नता व्यक्त कीकि एसीएसआईआर में शुरू आई-पीएचडी डिग्री और इसी तरह के पाठ्यक्रम उद्योग केसाथ वैज्ञानिक अनुसंधान एवं नवाचार के जुड़ाव को संस्थागत बनाने की दिशा में कारगर कदम हैं। डॉ जितेंद्र सिंह ने कहाकि अंतरिक्ष प्रौद्योगिकी के खुलने केसाथ देश की आम जनता चंद्रयान-3 और आदित्य-एल1 जैसी मेगा अंतरिक्ष घटनाओं के प्रक्षेपण को देख सकी है।
विज्ञान, अनुसंधान, शिक्षा, स्टार्टअप और उद्योग के तालमेल का समर्थन करते हुए डॉ जितेंद्र सिंह ने कहाकि राष्ट्रीय अनुसंधान फाउंडेशन और नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति विकसित भारत@2047 के दृष्टिकोण को साकार करने केलिए सही पारिस्थितिकी तंत्र का निर्माण करेंगे। डॉ जितेंद्र सिंह ने कहाकि राष्ट्रीय अनुसंधान फाउंडेशन से सार्वजनिक और निजी क्षेत्र केबीच की दूरी समाप्त होने केसाथ ही एकीकरण भी होगा। उन्होंने कहाकि राष्ट्रीय शिक्षा नीति-2020 भारत के युवाओं की आकांक्षाओं को नए पंख दे रही है, वे अब अपनी आकांक्षाओं के बंधक नहीं रहेंगे, क्योंकि यह नीति अब उन्हें उनकी योग्यता, कौशल, रुचि और अन्य कारकों के आधार पर स्वतंत्र रूपसे विषयों को चुनने या परिवर्तित करने का अधिकार देती है।