Thursday 27 June 2024 04:51:32 PM
दिनेश शर्मा
नई दिल्ली। 'माननीय सदस्यगण मैं 18वीं लोकसभा के नवनिर्वाचित सदस्यों को बहुत-बहुत बधाई और शुभकामनाएं देती हूं, आप यहां देश के मतदाताओं का विश्वास जीतकर आए हैं, देशसेवा और जनसेवा का ये सौभाग्य बहुत कम लोगों को मिलता है, मुझे पूरा विश्वास हैकि आप राष्ट्र प्रथम की भावना केसाथ अपना दायित्व निभाएंगे, 140 करोड़ देशवासियों की आकांक्षाओं की पूर्ति का माध्यम बनेंगे,' 'मैं श्री ओम बिरला जी को भी लोकसभा के अध्यक्ष की गौरवपूर्ण भूमिका के निर्वहन के लिए शुभकामनाएं देती हूं, उनके पास सार्वजनिक जीवन का बहुत व्यापक अनुभव है, मुझे विश्वास हैकि वे लोकतांत्रिक परंपराओं को अपने कौशल से नई ऊंचाई देने में सफल होंगे,' 'मैं आज कोटि-कोटि देशवासियों की तरफ से भारत के चुनाव आयोग का भी आभार व्यक्त करती हूं, ये दुनिया का सबसे बड़ा चुनाव था, करीब 64 करोड़ मतदाताओं ने उत्साह और उमंग के साथ अपना कर्तव्य निभाया है, इस बार भी महिलाओं ने बढ़-चढ़ कर मतदान में हिस्सा लिया है, इस चुनाव की बहुत सुखद तस्वीर जम्मू-कश्मीर से भी सामने आई है, कश्मीर घाटी में वोटिंग के अनेक दशक के रिकॉर्ड टूटे हैं, बीते 4 दशक में हमने कश्मीर में बंद और हड़ताल के बीच कम मतदान का दौर ही देखा है, भारत के दुश्मन, वैश्विक मंचों पर इसको जम्मू-कश्मीर की राय के रूपमें दुष्प्रचारित करते रहे, लेकिन इसबार कश्मीर घाटी ने देश और दुनिया में ऐसी हर ताकत को करारा जवाब दिया है, पहली बार इस चुनाव में घर पर जाकर भी मतदान कराया गया है, मैं लोकसभा चुनाव से जुड़े हर कर्मी की सराहना करती हूं, उनका अभिनंदन करती हूं।'
राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मु का 18वीं लोकसभा के प्रारंभिक सत्र के समक्ष अभिभाषण का यह मर्म और सार है, जो समझने वालों केलिए आदर्श भी है और नसीहत भी है, जो देश का गौरव भी है और देश की व्यथा भी, जिसमें प्रत्येक देशवासी से राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मु ने कुछ कहा है, बल्कि खासतौर से चुनकर आए सांसदों से साफ-साफ कहा हैकि राष्ट्र प्रथम की भावना से अपना दायित्व निभाएं! आखिर राष्ट्रपति को इतनी गहराई में जाकर ऐसा क्यों कहना पड़ा, यह बड़े चिंतन और देशवासियों केलिए गौर करने वाला संबोधन है। कुछ हैकि राष्ट्रपति को अपने अभिभाषण में गंभीरतापूर्वक कुछ कहना पड़ा है। गौरतलब हैकि भारत गणराज्य का कानून अपने ही संवैधानिक मंडप संसद में राष्ट्र, संविधान और संसद की विधिक परिधि से बाहर जाकर शपथ जैसी वैधानिक प्रक्रिया प्रचलन के दौरान किसीभी रूपमें किसीभी दूसरे देश केप्रति निष्ठा प्रकट करने की आज्ञा नहीं देता, ऐसा करना न केवल राष्ट्र केप्रति अपराध है, बल्कि वह शपथ भी निष्फल हो जाती है, जैसाकि एआईएमआईएम के सांसद असदुद्दीन ओवैसी ने 18वीं लोकसभा के संसद सदस्य की शपथ लेते हुए जय फिलीस्तीन बोला। इससे संसद स्तब्ध रह गई, क्योंकि उनका यह कहना पूरी तरह भारतीय संविधान में शपथ ग्रहण की वैधानिकता के विरुद्ध है। यद्यपि उनका यह कथन संसद की कार्रवाई से हटा दिया गया है, तथापि सांसद असदुद्दीन ओवैसी संसद में अपनी शपथ में जय