Wednesday 3 July 2024 04:00:24 PM
दिनेश शर्मा
'इंडी भाई' आप भारत जोड़ो यात्रा करने निकले थे! आपको अपने राजनीतिक कॅरियर के लोकसभा के अबतक के सर्वाधिक संवेदनशील और जिम्मेदार पद नेता प्रतिपक्ष बनने का अवसर मिला, लेकिन आपने क्या किया? राष्ट्रपति के पहले अभिभाषण पर राजनीतिक उदंडता करते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को घेरने के चक्कर में देशके हिंदुओं को बारबार 'हिंदू हिंसक' बोलकर देशके हिंदुओं पर तीखा हमला करके ख़ुद ही अपने भारत जोड़ो अभियान को तारतार कर दिया। आप न्याय यात्रा पर निकले थे, मगर आपने तो लोकसभा में ख़ुद ही संविधान की धज्जियां उड़ाकर देशको बता दियाकि मैं लोकसभा या कानून को नहीं मानता। आप माने या न मानें, आपके कांग्रेसी सलाहकार या कुछ 'इंडी भाई' लोकसभा में हिंदुओं पर आपके 'हिंदू हिंसक' आक्रमण से बहुत प्रफुल्लित होंगे, लेकिन सच्चाई यह हैकि राष्ट्रपति के अभिभाषण पर आपने जो-जो कहा और किया, उसे लेकर पूरा देश आपपर थू-थू कर रहा है। आपका नेता प्रतिपक्ष का पहला दिन, राष्ट्रपति के अभिभाषण के धन्यवाद प्रस्ताव पर आपका पहला वक्तव्य-आचरण आपही के खिलाफ चला गया है। आपने लोकसभा में देशके हिंदुओं को हिंसक बताकर और बादमें उसे बीजेपी, आरएसएस और नरेंद्र मोदी से जोड़कर पलटी मारी तो आपके 'इंडी भाई' अखिलेश यादव चुप्पी मारे हुए थे, जिससे लगाकि वे आपकी तरह आपके सुर में सुर मिलाकर हिंदुओं को नाराज़ करने का जोखिम नहीं लेंगे। बहरहाल लोकसभा में आपका प्रदर्शन फर्स्ट इंप्रेशन इज द लास्ट इंप्रेशन फ्लाप तो हो ही गया है। जी हां! मैं श्रीमान राहुल गांधी का जिक्र कर रहा हूं।
लोकसभा में राष्ट्रपति के अभिभाषण के धन्यवाद प्रस्ताव पर पहलीबार नेता प्रतिपक्ष की भूमिका में बोलते हुए राहुल गांधी यह भूल गएकि यह लोकसभा है कोई पब्लिक मीटिंग नहीं है, जहां कुछभी बोल देना या किसीपर कोईभी आरोप लगाना चल जाएगा। लोकसभा में तथ्यों से परे जाना नहीं चलेगा और आप चले तो आपने उसीका परिणाम भी भोग लिया। लोकतंत्र के नामपर आपके आरोप आपको गरिमाहीन बना गए। आपके बोले गए कई शब्द असंवैधानिक, तथ्यविहीन कथन और झूंठ मानकर लोकसभा की कार्रवाई से निकाल दिए गए हैं। इससे आप एक गैर जिम्मेदार नेता सिद्ध होते हैं। लोकसभा की कार्रवाई से निकाले गए अपने कथनों की लोकसभा की कार्रवाई में वापसी केलिए आपने लोकसभा अध्यक्ष को जो पत्र लिखा है, वह भी आपकी संवैधानिक विफलता तो हैही, एक राजनेता के रूपमें भी आपकी व्यक्तिगत विफलता मानी जा रही है और लगता हैकि आगे भी ऐसा ही होता रहेगा। क्या आप ईमानदारी से स्वत: विश्लेषण करेंगेकि देश के हिंदुओं पर 'हिंदू हिंसक' हमले के बाद जब आपको एनडीए ने घेर लिया तो आपके 'समाजवादी इंडी भाई' अखिलेश यादव ने आपका कोई बचाव नहीं किया, क्योंकि वे ऐसे मुद्दों पर खुलकर आपका बचाव करके आपके राजनीतिक 'नंबर' नहीं बढ़ने देंगे। यह आपने अपने भाषण का साक्षात परिणाम थाकि 'इंडी भाई' अखिलेश यादव जब लोकसभा में राष्ट्रपति के अभिभाषण पर बोल रहे थे तो वे बहुत सर्तक थे और लिखा हुआ या लिखवाया हुआ वक्तव्य पढ़ रहे थे, क्योंकि उन्हें बताया गया था या पता थाकि वह लोकसभा में 'इंडी भाई' राहुल गांधी जैसी भयंकर ग़लती नहीं करेंगे नहीं तो समाजवादी पार्टी और उनके खुद केलिए कम से कम उत्तर प्रदेश जैसे संवेदनशील और महत्वपूर्ण राज्य की जनभावनाओं को संभालना मुश्किल पड़ जाएगा, क्योंकि आगे चलकर उनके पीडीए की राह कठिन हुई जा रही है, जिसमें इसबार साढ़े आठ हजार रुपये का खटाखट का पैकेज नहीं चलना है।
राहुल गांधी ने यद्यपि हिंदुओं पर हमला बोलकर और इसमें फंसकर उसके बाद उसे भाजपा के हिंदुओं पर हमले में बदलने की कोशिश की, लेकिन तीर कमान से निकल चुका है। हिंदुओं पर हमले का सांप भी आगे निकल गया है और आप अब दिखावटी लाठियां पीटते रहिए। क्या उन्होंने ऐसा करके कांग्रेस सपा और इंडी अलायंस के खिलाफ हिंदुओं की जनभावनाओं को नहीं छेड़ा? क्या इंडी अलायंस सभी हिंदुओं को नाराज़ करके राजनीति कर सकता है? क्या ममता बनर्जी ने इस मामले में सीधे आपका कोई साथ दिया है? हां! आपके आरोप की गंभीरता और इसके कांग्रेस को संभावित नुकसान को देखते हुए आपकी बहन प्रियंका गांधी वाड्रा तुरंत जरूर सामने आ गईकि मेरे भाई ने हिंदुओं को हिंसक या उनके खिलाफ नहीं बोला है, उसने बीजेपी के खिलाफ बोला है। सवाल हैकि तो क्या लोकसभा में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और 240 भाजपा सांसद हिंसक हिंदू हैं? राहुल गांधी का लोकसभा में हिंदुओं पर हमला अगर कांग्रेस और इंडी अलायंस का नुकसान नहीं कर गया है तो प्रियंका गांधी को हड़बड़ाहट में अपने भाई के बचाव में आनेकी क्या जरूरत थी? राहुल गांधी की यह चाल हो सकती हैकि हिंदुओं को हिंसक हिंदू बोलने से देश के मुसलमान बहुत खुश होंगे और वह कांग्रेस से जुड़ते जाएंगे, लेकिन इंडी भाई अखिलेश यादव को यह बात राजनीतिक रूपसे मंजूर हैकि मुसलमान समाजवादी पार्टी को छोड़कर कांग्रेस केसाथ जाकर राहुल गांधी को अपना नेता मान लें? कदाचित नहीं मानेंगे और अखिलेश यादव का कम से कम इस मुद्दे पर राहुल गांधी से कोई समझौता नहीं होगा, इसपर दोनों के बीच छत्तीस का आंकड़ा तय है।
ममता बनर्जी का इंडी भाईयों में देश के मुसलमान वोटों की खींचतान पर क्या कहना है? क्या वह ऐसे मुद्दों पर कांग्रेस का साथ देंगी? क्योंकि उन्होंने बड़ी मुश्किल से पश्चिम बंगाल से कांग्रेस को भगाया है। इस लोकसभा में उपाध्यक्ष पद परभी उन्होंने कांग्रेस को नहीं, बल्कि समाजवादी पार्टी को यह पद देने की वकालत कर डाली है। उत्तर प्रदेश सबसे बड़ा राज्य है और यहां की अस्सी लोकसभा सीटें प्रधानमंत्री पद की दावेदारी को प्रभावित करती हैं। फिलहाल उत्तर प्रदेश पर समाजवादी पार्टी का वर्चस्व है कांग्रेस का नहीं और ममता बनर्जी को अखिलेश यादव से कोई चुनौती नहीं हैं, जबकि राहुल गांधी यानी कांग्रेस ममता बनर्जी केलिए एक ख़तरनाक राजनीतिक चुनौती हैं। ममता बनर्जी कभी नहीं चाहेंगी कि कांग्रेस या राहुल गांधी कहीं से भी मुसलमानों की पहली पसंद बनें। उन्होंने इस मुद्दे पर समय-समय पर कांग्रेस पर हमले किए हैं। लोकसभा में राहुल गांधी के हिंदू हिंसक बयान से भी वह दूर ही रहेंगी, यद्यपि समाजवादी पार्टी और कांग्रेस ने मिलकर अयोध्या लोकसभा चुनाव जीता है। यहां से सपा क्या जीत गई अखिलेश यादव और राहुल गांधी बार-बार अयोध्या पर भी हमलों पर उतर आए हैं। इंडी अलायंस के प्रत्याशी और मिल्कीपुर के सपा विधायक अवधेश प्रसाद ने यहां से भाजपा को हराया है, लेकिन यह कार्ड आगे चलेगा, इसमें भारी संदेह है। दूर मत जाइए, इस जीत की सच्चाई उत्तर प्रदेश में होनेवाले विधानसभा उपचुनावों में सामने आ जाएगी।