फिलीस्तीन बोलकर, दूसरे देश केप्रति निष्ठा प्रकट करके अपने देश और संविधान के विरुद्ध एक गंभीर अपराध कर चुके हैं। राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मु इस मामले में सांसद असदुद्दीन ओवैसी के विरुद्ध क्या वैधानिक कार्रवाई अमल में लाती हैं, अब देश देखेगा, नहीं तो औरों को भी इस प्रकार की अराजकता से नहीं रोका जा सकेगा। राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मु का अपने अभिभाषण में कदाचित इस ओर भी इशारा था।
राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मु ने अपने अभिभाषण में एनडीए की नरेंद्र मोदी सरकार के पिछले दस वर्ष के कार्यकाल से लेकर 2024 के लोकसभा चुनाव और संसद में नए संसद सदस्यों के शपथ ग्रहण तक की चर्चा की। उन्होंने पिछले दस वर्ष में देश में हुए आर्थिक विकास से लेकर सामाजिक और विकसित भारत निर्माण केलिए उठाए गए ऐतिहासिक कदमों की चर्चा की। उन्होंने बतायाकि देश को किस प्रकार कांग्रेस के इंदिरा गांधी शासनकाल में आपातकाल में जकड़कर संविधान को बंधक बना लिया गया था, किस प्रकार देशमें कांग्रेस के अत्याचारों से जनसामान्य में हाहाकार मच गया था और किस प्रकार इन दस वर्ष में देश ने ऐतिहासिक प्रगति की है। उन्होंने कहाकि 2024 के लोकसभा चुनाव की चर्चा आज पूरी दुनिया में है, दुनिया देख रही हैकि भारत के लोगों ने लगातार तीसरीबार स्थिर और स्पष्ट बहुमत की ही सरकार बनाई है और छह दशक बाद ऐसा हुआ है। उन्होंने कहाकि ऐसे समय में जब भारत के लोगों की आकांक्षाएं सर्वोच्च स्तर पर हैं, लोगों ने मेरी सरकार पर लगातार तीसरी बार भरोसा जताया है। द्रौपदी मुर्मु ने कहाकि भारत के लोगों को ये पूर्ण विश्वास हैकि उनकी आकांक्षाएं सिर्फ मेरी सरकार ही पूरा कर सकती है, इसलिए 2024 का ये चुनाव नीति, नीयत, निष्ठा और निर्णयों पर विश्वास का चुनाव रहा है। उन्होंने इसे इस प्रकार व्यक्त किया-मजबूत और निर्णायक सरकार में विश्वास, सुशासन स्थिरता और निरंतरता में विश्वास, ईमानदारी और कड़ी मेहनत में विश्वास, सुरक्षा और समृद्धि में विश्वास, सरकार की गारंटी और डिलीवरी पर विश्वास, विकसित भारत के संकल्प में विश्वास। उन्होंने कहाकि मेरी सरकार ने 10 वर्ष से सेवा और सुशासन का जो मिशन चलाया है, ये उस पर मुहर है।
राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मु ने कहाकि ये जनादेश हैकि भारत को विकसित बनाने का काम बिना रुके चलता रहे और भारत अपने लक्ष्यों की प्राप्ति करे। राष्ट्रपति ने बड़े मुखर होकर उन ताकतों को करारा जवाब दिया, जो मोदी सरकार को कमजोर, दबाव में अल्पमत और कभीभी गिर जाने वाली सरकार कहकर देश में राजनीतिक अस्थिरता पैदा कर रहे हैं। राष्ट्रपति ने दस साल की उपलब्धियों केसाथ विश्व में भारत के एक शक्तिशाली देश के रूपमें स्थापित होने के अनेक प्रमाण प्रस्तुत किए और यह भी सिद्ध कियाकि मोदी सरकार अपने कड़े कदम और जनकल्याण के विभिन्न कार्यक्रम जारी रखेगी। उन्होंने संविधान की दुहाई देती कांग्रेस को आइना दिखाते हुए कहाकि देश में इमरजेंसी इंदिरा गांधी का संविधान पर एक बड़ा हमला था, जो इक्कीस महीने