कांग्रेस का हिंदू को हिंसक कहने का एजेंडा इंडी अलायंस को बड़ी मुश्किल में डालने का हथियार बन गया है। यह सपा के इंडी भाई अखिलेश यादव और कांग्रेस के इंडी भाई राहुल गांधी में मुसलमानों को अपने-अपने पक्ष में करने की होड़ के रूपमें भी देखा जा रहा है, जो इन दोनों में बड़े टकराव का कारण भी बन सकता है। उत्तर प्रदेश में समाजवादी पार्टी ने सर्वाधिक 37 लोकसभा सीटें जीती हैं, जिनके पीछे मुसलमान वोटों की मुख्य भूमिका है। उत्तर प्रदेश में कांग्रेस की सफलता में साढ़े आठ हजार रुपये महीना खटाखट की कांग्रेस की महालक्ष्मी योजना ने बड़ा काम किया है, जिसमें लोग एनडीए की मोदी सरकार की महिलाओं, ग़रीबों और किसानों केलिए चली आ रहीं राशन मकान गैस और खाते में नियमित रूपसे धन भेजने की भरोसेमंद योजनाओं को भूलकर ये कांग्रेस और सपा के साढ़े आठ हजार रुपये महीना के फेर में आकर सपा और कांग्रेस को वोट कर गए। कांग्रेस और सपा की यह खटाखट महालक्ष्मी योजना महिलाओं, ग़रीबों और किसानों केसाथ बहुत बड़ा धोखा निकली है, क्योंकि इस योजना का उद्देश्य इनका किसी प्रकार वोट हासिल करना था। इस विजय को सपा और कांग्रेस के इंडी भाई कितना देशव्यापी बना पाएंगे यह समय बताएगा। फिलहाल जो प्रश्न सामने हैं, उनमें यह मुख्य हैकि मुसलमान वोटों केलिए इंडी भाई अखिलेश यादव और राहुल गांधी कितने साथ रहेंगे? इस तथ्य को भी देखना होगाकि इंडी भाईयों ने लोकसभा चुनाव में बसपा के वोटों में जो सेंधमारी की है, क्या ये उसे बरकरार रख पाएंगे? हिंदू हिंसक एजेंडा इंडी केलिए कैसा रहेगा? एक प्रश्न पर समान राय सामने आ रही हैकि उत्तर प्रदेश के संदर्भ में मुसलमान वोटों पर एकाधिकार को लेकर समाजवादी पार्टी की चिंताएं बढ़ गई हैं।
मुसलमानों का समर्थन पाने केलिए कांग्रेस सपा और इंडी भाईयों के एजेंडे जगजाहिर हैं। सपा का मुस्लिम तुष्टिकरण किसी से छिपा नहीं है। राहुल गांधी को तो पता होना चाहिए कि चुनाव में हिंदू वोट हासिल करने केलिए उनके पिताश्री राजीव गांधी ने अयोध्या में श्रीराम मंदिर का शिलान्यास करा दिया। इससे हिंदू समाज खुश हुआ, मगर जो मुसलमान कांग्रेस से जुड़े हुए थे, इस शिलान्यास के परिणामस्वरूप उसी समय कांग्रेस से भाग गए और कांग्रेस को इसका बड़ा नुकसान जानकर जब अगले दिन राजीव गांधी ने श्रीराम मंदिर का शिलान्यास कार्यक्रम रुकवा दिया तो कांग्रेस से जुड़े हिंदू भी भाग गए। नतीजा ये हुआकि कांग्रेस को न हिंदू मिले न मुसलमान और कांग्रेस देखती रह गई। माया मिली न राम, वो दिन आजका दिन कांग्रेस बैसाखियों पर आ गई और अब खत्म होती जा रही है। इसबार के लोकसभा चुनाव में अपने लाभ केलिए इधर-उधर मुंह मारने वाले लालची लोगों में आपका खटाखट चल गया, लेकिन अब आप और आपके 'इंडी भाई' अखिलेश यादव इसकी कड़वी सच्चाई का सामना करने केलिए भी तैयार रहिए, कुछ ही समय बाद इंडी भाईयों को विधानसभा चुनावों और उपचुनावों में जाना है, जिसमें खटाखट की परीक्षा हो जानी है। राहुल गांधी ने लोकसभा में जिस प्रकार हिंसक हिंदू कहकर देश के हिंदुओं पर हमला बोला है, यह मुद्दा थमने वाला नहीं है। इंडी भाईयों को इस मुद्दे पर अपना रुख़ स्पष्ट करना पड़ेगा, क्योंकि यह मुद्दा इन दोनों का बड़ा नुकसान कर सकता है और भाजपा इसपर चुप नहीं बैठेगी।