चला। राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मु ने इसे लोकतंत्र पर काला धब्बा कहकर कांग्रेस पर प्रहार और जबरदस्त प्रहार किए। राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मु ने कहाकि यह लोकसभा कई मायनों में एक ऐतिहासिक लोकसभा है, आगामी सत्र में सरकार अपने इस कार्यकाल का पहला बजट पेश करने जा रही है, जो दूरगामी नीतियों और भविष्य की दृष्टि का एक प्रभावी दस्तावेज़ होगा, बजट में बड़े आर्थिक और सामाजिक निर्णयों केसाथ ही अनेक ऐतिहासिक कदम भी देखने को मिलेंगे। उन्होंने कहाकि भारत के तेज विकास की जन आकांक्षाओं को पूरा करने के लिए सुधार की गति अब और तेज की जाएगी। उन्होंने कहाकि मेरी सरकार का मत हैकि दुनियाभर से निवेशकों को आकर्षित करने केलिए राज्यों में स्वस्थ स्पर्धा हो, यही कंपटीटिव कोऑपरेटिव फेडरलिज्म की सच्ची स्पिरिट है। उन्होंने कहाकि उनकी सरकार भारत को विश्व की तीसरे नंबर की इकॉनॉमी बनाने में जुटी हुई है, आज का भारत दुनिया की चुनौतियां बढ़ाने केलिए नहीं, बल्कि दुनिया को समाधान देने केलिए जाना जाता है।
राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मु ने कहाकि उनकी सरकार ने महिला सशक्तिकरण के एक नए युग की शुरूआत की है, देश की नारीशक्ति लंबे समय तक लोकसभा और विधानसभा में अधिक भागीदारी की मांग कर रही थी, आज उनके पास नारी शक्ति वंदन अधिनियम की ताकत है। उन्होंने कहाकि सरकार की योजनाओं की वजह से पिछले एक दशक में महिलाओं का आर्थिक सामर्थ्य बढ़ा है, बीते 10 वर्ष में बने 4 करोड़ पीएम आवास में से ज्यादातर महिलाओं के नाम ही आवंटित हुए हैं, अब तीसरे कार्यकाल की शुरुआत में ही सरकार ने 3 करोड़ नए घर बनाने को स्वीकृति दे दी है, इनमें से भी अधिकतर घर महिलाओं के नाम पर ही आवंटित होंगे। राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मु ने 10 करोड़ महिलाओं के सेल्फ हेल्प ग्रुप्स, लखपति दीदी, नमो ड्रोन दीदी योजना, कृषि सखी कार्यक्रम, घर की छत पर सोलर पैनल कार्यक्रम का जिक्र किया। उन्होंने कहाकि बाबा साहब डॉक्टर भीमराव आंबेडकर का मानना थाकि किसीभी समाज की प्रगति समाज के निचले तबकों की प्रगति पर निर्भर करती है, पिछले 10 वर्ष में राष्ट्र की उपलब्धियों और विकास का आधार गरीब का सशक्तिकरण है। उन्होंने कहाकि सीडीएस ने हमारी सेनाओं को नई मजबूती दी है, ऑर्डनेंस फैक्ट्रीज से डिफेंस सेक्टर को बहुत लाभ हुआ है, फिलीपीन्स केसाथ ब्रह्मोस मिसाइल का रक्षा सौदा भारत की पहचान मज़बूत कर रहा है। उन्होंने कहाकि सरकार एक डिजिटल विश्वविद्यालय बनाने की दिशा में काम कर रही है। उन्होंने कहाकि सरकार का ये निरंतर प्रयास हैकि देश के युवाओं को अपनी प्रतिभा दिखाने का उचित अवसर मिले, सरकारी भर्ती हो या फिर परीक्षाएं किसीभी कारण से इनमें रुकावट आए ये उचित नहीं है, इनमें शुचिता और पारदर्शिता बहुत ज़रूरी है।
राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मु ने कहाकि हाल ही में कुछ परीक्षाओं में हुई पेपर लीक की घटनाओं की निष्पक्ष जांच और दोषियों को कड़ी से कड़ी सजा दिलवाने के लिए सरकार प्रतिबद्ध है। उन्होंने कहाकि इससे पहले भी हमने देखा हैकि कई राज्यों में पेपर लीक की घटनाएं होती रही हैं, इसपर दलीय राजनीति से ऊपर उठकर देशव्यापी ठोस उपाय करने की ज़रूरत है। उन्होंने कहाकि संसद ने परीक्षाओं में होने वाली गड़बड़ियों के विरुद्ध एक सख्त कानून बनाया है। उन्होंने कहाकि सरकार परीक्षाओं से जुड़ी संस्थाओं, उनके कामकाज के तरीके, परीक्षा प्रक्रिया, सभी में बड़े सुधार करने की दिशा में काम कर रही है। उन्होंने कहाकि जुलाई की पहली तारीख से देश में भारतीय न्याय संहिता भी लागू हो जाएगी, अंग्रेज़ी राज में गुलामों को दंड देने की मानसिकता थी, इसे बदलने की चर्चा अनेक दशकों से की जा रही थी, लेकिन ये साहस भी मेरी सरकार ने ही करके दिखाया है। उन्होंने कहाकि अब दंड की जगह न्याय को प्राथमिकता होगी, जो हमारे संविधान की भी भावना है, इन नए कानूनों से न्याय प्रक्रिया में तेज़ी आएगी। उन्होंने कहाकि मेरी सरकार ने सीएए कानून के तहत शरणार्थियों को नागरिकता देना शुरू कर दिया है। उन्होंने कहाकि हाल में नालंदा यूनिवर्सिटी के भव्य कैंपस के रूपमें इसमें एक नया अध्याय जुड़ा है, नालंदा सिर्फ एक यूनिवर्सिटी मात्र नहीं थी, बल्कि वो वैश्विक ज्ञान केंद्र के रूपमें भारत के गौरवशाली अतीत का प्रमाण थी, मुझे विश्वास है कि नई नालंदा यूनिवर्सिटी भारत को ग्लोबल नॉलेज हब बनाने में सहायक सिद्ध होगी।
राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मु ने कहाकि सरकार विकास के साथ ही विरासत पर भी उतना ही गर्व करते हुए काम कर रही है, सरकार ने भगवान बिरसा मुंडा के जन्मदिवस को जनजातीय गौरव दिवस के रूपमें मनाने की शुरुआत की है, अगले वर्ष भगवान बिरसा मुंडा की 150वीं जयंती पूरे देश में धूमधाम से मनाई जाएगी, देश रानी दुर्गावती की 500वीं जयंती को भी व्यापक स्तर पर मना रहा है। राष्ट्रपति ने कहाकि यह सदी भारत की सदी है और इसका प्रभाव आने वाले एक हजार वर्ष तक रहेगा, आइए सब मिलकर पूर्ण कर्तव्यनिष्ठा के साथ राष्ट्रीय संकल्पों की सिद्धि में जुट जाएं और विकसित भारत बनाएं! संसद में प्रोटेम स्पीकर से लेकर सदस्यों की शपथ में वैधानिक व्यवधान, लोकसभा अध्यक्ष पद पर ओम बिरला के सामने इंडी अलायंस द्वारा पहले अपना प्रत्याशी खड़ाकर सर्वसम्मति से चुनाव की परंपरा को चुनौती देने और चुनाव होने पर इंडी के प्रत्याशी की संभावित पराजय की किरकिरी से डरे इंडी अलायंस के नेताओं ने अबतक अपनी फजीहत कराने के सिवा कुछ नहीं किया है। लोकसभा अध्यक्ष पद पर यदि एनडीए और इंडी अलायंस के बीच चुनाव हो जाता तो न केवल लोकसभा अध्यक्ष पद पर सर्वसम्मति से चुनाव की परंपरा ध्वस्त होती, बल्कि इंडी अलायंस को अपने प्रत्याशी की पराजय के बड़े अंतर का समाना करना पड़ता। इंडी अलायंस को यह पूरी आशंका थीकि चुनाव होने पर एनडीए तीन सौ के पार चला जाएगा, जिससे इंडी अलायंस का दावा खोखला साबित हो जाएगा कि एनडीए की सरकार कभी भी जा सकती है या कमजोर है। इंडी ने इस चुनाव में पीछे हटकर अपनी बड़ी इज्जत बचा ली है। इस लोकसभा के इतिहास में इंडी अलायंस अभीतक तो एनडीए के सामने मुंहकी ही खाता आ रहा है, भले ही इसबार अकेले बीजेपी केपास 272 की संख्या नहीं है। अब देखना होगाकि आगे क्या होता है।